UPSC परीक्षा ​: दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 28 July 2020

IAS EXAM


UPSC परीक्षा ​: दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 28 July 2020


::राष्ट्रीय::

प्रधान मंत्री मोदी ने कोविद -19 के लिए उच्च क्षमता वाली प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27-07-2020  को उच्च क्षमता वाली तीन प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया। 
  • मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई के लिए आधारभूत संरचना को तैयार करना सबसे जरूरी था। इसीलिए सरकार ने शुरू में ही 15 हजार करोड़ रुपये का पैकेज सिर्फ आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए जारी कर दिया था।
  • उन्होंने कहा कि जनवरी में देश में एक भी पीपीई किट नहीं बनता था और महज छह महीने में भारत दुनिया का सबसे बड़ा इसका उत्पादक बन गया है। 
  • इसी तरह देश में कभी एक भी एन 95 मास्क नहीं बनते थे, आज तीन लाख से अधिक एन 95 मास्क हर दिन बन रहे हैं।
  • उनके अनुसार जनवरी में जहां कोरोना जांच की सुविधा एक सेंटर था, वहीं आज 13 सौ से अधिक जांच केंद्र काम कर रहे हैं और प्रतिदिन टेस्टिंग की क्षमता बढ़कर पांच लाख से अधिक हो गई है। 
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश में पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं और इसे राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर पहुंचाने की जरूरत है। उनके अनुसार इसके लिए डिमांड और सप्लाई के मैनेजमेंट को और मजबूत करना होगा।

केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के बेहतर परिणामों के लिए घोषित की एनईएटी योजना

  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने उच्च शिक्षा के बेहतर परिणाम प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के लिए एक नई पीपीपी योजना, राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन प्रौद्योगिकी (एनईएटी) की घोषणा की है। 
  • मंत्रालय का नवंबर 2019 की शुरुआत में एनईएटी को शुरू करने और उसे चलाने का प्रस्ताव है।
  • मंत्रालय ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करना है, ताकि अध्ययन को विद्यार्थी की जरूरत के अनुसार अधिक व्यक्तिगत और रुचिकर बनाया जा सके। विद्यार्थियों को विविधता प्रदान करने और शिक्षा को उनके अनुरूप बनाने के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास की आवश्यकता है।
  • अनेक स्टार्ट-अप कंपनियां इसे विकसित कर रही हैं और एचआरडी मंत्रालय ऐसे प्रयासों की पहचान करके उन्हें एक साझा मंच के तहत लाना चाहती है, ताकि विद्यार्थी आसानी से इस तक पहुंच सकें। युवाओं को शिक्षित करना एक राष्ट्रीय प्रयास है और मंत्रालय का एक पीपीटी मॉडल के जरिये ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने वाली एडटेक कंपनियों के साथ राष्ट्रीय संबंध विकसित करने का प्रस्ताव है।
  • मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए एक सहायक के रूप में कार्य करेगा कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को बड़ी संख्या में स्वतंत्र रूप से समाधान उपलब्ध हो। मंत्रालय एक राष्ट्रीय नीट मंच बनाएगा और उसका रखरखाव करेगा, जहां एक स्थान पर तकनीकी समाधान उपलब्ध हो। 
  • एडटेक कंपनियां समाधान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगी और नीट पोर्टल के जारिये शिक्षार्थियों का पंजीकरण करेंगी। वे अपनी नीति के अनुसार शुल्क लेने के लिए स्वतंत्र होंगी। 
  • राष्ट्रीय हित के लिए उनके योगदान के रूप में, उन्हें एनईएटी पोर्टल के जरिये समाधान के लिए कुल पंजीकरण का 25 प्रतिशत तक मुफ्त कूपन देने की पेशकश करनी होगी। मंत्रालय सामाजिक व आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा पिछड़े छात्रों को अध्ययन के लिए मुफ्त कूपन वितरित करेगा।
  • एआईसीटीई एनईएटी कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है। इस योजना को मंत्रालय द्वारा गठित एक सर्वोच्च समिति के मार्गदर्शन में चलाया जाएगा। एडटेक समाधानों के मूल्यांकन और चयन के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जाएगा। तैयार संक्षिप्त सूची की एडटेक कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। शिक्षकों और छात्रों के लिए एनईएटी समाधानों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मंत्रालय द्वारा जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

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::अंतरराष्ट्रीय:: 

चीन से तनातनी के बीच अमेरिका ने दी राहत, 800KMPH तक स्पीड वाले ड्रोन खरीद पाएगा भारत

  • चीन से तनातनी के बीच अमेरिका ने अपने उस आदेश में संशोधन किया है जिसका फायदा भारत सहित उसके दुनियाभर के साझीदार देशों को मिलेगा।  अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों की रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए 800 किलोमीटर से कम रफ्तार वाले मानव रहित विमान (अनमैन्ड एयर वीकल्स) को कैटगरी-1 की जगह कैटगरी-2 माना है, और इसके निर्यात को मंजूरी दे दी है। 
  • अमेरिकी ड्रोन के निर्यात में इस संशोधन से न सिर्फ मध्य पूर्व में उसके सहयोगियों को लीबिया में चीनी लड़ाके ड्रोन्स का मुकाबला करने में मदद मिलेगी, बल्कि भारत को भी प्रीडेटर-बी आर्म्ड और ग्लोबल हॉक सर्विलांस ड्रोन्स अमेरिका से खरीदने में मदद मिलेगी। दोनों ही ड्रोन्स की स्पीड 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम है।
  • व्हाइस हाउस की तरफ से जारी बयान में यह कहा गया, “राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय विवेक के आह्वान पर फैसला लेते हुए मिसाइल टैक्नोलॉजी रिजीम कैटगरी-1 अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (यूएएस) जिनकी गति 800 किलोमीटर प्रति घंटे से कम की रफ्तार है उन्हें कैटगरी-2 मानने का फैसला किया है। इससे हमारे साझीदारों की क्षमता बढ़ेगी और यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा में मददगार होगा और यूएवी बाजार के दायरे को बढ़ाने से हमारी आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी।
  • नीति को बदलने का मतलब है 800 किलोमीटर प्रति घंटे से कम के रफ्तार वाले यूएवी पर मिसाइल टैक्नोलॉजी कंट्रोल रिजिम (एमटीसीआर) यूएसए क्लाउज के तहत रोक नहीं रहेगी। एक तरफ जहां अमेरिकी रक्षा कंट्रैक्टर को एमटीसीआर यूएसए क्लाउज के तहत प्रतिबंध लगा हुआ था तो वहीं दूसरी तरफ चीन की तरफ से पाकिस्तान, और यमन और लीबिया में सिविल वॉर के समय इस्तेमाल के लिए विंग लूंग आर्म्ड ड्रोन दिए गए।

::अर्थव्यवस्था::

श्री सदानंद गौड़ा ने देश में विस्तृत दवा पार्कों और चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना के लिए योजनाओं की शुरुआत की

  • केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डीवी सदानंद गौड़ा ने आज देश में विस्तृत दवा और चिकित्सा उपकरण पार्कों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए औषध विभाग की चार योजनाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर नौवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री श्री मनसुख एल. मंडाविया, नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, औषधि विभाग के सचिव, डॉ. पी डी वाघेला भी उपस्थित थे।
  • इस अवसर पर श्री गौड़ा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण और उनके फार्मा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के आह्वान की दिशा में उठाया गया एक कदम है। इसके लिए भारत सरकार ने चार योजनाओं को मंजूरी प्रदान की है, जिनमें से दो-दो विस्तृत दवा और चिकित्सा उपकरण पार्कों के लिए हैं। उन्होंने उद्योगों और राज्यों से आह्वान किया कि वे आगे बढ़कर इन योजनाओं में हिस्सा लें।
  • योजना के दिशा-निर्देशों में शामिल 41 उत्पादों की सूची के माध्यम से 53 थोक दवाओं का घरेलू उत्पादन किया जा सकेगा। घरेलू मूल्यवर्धन के अपेक्षित स्तर के साथ, स्थानीय स्तर पर निर्मित इन 41 उत्पादों की घरेलू बिक्री के लिए एक निश्चित प्रतिशत के रूप में, इस योजना के अंतर्गत चयनित किए गए अधिकतम 136 विनिर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
  • ये प्रोत्साहन अनुमोदित पत्र में सूचित वार्षिक अधिकतम सीमा के अधीन होंगे। यह प्रोत्साहन 6 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा। किण्वन आधारित उत्पादों के मामले में, प्रोत्साहन की दर पहले चार वर्षों के लिए 20 प्रतिशत, पांचवें वर्ष के लिए 15 प्रतिशत और छठे वर्ष के लिए 5 प्रतिशत होगी।
  • विस्तृत दवा पार्क को बढ़ावा देने की योजना: इस योजना के अंतर्गत देश में 3 विस्तृत दवा पार्क बनाने की परिकल्पना की गई है। अनुदान-सहायता, पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के मामले में परियोजना की लागत का 90 प्रतिशत और अन्य राज्यों के मामले में 70 प्रतिशत होगी। एक विस्तृत दवा पार्क के लिए अधिकतम अनुदान-सहायता को 1,000 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया है।
  •  राज्यों का चुनाव चुनौती पद्धति के माध्यम से किया जाएगा। पार्क स्थापित करने में रुचि रखने वाले राज्यों को, पार्क में स्थित थोक दवा इकाइयों के लिए 24x7 बिजली और पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित करनी होगा और पार्क में थोक दवा इकाइयों को प्रतिस्पर्धी भूमि पट्टे वाली दरों की पेशकश करनी होगी। राज्यों का चयन करते समय उनके द्वारा प्रस्तावित पार्क के स्थान के लिए पर्यावरणीय दृष्टिकोण और लॉजिस्टिक दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखा जाएगा।
  •  राज्य की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, थोक दवा उद्योग के लिए राज्य में लागू प्रोत्साहन की नीतियां, राज्य में तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता, राज्य में दवा/ रसायन समूहों की उपलब्धता का भी, राज्यों के चयन में सकारात्मक प्रभाव होगा। इच्छुक राज्यों को, दिशा-निर्देशों में जारी किए गए मूल्यांकन मानदंडों के आधार पर स्कोर और रैंकिंग प्रदान की जाएगी, जो मापदंडों में सबसे ऊपर से आते है। शीर्ष 3 रैंक प्राप्त करने वाले राज्यों का चयन किया जाएगा। राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करने की तारीख के 60 दिनों के अंदर अपना प्रस्ताव भेजना होगा। प्रस्तावों को प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि के 30 दिनों के भीतर, तीनों चयनित राज्यों को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की जाएगी और उनका चयन कर लिया जाएगा।
  •  इसके बाद 3 चयनित राज्यों को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने 180 दिनों के भीतर, एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करनी होगी, जिसके आधार पर उन्हें अंतिम मंजूरी प्रदान की जाएगी। अनुदान-सहायता को चार किस्तों में जारी किया जाएगा। पहली तीन किस्तों में प्रत्येक ले लिए 30% और अंतिम के लिए 10% अनुदान-सहायता प्रदान की जाएगी। चयनित राज्यों को अनुदान-सहायता प्राप्त होने की पहली किस्त मिलने के दो वर्ष के अंदर, अनुमोदित डीपीआर के अनुसार पार्कों का निर्माण का काम पूरा करना होगा। एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की विनियामक स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए इन पार्कों में एकल खिड़की प्रणाली की भी परिकल्पना की गई है। अनुसंधान और विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए, उत्कृष्टता केंद्र के निर्माण को भी परिकल्पित किया गया है। योजना के लिेए कुल वित्तीय परिव्यय 3,000 करोड़ रुपये रखा गया है।

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