UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 25 July 2020
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 25 July 2020
::NATONAL::
राज्य सभा के नियमों की समीक्षा के लिए समिति का गठन
216. नियम समिति
- राज्य सभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन के विषयों पर विचार करने और इन नियमों में ऐसे संशोधन अथवा वृद्धियों की सिफारिश करने के लिये, जो आवश्यक समझी जायें एक नियम समिति का गठन किया जायेगा।
217. गठन
- नियम समिति सभापति द्वारा नाम-निर्देशित की जायेगी और उसमें सभापति तथा उपसभापति सहित सोलह सदस्य होंगे।
- (2) सभापति समिति का अध्यक्ष होगा।
- (3) उप-नियम (1) के अधीन नाम-निर्देशित समिति नई समिति के नाम-निर्देशित होने तक कार्य करती रहेगी।
- (4) समिति में आकस्मिक रूप से रिक्त स्थान सभापति द्वारा भरे जायेंगे।
- (5) यदि सभापति किसी कारण से समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने में असमर्थ हो तो उपसभापति उसके स्थान पर समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।
- (6) यदि सभापति अथवा, उपसभापति यथास्थिति, किसी कारण से किसी बैठक का सभापतित्व करने में असमर्थ हो, तो समिति उस बैठक के लिए अध्यक्ष के रूप में कार्य करने हेतु किसी अन्य सदस्य को चुनेगी।
- 218. गणपूर्ति
- समिति की बैठक के लिये गणपूर्ति सात से होगी।
- (2) समिति का अध्यक्ष प्रथमत:, मत नहीं देगा, किन्तु किसी विषय पर मतों की संख्या समान होने की अवस्था में उसका निर्णायक मत होगा और वह उसका प्रयोग करेगा।
219. प्रतिवेदन का उपस्थापन
- समिति का प्रतिवेदन, जिसमें उसकी सिफारिशें अन्तर्विष्ट होंगी, उपसभापति अथवा उसकी अनुपस्थिति में समिति के किसी सदस्य द्वारा राज्य सभा में प्रस्तुत किया जायेगा।
- 220. प्रतिवेदन पर विचार
- प्रतिवेदन के प्रस्तुत किए जाने के बाद, यथाशीघ्र, उपसभापति अथवा उसकी अनुपस्थिति में सभापति द्वारा नामोद्दिष्ट समिति का कोई सदस्य यह प्रस्ताव कर सकेगा कि समिति के प्रतिवेदन पर विचार किया जाये।
- (2) कोई सदस्य प्रतिवेदन पर विचार करने के प्रस्ताव में संशोधन की सूचना उस रूप में दे सकेगा, जैसे सभापति उपयुक्त समळो।
- (3) प्रतिवेदन पर विचार करने का प्रस्ताव स्वीकृत हो जाने के बाद, उपसभापति अथवा उसकी अनुपस्थिति में सभापति द्वारा नामोद्दिष्ट समिति का कोई सदस्य प्रस्ताव कर सकेगा कि राज्य सभा प्रतिवेदन में अन्तर्विष्ट सिफारिशों से सहमत है, अथवा संशोधन सहित सहमत है।
- (4) नियमों के संशोधन जिस रूप में वे राज्य सभा द्वारा अनुमोदित हों, सभापति द्वारा नियत तिथि से प्रभावी होंगे।
COVID-19 वैक्सीन के मानव परीक्षण का पहला चरण: AIIMS में व्यक्ति को दी गयी पहली खुराक
- नोवेल कोरोना वायरस (COVID 19) की रोकथाम के लिए भारत के पहले स्वदेश निर्मित टीके ‘कोवेक्सिन' के मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण शुक्रवार को यहां एम्स में शुरू हो गया और 30 से 40 साल की बीच की उम्र के एक व्यक्ति को पहला इंजेक्शन लगाया गया. एम्स में परीक्षण के लिए पिछले शनिवार से 3,500 से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं जिनमें से कम से कम 22 की स्क्रीनिंग चल रही है. यह जानकारी एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर और मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ संजय राय ने दी.
- डॉ. राय ने बताया, ‘‘दिल्ली निवासी पहले व्यक्ति की दो दिन पहले जांच की गयी थी और उसके सभी स्वास्थ्य मानदंड सामान्य स्तर पर पाये गये. उसे कोई अन्य बीमारी भी नहीं है. इंजेक्शन से 0.5 मिलीलीटर की पहली डोज उसे दोपहर 1.30 बजे के आसपास दी गयी. अभी तक कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाई दिया है. वह दो घंटे तक देखरेख में था और अगले सात दिन उस पर निगरानी रखी जाएगी.''
- क्लीनिकल परीक्षण में शामिल कुछ और प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को उन्हें टीका लगाया जाएगा. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘कोवेक्सिन' के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए एम्स समेत 12 संस्थानों को चुना है. पहले चरण में 375 लोगों पर परीक्षण होगा और इनमें से अधिकतम 100 एम्स से होंगे.
- डॉ. राय के अनुसार दूसरे चरण में सभी 12 संस्थानों से मिलाकर कुल करीब 750 लोग शामिल होंगे. पहले चरण में टीके का परीक्षण 18 से 55 साल के ऐसे स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा जिन्हें अन्य कोई बीमारी नहीं है. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के अनुसार दूसरे चरण में 12 से 65 साल की उम्र के 750 लोगों पर यह परीक्षण किया जाएगा.
- अभी तक एम्स पटना और कुछ अन्य संस्थानों में भी पहले चरण का मानव परीक्षण शुरू हो चुका है. गुलेरिया ने कहा था, ‘‘पहले चरण में हम टीके की सुरक्षा देखते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण है और खुराक की रेंज भी मापी जाती है.''
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::INTERNATIONAL::
जलवायु परिवर्तन पर निकारागुआ ने छोड़ा अमेरिका का साथ
- आज से दो साल पहले पेरिस जलवायु समझौते को सिरे से नकारने वाला निकारागुआ अब इस समझौते में शामिल होने जा रहा है. जर्मनी में होने वाले कॉप23 सम्मेलन के ठीक पहले निकारागुआ का यह फैसला किया है.
- मध्य अमेरिकी देश निकारागुआ, अमेरिका और सीरिया का साथ छोड़ते हुए पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने को तैयार है. निकारागुआ की उपराष्ट्रपति रोजेरियो मुरिलो ने इसकी पु्ष्टि करते हुए कहा, "पेरिस समझौता दुनिया में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया एकमात्र संयुक्त प्रयास है." निकारागुआ की इस सहमति के बाद अब दुनिया में सीरिया और अमेरिका ही दो ऐसे देश हैं जो इस समझौते से बाहर हैं.
- सितंबर में निकारागुआ के राष्ट्रपति डानियल ऑर्टेगा ने विश्व बैंक के निदेशकों से एक निजी मुलाकात के बाद घोषणा की थी कि निकारागुआ इस समझौते में शामिल होगा लेकिन कुछ समय बाद इस जानकारी को सरकारी वेबसाइट से हटा दिया गया था. निकारागुआ ने 2015 में इस समझौते को सिरे से नकार दिया था. साथ ही वैश्विक तापमान को सीमित करने के लिए अधिक ठोस और कड़े कदमों की वकालत की थी.
- पेरिस जलवायु समझौते पर साल 2015 में 195 देशों ने हस्ताक्षर किये थे. समझौते में ग्रीनहाउस उत्सर्जन को 2 फीसदी तक घटाने की प्रतिबद्धता जतायी गयी थी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जून 2017 में इस समझौते से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए कहा कि यह समझौता अमेरिका पर आर्थिक बोझ डाल रहा है और देश में नौकरियां कम कर रहा है. ट्रंप ने कहा था कि इस समझौते के चलते देश की तेल, गैस, कोयला और विनिर्माण इकाइयों के कामकाज में भी बाधा पहुंच रही है. इस साल जर्मनी के बॉन में होने वाले जलवायु सम्मेलन कॉप23 की अध्यक्षता फिजी कर रहा है.
भारत और इजराइल मिलकर बना रहे हैं टेस्ट किट
- कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की रोकथाम के लिए दुनिया के तमाम देश वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए हैं. जांच के लिए आए दिन नई-नई तकनीकों का विकास हो रहा है. इस कड़ी में भारत के वैज्ञानिक एक ऐसी किट (Covid testing kit) इजाद करने में लगे हुए हैं जो महज 30 सेंकेड में कोरोना की जांच कर सकेगी और यह किट अब तक की तमाम किटों के मुकाबले बहुत सस्ती होगी.
- इस किट के विकास के लिए भारत और इजराइल के वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं.
- इजराइल (Israel) ने कहा कि कोविड-19 महामारी से मिलकर लड़ने की कोशिश के तहत वह एक अनुसंधान टीम को भारत भेज रहा है. यह टीम इस रोग की जांच के लिए एक त्वरित जांच किट तैयार करने पर भारतीय वैज्ञानिकों के साथ काम कर रही है. यह किट 30 सेकेंड में रिजल्ट दे सकती है.
- इजराइली दूतावास ने कहा कि आने वाले हफ्तों में इजरइल का विदेश, रक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों देशों के बीच एक कोविड-19 रोधी सहयोग अभियान की अगुवाई करेगा.
- तेल अवीव से एक विशेष विमान के नई दिल्ली पहुंचने की योजना है. इसमें इजराइली रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास टीम आएगी, जो 30 सेकेंड के अंदर कोविड-19 का पता लगाने वाली जांच किट विकिसित करने के लिए भारत के मुख्य वैज्ञानिक के. विजय राघवन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ काम रही है.
::ECONOMY::
एनएसडीसी, एयरटेल पेमेंट्स बैंक ने ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए हाथ मिलाया
- एयरटेल पेमेंट्स बैंक और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने 22-07-2020 को ग्रामीण भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए एक साझेदारी की घोषणा की।
- इस साझेदारी के तहत युवाओं को वित्तीय क्षेत्र की नौकरी के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। एक संयुक्त बयान के मुताबिक ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास कार्यक्रमों को तैयार करने और संचालित करने के लिए इस साझेदारी के तहत एयरटेल पेमेंट्स बैंक की उद्योग के बारे में समझ और एनएसडीसी के प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे और विस्तृत नेटवर्क का लाभ लिया जाएगा।
- एनएसडीसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारा मकसद एयरटेल पेमेंट्स बैंक के साथ रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से युवाओं को ज्ञान और प्रशिक्षण देना है, ताकि ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी भारत तक वित्तीय और बैंकिंग सेवाओं की पहुंच की बढ़ाया जा सके।’’
बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बचने की तैयारी कर रही है सरकार
- केंद्र सरकार देश के आधे से ज्यादा सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना बना रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की योजना आने वाले समय में देश में केवल पांच सरकारी बैंक रखने की है। बैंकिंग इंडस्ट्री की हालत सुधारने के लिए निजीकरण का फैसला लिया जा रहा है।
- मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इस योजना के पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक का निजीकरण कर सकती है.
- सरकार चाहती है कि देश में 4 या 5 सरकारी क्षेत्र के बैंक रह जाएं। अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। सरकार ने इसी साल 10 सरकारी बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया था। सरकार बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसे कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
- ऐसा माना जा रहा है कि सरकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूनियन बैंक को रखने के पक्ष में है। अन्य सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा।
- कोरोना वायरस के कारण आर्थिक विकास की रफ्तार में कमी के कारण नकदी की समस्या से जूझ रही सरकार नॉन कोर कंपनियों और सेक्टर्स में परिसंपत्तियों को बेचकर पूजी जुटाने के लिए एक निजीकरण योजना पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कुछ सरकारी समितियों और रिजर्व बैंक इडिया ने सरकार को सुझाव दिया है कि देश में पांच से ज्यादा सरकारी बैंक नहीं होने चाहिए। सरकार पहले ही कह चुकी है कि अब सरकारी बैंकों का आपस में विलय नहीं किया जाएगा। ऐसे में सरकार के पास सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
::SCIENCE AND TECHNOLOGY::
अंतरिक्ष में इस्तेमाल होने वाले हथियार की युद्ध में क्या होगी भूमिका
- अमरीका और ब्रिटेन ने रूस पर अंतरिक्ष में एक हथियार जैसे प्रोजेक्टाइल को टेस्ट करने का आरोप लगाया है. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे 'इन ऑर्बिट एंटी सैटेलाइट हथियार' बताते हुए चिंताजनक बताया है.
- इससे पहसे रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि रूस अंतरिक्ष में उपकरण की जांच के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. अब रूस ने अमरीका और ब्रिटेन पर सच को 'तोड़ मरोड़कर' पेश करने का आरोप लगाया है और कहा है कि यह कोई हथियार नहीं है.
- अमरीका पहले भी अंतरिक्ष में रूस के सैटेलाइट की गतिविधियों को लेकर सवाल उठा चुका है. हालांकि यह पहली बार है जब ब्रिटेन ने ऐसे आरोप लगाए हैं.
- अमरीका के असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ़ इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड नॉन प्रॉलिफरेशन, क्रिस्टोफ़र फ़ोर्ड ने कहा, "इस तरह के एक्शन अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए ख़तरा है और अंतरिक्ष में कचरा पैदा होने की संभावना को बढ़ाते हैं, जो कि सैटेलाइट और स्पेस सिस्टम के लिए, जिस पर दुनिया निर्भर है, बड़ा ख़तरा है."
- अमरीका के स्पेस कमांड के प्रमुख जनरल जे. रेमंड ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि "रूस ने स्पेस में एंटी सैटेलाइट हथियार का टेस्ट किया है."
- उन्होंने आगे कहा, "स्पेस स्थित सिस्टम को विकसित करने और उसको टेस्ट करने की रूस की लगातार कोशिशों का ये एक और सुबूत है. और ये अंतरिक्ष में अमरीका और उसके सहयोगियों के सामनों को ख़तरे में डालने के लिए हथियारों के इस्तेमाल के रूस के सार्वजनिक सैन्य डॉक्ट्रिन के अनुरूप है."
- ब्रिटेन के अंतरिक्ष निदेशालय के प्रमुख एयरवाइस मार्शल हार्वे स्मिथ ने बयान जारी कर कहा, "इस तरह की हरकत अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए ख़तरा पैदा करती है और इससे अंतरिक्ष में मलवा जमा होने का भी ख़तरा रहता है जो कि सैटेलाइट और पूरे अंतरिक्ष सिस्टम को नुक़सान पहुँचा सकता है जिस पर सारी दुनिया निर्भर करती है."
- दुनिया के सिर्फ़ चार देश - रूस, अमरीका, चीन और भारत ने अब तक एंटी सैटेलाइट मिसाइल तकनीक क्षमता का प्रदर्शन किया है.
::SPORTS::
IPL 2020: प्रायोजकों की कमी की वजह से फ्रेंचाइजियां मुश्किल में
- IPL 2020 की यूएई में 19 सितंबर से शुरुआत होगी, लेकिन फ्रेंचाइजियां इस समय नए प्रायोजकों की तलाश में परेशान हो रही हैं। Covid-19 महामारी की वजह से अधिकांश फ्रेंचाइजियों के प्रायोजक इस साल पीछे हट गए हैं जिसकी वजह से टीमों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- Covid-19 महामारी की शुरुआत के पहले फ्रेंचाइजियां इस सत्र के लिए प्रायोजकों के मामले में 95 प्रतिशत से अधिक बुक हो चुकी थी। InsideSport की रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश फ्रेंचाइजियों के प्रमुख प्रायोजकों ने कोरोना वायरस की वजह से इस लीग से हटने का फैसला किया है। इसके चलते फ्रेंचाइजियों को नए प्रायोजकों की तलाश करनी पड़ रही है और वर्तमान परिस्थितियों में यह काम बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।
- एक फ्रेंचाइजी के सीनियर अधिकारी ने कहा, हम खुश हैं कि आईपीएल इस साल आयोजित होने जा रहा है। यह टी20 लीग यूएई में होगी, लेकिन इस समय हमारी सबसे बड़ी चिंता प्रायोजकों को लेकर हैं। आईपीएल को जब स्थगित किया गया था, उस समय हम 95 प्रतिशत से ज्यादा बुक हो चुके थे, लेकिन Covid-19 महामारी की वजह से अब हमारे मुख्य प्रायोजक हट गए हैं। ऐसा अधिकांश फ्रेंचाइजियों के साथ हो रहा है।
- कोरोना लॉकडाउन की वजह से कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है और इसके चलते वे इस लीग से दूर हो गए हैं। पहले यह आयोजन गर्मी में होना था, लेकिन अब ठंड में होगा। इस बदलाव का भी टीमों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि अब AC निर्माता कंपनियां साथ में नहीं होंगी।
- उन्होंने कहा, अभी IPL की शुरुआत में करीब दो महीने का समय बचा है और हम उम्मीद करते हैं कि हम कुछ प्रायोजकों को अपने साथ जोड़ने में सफल होंगे।