UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 07 February 2019
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 07 February 2019
::राष्ट्रीय::
40वां संचार उपग्रह जीसैट-31 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फ्रेंच गुएना के अंतरिक्ष केंद्र से अपने 40वें संचार उपग्रह जीसैट-31 का 05 फरवरी 2019 को सफल प्रक्षेपण किया.
- इसरो द्वारा प्रक्षेपित इस उपग्रह की आयु 15 वर्ष है.
- यह पहले से कक्षा के अंदर मौजूद कुछ उपग्रहों पर संचालन संबंधी सेवाओं को जारी रखने में मदद उपलब्ध करेगा और जियोस्टेशनरी कक्षा में केयू-बैंड ट्रांसपोंडर की क्षमता भी बढ़ायेगा.|
- यह उपग्रह 2,535 किलोग्राम वजनी है
- इस उपग्रह को फ्रेंच गुएना के कुरू से रॉकेट एरिएन-5 (वीए247) के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया है.
जीसैट-31 संचार उपग्रह के लाभ
- यह उपग्रह बैंड ट्रांसपोंडर की मदद से अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के विशाल समुद्री क्षेत्र के ऊपर संचार की सुविधा के लिये विस्तृत बीम कवरेज प्रदान करेगा.
- यह इसरो के पूर्ववर्ती इनसैट/जीसैट उपग्रह श्रेणी के उपग्रहों का उन्नत रूप है.
- जीसैट-31 का इस्तेमाल सहायक वीसैट नेटवर्क, टेलीविजन अपलिंक्स, डिजिटल उपग्रह समाचार जुटाने, डीटीएच टेलीविजन सेवाओं, सेलुलर बैक हॉल संपर्क और इस तरह के कई कार्यो में किया जायेगा.
- जीसैट-31' को इसरो के परिष्कृत आइ-2के बेस पर स्थापित किया गया है.
- •यह उपग्रह भारतीय भू-भाग और द्वीप को कवरेज प्रदान करेगा.
संचार उपग्रह
- दूरसंचार के प्रयोजनों के लिए संचार उपग्रह अंतरिक्ष में तैनात यह एक कृत्रिम उपग्रह है.
- आधुनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, दीर्घवृत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और ग़ैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं.
- निश्चित सेवाओं के लिए, संचार उपग्रह माइक्रोवेव रेडियो प्रसारण तकनीक उपलब्ध कराते हैं.
- उनका इस्तेमाल मोबाइल अनुप्रयोगों, जैसे जहाज, वाहनों, विमानों और हस्तचालित टर्मिनलों तथा टी.वी. और रेडियो प्रसारण के लिए होता है, जहां केबल जैसे अन्य प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग अव्यावहारिक या असंभव है.
- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) प्रणाली, भूस्थिर कक्षा में स्थापित नौ प्रचलनात्मक संचार उपग्रहों सहित एशिया-पेसिफिक क्षेत्र में सबसे बडे घरेलू संचार उपग्रहों में से एक है.
- इन्सैट-1बी से शुरूआत करते हुए इसकी स्थापना 1983 में की गई.
- इसने भारत के संचार क्षेत्र में एक महत्वतपूर्ण क्रांति की शुरूआत की तथा बाद में भी इसे बरकरार रखा. वर्तमान में प्रचलनात्मक संचार उपग्रह है - इन्सैट-3ए, इन्सैट-3सी, इन्सैट-3ई, इन्सैट-4ए, इन्सैट-4सी.आर., जीसैट-8, जीसैट-10 तथा जीसैट-12 आदि.
पंजाब का राजकीय जलीय जीव "सिंधु नदी डॉल्फिन" को घोषित किया
- ब्यास नदी में पाई जाने वाली सिंधु नदी डॉल्फिन को हाल ही में पंजाब राज्य का राजकीय जलीय जीव घोषित किया गया. .
- पंजाब सरकार ने इसे हाल ही में राज्य जलीय जीव घोषित करने की मंजूरी दे दी है.|
- पंजाब में पाई जाने वाली यह डॉल्फिन लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है |
- सिंधु डॉल्फिन एक दुर्लभ जलीय जीव है जो ब्यास नदी की पर्यावरण प्रणाली के संरक्षण के लिए एक उप-जाति है.|
सिंधु नदी डॉल्फिन
- सिंधु नदी डॉल्फिन ताजे पानी के डॉल्फिन में दूसरा सर्वाधिक संकटापन्न प्रजाति है.
- सिंधु नदी (पाकिस्तान) में इसकी संख्या 1800 है और ब्यास नदी में इसकी संख्या महज 8 से 10 है.
- यह विश्व के सर्वाधिक दुर्लभ स्तनधारी जीवों में से एक है. माना जाता है कि डॉल्फिन देख नहीं सकती है.
- सिंधु नदी डॉल्फिन मछलियों का उद्भव प्राचीन टेथिस सागर में हुआ था और उसके सूख जाने के पश्चात वहीं के पास की नदियों को अपना पर्यावास बना लिया.
- सिंधु नदी डॉल्फिन का वैज्ञानिक नाम प्लैटेनिस्ता माइनर (Platanista minor) है.
- विश्व में नदी डॉल्फिन की केवल सात प्रजातियां और उपप्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से सिंधु नदी डॉल्फिन भी एक है.
सम्पूर्ण विश्व में ताजे पानी की डॉल्फिन :
- अमेजन नदी डॉल्फिन (बोटो या पिंक रिवर डॉल्फिन), टुकुक्सी (भूरे रंग की आमेजन नदी डॉल्फिन), गंगा नदी डॉल्फिन (सुसु), सिंधु नदी डॉल्फिन (भूलन), इरावदी नदी डॉल्फिन, यांग्त्जी नदी डॉल्फिन.
राज्य सरकार के अन्य निर्णय
- उन्होंने छतबीड़ चिड़ियाघर के लिए अफ्रीकी देशों से जेबरा, जिराफ, चिंपेंजी और गोरिल्ला जैसे जीवों को आयात करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए वन्य जीव विभाग को आज्ञा दे दी.
- सीएम ने ब्यास में घड़ियाल छोड़े जाने के प्रोजेक्ट की प्रशंसा करते हुए हरीके पत्तन में कछुआ हैचरी स्थापित करने की मंजूरी देने के अलावा ब्यास में और घडिय़ाल छोड़े जाने को भी मंजूरी दी ताकि इन उच्च दुर्लभ जातियों के संरक्षण को यकीनी बनाया जा सके.
- मुख्यमंत्री ने ब्यास नदी में पानी के अनियमित बहाव का गंभीर नोटिस लेते हुए 5 हजार से 6 हजार क्यूसिक पानी का न्यूनतम बहाव यकीनी बनाने के लिए जल स्रोत विभाग को निर्देश जारी किए.
- शिवालिक और इसके आसपास सेम वाले क्षेत्रों में इको टूरिज्म को विकसित करने के लिए सीएम ने इस क्षेत्र में निजी तौर पर काम करने वाली प्रमुख हस्तियों के साथ तालमेल से कर्नाटक मॉडल के जंगल लॉज लागू करने के लिए वन्य जीव विभाग को कहा है.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश : भारत
- 2.25 करोड़ टन खपत के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश बन गया है.
- एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
- सरकार की प्रत्येक परिवार को स्वच्छ रसोई गैस ईंधन उपलब्ध कराने की पहल से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश बन गया है.
- देश में एलपीजी की मांग 2025 तक 34 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है.
- एलपीजी की मांग बढ़ने से चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा बड़ा उपभोक्ता बन गया है.
मुख्य तथ्य:
- वर्ष 2014-15 में एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या 14.8 करोड़ थी जो 2017-18 में बढ़कर 22.4 करोड़ हो गई. जनसंख्या में तेज वृद्धि तथा ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी पहुंच बढ़ने से एलपीजी उपभोग में औसतन 8.4 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
- 2.25 करोड़ टन के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश बन गया है.
- वर्ष 2025 तक एलपीजी उपभोग बढ़कर 3.03 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा. वर्ष 2040 तक यह आंकड़ा 4.06 करोड़ टन होगा.
प्रधानमंत्री उज्व्आं ला योजना:
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत 6.31 करोड़ कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं. इस योजना के तहत तीन साल मे पांच करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
- इस योजना के तहत वर्ष 2020 तक आठ करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है
- प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भारत के गरीब परिवारों की मुलभुत आव्यशकताओ को पूरा करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई एक योजना है.
- इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगे.
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत आरम्भ में वित्त वर्ष 2016-17 से शुरू 3 वर्षों की अवधि के दौरान 8,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 5 करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था.
- यह सभी तक ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सरकार के समग्र फोकस का एक हिस्सा है.
- उन गांवों में बिजली पहुंचाई जा रही है जो अब तक इस सुविधा से वंचित हैं.
::विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी::
चुंबकीय उत्तरी ध्रुव हर साल 55 किमी खिसक रहा है : वैज्ञानिक
- वैज्ञानिकों के अनुसार चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अपनी जगह से खिसक रहा है.
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव हर साल लगभग 55 किलोमीटर खिसक रहा है.
- वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्ष 2017 में इंटरनैशनल डेट लाइन (आईडीएल) को पार कर लिया था.
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव की सहायता से कंपास पर दिशा देखी जाती है लेकिन चुंबकीय ध्रुव के खिसकने के कारण अब समुद्री यात्रा के दौरान एवं हवाई यात्रा के दौरान दिशा का पता लगाना मुश्किल हो रहा है.
- पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव पिछले कुछ दशकों में इतनी तेजी से खिसक रहा है कि वैज्ञानिकों के पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे.
यह परिवर्तन क्यों है ?
- मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद डेनियल लेथ्रोप के अनुसार इसका कारण पृथ्वी के बाहरी कोर में हलचल है.
- ग्रह के कोर में लोहे और निकल का गर्म तरल महासागर है जहां हलचल से विद्युतीय क्षेत्र पैदा होता है.
- चुंबकीय ध्रुव के इतने तेज़ी से खिसकने का सटीक कारण फिलहाल वैज्ञानिकों के लिए रहस्य ही है लेकिन उनका अनुमान पृथ्वी की सतह के नीचे होने वाले परिवर्तन इसका कारण हैं.
- वर्ल्ड मैग्नेटिक मॉडल (WMM) को हर पांच साल में अपडेट किया जाता है,
- जो आखिरी बार यह 2015 में अपडेट हुआ था. लेकिन 2016 में पता चला कि चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अनुमान से ज्यादा तेजी से जगह बदल रहा है.
- 2018 में यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन और ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि जल्द ही इसे अपडेट करने की जरूरत है
- क्योंकि डब्ल्यूएमएम की बढ़ चुकी मौजूदा त्रुटियों के चलते नेविगेशन में आने वाली गलतियां अस्वीकार्य हैं.ध्रुवों के घूमने पर उनके नाम भी बदल जाते हैं.
- उदाहरण के तौर पर फेयरबैंक्स एवं अलास्का एयरपोर्ट का नाम 2009 में क्रमश: 1एल-19आर और 2एल20आर था.
चुंबकीय उत्तरी ध्रुव में परिवर्तन और इसके प्रभाव
- चुंबकीय उत्तरी ध्रुव प्रत्येक वर्ष लगभग 55 किलोमीटर खिसक रहा है.
- भौगोलिक उत्तरी ध्रुव की तुलना में चुंबकीय नॉर्थ पोल 4 डिग्री दक्षिण की ओर खिसक गया है.
- कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद और नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नोड चुलियट ने बताया कि लगातार बदल रहे इसके स्थान की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स के कंपासेज में समस्या आ रही है.
- इसने 2017 में इंटरनैशनल डेट लाइन (आईडीएल) को पार कर लिया था और यह साइबेरिया की तरफ बढ़ते हुए फिलहाल कनाडाई आर्कटिक से आगे बढ़ रहा है.
- विमान एवं नौकाएं भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र पर निर्भर रहती हैं खासकर शिपिंग में अतिरिक्त मदद के लिए वह इस पर निर्भर रहती हैं.
- सेना नौवहन और पैराशूट उतारने के लिए इस बात पर निर्भर रहती है कि चुंबकीय उत्तर ध्रुव कहां है जबकि नासा, संघीय विमानन प्रशासन एवं अमेरिकी वन सेवा भी इसका इस्तेमाल करती है.
- हवाईअड्डे के रनवे के नाम भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र की तरफ उनकी दिशा पर आधारित होते हैं और ध्रुवों के घूमने पर उनके नाम भी बदल जाते हैं.
- इसके विपरीत चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव उत्तर के मुकाबले बहुत धीमी गति से खिसक रहा है.
भयंकर तूफान आने की दर जलवायु परिवर्तन से बढ़ सकती है : नासा
- जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान बढ़ने से सदी के अंत में बारिश के साथ भयंकर बारिश और तूफान आने की दर बढ़ सकती है |
- गर्म वातावरण में गंभीर तूफान बढ़ जाते हैं |
- भारी बारिश के साथ तूफान आमतौर पर साल के सबसे गर्म मौसम में ही आते हैं.
मुख्य तथ्य:
- इसमें औसत समुद्री सतह के तापमान और गंभीर तूफानों की शुरुआत के बीच संबंधों को निर्धारित करने के लिए उष्णकटिबंधीय महासागरों के ऊपर अंतरिक्ष एजेंसी के वायुमंडली इन्फ्रारेड साउंडर (एआईआरएस) के उपकरण द्वारा अधिग्रहित 15 वर्षों के आकंड़ों का अध्ययन किया गया.
- समुद्र की सतह का तापमान लगभग 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर गंभीर तूफान आते हैं.
- 'जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण हर एक डिग्री सेल्सियस पर 21 प्रतिशत अधिक तूफान आते हैं.
नासा के बारे में:
- नासा (National Aeronautics and Space Administration) संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है.
- नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था.
- इस संस्था ने 01 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया. तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है.
- फरवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है.
- वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
::अर्थव्यवस्था::
विशेष आर्थिक क्षेत्र से जैव-ईंधन निर्यात की अनुमति केंद्र सरकार ने दी
- केंद्र सरकार ने सशर्त विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) और निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) से जैव-ईंधन के निर्यात की अनुमति दे दी है.
- केंद्र सरकार ने अगस्त 2018 में गैर-ईंधन उद्देश्य के लिये जैव-ईंधन के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी.
- इस पाबंदी के बाद सेज और ईओयू से काम करने वाले निर्यातकों ने इसे हटाने को लेकर सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थी.
मुख्य तथ्य:
- निर्यातकों का कहना था कि वे अंतिम उत्पाद के निर्यात के लिये केवल आयातित सामग्री का उपयोग करते हैं.| साथ ही निर्यात उन्मुख इकाइयों को निर्यात संवर्द्धन योजना के तहत इसे पूरा करने की बाध्यता है.
- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के नोटिस के अनुसार, व्यापार समुदाय की मुश्किलों तथा ईओयू एवं सेज में आयातित कच्चे माल से जैव ईंधन के उत्पादन को देखते हुए यह विचार किया गया कि इससे घरेलू उत्पादन / खपत पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसीलिए घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) में लागू पाबंदी को ईओयू /सेज में नहीं लगाया जा सकता.
- ईओयू / सेज से गैर-ईंधन उद्देश्य से जैव-ईंधन के निर्यात का सेज नियमों और विदेश व्यापार नीति के तहत नियमन किया जाएगा. इसके अनुसार निर्यात मकसद से जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये कच्चा माल आयातित स्रोत से ही होना चाहिए.
- सेज और ईओयू निर्यात उन्मुख इकाइयां हैं जो घरेलू सीमा शुल्क कानून के दायरे से बाहर हैं.
भारत डिजिटल सिविलिटी इंडेक्स में 7वें स्थान पर
- दुनिया की जानी-मानी आईटी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने ‘सेफर इंटरनेट डे’ पर तीसरा डिजिटल सिविलटी इंडेक्स जारी किया.
- इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन शिष्टाचार (सिविलटी) का स्तर बढ़ा है यानी इंटरनेट पर भारतीय अब तरीके से पेश आने लगे हैं. \
- इस इंडेक्स के अनुसार भारत सहित पूरी दुनिया में इंटरनेट पर अब लोग सुलझे तरीके से व्यवहार कर रहे हैं. इसमें 18 से 34 साल के लोगों पर 22 देशों में किए गए सर्वे में भारत 7वें नंबर पर आया है
- भारत का इंडेक्स जहां 59% था, वहीं ग्लोबल इंडेक्स 66% था.
- इस मामले में भारत ने अपनी स्थिति पहले के मुकाबले दो फीसदी ठीक है.
डिजिटल सिविलिटी इंडेक्स में भारत (सकारात्मक परिणाम)
- भारत में इन्टरनेट पर अभद्र भाषा का उपयोग करने वालों की संख्या 13% है जबकि बाकी विश्व में यह आंकड़ा 16% है.
- विश्व भर में 18 वर्ष से अधिक 67% लोगों को ऑनलाइन रिस्क का सामना करना पड़ता है जबकि अवयस्क लोगों में यह आंकड़ा 62% है.
- ऑनलाइन उत्पीड़न भारत में विश्व के अन्य देशों की तुलना में सबसे कम होता है. विश्व में जहां 18% प्रतिशत ऑनलाइन उत्पीड़न के मामले दर्ज होते हैं वहीँ भारत में यह आंकड़ा महज 10% है.
- भारत में किसी व्यक्ति अथवा निजी जानकारी को सर्च करने का प्रतिशत महज 10% है जबकि बाकी विश्व में यह आंकड़ा 12% है.
- भारत में इन्टरनेट के माध्यम से होने वाले यौन उत्पीड़न की दर भी अन्य देशों के मुकाबले कम है. भारत में यह आंकड़ा 25% है जबकि बाकी विश्व में इसकी संख्या 30% है.
डिजिटल सिविलिटी इंडेक्स में भारत (नकारात्मक परिणाम)
- भारतीय इन्टरनेट पर किसी दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा ख़राब करने में सबसे आगे हैं, भारतीयों को इस श्रेणी में 9% जबकि बाकी विश्व को 8% अंक मिले हैं.
- विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में इन्टरनेट के माध्यम से आपातकालीन नंबरों पर सबसे अधिक झूठी कॉल की जाती है. भारत में 4% जबकि विश्व भर में 3% इस प्रकार की कॉल की जाती है.
- भारत में बिना जान पहचान के नंबरों पर कॉल करने की संख्या 46% है जो बाकी विश्व में 43% है.
- भारत में 64% पुरुषों को इन्टरनेट परविभिन्न प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ता है जबकि महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 61% है.
डिजिटल सिविलिटी बनाने हेतु माइक्रोसॉफ्ट के सुझाव
- माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार सकारात्मक परिणाम वाले माहौल बनाये जाने की आवश्यकता है.
- संस्थानों के लिए कोड ऑफ़ कंडक्ट लागू किये जाने चाहिए.
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप बढ़ाकर भी डिजिटल सिविलिटी बढ़ाई जा सकती है.
ओडिशा में राजमार्ग परियोजनाओं की शुरूआत
- केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ओडिशा में तीन राजमार्ग परियोजनाओं की शुरूआत की.
- इन परियोजनाओं पर 2,345 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है.
- इन परियोजनाओं से ओडिशा के खनिज संपन्न अंगुल और ढेंकनाल जिलों का राज्य के अन्य भागों से बेहतर संपर्क सुनिश्चित होगा.
- इन तीनों राजमार्ग परियोजनाओं की कुल लंबाई 132 किलोमीटर है और इन पर 2,345 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
राजमार्ग परियोजना:
- जिन तीन परियोजनाओं के लिए आधारशिला रखी गयी,
- उसमें 795.18 करोड़ रुपये की लागत से एनएच 200/23 (नया एनएच 53) के तालचेर – कामाख्या नगर हिस्सेा की 41.726 किलोमीटर लंबाई को चार लेन बनाना,
- 761.11 करोड़ रुपये की लागत से एनएच 200 (नया एनएच 53) के कामाख्या1नगर – डुबुरी हिस्से् की 51.1 किलोमीटर लंबाई को चार लेन बनाना
- 789.23 करोड़ रुपये की लागत से एनएच 200 (नया एनएच 53) के डुबुरी – चांदीखोले हिस्से की 39.4 किलोमीटर लंबाई को चार लेन बनाना शामिल हैं.
प्रभाव:
- इनसे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर तैयार करने में मदद मिलेगी और स्थाइनीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.
- परियोजनाओं के तहत यातायात के भीड़-भाड़ में कमी लाने और सड़क का इस्तेरमाल करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए समुचित संरचना की जाएगी.
- इनमें तीन बाईपास, एक फ्लाईओवर, 19 वाहन अंडरपास, 9 बड़े और 49 छोटे पुल और 45 किलोमीटर सर्विस रोड शामिल हैं.
- इन परियोजनाओं से यातायात की भीड़-भाड़ में कमी होने और एक स्था न से दूसरे स्थानन तक आने-जाने में कम समय लगने के कारण वाहनों की आवाजाही पर लागत में कमी होगी और प्रदूषण में भी कमी होगी.
UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit
UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट
::नियुक्ति::
नागरिक विमानन सचिव बने प्रदीप खरोला
- सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के प्रमुख प्रदीप सिंह खरोला को नागरिक विमानन मंत्रालय का सचिव नियुक्त किया गया है |
- १९८५ बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी खरोला को नवंबर २०१७ में एयर इंडिया का चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था |
- हालांकि उन्होंने अपना कार्यकाल ९ जनवरी २०१८ को संभाला था |
::आज का दिन::
चलती ट्रैन से भेजा गया टेलीफ़ोन सन्देश
- ७ फरवरी १९१५ को चलती ट्रैन से पहला वायरलेस टेलीफोन सन्देश रेलवे स्टेशन को प्राप्त हुआ था |
- यह ध्वनि सन्देश था |
- जिसे लायंसबेरी के डेलावेयर - लेकवाना रेलमार्ग से ४३ कम दूर न्यूयार्क के बिनहैम्टन स्टेशन ६ बोगी की रेलगाड़ी से भेजा गया था |
पहली बार भरी गयी एकल विमान उड़ान
- ७ फरवरी १९२८ को ऑस्ट्रेलिया के पायलेट बार्ट हिंक्लर ने इंग्लॅण्ड से ऑस्ट्रेलिया के क्रयदन के बिच दुनिया की पहली एकल विमान उड़ान भर थी |
- इस यात्रा में १६ दिनों का समय लगा था |
- ऑस्ट्रेलिया की सरकार बतौर इनाम उन्हें २००० यूरो मिले थे |
ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध पर कब्जा कर नवाब को बंधक बनाया
- ७ फरवरी १८५६ को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध के राजा वाजिद अली शाह के पुरे अवध क्षेत्र पर कब्जा कर उनको गद्दी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था |
- बाद में उनको कोलकाता में बंदी बना लिया गया |
- वह पिता नवाब अमजद अलीशाह के उत्तराधिकारी और अवध के अंतिम दसवे नवाब थे |
- वह संगीतप्रेमी , विलासमयी जीवनशैली और श्रेष्ठ शासक के रूप में मशहूर हुए |
- उनकी कई प्रसिद्ध रचनाये आज भी मौजूद है |
- इश्क़नामा में उन्होंने निजी जिंदगी के बारे में खुलकर लिखा | १८८७ में कोलकत्ता में अंतिम सांस ली |
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