(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भारतीय इतिहास "अध्याय - मौर्य साम्राज्य"

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विश्वय - भारतीय इतिहास

अध्याय - मौर्य साम्राज्य

अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना प्रथम बार मौर्यकाल में हुई। इस काल से भारतीय इतिहास में एक निश्चित तिथिक्रम का ज्ञान आंरभ हुआ।

चन्द्रगुप्त मौर्य (323-298 ई.पू.)

मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त था। विलियम जोन्स प्रथम विद्वान थे जिन्होंने ‘सेंड्रोकोट्स’ की पहचान ‘चन्द्रगुप्त’ से स्थापित की। चन्द्रगुप्त मौर्य की सिकंदर से परिचय सैनिक शिक्षा ग्रहण करते समय तक्षशिला में हुई थी। 304-5 ई.पू. में बैक्ट्रिया के शासक सेल्यूकस को चन्द्रगुप्त ने पराजित कर उसकी पुत्री से विवाह किया। दहेज में हेरात, कंधार, मकरान तथा काबुल प्राप्त किया। सेल्युकस ने अपना राजदूत मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त के दरबार मे भेजा था। यूनानी लेखकों ने उसे पोलिबोथ्रा के नाम से संबोधित किया है। प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने अपनी 6 लाख सेना से पूरे भारत पर आधिप्त स्थापित किया। ‘चन्द्रगुप्त’ नामक प्राचीनतम उल्लेख रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में प्राप्त हुआ है। अंतकाल में चन्द्रगुप्त ने श्रवणवेलगोला में जैनों की तरह उपवास करके प्राण त्याग दिये।

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बिंदुसार

बिंदुसार के काल में भी चाणक्य प्रधानमंत्री था। बिंदुसार आजीवक संप्रदाय का अनुयायी था। स्ट्रेबो के अनुसार यूनानी शासक एण्टियोकस ने बिंदुसार के दरबार मे डाइमेकस नामक दूत भेजा था। बिंदुसार ने एण्टियोकस से मदिरा, सूखे अंजीर तथा एक दार्शनिक भेजने की मांग की थी परंतु एंटियोकस ने मदिरा तथा सूखे अंजीर तो भेजे परंतु दार्शनिक नहीं भेजे। प्लिनी के अनुसार मिस्र के राजा टालेमी द्वितीय फिलाडेल्फस ने डाइनासियस को बिंदुसार के दरबार में भेजा था। बिंदुसार की उपाधि अमित्राघात अर्थात ‘शत्रुओं का वध करने वाला’ था। उसका अन्य नाम भद्रसार तथा सिंहसेन भी था। दिव्यवदान के अनुसार उत्तरापथ की राजधानी तक्षशिला में विद्रोह को खत्म करने के लिए उसने अपने पुत्रा अशोक को भेजा था। तारानाथ के अनुसार नेपाल के विद्रोह को भी अशोक ने समाप्त किया।

अशोक (273-223 ई.पू.)

अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था। महादेवी तथा करूवाकी उसकी पत्नियां थीं। सिंहली अनुश्रुति के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाईयों की हत्या कर गद्दी प्राप्त की थी। उसका राज्यभिषेक 269 ई.पू. में हुआ था परंतु वह 273 ई.पू. में गद्दी पर बैठाा। कल्हण के अनुसार अशोक ने कश्मीर में ‘श्रीनगर’ की स्थापना की। उसने शासन के सातवें वर्ष में कश्मीर व खोतान को जीता था। आठवें वर्ष 261 ईपू. में कलिंग युद्ध किया। कलिंग युद्ध के भीषण नर संहार के बाद उसने युद्ध न करने का संकल्प लिया तथा धम्म विजय’ को अपनाया।

अशोक के प्रसिद्ध कार्य

अशोक भारत का प्रथम सम्राट था जिसने अभिलेखों के माčयम से जनता को संबोधित किया। संभवतः इसकी प्रेरणा उसे ‘डेरियस’ के शिलालेख से मिली थी। असम एवं सुदूर दक्षिण को छोड़कर संपूर्ण भारतवर्ष उसके साम्राज्य के अंतर्गत था। अशोक ने अपने शासनकाल के 14वें वर्ष में धम्ममहामात्रों’ की नियुक्तियां आरम्भ की। अशोक ने अपने अधिकारियों को प्रत्येक पांच वर्ष पर दौरा करने का निर्देश दिया था जिसे ‘अनुसंधान’ कहा गया है।

अशोक के उत्तराधिकारी

पुराणों के अनुसार अशोक के बाद उसका पुत्रा कुणाल गद्दी पर बैठा। दिव्यवदान में उसे धर्मविवर्धन कहा गया है। राजतरंगिणी के अनुसार जालौक कश्मीर का स्वतंत्रा शासक बना। अशोक के बाद उसका साम्राज्य दो भागों में बंट गया। पूर्वी भाग का शासक ‘दशरथ’ था तथा आजीवकों के लिए नागार्जुनी गुफाओं का निर्माण करवाया। मौर्य वंश का अंतिम शासक ‘वृहदरथ’ अत्यंत दुर्बल था। उसके सेनापति पुष्यमित्रा शुंग ने उसकी हत्या कर 185 ई.पू. में मगध की सत्ता पर अधिकार कर लिया।

पतन के कारण

हर प्रसाद शात्री के अनुसार मौर्यों के पतन का कारण अशोक की धार्मिक नीति थी। हेमचन्द्र राय चौधरी के अनुसार अशोक की अहिंसा की नीति तथा रोमिला थापर के अनुसार आर्थिक संकट उत्तरदायी थे।

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