यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1999

यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1999

Time Allowed: 3 Hours

Maximum Marks: 300

In the case of Question No. 3, marks will be deduced if the Precis is much longer or shorter than the prescribed length

1. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर लगभग तीन सौ शब्दों पर निबन्ध लिखिएः 100

(क) जीने की कला
(ख) भारतीय संस्कृति के बदलते प्रतिमान
(ग) मेरी दृष्टि में एक सच्चा नेता
(घ) मेरी देखी हुई कालात्मक फिल्में
(ङ) ईश्वर सर्वत्रा नहीं रह सकता, इसीलिए उसने माँ की सृष्टि की है।

2. निम्नलिखित अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखिएःµ

विगत सौ वर्षों में अध्यापन का उच्चस्तरीय एवं वु$शल व्यवसाय जो एक छोटे और सीमित समुदाय का व्यवसाय रहा है, वह आज एक बड़े समुदाय के महत्त्वपूर्ण लोक-सेवा की शाखा का रूप ले चुका है। इतिहास के आरंभ से लेकर आज तक इस व्यवसाय की एक महान और गौरवपूर्ण परम्परा बनी हुई है। अपने पूर्वजों ेव$ आदर्शों से प्रेरित वर्तमान युग का कोई भी शिक्षक निश्चित रूप से जानता है कि उसका काम अपनी सोच के अनुरूप शिक्षा देना नहीं है, बल्कि ऐसे विश्वासों एवं पूर्वग्रहों को मस्तिष्क मंें बिठाना है जिन्हें उसका मालिक उपयोगी समझता है। इसके पूर्व शिक्षक बनने के लिए यह अपेक्षा की जाती थी कि वह विशेष प्रज्ञावान और बुद्धिमान हो जिसकी बातों का लोग पालन कर सवें$।

प्राचीन काल में अध्यापन का व्यावसाय व्चवस्थित नहीं था और उनके पढ़ाने के विषय पर भी कोई नियंत्राण नहीं था। यह सच है कि उन्हें अकसर अपने विध्वंसकारी सिद्धान्तों के लिए बाद में द.ड दिया जाता था। सुकरात को मार डालने या प्लेटो को जेल में डाल देने जैसी घटनाएँ उनके सिद्धांतों के प्रचार में कोई अड़चन नहीं बन पायी है। कोई भी व्यक्ति जिसमें सचमूच शिक्षक ठोने की उत्कट इच्छा होती है वह अपनी रचनाओं में जीवित रहना पसंद करता है न कि भौतिक रूप में। अध्यापक को अपना उत्तरदायित्व सही ढंग से निभाने के लिए बौद्धिक-चिंतन में स्वतंत्राता की भावना का होना अनिवार्य है, क्योंकि यह उसी का काम हातेा है कि तर्व$ और ज्ञान के द्वारा लोक-अभिमत को रूपायित कर मन में प्रतिष्ठित कर सके।

सामान्य अध्ययन सिविल सेवा मुख्य परीक्षा अध्ययन सामग्री

(क) अध्यापकों के रूप में सुकरात और प्लेटों पर क्या बीती थी और क्यों? 12
(ख) सच्चे अध्यापक की क्या आकांक्षा होनी चाहिए? 12
(ग) लेखक के अनुसार एक शिक्षक की कौन-सी अनिवार्य आवश्यकताएँ होती हैं? 12
(घ) वर्तमान शिक्षकों के कार्यµसम्बन्धी कौन-सी प्रचलित मान्यताएँ हैं? 12
(ङ) आधुनिक शिक्षकों की तुलना में पुराने शिक्षकों को कौन-से विशेष अधिकार प्राप्त थे? 12

3. निम्नलिखित अवतरण का सारांश लगभग दो सौ शब्दों में लिखिए। सारांश यथासम्भव आपके अपने शब्दों में हो। उसे निर्धारित कागज पर लिखें और उत्तर-पुस्तिका के भीतर सुरक्षित टाँक दीजिए। अपने उत्तर में प्रयुक्त शब्दों की संख्या का उल्लेख कर दें। 60

वेद जैसे धार्मिक काव्यों को लिखने की भारतीयों की क्षमता लगभग ई.पू. 1000 वर्षोंं बाद से लुप्त हो गयी थी। तब से सभी महत्त्वपूर्ण धार्मिक रचनाएँ गद्य में प्रस्तुत होने लगीं जिनमें दार्शनिकों के गूढ़ चितन को व्यक्त करनेवाली रचनाएँ भी शामिल हैं। गद्य के इस साहित्य-लेखन से एक बहुदेवतावादी धर्म उभरा जिसके साथ जुड़े हैंµपवित्रा जानवर जिनको हानि पहुंचाना मना है, पावन गंगा नदी और ऐसे रीति-रिवाज जो पाश्चात्यों को विचित्रा लगते हैं। यहीं हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाने लगा। उसी से एक दूसरे महत्त्वपूर्ण धर्म का भी विकास हुआ जो बौद्ध धर्म कहलाया। यह एक महान् धार्मिक नेता गौतम बुद्ध के प्रवचनों पर आधारित है। सिद्धार्थ गौतम का जन्म ई. पू. 563 में गंगा नदी के पास वाले एक छोटे गाँव में हुआ था। सम्पन्न परिवार के होने के कारण उनका आरंभिक जीवन ऐशो-आराम से बीता। सही समय पर आपका विवाह एक सुन्दर कन्या से हुआ। उनका एक पुत्रा भी हुआ।

पुत्रा के जन्म के साथ गौतम में एक बड़ा परिवर्तन आया। वे ऐशे-आराम से उ$ब गये और उन्होंने एक सार्थक जीवन बिताना चाहा। अपने आसपास के गरीब लोगों की भूख एवं पीड़ को देख वे बहुत खिन्न हुए। एक रात को उठकर वे अपनी पत्नी और पुत्रा को बताए बिना सारी सम्पत्ति त्याग कर चुप-चुप हमेशा के लिए चल दिए। उन्होंने रास्ते में मिले एक भिखारी के चीथड़ों से अपने कीमती वस्त्रों को बदल दिया। अपना सर्वस्थ त्याग कर वे दक्षिण की दिशा में चल पड़े जहाँ उन्हें ऐसे लोगों का सांगत्य प्राप्त हुआ जो गुफाओं में रहते थे, कम खाते थे, अपने शरीर को कष्ट देते थे और समय को आध्यात्मिक विषयों की चर्चा में बिताते थे।

वु$छ दिनों तक गौतम अपने इन नए मित्रों के साथ रहे और स्वयं भी ऐसा ही करते रहे। क्रमशः उन्हें श्रेष्ठता-प्राप्ति के लिए भूखे रहने, स्वयं की उपेक्षा करने और अपने को कष्ट देने में खोखलापन दिखाई देने लगा। श्रेष्ठता, मुक्ति और उत्तम जीवन सम्बन्धी शुद्ध विचार स्वच्छ मन में तभी जन्म ले सकते हैं जब शरीर की ठीक देखभाल हो और उत्तम आहार से स्वस्थ और पुष्ट हो। अचानक उन्होंने इस धार्मिक पाख.डी समुदाय को त्याग दिया।

भर पेट खा-पीकर गौतम एकांत में बड़े पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर चिंतन करने लगे, तो अचानक उन्हें लगा कि जीवन संबंधी सारी जिज्ञासाएँ शांत हो गयी और सारी बातें समझ में आ गयीं। उन्हें विश्वास हो गया कि स्वार्थ ही जीवन की सारी बुराइयों की जड़ है। भौतिक सुख पाने, कीर्ति अर्जित करने, अमरत्व पाने या धनार्जन के प्रयास में आदमी बुरा बन जाता है। अंत में जब वह इन सब लालसाओं से मुक्त होकर अपने पास जो वु$$छ है, उससे तृप्त हो जाता है तो उसे शांति, निर्मलता और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वे अपने शिष्यों को पाने और नये धर्म के प्रचार के लिए निकल पड़े।

तभी गौतम के शिष्यों ने उन्हें ‘बुद्ध’ की नयी उपाधि दी जिसका अर्थ हैµ‘जिसने ज्ञान प्राप्त किया है।’ उनका धर्म ‘बौद्ध धर्म’ कहलाया। यह धर्म, पंडितों का, मंदिरों का, देवताओं का और बलिदान-विषयक न होकर विशुद्ध-आचनण का धर्म माना गया। लेकिन गौातम के देहावसान के बाद ही उनके शिष्यों ने बुद्ध के प्रवचनों में परिवर्तन किया, अन्य धर्मों के देवताओं को लाकर जोड़ा और उनकी पूजा की, और यहाँ तक कि अपने ही धर्म-गुरु की उपासना एक देवता के रूप में करने लगे। आज बौद्ध-धर्म धरती के सभी भागों में प्रचार में है लेकिन अधिकांश धर्मावलंबी, करोड़ों

बौद्धधर्म एशिया में निवास करते हैं। वहाँ के हजारों पवित्रा मन्दिरों में, कोई भी बुद्ध की छोटी या बड़ी मूर्तियों के दर्शन कर सकते हैं जिनकी पूजा होती रहती। साधारण एवं चिंतासक्त सिद्धार्थ के प्रवचनों में आज के विश्व का एक महत्त्वपूर्ण धर्म विकसित हुआ है।

4. निम्नलिखित अवतरण का हिन्दी में अनुवाद कीजिएः 20

Before the birth of freedom we have endured all the pains of labour and our hearts are heavy with memory of this sorrow. Some of these pains continue even now. Neverthless, the past is over and it is the future that beckons to us now.

The further is not one of ease or resting but of incessant striving so that we may fulfill the pledges we have so often taken. The service of India means the service of the millions who suffer. It means the ending of poverty and ignorance and disease and inequality of opportunity. The ambition of the greated man of our generation has been to wipe every tear from every eye. That may be beyond us, but as long as there are tears and suffering, so long our work will not be over.

And so we have to labour and to work, and work hard, to give reality to our dreams. Those dreams are for India, but they are also for the world, for all the nations and peoples are too closely knit together today for any one of them to imagine that it can live apart. Peace has been said to be indivisible, so is freedom in this One World that can no longer be split into isolated fragments.

5. निम्नलिखित अवतरण का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः 20

बच्चों को यह बोलते हुए अकसर सुना जाता है कि, काश हम जल्दी बड़े हो जाते और बड़े-बूढ़ों से यह सुना जाता है कि, काश हम फिर से जवान हो सकते। हर आयू के अपने सुख-दुःख होते हैं और सबसे संतुष्ट व्यक्ति वही है जो व्यर्थ के पश्चाताप में समय न गवाँकर हर एक अवस्था की देन के मजे लेता है।

बचपन एक ऐसी अवस्था है जब जिम्मेदारियाँ कम होती है, जब जीवन में चीजें नित नये रूप में सामने आती हैं और जब किसी को वर्षा या बर्प$ में खेलने जैसे साधारण कामों में आनंद मिलता है। लेकिन बच्चा अपनी इच्छानुसार वु$छ भी करने के लिए स्वतंत्रा नहीं होता और वह अपने को लगातार यही सुनते हुए पाता है कि ‘यह काम मत करो, वह काम मत करो’ आगे मलती हो जाने पर उसे द.ड मिलता है। जब जवान होकर अपनी आजीविका कमाने लगता है तब वह स्वू$ल और पिता के अनुशासन से मुक्ति पाता है, लेकिन साथ में उसे अपने पारिवारिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक उत्तरदायित्वों को भी स्वीकारना पड़ता है

बुढ़ापे को हमेशा एक अधमतम अवस्था के रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन वृद्धों को इस कारण दुःखी होने की आवश्यकता नहीं है। वृद्धावस्था के साथ-साथ विज्ञता के बढ़ने से विवेकपूर्ण सलाहों द्वारा दूसरों की सहायता करने की क्षमता उनमें आनी चाहिए। सबसे भला होगा, यदि वे सार्थक जीवन बिताते हुए जीवन-संग्राम में सफल होने की संतुष्टि का एहसास करते रहें।

6. (क) निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से केवल पाँच का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिएःµ 20

(i) छक्के छुड़ाना
(ii) दमड़ी के तीन होना
(iii) उ$ँट के मुँह में जीरा
(iv) माथे पर बल पड़ना
(v) चिकना घड़ा होना
(vi) मीन-मेख निकालना
(vii) चम्पत होना
(viii) अंधों में काना राजा
(ix) घी के दिये जलाना
(x) जिसकी लाठी उसकी भैंस

(ख) निम्नलिखित युग्मों में से किन्हीं पाँच को इस प्रकार वाक्यों में प्रयोग करें कि युग्म-शब्दों का अन्तर स्पष्ट हो जाएःµ 10

(i) नाप - माप
(ii) नेता - नायक
(iii) परम्परा - मर्यादा
(iv) महिला - पत्नी
(v) अविराम - अभिराम
(vi) मूल - मूल्य ;अपपद्ध अन्न - अन्य
(vii) मद - मद्य
(ix) द्रव - द्रव्य
(viii) प्राप्त - पर्याप्त

(ग) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिएः | 10

(i) मैंने दो घड़ियों को खरीदी।
(ii) तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकती।
(iii) यह लोग क्या करा।
(iv) मैं ऐसा करना पहले से निश्चय कर रखा था।
(v) आपका बातें बहुत मीठा है।
(vi) उसने अनेकों ग्रन्थ लिख डाला।
(vii) हम नई प्रकार की वस्तु देखना चाहा।
(viii) गलियों को चौड़ी करना आवश्यक हो गयी।
(ix) इस का बात को वे नहीं समझ सकते हैं न बोल सकते हैं।

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