(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भारतीय इतिहास (मध्यकालीन भारत) "अध्याय - मराठा राज्य और संघ"
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विश्वय - भारतीय इतिहास (मध्यकालीन भारत)
अध्याय - मराठा राज्य और संघ
ग्रान्ट डफ के अनुसार सत्राहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मराठों का उदय ‘आकस्मिक अग्निकाण्ड’ की भांति हुआ। अहमदनगर के मलिक अम्बर ने मराठों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए तथा युद्ध और प्रशासन दोनों में उनकी सर्वोत्तम प्रतिभा और सहयोग का उपयोग किया।
शिवाजी (1627-1680 ई0)
शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई0 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था। 12 वर्ष की अल्पायु में शिवाजी ने अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त की। 1656 ई0 में शिवाजी ने कोंकण में ‘कल्याण’ और ‘जावली’ का दुर्ग भी अधिक्रत कर लिया। शिवाजी के साम्राज्य विस्तार की नीति से रूष्ट होकर बीजापुर के सुल्तान ने 1659 ई0 में अफजल खाˇ नामक अपने सेनापति को उनका दमन करने के लिए भेजा।
शिवाजी ने राजा जयसिंह के साथ 1665 ई0 में एक संधि कर ली यह संधि ‘पुरन्दर की संधि’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। 1670 ई0 में शिवाजी ने विद्रोह कर मुगलों की अधीनता में चले जाने वाले अपने सभी किलों पर पुनः कब्जा कर लिया। 1674 ई0 में रायगढ़ के दुर्ग मे शिवाजी ने महाराष्टŞ के स्वतन्त्रा शासक के रूप में अपना राज्यभिषेक कराया। इस अवसर पर उन्होंने ‘छत्रापति’ की उपाधि धारण की। शिवाजी की मृत्यु के समय मराठा राज्य बेलगांव से लेकर तुंगभद्रा नदी के तट तक तथा समस्त पश्चिमी कर्नाटक में विस्तृत था। शिवाजी की मृत्यु 1680 ई0 में हुई।
मराठा शासन प्रणाली
मराठों की प्रशासनिक पद्धति प्रायः महमूद गवां द्वारा बहमनी और मलिक अम्बर द्वारा अहमदनगर में लागू पद्धति पर आधारित थी। शिवाजी के आठ उच्च अधिकारी थे, जो ‘अष्ट प्रबधंन’ कहलाते थेः (1˝ पेशवा), (2˝ मजुमदार), (13 सर-ए-नौबत), (4˝ दबीर), (5˝ सुरनवीस), (6˝ वाक्यिानवीस), (7˝ पंडितराव), (8˝ न्यायाधीश)। राजाराम के समय ‘अष्ट प्रबधंन’ मे प्रतिनिधि’ का विभाग नामक एक नया विभाग जोड़कर इसमें वृद्धि की गई थी। शिवाजी की राजस्व प्रणाली अहमदनगर के मन्त्री मलिक अम्बर द्वारा अपनाये गये सिद्धान्तों से प्रभावित थी। भूमि की आय का निर्धारण ‘काठी’ और ‘मुठी’ से किया जाता था। भूमिकर के अतिरिक्त राजकीय आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत युद्ध मे लूटा गया धन एवं चैथ व सरदेशमुखी थे। सरदेशमुखी कर मराठा राजा को उसके देश स्वामी (देशमुख˝ होने के नाते दिया जाने वाला एक पुराना कर था। कुतुबशाही राज्य में देशमुख कर वसूलने वाले अधिकारी होते थे। शिवाजी ने युद्ध के समय सैनिकों की भर्ती करने की प्रथा कर परित्याग करके एक स्थायी सेना रखने की परम्परा आरम्भ की। जिसमें चालीस हजार घुड़सवार सैनिक व दस हज़ार पैदल सैनिक थे।