UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 28 March 2017
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 28 March 2017
:: राष्ट्रीय ::
मोदी सरकार“ शहीद” मान सकती है भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को
- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु तीनों को ही अभी तक दस्तावेजों में शहीद का दर्जा नहीं मिला और इसकी तैयारी में केंद्र सरकार जुट गई है। गृह मंत्रालय ने इस चीज को लेकर काम शुरू कर दिया है।
- भगत सिंह को शहीद घोषित करने को लेकर डाली गई आरटीआई पर मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य सभा सांसद केसी त्यागी ने 2013 में सदन में यह मुद्दा उठाया था।
- भगत सिंह की उस पिस्तौल की प्रदर्शनी लगाई गई थी जिससे उन्होंने ब्रटिश एएसपी ऑफिसर जॉन सैंडर्स को 17 दिसंबर 1928 को गोली मारी थी। लगभग 90 साल बाद भगत सिंह की पिस्तौल को स्टोर रूम से निकालकर इंदौर स्थित सीएसडब्ल्यूटी सीमा सुरक्षा बल के रेओटी फायरिंग रेंज में डिसप्ले पर लगाया गया था।
- पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपने रेडियो शो ‘मन की बात’ में भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान की गाथा को हम शब्दों में अलंकृत नहीं कर सकते। तीनों वीर आज भी हम सबकी प्रेरणा के स्त्रोत हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार ने की नेपाल से डील
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सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन अॉयल कॉरपोरेशन ने सोमवार को नेपाल के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए, जिसके तहत वह पड़ोसी देश को अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 तक ईंधन उत्पादों की आपूर्ति करेगा। भारत का इंडियन अॉयल कॉरपोरेशन 1974 से ही नेपाल को ईंधन और एलपीजी की सप्लाई कर रहा है।
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आईओसी नेपाल को सालाना 13 लाख टन की ईंधन सप्लाई करेगा और 2020 तक वह सप्लाई को दोगुना कर देगा।
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नेपाल ने अॉयल कॉरपोरेशन (NOC) ने चेतावनी दी थी कि वह आईओसी-एनओसी के बीच समझौते में एक नया क्लॉज डालने जा रहा है, जिसके तहत अगर आईओसी उसे ईंधन सप्लाई करने को लेकर सुनिश्चित नहीं करता तो वह दूसरे देशों से भी ईंधन खरीद लेगा।
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भारत इस बात पर राजी हुआ है कि अगर वह ईंधन उत्पादों की सप्लाई करने में नाकाम रहता है तो वह नेपाल को मुआवजा भी देगा।
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साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले इस सम्मान को लौटाने के हकदार नहीं हैं
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले लोग यह सम्मान लौटाने के हकदार नहीं हैं क्योंकि उन्हें काफी सोच विचार के बाद यह प्रदान किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि अकादमी के कार्यकारी मंडल ने 2015 में कहा था कि एक बार दे दिया गया पुरस्कार वापस नहीं लिया जा सकता।
पुरस्कार या सम्मान वापस देने के खिलाफ दिशा-निर्देश बनाने की कोई जरूरत नहीं है। वर्ष 2015 में बहुत से लेखकों, कवियों और कलाकारों ने एमएम कुलबर्गी की हत्या पर अकादमी की ‘चुप्पी’ और बीफ खाने की अफवाहों को लेकर दादरी में एक व्यक्ति की हत्या किए जाने की पृष्ठभूमि में देश में ‘असहिष्णुता और सांप्रदायिकता’ के माहौल के खिलाफ अपने पुरस्कार लौटा दिए थे।
सम्मान लौटाए जाने के विरोध में दाखिल की गई एक जनहित याचिका में हाई कोर्ट से मांग की गई थी कि वह अवॉर्ड लौटाने की स्थिति में उसके साथ मिली पुरस्कार राशि भी लौटाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करे।
एक धार्मिक संगठन और एक अधिवक्ता द्वारा दाखिल की गई इस याचिका में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों की तरह ही साहित्य अकादमी पुरस्कार की गरिमा बनाए रखने के नियम भी तय करने की मांग की गई थी। इसमें सम्मान लौटाने वालों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करने की भी मांग की गई थी।
:: अंतरराष्ट्रीय ::
भारतवंशी वनिता होंगी ‘लीडरशिप कांफ्रेंस’ की सीईओ
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अमेरिका के पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के न्याय विभाग में मानवाधिकार डिविजन की अध्यक्षता कर चुकी भारतीय मूल की अमेरिकी वनिता गुप्ता को ‘द लीडरशिप कांफ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स’ की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया है और इसके साथ ही वह इस प्रतिष्ठित संगठन की अध्यक्षता करने वाली पहली महिला बन गई हैं।
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मानवाधिकारों की रक्षा के लिए निडर होकर लड़ने के लिए जानी जाने वाली 41 वर्षीय वनिता वेड हेंडरसन की जगह यह कार्यभार संभालेंगी।
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वनिता इसके सहायक संगठन ‘द लीडरशिप कांफ्रेंस एजुकेशन फंड’ का भी नेतृत्व करेंगी।उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘नागरिक एवं मानवाधिकार रक्षा का काम कभी आसान नहीं रहा और यह अभूतपूर्व समय एकजुटता के साथ दृष्टिकोण और रणनीति की स्पष्टता की मांग करता है और ‘लीडरशिप कांफ्रेंस’ गठबंधन यह काम करेगा।’’ 21 साल तक इस संगठन का नेतृत्व करने वाले हेंडरसन ने कहा कि नेताओं की यह जिम्मेदारी होती है कि वे भावी पीढ़ी में नेतृत्व की क्षमता विकसित करें, उन्हें प्रोत्साहित करें और उनके लिए मार्ग प्रशस्त करें।
:: चर्चा में ::
अहमद कथरादा
- नेल्सन मंडेला के करीबी सहयोगी रहे भारतीय मूल के दक्षिणी अफ्रीकी रंगभेद विरोधी नेता अहमद कथरादा का मस्तिष्क के ऑपरेशन में आयी कुछ जटिलताओं के कारण आज अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह फलस्तीनी संघर्ष के प्रति अपने समर्थन पर अटल थे। बाल्टन ने कहा, कैथी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे।
- राष्ट्रपति ने निर्देश दिया कि आज से लेकर आधिकारिक श्रद्धांजलि सभा होने तक पूरे देश मे झंडा आधा झुका रहेगा।
- अहमद का जन्म 21 अगस्त, 1929 को दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी-पश्चिमी प्रांत में हुआ। उन्होंने 26 साल तीन महीने का वक्त जेल में गुजारा। इसमें 18 वर्ष की सजा उन्होंने रोबेन द्वीप पर काटी। जेल में रहने हुए उन्होंने विश्वविद्यालय से चार डिग्रियां अर्जित कीं। अहमद को 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने प्रवासी भारतीय सम्मान ने नवाजा था। भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को दिया जाने वाला यह भारत का सर्वोच्च सम्मान है।
- अहमद का अंतिम संंस्कार इस्लाम के अनुसार होगा।