user5's blog

(The Gist of Kurukshetra) SANITATION ROADMAP FOR CLEAN INDIA [JUNE-2018]


(The Gist of Kurukshetra) SANITATION ROADMAP FOR CLEAN INDIA

[JUNE-2018]


SANITATION ROADMAP FOR CLEAN INDIA

(The Gist of Kurukshetra) पंचयतो की वित्तीय सुदृढ़ता [JULY-2018]


(The Gist of Kurukshetra) पंचायतों की वित्तीय सुदृढ़ता [JULY-2018]


पंचायतों की वित्तीय सुदृढ़ता

(The Gist of Kurukshetra) पंचायती राज : उपलब्धियां और चुनौतियां [JULY-2018]


(The Gist of Kurukshetra) पंचायती राज : उपलब्धियां और चुनौतियां [JULY-2018]


पंचायती राज : उपलब्धियां और चुनौतियां

(The Gist of Kurukshetra) EMPOWERING WOMEN AND CHILDREN IN INDIA [JUNE-2018]


(The Gist of Kurukshetra) EMPOWERING WOMEN AND CHILDREN IN INDIA

[JUNE-2018]


EMPOWERING WOMEN AND CHILDREN IN INDIA

(GIST OF YOJANA) भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 [July] -2018]


(GIST OF YOJANA) भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 [July] -2018]


भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018

इस समय दुनिया भर में आर्थिक स्तिथितयां उतार-चढ़ाव भरी है। ऐसे में हमारा देश अपने दरवाजे वैश्वीकरण के लिए खोल चूका है , जिस कारण ये झटके यहां भी महसूस करे जारी है। पहले हमारा देश सुनिया भर अर्थव्यवस्थाओं को दहलाने वाले झटको से एक सिमा तक बचा हुआ था। उदारीकरण के बाद हमें भी हलचल महसुस होती है। भारतीय कारोबार बढ़ गए है , उन्होंने अपने पंख पूरी दुनिया में फैला लिए है और उनमे से कई अपने विस्तार के लिए पूंजी जुटाने बैंको ने भी वृद्धि की उम्मीद में और भरोसे के कारण अपने ग्राहकों को कर्ज दे दिए है। बदकिस्मती से अब उन पर कई तरफ से चोट पढ रही है। सरकार को लगा कि भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम एवं धन शोधन निवारण अधिनियम होने के बाद भी आर्थिक अपराधियों पर निशाना साधने के लिए अलग से एक कानून की जरूरत है। इसीलिए सरकार ने बजट में ऐलान किया कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों को निशाना बनाने के लिए विशेष कानून लाया जाएगा, जो सरकार को संपत्तियां जब्त करने तथा उनकी बिक्री से मिली रकम ऋणदाताओं को देने का अधिकार प्रदान करेगा। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की धोखाधड़ी से पंजाब नेशनल बैंक को चोट पहुंचने के फौरन बाद केद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक धोखेबाजों का खेल खत्म करने और निवेशकों एवं बैंक ग्राहकों का भरोसा बैंकिंग प्रणाली में मजबूत करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी।

विधेयक का औचित्य और परिचय

 कारोबारी सौदे बिगड़ने के कारण ग्राहक अपने कर्ज वक्त पर चुकाने में नाकाम हो गए और बैंकिंग क्षेत्र को चोट झेलनी पड़ी। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले ऐसे कई धोखेबाजों को जब खतरा नजर आने लगा । तो वे देश छोड़कर भाग गए। सजा भुगतने के बजाय ऊंची हैसियत वाले और पैसा पानी की तरह बहाने वाले इन कारोबारियों को जब सख्त कार्रवाई की आहट सुनाई। पड़ी तो सजा भुगतने के बजाय वे कानून प्रवर्तन अधिकारियों और नियामकों के आने से पहले ही भारत छोड़कर भाग गएउनके ऊपर बकाया राशि, कर्ज और बाकी खर्च की करोड़ों रुपए की रकम हो सकती है। देश के बैंकों, जांच एजेंसियों, अभियोजन एजेंसियों को इन निर्लज्ज लोगों ने झांसा दिया है और गलत तरीकों से कमाया गया धन विभिन्न विदेशी कपनियों, संपत्तियों और बैंक खातों में इकट्ठा कर दिया है और वे हमारे देश के कानून से दूर विदेशों में शानोशौकत से जी रहे हैं। अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालने वाली ऐसी समस्याओं से पूरी तरह निपटने के लिए हमारे कानून में पर्याप्त दीवानी और फौजदारी प्रावधान नहीं हैं।

विधेयक

इस विधेयक के दायरे में वे मामले आते हैं, जिनमें आर्थिक अपराधों का कल मूल्य 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक होता है। यह विधेयक फरार हो चुके भगोड़े आर्थिक अपराधियों के मामले में कानून कीसंपत्तियों को जब्त करने का अधिकार देगा। इससे बैंकों और दूसरी वित्तीय संस्थाओं को फरार डिफॉल्टरों से वसूली करने में बहुत मदद मिलेगी।

अगर कोई कथित अपराधी खुद को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने से पहले ही भारत लौट आता है और उस मामले में इस अधिनियम के तहत चल रही उचित अदालती कार्यवाही का हिस्सा बन जाता है। तो उसे इस विधेयक के तहत राहत मिल सकती है और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी जाएगी।

विधेयक पर अच्छी तरह से विचार किया गया है और जरूरी सुरक्षा प्रदान की गई है, जैसे वकील के जरिए सुनवाई की सुविधा प्रदान करना, उस व्यक्ति को जवाब दाखिल करने के लिए समय देना, भारत या विदेश में समन भेजना। साथ ही उच्च न्यायालय में अपील करने की सुविधा भी प्रदान की गई।है। कानून के प्रावधानों के अनुरूप संपत्ति का प्रबंधन करने और उसे निपटाने के लिए प्रशासक को नियुक्त करने का प्रावधान भी इसमें है। विधेयक धन शोधन निवारक अधिनियम, साक्ष्य अधिनियमभारतीय दंड संहिता जैसे पहले के कानूनों के अनुरूप ही है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit

UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट

(GIST OF YOJANA) किसानो का कल्याण ; संकल्प भरी प्राथमिकता [July] -2018]


(GIST OF YOJANA) किसानो का कल्याण ; संकल्प भरी प्राथमिकता [July] -2018]


किसानो का कल्याण ; संकल्प भरी प्राथमिकता

कल्याण लंबे अरसे तक दरकिनार ही रहा। लेकिन केंद्र में नई और अधिक संवेदनशील सरकार ने इस सामाजिक-आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मामले को 2014 में आगे कर दिया। उसके बाद से कृषि विकास के प्रति नया किसान कल्याण केद्रित रुख ग्रामीण जनता को अधिक आयरोजगार तथा संपन्नता के साथ सशक्त बना रहा है। साथ ही, प्रधानमंत्री ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर यानि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का आह्वान किया है। उसे पूरा करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सात बिंदुओं की रणनीति बनाई है, जिसमें किसानों की आय बढ़ाने के विभिन्न महत्वपूर्ण तथा संभावित घटक शामिल किए गए हैं। इनपुट लागत के प्रभावी प्रयोग के साथ कृषि भूमि के प्रति इकाई उत्पादन को बढ़ाना (कटाई के बाद नुकसान को कम करना तथा मूल्यवर्द्धन बड़े जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करते हुए कृषि विपणन में सुधार) और विभिन्न अनुषांगी गतिविधियों (बागवानी, पशुपालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन मुर्गी पालन तथा एकीकृत खेती) के प्रोत्साहन पर विशेष जोर देना इस रणनीति के प्रमुख बिंदु हैं।

विपणन के नुस्खे

इस बार के आम बजट (2018-19) में सभी 23 प्रमुख रबी एवं खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उनकी उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना रखने की घोषणा कर सरकार ने साहसिक और बहुप्रतीक्षित कदम उठाया। लेकिन इस घोषणा के अनुरूप ऐसी प्रक्रिया खोजना जरूरी है, जिससे खुले बाजार में कृषि उत्पादों की कीमत एमएसपी से नीचे जाने पर भी एमएसपी पर ही खरीद सुनिश्चित हो सके। इसे ध्यान में रखते हुए नीति आयोग को केंद्र तथा राज्य सरकारों से मशविरा कर ऐसा तरीका विकसित करने का जिम्मा दिया गया है, जिससे प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों में भी किसानों के हितों की रक्षा हो सके। सरकार ने बहुत अधिक उपज होने पर अधिक उत्पाद को खरीदने का वायदा भी किया है।

देश में 85 प्रतिशत से अधिक किसान छोटे और सीमांत हैं, जिनके पास बाजार में बेचने लायक अतिरिक्त फसल कम होती है और खेती-बाड़ी में उनका खर्च बहुत अधिक होता है। इसलिए सरकार ने लाइसेंस तथा कराधान संबंधी बाधाएं दूर करने एवं किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए 2015 में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई- नाम) शुरू किया। अभी तक 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 585 कृषि उत्पाद विपणन समितियां (एपीएमसी या मंडिया) लगभग 90 कृषि उत्पादों के ऑनलाइन व्यापार में मदद करने वाले इस मंच से जुड़ चुकी हैं। 99 लाख से अधिक किसान और एक लाख से अधिक कारोबारी विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में काम करने वाली इस सुविधा का सक्रिय इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जो किसान एपीएमसी तक नहीं पहुंच पाते वे ईनाम के फायदों से वंचित हैं। हाल ही में 22,000 ग्रामीण हाटों का उन्नयन कर ग्रामीण कृषि बाजार (ग्राम) बनाकर सरकार ने इस दिशा में सही कदम उठाया।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना एक अन्य प्रमुख योजना है, जिसका मकसद विपणन संबंधी सहायता के साथ प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन की सुविधाएं प्रदान कर किसानों का कल्याण करना एवं उन्हें समृद्ध बनाना है। इस योजना से 2019-20 तक 20 लाख किसानों को लाभ मिलने और 5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष परोक्ष रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है तथा इससे लगभग 31400 करोड़ रुपए का निवेश भी आएगा। इसके तहत विभिन्न योजनाएं आती हैं और यह फूड पार्क स्थापित एवं संचालित कर रही है (एकीकृत कोल्ड चेन एवं मूल्यवर्द्धन अवसंरचना को विस्तार दे रही है) खाद्यप्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं में विस्तार कर रही है। कृषि प्रसंस्करण क्लस्टरों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार कर रही है और किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए सभी प्रकार के लिंकेज भी विकसित कर रही है। सरकार विभिन्न प्रकार के कर प्रोत्साहन देकर, 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई की अनुमति देकर और कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को आसान कर्ज मुहैया कराने के लिए नाबार्ड में 2,000 करोड़ रुपए का विशेष कोष तैयार कर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दे रही है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit

UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट

(The Gist of Kurukshetra) BOLSTERING ROAD NETWORK IN RURAL AREAS [JUNE-2018]


(The Gist of Kurukshetra) BOLSTERING ROAD NETWORK IN RURAL AREAS

[JUNE-2018]


BOLSTERING ROAD NETWORK IN RURAL AREAS

(GIST OF YOJANA) अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास [July] -2018]


(GIST OF YOJANA)  अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास  [July] -2018]


अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास

भारत में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में अक्षय ऊर्जा अहम समाधान के तौर पर उभरकर सामने आई है। पिछले कुछ सालों में भारत के ऊर्जा परिदृश्य पर अक्षय ऊर्जा का असर महसूस किया गया है। भारत 2022 तक 175 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा क्षमता को हासिल करने की प्रक्रिया में है।

नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने भविष्य में साफ-सुथरी ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत दुनियाभर में अक्षय ऊर्जा के सबसे बड़े विस्तार अभियान को अंजाम दिया जा रहा है। मार्च 2018 तक पिछले चार साल में (मई 2014 से मार्च 2018 के दौरान) 37.33 गीगावॉट के अक्षय ऊर्जा की अतिरिक्त क्षमता तैयार हुई और अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता का आंकड़ा कुल 69 गीगावॉट (20 प्रतिशत) रहा। साल 2022 तक 175 गीगावॉट का अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने की खातिर नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने पवन-सौर हाइब्रिड विद्युत परियोजनाओं ऑनशोर पवन विद्युत परियोजनाओंबायोमास पावर, सौर पार्क के विकास और अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा नहर के किनारों पर ग्रिड से जुड़े सौर पीवी विद्युत संयत्र और बायोगैस आधारित ग्रिड विद्युत उत्पादन कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

तमाम योजनाओं में राष्ट्रीय सौर मिशन सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका मकसद बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सौरऊर्जा को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के। तहत सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत को कोयलागैस के जरिए बिजली उत्पादन की लागत के बराबर करना है। बोली लगाने की पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए सौर (.44 रुपए प्रति यूनिट) और पवन (2.64 प्रति यूनिट) ऊर्जा के लिए ऐतिहासिक तौर पर सस्ती बिजली दर का लक्ष्य हासिल किया गया और तमाम सहूलियतों के जरिए अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत सरकार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन, पूंजी और ब्याज पर सब्सिडी, छूट पर वित्त पोषण, राजकोषीय प्रोत्साहन आदि के जरिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत अक्षय ऊर्जा की विभिन्न योजनाओं के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने वित्तीय मदद के अलावा कई खास कदम उठाए हैं, जिनमें बिजली अधिनियम और शुल्क नीति में संशोधन भी शामिल है। इन संशोधनों का मकसद अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) को सख्ती से लागू करना और हरित ऊर्जा कॉरीडोर परियोजना के जरिए अक्षय ऊर्जा का शून्यीकरण है। इसके अलावा, वितरण कंपनियों को प्रोत्साहित करने और नेट मीटरिंग को जरूरी करने के लिए एकीकृत विद्युत विकास योजना में उपाय करने और द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय दाताओं से हरित पर्यावरण फंड के तौर पर धन जुटाने की भी बात है, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के बढ़ते कदम

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit

UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट

(Download) UPSC IES Exam Paper - 2018 "Electrical Engineering Paper - 2"

https://iasexamportal.com/sites/default/files/UPSC-IES-LOGO.gif


(Download) UPSC IES Exam Paper - 2018 "Electrical Engineering Paper - II"


Exam Name: Engineering Services Exam (IES)

Paper : ELECTRICAL ENGINEERING Paper - II

Year: 2018

File Type: PDF

ELECTRICAL ENGINEERING

Paper - II

Time Allowed : Three Hours

Maximum Marks : 300

QUESTION PAPER SPECIFIC INSTRUCTIONS

Please read each of the following instructions carefully before attempting questions.

There are EIGHT questions divided in TWO Sections.

Candidate has to attempt FIVE questions in all.

Question Nos. 1 and 5 are compulsory and out of the remaining, THREE are to be attempted choosing at least ONE question from each Section.

The number of marks carried by a question / part is indicated against it.

Assume suitable data, if considered necessary and indicate the same clearly.

Unless otherwise mentioned, symbols and notations carry their usual standard meanings.

Attempts of questions shall be counted in sequential order. Unless struck off, attempt of a question shall be counted even if attempted partly.

Any page or portion of the page left blank in the Question-cum-Answer Booklet must be clearly struck off.

Answers must be written in ENGLISH ONLY.

SECTION ‘A’

1. (a) A single-phase AC voltage controller is feeding a resistive load of 26.45 2 from an AC source of 230 V, 50 Hz. Compute the firing angle to deliver 1000 W to the load. Also compute the p.f. at which this power is delivered. Draw a neat circuit diagram and waveforms of voltage at load terminals with current flowing in the load.

(b) An open-loop system G(s)=1/s2 (ts+1) , is placed in cascade with a proportional  and derivative controller K(s) = (1 +Tds). If their unity feedback closed-loop system oscillates at a frequency of Ö2 rad/second, find the ranges/ values of the system and controller parameters, i.e., ranges/values of K, Td and t.

(c) Determine the mechanical time constant of rotor of an electrical machine in terms of its moment of inertia J kg-m2 and windage cum friction coefficient fN-m/rad/s. Also explain the method to determine mechanical time constant experimentally in laboratory.

(d) An electric train running between two stations A and B, 10 km apart and maintained at voltages 550 V and 500 V respectively, draws a constant current of 600 A. The resistance for both go and return conductors is 0.04W/km. Find the point of minimum potential between the stations, the voltage at that point and currents drawn from both the stations at that point.

(e)

2. (a) A single-phase full bridge inverter is used to produce a 50 Hz voltage across a series R-L load (R = 10 W and L = 20 mH) using bipolar PWM. The DC input to the bridge is 380 V, the amplitude modulation ratio ma = 0.8 and frequency modulation ratio mf = 21. Consider dominant harmonics to be frequency dominant and its nearby side frequencies (both sides). Assume normalized Fourier coefficient for ma = 0.8 to be 82% for dominant harmonic frequency and 22% for the nearby side frequencies.

Determine

(i) amplitude of 50 Hz component of output voltage and current;
(ii) power absorbed by the load resistor;
(iii) THD of the load current.

Also compare the amplitude of 50 Hz component of output voltage with square wave and quasi-square wave output.

(b) A 3-phase, 6-pole, 460 V, 50 Hz induction generator operates at 480 V. The generator has its rated output power of 20 kW. It is driven by a turbine at a speed of 1015 r.p.m. The generator has the following electrical parameters :

R1 = 0.2W  R2 = 0.15W  Rsh = 320W
X1 =1.2W  X2 = 1.29W  XM = 42W

Find the active power delivered by the generator and reactive power it requires from the system to operate.

(c) (i) Under what condition a single line-to-ground fault at the terminals of a generator can be more severe than a 3-phase symmetrical fault at the same location?

(ii) A 3-phase power system is represented by one-line diagram as shown in the figure below :

3.(a)

4. (a) (i) What do you mean by grading of cables? What are the methods of grading?

(ii) Derive the condition for minimum value of gradient at the surface of the conductor.

(iii) Determine the economic overall diameter of a single-core cable metal sheathed for a working voltage of 75 kV, if the dielectric strength of the insulating material is 60 kV/cm.

(b) A 400 V, 50 Hz, 6-pole, 960 r.p.m., Y-connected induction motor has the following parameters per phase referred to stator :

r1 = 0.4W; = r2 =0.2W;  x1 = x'2 = 1.5W; Xm = 30W

The motor is controlled by a variable frequency inverter at a constant flux of rated value for operation below synchronous speed, super-synchronous operation region flux is weakened by keeping voltage constant at rated value. Assume straight line for torque vs. slip characteristics for slip s < Sm (motor region) and s>sm (generator region). The connected load on the shaft is constant torque type.

Calculate the inverter frequency and current drawn by the stator when torque on the shaft is half-rated while motoring at 500 r.p.m.

(c) Why is the waveshape of magnetizing current of a transformer non-linear? Explain the phenomenon of in-rush magnetizing current and derive its expression in terms of a, the angle of the voltage sinusoid at t = 0 and or, the residual core flux at t = 0.

Use the graph sheet to show non-linearity of current from the assumed 0-i diagram of magnetic core of the transformer.

Study Material for IAS (UPSC) General Studies Pre. Cum Mains

(GIST OF YOJANA) सबको शिक्षा - अच्छी शिक्षा ' की और बढ़ते कदम [July] -2018]


(GIST OF YOJANA)  सबको शिक्षा - अच्छी शिक्षा ' की और बढ़ते कदम  [July] -2018]


सबको शिक्षा - अच्छी शिक्षा ' की और बढ़ते कदम

किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके मानव संसाधन से बनती है। जबकि श्रेष्ठ मानव संसाधन शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है। एक सामान्य किंतु महत्वपूर्ण बात सभी जानते हैं कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति वहां के नागरिकों पर निर्भर करती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त किए हुए नागरिक ही अपने देश की प्रगति में सहयोग कर सकते हैं। शिक्षित नागरिक ही अपने देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने में सक्षम होते हैं। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के महत्व को समझाते हुए यहां तक कहा है कि यदि शिक्षा से सम्पन्न राष्ट्र होता तो आज हम पराभूत मनस्थिति में न आए होते।' हमारे देश में स्वामी विवेकानंद ऐसे संन्यासी हुए जिन्होंने नागरिकों को शिक्षित बनाने पर सर्वाधिक जोर दिया। भारत जैसे विविधता सम्पन्न और विशाल देश में अब भी शिक्षा सब तक नहीं पहुंच सकी है। अनेक स्थानों पर शिक्षा के उपक्रम प्रारंभ तो हो गए किंतु उसमें गुणवत्ता नहीं है। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय दृष्टिकोण ही नदारद है। यही कारण है कि मौजूदा सरकार ने अपने पहले साल से ही शिक्षा में गुणात्मक एवं भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार सुधार का संकल्प ले लिया था। सरकार के संकल्प सबको शिक्षा-अच्छी शिक्षा' की पूर्ति के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय योजनाबद्ध तरीके से निरतर कार्य कर रहा है। पिछले चार वर्ष में स्कूली शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भी महत्वपूर्ण आवश्यक कदम सरकार ने उठाए हैं।

स्कूली शिक्षा में आ रहा सकारात्मक बदलाव

केद्र सरकार ने चार साल में शिक्षा की बुनियाद अर्थात स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए ठोस और नवाचारी कदम उठाए हैं। वहीं, पूर्व से चली आ रही व्यवस्था एवं नियमों में आवश्यक संशोधन भी किए सरकार ने शिक्षा को सस्ती, सुलभ और जवाबदेह बनाने के साथ ही उसकी गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया है। डिजिटल युग की ओर बढ़ते भारत में शिक्षा के डिजिटलीकरण पर भी सरकार ने ध्यान दिया है। केंद्र सरकार की प्रभावी नीतियों के चलते 6 से 13 वर्ष की उम्र के अधिक स अधिक बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस वर्ग में 2078 करोड़ बच्चे हैं। प्राथमिक से आगे की पढ़ाई करने वाले बच्चों का औसत 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जिसे सरकार सौ फीसदी तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। कक्षाओं में छात्र-शिक्षक के अनुपात में भी सुधार आया है। वर्ष 2009-10 में जहां 32 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक था, वहीं अब यह घटकर 24 से भी कम छात्रों पर एक शिक्षक तक आ गया है।

समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से स्कूलों की हालत सुधारने के साथ ही उन्हें अधिक जवाबदेह बनाने का प्रयास सरकार कर रही है। अध्ययन-अध्यापन छात्रों और शिक्षकों के लिए बोझ न हो, बल्कि यह आनंद का विषय बनेइसके लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। अभी तक चलन था कि शिक्षक तय समय में पाठ्यक्रम पूरा कर अपने दायित्व से इतिश्री कर लेते थे। पाठ्यक्रम को पूरा करना ही उनकी प्राथमिकता में था। किंतुअब लर्निग आउटकम पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसके लिए मॉड्यूल विकसित किया गया है। इसमें छात्रों को कब-क्या आना चाहिए, इस पर पूरा जोर दिया गया है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन

सरकार ने फरवरी 2017 में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शिक्षा का अधिकार (आटीई) कानून के नियमों में संशोधन किया। इसमें पहली बार आठवीं कक्षा तक कक्षावार एवं विषयवार प्राप्त परिणामों को समाहित किया गया ताकि गुणवत्तायुक्त शिक्षा के महत्व पर जोर दिया जा सके। इसके तहत प्रारंभिक स्तर तक की प्रत्येक कक्षा के लिए भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी एवं उर्दू), गणित पर्यावरण अध्ययन, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में विषयों की जानकारी के बारे में एक बुनियादी स्तर तय किया गया है। इस स्तर तक प्रत्येक कक्षा के अंत में छात्रों को पहुंचना चाहिए?

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)

सरकार ने बच्चे के मूल्यांकन की व्यवस्था में भी बदलाव किया है। पूर्व में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण पाठ्यपुस्तक सामग्री पर आधारित था, अब यह एक योग्यता आधारित मूल्यांकन है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के माध्यम से ऐसा पहली बार हुआ है कि शिक्षकों के पास यह समझने के लिए एक उपकरण आया कि विभिन्न कक्षाओं में बच्चे को वास्तव में क्या सीखना चाहिए। बच्चों को क्रियाकलापों के जरिए कैसे पढ़ाया जा सकता है और कैसे यह मापा एवं किया गया।

स्वच्छ विद्यालय के तहत सबसे साफ-सुथरे विद्यालयों को पुरस्कार

सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई एवं स्वच्छता कार्यों में उत्कृष्टता को पहचानने और उसे प्रेरित करने के लिए स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत की गई है। पिछले वर्ष अर्थात् 2017 में इस पुरस्कार के लिए कुल 2 लाख 68 हजार 402 स्कूलों ने वेब पोर्टल / मोबाइल ऐप के जरिए आवेदन किया था। राष्ट्रीय स्तर पर 643 स्कूलों का मूल्यांकन किया गया और 1 सितंबर 2011 को 172 स्कूलों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसमें शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय शामिल थे। अनेक स्कूलों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं होने के कारण भी अभिभावक अपनी बच्चियों को शिक्षा के लिए चाहकर भी स्कूल नहीं भेजते थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से अपने पहले संबोधन में 15 अगस्त 2014 को प्रत्येक स्कूल में बालक-बालिकाओं के लिए अलग से एक साल के अंदर शौचालय बनाने का वादा किया था। प्रधानमंत्री के इस संकल्प को पूरा कर लिया गया है।

मिड-डे मील में गड़बड़ियों को किया

समाप्त भोजन को बनाया अधिक पौष्टिक मध्यान्ह भोजन योजना में भारी गड़बड़ी की जा रही थी। यह एक तरह से भ्रष्टचार का जरिया बन गई थी। सरकार ने मिड डे मील में होने वाली गड़बडियों को ई-पोर्टल और आधार नबंर की मदद से बहुत हद तक कम कर दिया है। इसके लिए बजट से होने वाले धन आवंटन को वास्तविकता पर आधारित करने का प्रयास किया गया है। मत्रालय के अनुसार आधार के चलते फर्जी नामों कमी आई है। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार झारखंड और आंध्रप्रदेश से ऐसे 4 लाख फर्जी नाम हटा दिए गए हैं। इससे सरकारी खजाने का बोझ बहुत कम हुआ है। मध्यान्ह भोजन योजना की रियल टाइम निगरानी के लिए आंकड़े जुटाने की एक स्वचालित प्रणाली स्थापित की गई है। इसके साथ ही मिड-डे मील में दिए जाने वाले भोजन की पौष्टिकता पर भी सरकार ने ध्यान दिया है।

विज्ञान एवं अंकगणित का एक पाठ्यक्रम

बदलते समय में विज्ञान और गणित की प्रमुख भूमिका को देखते हुए सरकार ने इसमें अपेक्षित बदलाव किया है। अब सभी राज्यों के बोर्ड में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित शिक्षा ही दी जायेगी। इससे शिक्षा में समानता बढ़ेगी।

स्टूडेंट्स डेटा मैनेजमेंट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम का सृजन ( SDMIS )

देश में सभी छात्रों के आधार विवरण के साथ एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। जो ड्रॉप आउट यानी पढ़ाई बीच में ही छोडने पर लगाम लगाने, नकली नामांकन पर रोक। लगाने नियोजन प्रकिया में सुधार लाने और संसाधनों की कुशल उपयोगिता सुनिश्चित करने में मदद करेगा। अब तक करीब 21 करोड़ छात्रों को इसके दायरे में लाया जा चुका है।

राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (NDL)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के शैक्षणिक संस्थानों के बीच उपलब्ध मौजूदा ई-सामग्री और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के जरिए शिक्षा का राष्ट्रीय मिशन के तहत राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय की स्थापना की है। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने 19 जनू, 2018 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय पठन-पाठन दिवस के अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी का लोकार्पण किया। एनडीएल का लक्ष्य देश के सभी नागरिकों को डिजिटल शिक्षण संसाधन उपलब्ध कराना है तथा ज्ञान प्राप्ति के लिए उन्हें सशक्त, प्रेरित और प्रोत्साहित करना है। इस डिजिटल पुस्तकालय में पाठ्य पुस्तक निबंधवीडियो-आडियो पुस्तके, व्याख्यान , उपन्यास तथा अन्य प्रकार की शिक्षण सामग्री शामिल है। कोई भी व्यक्ति किसी भी समय और कहीं से भी राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी का उपयोग कर सकता है। यह सेवा नि:शुल्क है और ‘पहें भारत बहे भारत' के संदर्भ में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस पुस्तकालय में 200 भाषाओं में 160 स्रोतों की 1.7 करोड अध्ययन सामग्री उपलब्ध है। लाइब्रेरी के अंतर्गत 30 लाख उपयोगकर्ताओं का पंजीयन हुआ है। सरकार का लक्ष्य प्रति वर्ष इस संख्या में 10 गुना वृद्धि का है। डिजिटल पुस्तकालय वेबसाइट के अलावा मोबाइल एप पर भी उपलब्ध है।

स्कूली शिक्षा में डिजिटलीकरण :

1. आधार : 30 नवंबर 2016 तक 5 से 18 वर्ष की उम्र के 24 करोड़ 49 लाख 20 हजार 190 बच्चों को आधार से जोड़ दिया गया था, जो उनकी कुल जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत है।
2. ई-संपर्क : 50 लाख 7 हजार 729 शिक्षकों से संबंधित आंकड़ों को ई-संपर्क पोर्टल से जोड़ गया दिया है।
3. जीआईएस ( Geographic information system ) मैपिंग : स्कूलों को ग्राफिक इंफोर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) से जोड़ दिया गया है। इससे किसी भी बस्ती से एक उचित दूरी पर स्कूलों की कमी को पूरा करने में आसानी हुई है। इस प्रकार देश के सभी स्कूलों के आंकड़े और जानकारी U&DISE (Unified District Information System for ducation) पर उपलब्ध है।
4 ई-पाठशाला : दोषरहित अध्ययन सामाग्री को उपलब्ध कराने के लिए ई-पाठशाला शुरू की गई है, जहां सभी पुस्तके और अन्य अध्ययन सामाग्री उपलब्ध
5. शाला वर्पण : स्कूलों के कारगर प्रशासन व्यवस्था के लिए शाला दर्पण के तहत उन्हें स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ा गया है। 5 जून 2015 को 1099 केंद्रीय विद्यालयों से इसकी शुरुआत हुई।
6. शाला सिद्धि योजना : स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 7 नवंबर 2015 से शाला सिद्धि योजना शुरू की गई है। इस पोर्टल पर सभी स्कूल निर्धारित सात मापदंडों के आधार पर स्वंय का मूल्याकंन करते हैं। जो सभी के लिए उपलब्ध होता है।
7. शगुन : केंद्र सरकार प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों और प्रगति से छात्रों और शिक्षकों को जोडने की कोशिशों में जुटी हुई है। इस को देखते हुए सर्व शिक्षा अभियान के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल 'शगुन' का शुभारंभ किया गया है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit

UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट

Pages

Subscribe to RSS - user5's blog