(The Gist of Kurukshetra) पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा [April-2018]


पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा

कृषि एंव पशुपालन का भारीतय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है। करीब 70 प्रतिशत आबादी अपनी जीविका के लिए इसी व्यवसाय पर निर्भर है। कुल जीडीपी में पशुधन की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है। उन्नीसवीं पशुगणना (2012) के अनुसार भारत में कुल 512 करोड़ पशु हैं जोकि विश्व के कुल पशुओं का लगभग 20 प्रतिशत हैं। इस पशुधन में क्रमशः गायभैंसबकरीभेड़सुअर और मुर्गी की संख्या करोड़ में) 1991, 10,53,14.55, 7.61, 1.11 और 68.88 है। सन् 1998 से लगातार भारत दूध उत्पादन में विश्व में अपना पहला स्थान बनाए हुए है। वर्ष 2016-17 में भारत का दूध उत्पादन 16374 करोड़ टन रहा। विश्व की कुल गायों की आबादी की 15 प्रतिशत भारत में है हालांकि मैंसें 55 प्रतिशत हैं। विश्व में भारत भैंसों की संख्या में पहला, बकरियों में दूसराभेड़ में तीसरा और कुक्कुट में सातवें स्थान पर है। व्यावसायिक-स्तर पर चिकनमीट और अंडों की उपलब्धता के लिए मुर्गी और बत्तख पालन ही कुक्कुट पालन है। दूध उत्पादन के साथ ही भारत अंडा उत्पादन में तीसरे यलर उत्पादन में चौथे स्थान पर अपनी बढ़त बनाए हुए है। पिछले कुछ वर्षो के केन्दीय बजट में कृषि मद के लिए खर्च में वृद्धि की गई , लेकिन फिर भी जमीनी हकीकत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। वर्ष 2017-18 की क्रमशः प्रथम तिमाही और तृतीय तिमाही में कृषि का योगदान 4,493.13 और 3,245.21 अरब रुपये रहा है। वर्ष 2016-17 में क्रमशः उन्नत नस्ल गायदेसी गायभैंस और बकरी का प्रतिदिन उत्पादन किलोग्राम में) 752, 283, 5.25 और 0.46 रहा है। पशुधन क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक योगदान अकेले दूध और दूध उत्पादों का है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 के 307 ग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 2016-17 में 352 ग्राम प्रतिदिन पहुंच गई है। भारत में मुख्यतः 2016-17 में अधिक दूध उत्पादन उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में दर्ज किया गया।

बकरी गरीब आदमी की गाय मानी जाती है। मानव पोषण में विशेष योगदान है। बकरी के दूध में आयरन, कैल्शियम फॉस्फोरस, मैग्निशियम और सिलिनियम अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है इसीलिए इसका प्रयोग फेफड़े के घावों, गले की पीड़ा को दूर करने, खून में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए किया जाता है। बकरी के मांस में 19-21 प्रतिशत प्रोटीन, 3-.5 प्रतिशत वसा पाई जाती है जो हृदय व मोटे लोगों के लिए लाभदायक है। कुक्कुट पालन से पौष्टिक खाद्य मीट और अण्डे के साथ ही कई बेरोजगारों को आय का साधन मिल जाता है। वर्ष 2016-17 में भारत में 881 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ। इस समय देश में अंडों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 69 अंडे है। वर्ष 2016-17 में सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन आमतौर पर तमिलनाडुआंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में पाया गया ।

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  पशुधन मनुष्य को भोजन और गैर-खाद्य पदार्थ प्रदान करते हैं। खाद्य पदार्थ जैसेकि दूधमांसअंडे के अतिरिक्त पशुधन ऊन बालचमड़ाहड्डी आदि के भी स्रोत हैं जिनसे अनेक उत्पाद बनाए जाते हैं। साथ ही ऊंटघोड़ेगधेबैलखच्चर आदि का प्रयोग माल परिवहन के लिए किया जाता है। खेती और पशुपालन व्यवसाय एक-दूसरे के पूरक हैं। जहां कृषि क्षेत्र में मात्र 12 प्रतिशत वृद्धि दर मिलती है वहां पशुपालन में 45 प्रतिशत भारत में वर्ष 2016-17 में ऊन उत्पादन 435 मिलियन किलोग्राम था। जो कर्नाटक, गुजरातम हिमांचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से मुख्यतः प्राप्त हुआ।

सरकार द्वारा किसानों और पशुपालकों की आय दुगुनी करने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। भविष्य में चुनौतियों का सामना करने के लिए धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी आधारित वातावरण की तरफ बढ़ना आवश्यक है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग (कृषि मंत्रालय) राष्ट्रीय कार्ययोजना विजन 2022 पर काम कर रहा है। कृषि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना राष्ट्रीय पशुधन मिशन 2014-15 में शुरू की गई जिसके चार उपमिशन हैं। इस मिशन में पशुधनसुअर विकास खाद्य एवं चारा विकासकौशल विकासप्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आजीविका के रूप मे पशुपालन विस्तार को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। इस मिशन के अंतर्गत वर्ष 2014-15 में 16.5 लाख पशुओं का बीमा किया गया। साथ ही 30696 करोड़ रुपये जारी किए गए। नाबार्ड को 13949 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य पशुधन उत्पादन में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार करना है। इसके माध्यम से जोखिम प्रबंधन और बीमा देश के सभी जिलों में लागू है। पूर्व में जो बीमा केवल गाय और भैंसों का किया जाता था, अब सभी पशुओं जैसेकि भेड़सुअर याक, घोड़ा, गधाखरगोश, खच्चर और मिथुन को शामिल किया गया है। इस मिशन में नीली क्रांति का भी लक्ष्य है जिससे खाद्य पोषण सुरक्षा, रोजगार के अवसर और बेहतर आजीविका उपलब्ध कराई जा सके।

  चारा विकास योजना का उद्देश्य चारा विकास हेतु राज्यों के प्रयासों में सहयोग देना है। इस योजना के चार घटक है - चारा प्रखंड निर्माण इसकाइयों की स्थापना, सरंक्षित तृणभूमियों सहित तृणभूमि क्षेत्र जैव प्रौद्योगिकी शोध परियोजना और चारा फसलों के बीज का उत्पादन तथा वितरण।

बजट 2018 - 19 में 10,000 करोड़ रूपये पशु मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किये गए है। 58,080 करोड़ रूपये कृषि पर खर्च किये जाएंगे। पहली बार पशुपालको को किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण दिया जाएगा। बजट की और अहम घोषणा प्रत्येक जिले के विशेष कृषि उत्पादो को बढ़ावा देने क लिए उद्योग की तर्ज पर जनपदवार क्लस्टर स्थापित करने की है।

 हमारा लक्ष्य वर्ष 2017-18 में दूध उत्पादन 17.368 करोड़ टन और अंडा उत्पादन 9.4 करोड़ टन प्राप्त करने का है। इसके लिए जरूरी हो जाता है कि हम उन्नतिशील तकनीक अपनाएं और अपने पशुओं की आहार व्यवस्था पर ध्यान दें। पशुपालन व्यवसाय में कल व्यय का 60-70 प्रतिशत चारे दाने पर ही खर्च होता है। कुक्कुट पालन के लिए व्यक्तिगत कौशलपोल्ट्रीपालन की जानकारीस्वास्थ्य संरक्षणरखरखाव दक्षता के साथ ही मेहनत की आवश्यकता है। ब्रॉयलर 40 दिन में बिक्री के लिए तैयार किया जा सकता है, वहीं अण्डा देने वाली मुर्गी अठारहवें सप्ताह से अंडा देकर किसान की आमदनी बढ़ाने में मदद करती है। साथ ही यह जरूरी हो जाता है कि हम नियमित अंतराल पर अपने पशुओं की जाच कराएं जिससे कि पशु हमेशा स्वस्थ और उत्पादक बना रहे।

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Courtesy: Kurukshetra