UPSC परीक्षा ​: दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 30 July 2020

IAS EXAM


UPSC परीक्षा ​: दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 30 July 2020


::राष्ट्रीय::

गृहमंत्रालय ने जारी की अनलॉक 3 :0 के लिए दिशा निर्देश

  • सरकार ने देशभर में अनलॉक 3 के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिये, जिनमें कंटेनमेंट जोन के बाहर और अधिक गतिविधियों की अनुमति दी गयी है, लेकिन स्कूल, कॉलेज, मेट्रो रेल सेवाएं, सिनेमाघर और बार 31 अगस्त तक बंद रहेंगे. 
  • राजनीतिक और धार्मिक समागमों पर भी रोक जारी रहेगी. कोरोना वायरस के कारण 25 मार्च से लागू लॉकडाउन के बाद से सरकार ने पहली बार योग संस्थानों और जिम को पांच अगस्त से खुलने की अनुमति दी है, जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय अलग से मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगा.
  • स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान 31 अगस्त तक बंद रहेंगे. हालांकि, मंत्रालय के अनुसार, रात में लोगों की आवाजाही पर पाबंदी (रात्रिकालीन कर्फ्यू) को हटा लिया गया है. 
  • ‘अनलॉक 3' के दिशानिर्देश एक अगस्त से प्रभाव में आएंगे और कंटेनमेंट जोन में 31 अगस्त तक लॉकडाउन कड़ाई से लागू रहेगा.
  • प्रतिबंधित गतिविधियों में मेट्रो रेल सेवाएं, सिनेमाघर, स्वीमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, बार और सभागारों का खुलना शामिल है. सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, अकादमिक, सांस्कृतिक, धार्मिक समारोह और अन्य समागम भी 31 अगस्त तक प्रतिबंधित रहेंगे. इनके अतिरिक्त कंटेनमेंट जोन के बाहर अन्य सभी गतिविधियों की इजाजत होगी. गृह मंत्रालय ने कहा कि इन गतिविधियों को शुरू करने की तारीखें स्थिति का आकलन करने के बाद अलग से तय की जाएंगी.
  • दिशानिर्देशों के अनुसार, सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित करने की अनुमति रहेगी, जिसमें मास्क पहनने समेत अन्य स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना भी अनिवार्य होगा. गृह मंत्रालय ने कहा कि वंदे भारत मिशन के तहत सीमित तरीके से अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा की अनुमति होगी. अन्य अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों की आवाजाही चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी

नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें (स्कूली शिक्षा)
स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना
एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है. स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास औरर नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी. इस नई शिक्षा नीति में छात्रों और उनके सीखने के स्तर पर नज़र रखने, औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा सहित बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने, परामर्शदाताओं या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं को स्कूल के साथ जोड़ने, कक्षा 3, 5 और 8 के लिए एनआईओएस और राज्य ओपन स्कूलों के माध्यम से ओपन लर्निंग, कक्षा 10 और 12 के समकक्ष माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, वयस्क साक्षरता और जीवन-संवर्धन कार्यक्रम जैसे कुछ प्रस्तावित उपाय हैं. एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा.

नए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा

बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18  उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है. नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी.
एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा. एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी. इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे जिसमें इसीसीई शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता होंगे. इसीसीई की योजना और कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास, महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (एचएफडब्ल्यू) और जनजातीय मामलों के मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा.
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंनत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है. राज्य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे. एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जानी है.

 स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला में सुधार

स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्या वहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को लैस करके उनका समग्र विकास किया जाए और आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व अनुभवात्मक शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए. विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे. कला एवं विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच और व्यावसायिक एवं शैक्षणिक विषयों के बीच सख्त रूप में कोई भिन्निता नहीं होगी.
स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी.
एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी.

बहुभाषावाद और भाषा की ताकत

नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छाा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है. विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा. त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा. किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे. विद्यार्थियों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं’ पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना होगा. कई विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक शिक्षा स्तर पर एक विकल्प के रूप में चुना जा सकेगा. भारतीय संकेत भाषा यानी साइन लैंग्वेज (आईएसएल) को देश भर में मानकीकृत किया जाएगा और बधिर विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तररीय पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएंगी.
आकलन में सुधार
‘एनईपी 2020’ में योगात्मक आकलन के बजाय नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाने की परिकल्पना की गई है, जो अपेक्षाकृत अधिक योग्यता-आधारित है, सीखने के साथ-साथ अपना विकास करने को बढ़ावा देता है, और उच्चस्तोरीय कौशल जैसे कि विश्लेषण क्षमता, आवश्यक चिंतन-मनन करने की क्षमता और वैचारिक स्पष्टता का आकलन करता है. सभी विद्यार्थी ग्रेड 3, 5 और 8 में स्कूली परीक्षाएं देंगे, जो उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित की जाएंगी. ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्या.न में रखते हुए इन्हेंए नया स्वरूप दिया जाएगा. एक नया राष्ट्रीय आकलन केंद्र ‘परख (समग्र विकास के लिए कार्य-प्रदर्शन आकलन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) एक मानक-निर्धारक निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा.

समान और समावेशी शिक्षा

‘एनईपी 2020’ का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा अपने जन्म या पृष्ठभूमि से जुड़ी परिस्थितियों के कारण ज्ञान प्राप्ति या सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित नहीं रह जाए. इसके तहत विशेष जोर सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से वंचित समूहों (एसईडीजी) पर रहेगा जिनमें बालक-बालिका, सामाजिक-सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधी विशिष्ट पहचान एवं दिव्यां्गता शामिल हैं. इसमें बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए बालक-बालिका समावेशी कोष और विशेष शिक्षा जोन की स्थापना करना भी शामिल है. दिव्यांहग बच्चों को बुनियादी चरण से लेकर उच्च शिक्षा तक की नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाया जाएगा जिसमें शिक्षाविशारद का पूरा सहयोग मिलेगा और इसके साथ ही दिव्यांहगता संबंधी समस्त प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, प्रौद्योगिकी-आधारित उपयुक्त उपकरण और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अन्य सहायक व्यमवस्थाकएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी. प्रत्येक राज्य/जिले को कला-संबंधी, कैरियर-संबंधी और खेलकूद-संबंधी गतिविधियों में विद्यार्थियों के भाग लेने के लिए दिन के समय वाले एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. स्कूल की नि:शुल्क बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का उपयोग सामाजिक चेतना केंद्रों के रूप में किया जा सकता है.

प्रभावकारी शिक्षक भर्ती और करियर प्रगति मार्ग

शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा. पदोन्नति योग्यता आधारित होगी जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और करियर में आगे बढ़कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्य्वस्थार होगी. शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा.
स्कूल प्रशासन
स्कूलों को परिसरों या क्लस्टरों में व्यवस्थित किया जा सकता है जो प्रशासन (गवर्नेंस) की मूल इकाई होगा और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, शैक्षणिक पुस्तकालयों और एक प्रभावकारी प्रोफेशनल शिक्षक-समुदाय सहित सभी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.
स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
एनईपी 2020 नीति निर्माण, विनियमन, प्रचालनों तथा अकादमिक मामलों के लिए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की परिकल्पना करती है. राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेगे. सभी मूलभूत नियामकीय सूचना का पारदर्शी सार्वजनिक स्व-प्रकटन, जैसाकि एसएसएसए द्वारा वर्णित है, का उपयोग व्यापक रूप से सार्वजनिक निगरानी एवं जवाबदेही के लिए किया जाएगा. एससीईआरटी सभी हितधारकों के परामर्श के जरिये एक स्कूल गुणवत्ता आकलन एवं प्रत्यायन संरचना (एसक्यूएएएफ) का विकास करेगा.

नई शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें (उच्चतर शिक्षा)

2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना
एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है. उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी.

समग्र बहुविषयक शिक्षा

नीति में लचीले पाठ्यक्रम, विषयों के रचनात्मक संयोजन, व्यावसायिक शिक्षा एवं उपयुक्त प्रमाणन के साथ मल्टीपल एंट्री एवं एक्जिट बिन्दुओं के साथ व्यापक, बहुविषयक, समग्र अवर स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है. यूजी शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष की हो सकती है. उदाहरण के लिए, 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक.
विभिन्न एचईआई से अर्जित डिजिटल रूप से अकादमिक क्रेडिटों के लिए एक एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की स्थापना की जानी है जिससे कि इन्हें अर्जित अंतिम डिग्री की दिशा में अंतरित एवं गणना की जा सके.
देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के माडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) स्थापित किए जाएंगे
पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा.
विनियमन
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा.
एचईसीआई के चार स्वतंत्र वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी). एचईसीआई प्रौद्योगिकी के जरिये चेहरारहित अंतःक्षेपों के माध्यम से कार्य करेगा और इसमें नियमों तथा मानकों का अनुपालन न करने वाले एचईआई को दंडित करने की शक्ति होगी. सार्वजनिक एवं निजी उच्चतर शिक्षा संस्थान विनियमन, प्रत्यायन एवं अकादमिक मानकों के उसी समूह द्वारा शासित होंगे.

विवेकपूर्ण संस्थागत संरचना

उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध कराने के जरिये बड़े, साधन संपन्न, गतिशील बहु विषयक संस्थानों में रूपांतरित कर दिया जाएगा. विश्वविद्यालय की परिभाषा में संस्थानों की एक विस्तृत श्रेणी होगी जिसमें अनुसंधान केंद्रित विश्वविद्यालयों से शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालय तथा स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय शामिल होंगे.
महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी तथा महाविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक राज्य वार तंत्र की स्थापना की जाएगी. ऐसी परिकल्पना की जाती है कि कुछ समय के बाद प्रत्येक महाविद्यालय या तो एक स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय में विकसित हो जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय बन जाएंगे.

प्रेरित, ऊर्जाशील और सक्षम संकाय

एनईपी सुस्पष्ट रूप से परिभाषित, स्वतंत्र, पारदर्शी नियुक्ति, पाठ्यक्रम/अध्यापन कला डिजाइन करने की स्वतंत्रता, उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने, संस्थागत नेतृत्व के जरिये प्रेरक, ऊर्जाशील एवं संकाय के क्षमता निर्माण की अनुशंसा करता है. इन मूलभूत नियमों का पालन न करने वाले संकायों को जबावदेह ठहराया जाएगा.

अध्यापक शिक्षण

एनसीईआरटी के परामर्श से, एनसीटीई के द्वारा अध्यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा, एनसीएफटीई  2021 तैयार किया जाएगा. वर्ष 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी. गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षण संस्थान (टीईओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

परामर्श मिशन

एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जाएगी, जिसमें उत्कृष्टता वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा- जिसमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें- जो कि विश्वविद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों को लघु और दीर्घकालिक परामर्श/व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार करेंगे.

छात्रों के लिए वित्तीय सहायता

एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य विशिष्ट श्रेणियों से जुड़े हुए छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा. छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की प्रगति को समर्थन प्रदान करना, उसे बढ़ावा देना और उनकी प्रगति को ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा. निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां छात्रों को बड़ी संख्या में मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्तियों की पेशकश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

खुली और दूरस्थ शिक्षा

जीईआर को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इसका विस्तार किया जाएगा. ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल संग्रहों, अनुसंधान के लिए वित्तपोषण, बेहतर छात्र सेवाएं, एमओओसी द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाएगा कि यह उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों.

ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल शिक्षा:

हाल ही में महामारी और वैश्विक महामारी में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना संभव नहीं हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी.

शिक्षा में प्रौद्योगिकी

सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच ( एनईटीएफ) का निर्माण किया जाएगा. शिक्षा के सभी स्तरों में, प्रौद्योगिकी का सही रूप से एकीकरण करके, उसका उपयोग कक्षा प्रक्रियाओं में सुधार लाने, पेशेवर शिक्षकों के विकास को समर्थन प्रदान करने, वंचित समूहों के लिए शैक्षिक पहुंच बढ़ाने और शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए किया जाएगा.

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा

सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, एनईपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान) की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई है.
शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की गतिशीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देश में परिसरों को खोलने के लिए शीर्ष विश्व रैंकिंग रखने वाले विश्वविद्यालयों के प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी.

व्यावसायिक शिक्षा

सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाएगा. स्वचलित तकनीकी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, कानूनी और कृषि विश्वविद्यालयों आदि को उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा.

प्रौढ़ शिक्षा

इस नीति का लक्ष्य, 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता की प्राप्ति करना है.

वित्तपोषण शिक्षा

शिक्षा पहले की तरह 'लाभ के लिए नहीं' व्यहार पर आधारित होगी जिसके लिए पर्याप्त रूप से धन मुहैया कराया जाएगा. शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे जिससे जीडीपी में इसका योगदान जल्द से जल्द 6% हो सके.

अभूतपूर्व परामर्श

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को, परामर्शों की अभूतपूर्व प्रक्रियाओं के बाद तैयार किया गया है जिसमें 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6,600 ब्लॉकों, 6,000 यूएलबी, 676 जिलों से प्राप्त हुए लगभग 2 लाख से ज्यादा सुझावों को शामिल किया गया है. एमएचआरडी द्वारा, जनवरी 2015 से इस अभूतपूर्व सहयोगात्मक, समावेशी और अत्यधिक भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया की शुरूआत की गई. मई 2016 में, ‘नई शिक्षा नीति के विकास के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसकी अध्यक्षता स्वर्गीय श्री टी.एस. आर. सुब्रमण्यन, पूर्व कैबिनेट सचिव ने की थी. उसने इसके आधार पर, मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2016 के लिए कुछ इनपुट तैयार किए. जून 2017 में, प्रख्यात वैज्ञानिक, पद्म विभूषण डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसने 31 मई, 2019  को माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2019 का मसौदा प्रस्तुत किया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा, एमएचआरडी की वेबसाइट पर और 'माईगव इनोवेट' पोर्टल पर अपलोड किया गया, जिसमें आम नागरिक सहित हितधारकों के विचारों/सुझावों/टिप्पणियों को प्राप्त किया गया.

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::अर्थव्यवस्था::

सरकार ने नागर विमानन क्षेत्र में संशोधित एफडीआई नीति को अधिसूचित किया

  • सरकार ने नागर विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी संशोधित नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इससे प्रवासी भारतीय नागरिकों को एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदसरी हासिल करने की अनुमति होगी। 
  • सरकार ने तीसरी बार एयर इंडिया के लिये बोली जमा करने कारण वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों का प्रभावित होना है। समयसीमा 31 अगस्त तक के लिये बढ़ायी गयी है।
  • एयर इंडिया के लिये विनिवेश प्रक्रिया 27 जनवरी को शुरू की गयी थी। आधिकारिक अधिसूचना 27 जुलाई, 2020 को जारी की गयी। इसके तहत इन नियमों को विदेशी विनिमय प्रबंधन (गैर-बांड उत्पाद) (तीसरा संशोधन) नियम, 2020 का जाएगा।’’ 
  • यह नियम आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से प्रभाव में आएगा। इसमें कहा गया है, ‘‘मेसर्स एयर इंडिया लि. में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को छोड़कर विदेशी एयरलाइन समेत विदेशी निवेश प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
  • प्रवासी भारतीय जो भारतीय नागरिक हैं, के मामले में स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति होगी।’’ नये नियम के अनुसार एयर इंडिया लि. में मालिकाना हक और प्रभावी नियंत्रण भारतीय नागरिक के पास बना रहेगा जैसा कि एयरक्राफ्ट नियम, 1937 में निर्धारित है। 
  • मौजूदा एफडीआई नीति के तहत अनुसूचित हवाई परविहन सेवा/घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। इसमें से 49 प्रतिशत स्वत: मार्ग से जबकि 49 प्रतिशत से अधिक सरकरी मार्ग से है। हालांकि एनआरआई के लिये अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन में स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। 
  • सरकार हेलीकॉटर सेवा/समुद्री प्लेस सेवा में 100 प्रतिशत एुडीआई की अनुमति देती है। लेकिन इसमें नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की मंजूरी जरूरी है। विदेशी एयरलाइन को अनुसूचित और गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं का परिचालन करने वाली भारतीय कंपनियों में उनकी चुकता शेयर पूंजी का 49 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति है। 
  • शर्तों में यह शामिल है कि पूंजी निवेश सरकारी मंजूरी मार्ग से होगा और 49 प्रतिशत सीमा में एफडीआई और एफआई/एफपीआई (विदेशी संस्थागत/पोर्टफोलियो निवेशक) समाहित होगा। इससे पहले, मार्च में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआरआई के मामले में जो भारतीय नागरिक हैं , एयर इंडिया के संदर्भ में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

पवनहंस ने उत्तराखंड में शुरू की हेलीकॉप्टर सेवा

  • पवन हंस लिमिटेड (Pawan Hans Limited- PHL) ने केंद्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान (UDAN) के तहत उत्तराखंड (Uttarakhand) में देहरादून-नयी टिहरी-श्रीनगर-गौचर (Dehradun-New Tehri-Srinagar-Gauchar) मार्ग पर 29-07-2020 को हेलीकॉप्टर सेवा (helicopter service) शुरू की. 
  • उन्होंने कहा, इसके साथ ही हमने नयी टिहरी और श्रीनगर में छह नये मार्गों व दो हेलीपोर्टों को जोड़ा है. 
  • उन्होंने कहा कि ये मार्ग पहाड़ी राज्य के लोगों के लिये बहुत आवश्यक हवाई संपर्क प्रदान करते हैं और इस सेवा का लाभ उठाने की लागत भी सस्ती है.

::विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी::

राफेल लड़ाकू विमान की महत्वपूर्ण बातें

  • राफेल को दुनिया का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान माना जाता है. राफेल सैकड़ों किलोमीटर तक अचूक निशाना लगा सकता है. 
  • सूत्रों का कहना है कि राफेल में जो हवा से हवा में और हवा से जमीन में निशाना लगाने की क्षमता है, वैसी क्षमता फिलहाल चीन और पाकिस्तान दोनों की ही वायुसेना के किसी एयरक्राफ्ट में नहीं है, जिसके चलते भारत इन दोनों देशों से कहीं आगे है.
  • राफेल में बिल्ड की गई मिसाइलें इसे सबसे अलग लड़ाकू विमान बनाती हैं. राफेल में लगी है मीटियॉर मिसाइल. मीटियॉर मिसाइल हवा से हवा में मार कर सकती है. इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है, यानी यह मिसाइल 150 किलोमीटर दूर मौजूद दुश्मन पर भी अचूक निशाना लगा सकती है. इसका मतलब है कि राफेल बिना देश की सीमा पार किए ही दुश्मन के विमान को ढेर कर सकता है.
  • राफेल में दूसरी मिसाइल है- स्काल्प मिसाइल. स्काल्प की मारक क्षमता 600 किलोमीटर की, यानी मीटियॉर से कहीं ज्यादा, है. स्काल्प मिसाइल के जरिए राफेल इतनी दूर बैठे दुश्मन पर निशाना लगा सकता है. स्काल्प अपनी अचूक मारक क्षमता के लिए जाना जाता है. 
  • तीसरी मिसाइल जिसकी, बात हो रही है, वो है हैमर मिसाइल. भारतीय वायुसेना ने इस लड़ाकू विमान की क्षमता को बढ़ाने के लिए फ्रांस से हैमर मिसाइल भी खरीद रहा है. अभी इस मिसाइल के लिए ऑर्डर प्रोसेस किया जा रहा है. चीन के साथ विवाद के बीच भारत ने यह फैसला लिया है.
  •  हैमर मिसाइल की मारक क्षमता 60-70 किलोमीटर है. HAMMER (Highly Agile Modular Munition Extended Range) एक मीडियम रेंज का हवा से जमीन में मार कर सकने वाली मिसाइल है.  इसे फ्रांस की एयरफोर्स और नेवी के लिए डिज़ाइन और डेवलप किया गया था.
  • हालांकि, बता दें कि इस साल फरवरी में वायुसेना के एयर चीफ मार्शल आरके एस भदौरिया ने कहा था कि मीटियॉर मिसाइल से युक्त राफेल लड़ाकू विमान भारत की वायु क्षमताओं को बढ़ाएंगे लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि 36 राफेल विमान भारतीय वायुसेना की जरूरत पूरी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा था, ‘36 राफेल विमान अकेले वायु सेना की जरूरत को पूरा नहीं करेंगे. हमें वायु शक्ति के बेहतर प्रयोग के लिए सुखोई 30 विमानों पर स्वदेश निर्मित अस्त्र मिसाइल तथा मिग-29 जैसे अन्य लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करने की क्षमता की जरूरत है.'
  • बता दें कि भारत ने फ्रांस से राफेल डील के तहत 36 विमान खरीदे हैं. इनमें से पहले पांच विमान बुधवार को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर आ रहे हैं. बाकी विमानों को फ्रांस में ही ट्रेनिंग के उद्देश्य से रखा जाएगा. पूरे के पूरे 36 विमान 2022 के पहले भारत को डिलीवर कर दिए जाएंगे.

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आईपीएल फाइनल 8 की बजाए 10 नवंबर को होने की संभावना: रिपोर्ट

  • आईपीएल के 13वें सत्र के कार्यक्रम में एक बार फिर बदलाव के संकेत मिल रहे है। IPL 2020 पहले 26 सितंबर से आयोजित किया जाने वाला था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह पहले 19 सितंबर से शुरू किया जा रहा है। इसका फाइनल 8 नवंबर को होना है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीसीसीआई अब इसे 10 नवंबर को आयोजित करने पर विचार कर रहा है।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा इसलिए किया जा सकता है क्योंकि बीसीसीआई अब भारतीय टीम को यूएई से ही सीधे ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहता है। 
  • वर्तमान कार्यक्रम के अनुसार टीम इंडिया को आईपीएल समाप्ति के बाद भारत होकर ऑस्ट्रेलिया जाना था। यदि टूर्नामेंट के कार्यक्रम में यह बदलाव किया गया तो इसकी अवधि 51 दिनों से बढ़कर 53 दिन हो जाएगी, लेकिन इस स्थिति में फाइनल रविवार की बजाए मंगलवार को खेला जाएगा। 
  • अभी यह चर्चा शुरुआती दौर में है और इसके बारे में फैसला रविवार 2 अगस्त को होने वाली आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा।

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