UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 19 December 2018
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 19 December 2018
:: राष्ट्रीय ::
चेंजिंग इंडिया: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन:
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘चेंजिंग इंडिया’ दिल्ली में विमोचन किया गया.
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यह पुस्तक भारत के आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर प्रकाश डालती है.
‘चेंजिंग इंडिया' पुस्तक के बारे में
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पांच खंडों में प्रकाशित 'चेंजिंग इंडिया' में मनमोहन सिंह ने 10 साल प्रधानमंत्री रहने के दौरान के किए गए कामों और एक अर्थशास्त्री के रूप में अर्थव्यवस्था का आकलन किया है.
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‘चेंजिंग इंडिया’ में मनमोहन सिंह के जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है. पुस्तक में उनके बचपन, शिक्षा, अर्थशास्त्री के रूप में जीवन तथा बतौर प्रधानमंत्री उनके जीवन सफ़र को दर्शाया गया है.
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चेंजिंग इंडिया के माध्यम से मनमोहन सिंह ने भारत के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से लिखा है.
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‘चेंजिंग इंडिया’ के पहले भाग का शीर्षक है – भारत के निर्यात रुझान और आत्मनिर्भर विकास के लिए संभावनाएं (India's Export Trends and the Prospects for Self-Sustained Growth)
चेंजिंग इंडिया के 5 खंड
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India's Export Trends and the Prospects for Self-Sustained Growth
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Thoughts on Trade and Development
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The International Economic Order and the Quest for Equity in Development
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Economic Reforms: 1991and Beyond
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The Prime Minister Speaks
मनमोहन सिंह के बारे में
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मनमोहन सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) के पंजाब प्रान्त में 26 सितम्बर 1932 को हुआ था.
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यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की. बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये, जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की.
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वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे.
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इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे.
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वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं.
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उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना जाता है.
प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी का निधन
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भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी का 18 दिसंबर 2018 को निधन हो गया.
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वे 75 वर्ष के थे.
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पंडित भादुड़ी के परिवार में पत्नी और पुत्र हैं.
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बांग्ला गीतों और भजनों के सम्राट माने जाने वाले पंडित भादुड़ी पिछले कुछ समय से सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे.
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वे राज्य संगीत अकादमी में गुरु थे तथा वर्ष 2014 में उन्हें बंगबिभूषण सम्मान दिया गया था.
पंडित अरुण भादुड़ी
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पंडित अरुण भादुरी का जन्म 7 अक्टूबर, 1943 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था.
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वे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत तथा अर्ध-शास्त्रीय संगीत से सम्बंधित थे. वे किराना तथा रामपुर घराना के विशेषज्ञ थे. वे विभिन्न श्रेणियों के मिश्रण के लिए जाने जाते थे.
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मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित अरुण भादुड़ी ने आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी में शिक्षक के रुप में अपनी सेवा दी थी और वह शीर्ष रेडियो और टेलीविजन कलाकार थे.
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उन्हें मोहम्मद ए दौद और मोहम्मद सागिरुद्दीन खान से भारतीय संगीत का प्रशिक्षण मिला था.
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संगीत के क्षेत्र में शानदार योगदान के कारण वर्ष 2014 में उन्हें राज्य का सबसे शीर्ष नागरिक सम्मान बंगबिभूषण दिया गया था.
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अपने अंतिम दिनों में उन्हें फेफड़े में संक्रमण के कारण सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी. साथ ही वे क्रानिक अब्स्ट्रेक्शन पालमोनारी डिजीज (सीओपीडी) की समस्या से भी जूझ रहे थे.
भारतीय शास्त्रीय संगीत
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भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है.
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शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं.
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शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं.
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की परम्परा भरत मुनि के नाट्यशास्त्र और उससे पहले सामवेद के गायन तक जाती है.
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भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र, भारतीय संगीत के इतिहास का प्रथम लिखित प्रमाण माना जाता है.
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इसकी रचना के समय के बारे में कई मतभेद हैं.
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आज के भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई पहलुओं का उल्लेख इस प्राचीन ग्रंथ में मिलता है.
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रमुख पद्धतियां हैं- हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत.
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हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं.
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कर्नाटक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं.
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 108वें स्थान पर, आइसलैंड शीर्ष पर: WEF रिपोर्ट
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की वर्ष 2018 की लैंगिक असमानता (Gender Gap) रिपोर्ट में भारत को 108वां स्थान प्राप्त हुआ है.
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा यह रिपोर्ट 18 दिसंबर 2018 को जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में जारी की गई
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जिसमें विश्व के विभिन्न देशों पर अध्ययन किया गया है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाएं हर क्षेत्र में उम्दा कार्य कर रही हैं
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लेकिन अवसरों की समानता अभी भी मौजूद नहीं है.
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रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता लाने में 202 वर्ष लग जायेंगे.
जेंडर गैप इंडेक्स का आधार
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया लैंगिक असमानता की खाई को 68 प्रतिशत पाट चुकी है
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लेकिन फिर भी महिला-पुरुष समानता के लिए 202 वर्ष लग सकते हैं.
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भारत के मामले में लैंगिक असमानता 66 प्रतिशत तक है,
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जबकि पूरे दक्षिण एशिया की बात करें तो यह 65 प्रतिशत पर है.
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रैंकिंग का आधार चार श्रेणियों में देशों के प्रदर्शन को बनाया गया है:
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महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और उन्हें मिलने वाले अवसर, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा तथा राजनीतिक सशक्तिकरण.
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2018
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वर्ष 2018 की रिपोर्ट में कुल 149 देशों के इस सर्वे में भारत को 108वां स्थान मिला है. वर्ष 2017 में भी भारत का यही रैंक था, जबकि 2016 में वह 21 स्थान ऊपर 87वें स्थान पर था.
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वर्ष 2017 की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में गिरावट के पीछे मुख्यत: राजनीतिक सशक्तिकरण, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा और बुनियादी साक्षरता के क्षेत्रों में लैंगिक असमानता बढ़ने को ज़िम्मेदार ठहराया गया था.
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रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों के बीच बांग्लादेश 48वें स्थान के साथ सबसे अच्छी स्थिति में है. वर्ष 2017 में भी बांग्लादेश ही दक्षिण एशिया में लैंगिक असमानत रैंकिंग में सर्वश्रेष्ठ रहा था, पिछले वर्ष बांग्लादेश की रैंकिंग 47 थी.
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जेंडर गैप पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताज़ा रिपोर्ट में श्रीलंका और नेपाल को क्रमश: 100वें और 105वें स्थान पर रखा गया है. मालदीव का रैंक 113, जबकि भूटान का 122 है. अफ़ग़ानिस्तान को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया है.
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कुल 149 देशों पर किये गये सर्वेक्षण में पाकिस्तान का रैंक 148 है, जबकि सबसे नीचे 149वें स्थान पर गृहयुद्ध में फंसे देश यमन को रखा गया है.
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पिछले सालों की भांति लगातार दसवें वर्ष भी आइसलैंड पहले नंबर पर है. दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: नॉर्वे और स्वीडन हैं.
चारों श्रेणियों में भारत का स्तर गिरा
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट को चार श्रेणियों में बांटा गया है जिसमें महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा तथा राजनीतिक सशक्तिकरण शामिल हैं.
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आर्थिक भागीदारी और अवसरों के मामले में भारत 2017 में 139वें स्थान पर था जबकि वर्ष 2018 में 142वें स्थान पर है.
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स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा श्रेणी में भारत 147वें स्थान पर है. इस श्रेणी में भारत पिछले वर्ष 146वें स्थान पर था.
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राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत का स्थान 19वां है, जबकि पिछले साथ वह 15वें नंबर पर था.
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शिक्षा के स्तर श्रेणी में भारत दो स्थान नीचे गिरकर 114वें नंबर पर आ गया है. पिछले वर्ष भारत 112वें स्थान पर था.
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सोनम कपूर वर्ष 2018 के लिए 'पेटा पर्सन ऑफ़ द इयर'
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बॉलीवुड की अभिनेत्री सोनम कपूर को वर्ष 2018 का पेटा इंडिया (पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स - इंडिया) की पर्सन ऑफ द इयर होंगी.
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पेटा इंडिया का कहना है कि सोनम वीगन हैं और वे चमड़े का कोई भी सामान इस्तेमाल नहीं करतीं.
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सोनम वीगन भोजन का लुत्फ लेती हैं और वह पशुओं के प्रति क्रूरता और अत्याचार के विरोध में हमेशा खड़ी होती हैं.
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वे हर संभव कोशिश करती हैं कि बेजुबान भी बेहतर जीवन जी पाएं. हम चाहते हैं कि दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा लें और पशुओं के साथ अच्छी तरह व्यवहार करें.
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मुख्य बिंदु
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पेटा इंडिया का कहना है कि उनका हैंडबैग ब्रांड रेहासोन चमड़े के पर्स या हैंडबैग नहीं बनाता.
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इससे पहले वर्ष 2016 में पेटा ने सोनम कपूर को भारत की सबसे शानदार शाकाहारी सेलेब्रिटी घोषित किया था.
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इसके बाद उन्हें इसी समूह ने बिजनेस अवॉर्ड भी दिया था जो पशुओं के प्रति क्रूरता को खत्म करने के लिए उनके हैंडबैग लाइन के लिए दिया गया था.
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गौरतलब है कि उनका हैंडबैग ब्रांड रेहासोन चमड़े के पर्स या हैंडबैग नहीं बनाता है.
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इससे पहले अनुष्का शर्मा, सनी लियोन, शशि थरूर, कपिल शर्मा, हेमा मालिनी, आर. माधवन और जैकलीन फर्नानडीज को भी यह अवार्ड मिल चुका है.
सोनम कपूर और पशुप्रेम
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सोनम कपूर पहले भी पशुओं के अधिकार को लेकर आवाज उठाती रही हैं.
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वे स्कूल और कॉलेजों में लाइफ साइंस और जूलॉजी छात्रों द्वारा किए जान वाले डिसेक्शन पर भी रोक लगाने की मांग कर चुकी हैं.
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इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से चाइनीज मांझे पर रोक लगाने के लिए भी अपील की थी.
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सोनम ने बच्चों को ‘काइंड काइट्स’ बांटी थीं ताकि वे मांझे के नुकसान से परिचित हो सकें और समझ सकें कि यह पक्षियों के लिए कैसे नुकसानदायक है.
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वह सोशल मीडिया पर पशुओं के बारे में लगातार लोगों को सचेत करती रहती हैं.
पेटा (PETA) क्या है?
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पेटा (PETA) या पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग (People for the Ethical Treatment of Animals) एक पशु-अधिकार संगठन है.
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इसका मुख्यालय यूएसए के वर्जिनिया के नॉर्फोल्क में स्थित है.
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विश्व भर में इसके लगभग 20 लाख सदस्य हैं और यह अपने को विश्व का सबसे बड़ा पशु-अधिकार संगठन होने का दावा करता है.
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इन्ग्रिड न्यूकिर्क इसके अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 18 दिसंबर को मनाया गया
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दुनियाभर में 18 दिसंबर 2018 को ‘अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ मनाया गया.
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वर्ष 2018 के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस का विषय-सम्मान के साथ प्रवास (Migration with Dignity) है.
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यह सम्मेलन प्रवासी कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों के अधिकार और सुरक्षा के लिए आयोजित की गई थी.
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संयुक्त राष्ट्र हर साल सरकारों, संगठनों और इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोगों को इस मौके पर आमंत्रित करती है.
उद्देश्य:
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इसका उद्देश्य प्रवासी कामगारों से जुड़े आजादी के साथ काम और मानवाधिकार जैसे मुद्दे पर लोगों के विचार साझा किए जाते हैं.
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इसका उद्देश्य प्रवासी कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही आगे के लिए कार्य योजना तैयार की जा सके.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट:
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि विश्व में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार 15.6 मिलियन से अधिक भारतीय विदेश में रहते हैं.
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वर्ष 2014 से अब तक 5000 से ज्यादा लोग बेहतर जीवन और संरक्षण के लिए जीवन क्षति का सामना कर चुके हैं.
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समस्त विश्व के नेताओं ने वर्ष 2030 तक प्रवासियों के अधिकारों के संरक्षण और मनाव तस्करी को समाप्त करने की बात कही है.
प्रवासी कौन हैं?
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किसी भी देश का नागरिक जब काम की तलाश में अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में जाकर बस जाता है, तो उसे प्रवासी कहा जाता है.
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उदाहरण के तौर पर यदि कोई भारतीय नागरिक अमेरिका, सऊदी या किसी और देश में जाकर वहां बस जाता है तो प्रवासी भारतीय कहा जाता है.
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अमेरिका, चीन, रूस, जापान समेत कुछ ऐसे देश हैं, जहां बड़ी संख्या में दुनिया भर से आए प्रवासी बसते हैं.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के बारे में:
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संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 18 दिसंबर 1990 को सभी प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों और उनके परिवार के सदस्यों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन अपनाया गया.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 दिसम्बर 2000 को सम्पूर्ण विश्व में बढ़ते प्रवासियों की संख्या को देखते हुए को 18 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.
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वर्ष 2013 के अक्टूबर माह में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन और विकास पर उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान विकास हेतु प्रवास के योगदान को पहचानने पर एक घोषणा को अपनाया.
विश्व बैंक की रिपोर्ट:
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विश्व बैंक ने हाल ही में 'माइग्रेशन एंड रेमिटेंस' नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी.
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इस रिपोर्ट के अनुसार अपने देश में विदेशी मुद्रा भेजने के मामले में भारतीय प्रवासी सबसे आगे रहे हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार प्रवासी भारतीयों ने साल 2018 में 80 अरब डॉलर (57 हजार करोड़ रुपए) भारत भेजे.
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दूसरे नंबर पर है चीन. चीन के प्रवासियों ने 67 अरब डॉलर भेजे हैं.
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भारत और चीन के बाद मेक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है.
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संयुक्त राष्ट्र संघ ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास की चुनौतियों का सामना करने, प्रवासियों के अधिकारों को मजबूत करने और धारित विकास में योगदान हेतु वैश्विक समझौते का अंतिम प्रारूप तैयार किया है.
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ऐसा पहली बार हुआ है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश एकत्रित हुये. हालांकि प्रत्येक हजार लोगों में दस मानव तस्करों के दुर्व्यवहार और शोषण का सामना कर रहे हैं.
4 किन्नरों ने सबरीमाला मंदिर में की पूजा
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4 किन्नरों ने मंगलवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा में पहाड़ी स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा की।
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इन्हें इससे पहले मंदिर की ओर बढ़ने से रोक दिया गया था।
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पारंपरिक काले रंग की साड़ी पहने अनन्या, तृप्ति, रेंजुमल और अवंतिका ने भगवान को चढ़ाने के लिए पारंपरिक ‘इरुमुदिकेतु’ लिया हुआ था।
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चारों को निलक्कल से पंबा तक पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की।
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चारों ने कहा कि वे इसे लेकर अत्यंत खुश हैं कि उन्हें मंदिर में पूजा करने का मौका मिला।
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इन चारों ने केरल हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के सदस्य डीजीपी ए हेमचंद्रन और पुलिस महानिरीक्षक मनोज अब्राहम से सोमवार को यहां मुलाकात की थी,
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जिसके बाद इन्हें आगे बढ़ने की इजाजत दी गई।
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पुलिस ने इससे पहले इन्हें यह कह कर कोई मदद करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें मुद्दे पर कुछ विधिक स्पष्टीकरण लेना है।
दिल्ली में बनी सिर्फ महिलाओं की पार्टी
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अमेरिका में दशक पुरानी नेशनल वुमेंस पार्टी से प्रेरित होकर एक 36 वर्षीय डॉक्टर एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने संसद में महिला आरक्षण और कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न जैसे मुद्दों के खिलाफ लड़ाई के मकसद से यहां मंगलवार को सिर्फ महिलाओं की पार्टी की शुरुआत की।
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नेशनल वुमेंस पार्टी (एनडब्ल्यूपी) का नेतृत्व श्वेता शेट्टी करेंगी।
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उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य ‘महिलाओं’ विशेषकर वंचितों का प्रतिनिधित्व करना है
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जिन्हें ‘सिस्टम के हाथों परेशानी झेलनी पड़ती है’।
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महिलाएं जो घरेलू उत्पीड़न का शिकार होती हैं या सामाजिक प्रतिष्ठान्न के खिलाफ संघर्ष करती हैं।
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शेट्टी ने कहा, ‘नेशनल वुमेंस पार्टी के लिए वास्तविक जमीनी कार्य 2012 में शुरू हुआ था।
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इसका मकसद लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों के लिये 50 प्रतिशत आरक्षण पाना है।
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यहां तक कि 2018 में भी बड़ी आसानी से महिला अधिकारों की उपेक्षा की गयी और महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े।
लेह तक 463 टन सामान एयरलिफ्ट कर एयरफोर्स ने बनाया रिकॉर्ड
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एयरफोर्स ने मंगलवार को अपनी एयरलिफ्ट क्षमता का प्रदर्शन करते हुए चंडीगढ़ एयरबेस से लद्दाख क्षेत्र के एयरफील्ड और ड्रोप जोन्स तक कुछ ही घंटों में 463 टन सामान पहुंचाकर नया रिकॉर्ड कायम किया।
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रूटीन ऑपरेशंस में वायुसेना की औसत करीब 8 टन प्रतिदिन है।
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एयरलिफ्ट क्षमता को परखने आैर क्रू की योग्यता बढ़ाने के लक्ष्य से किये गये वेस्टर्न एयर कमांड के इस अभ्यास में 16 फिक्स्ड विंग ट्रांसपोर्ट विमानों के बेड़े का इस्तेमाल किया गया।
जेएंडके में 22 साल बाद फिर राष्ट्रपति शासन
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केंद्रीय मंत्रिमंडल की संस्तुति के बाद जम्मू-कश्मीर में मंगलवार रात से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।
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राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को इसकी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी, जिसे मंत्रिमंडल की सहमति के बाद राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था।
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मंगलवार को राज्यपाल शासन को 6 माह पूरे हो गए थे और पिछली रात 12 बजे से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
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इससे पहले 1990 से अक्तूबर 1996 तक 7 साल तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था।
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देश के अन्य भागों के विपरीत जम्मू-कश्मीर में सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होता।
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राज्य संविधान की धारा 92 के तहत पहले 6 माह के लिए राज्यपाल शासन लागू होता है।
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इस दौरान राज्यपाल चाहें तो विधानसभा को निलंबित रखें या भंग करें।
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इस अवधि के दौरान राज्य विधानमंडल के सभी अधिकार राज्यपाल के पास आ जाते हैं।
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राज्य में इसी साल 18 जून को भाजपा और पीडीपी के अलग होने के बाद से राज्यपाल शासन लागू हो गया था।
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18 जून को निलंबित हुई विधानसभा को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 21 नवंबर को भंग कर दिया था।
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राष्ट्रपति शासन किसी भी स्थिति में 3 साल से अधिक प्रभावी नहीं रहेगा।
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चुनाव आयोग का हस्तक्षेप अपवाद है।
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आयोग को इस बात का प्रमाण देना होगा कि विधानसभा चुनाव कराने में कठिनाइयों की वजह से राष्ट्रपति शासन का बना रहना आवश्यक है।
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राज्य संविधान अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन में नहीं आता और राज्य के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत उसकी घोषणा की जाती है।
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ऐसे में उसके बाद लिए जाने वाले सभी निर्णयों पर अनुच्छेद 74 (1) के तहत राष्ट्रपति की मुहर लगनी अनिवार्य है।
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इस अनुच्छेद के तहत प्रधानमंत्री की अगुवाई में कैबिनेट राष्ट्रपति को सहयोग और सलाह देगी।
22 साल पहले पौने 7 साल रहा था राष्ट्रपति राज
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22 साल पहले राज्य में रिकार्ड समय तक राष्ट्रपति शासन रहा था।
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वर्ष 1990 में लागू राष्ट्रपति शासन करीब पौने 7 साल तक रहा था।
गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन
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सभी गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा।
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पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सोमवार को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का विस्तार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
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इसके तहत उन गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराया जा सकेगा, जिनके पास अभी कनेक्शन नहीं है और जो उज्जवला योजना के मौजूदा प्रावधानों के तहत अभी इसका लाभ पाने के पात्र नहीं थे।
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प्रधान ने कहा कि पहले कनेक्शन 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आधार पर दिये जा रहे थे।
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अब इसमें सभी गरीब परिवारों को शामिल कर दिया गया है।
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इस योजना में केंद्र सरकारी तेल कंपनियों को प्रति कनेक्शन 1,600 रुपये की सब्सिडी देती है।
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यह सब्सिडी सिलेंडर की जमानत और फिटिंग शुल्क के लिए होती है।
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ग्राहकों को चूल्हा खुद खरीदना होता है।
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सरकार चूल्हे और पहले भरे हुए सिलेंडर की कीमत मासिक किस्तों में भरने की छूट देती है।
मालदीव को भारत देगा 1.4 अरब डालर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से बातचीत के बाद द्वीपीय देश को एक अरब 40 करोड़ डालर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है ।
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दोनों पक्ष हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर भी सहमत हुए ।
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इसके अलावा दोनों देशों के बीच वीजा सुविधा सहित चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘सौहार्द के वातावरण में हमने सफल बातचीत की ।’
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प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस बयान में कहा, ‘सौहार्द के वातावरण में हमने सफल बातचीत की ।
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हमने संबंधों को मजबूत करने का संकल्प किया है।’ उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा हित एक दूसरे के साथ हैं और दोनों पक्ष हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करेंगे * प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मालदीव के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बजट समर्थन, मुद्रा की अदला बदली और क्रेडिट लाइन के रूप में 1.4 अरब डालर की आर्थिक मदद देगा।
नोटों की छपाई के आंकड़े सार्वजनिक करने का निर्देश
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केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहा है कि रिजर्व बैंक की अनुषंगी इकाई भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण यह बताने में विफल रही है कि नोटबंदी के बाद जारी 2,000 आर 500 रुपये के नोट के बारे में जानकारी देने से कैसे देश का आर्थिक हित प्रभावित होगा।
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सीआईसी ने कंपनी से इस बारे में जानकारी देने को कहा है।
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आरबीआई की पूर्ण अनुषंगी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण का दावा है कि मुद्रा की छपाई और संबंधित गतिविधियां लोगों के साथ साझा नहीं की जा सकतीं
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क्योंकि इससे नकली मुद्रा का प्रसार होगा तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होंगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से हटाने की घोषणा की थी।
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उसके बाद 2000 रुपये और 500 रुपये के नये नोट जारी किये गये। आयोग हरीन्द्र धींगड़ा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
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उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत नौ नवंबर से 30 नवंबर 2016 के बीच छापे गये 2,000 रुपये और 500 रुपये के नोट की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी।
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जानकारी प्राप्त करने में विफल रहने के बाद उन्होंने आयोग में अर्जी दी।