हिन्दी माध्यम की उपेक्षाः सड़कों पर उतरे यूपीएससी उम्मीदवार


हिन्दी माध्यम की उपेक्षाः सड़कों पर उतरे यूपीएससी उम्मीदवार


संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में वर्ष 2011 में हुए बदलाव के बाद से ही हिन्दी माध्यम के छात्रों के प्रतिनिधत्व में लगातार गिरावट हो रही है । हल ही में आये 2013 के अंतिम परिणाम में भी हिन्दी माध्यम के छात्रों की संख्या काफी कम है । अंतिम रूप से चयनित 1122 अभ्यर्थी में मात्र 26 ही हिन्दी माध्यम हैं । छात्र इसकी वजह प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में हुए व्यापक बदलाव को मानते हैं ।

पिछले दिनों दिल्ली में हिन्दी माध्यम के छात्रों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग के ख़िलाफ़ व्यापक प्रदर्शन किया गया। छात्रों का यह आरोप है की आयोग हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ दोहरा मानदंड अपनाता है । छात्रों की यह मांग है कि परीक्षा से सी-सैट प्रश्न पत्र को हटाया जाये । कुछ छात्रों का यह मानना है कि परीक्षा में प्रश्न मूलतः अंग्रेजी में बनाया जाता है और उसी प्रश्न का गूगल द्वारा अनुवाद करके हिन्दी में प्रश्न बनाया जाता है । छात्रों का यह दावा है कि गूगल द्वारा अनुवाद को हिन्दी के प्रकांड विद्वान भी नहीं समझ सकते तो आम छात्र इसे कैसे समझे । दूसरी बात यह है की अगर छात्र ही गलत समझेगा तो उससे सही उत्तर की अपेक्षा कैसे की जा सकती है । छात्रों यह भी आरोप है कि आयोग का अनुवाद विभाग भी अपनी जिम्मेदारी का सही प्रकार से निष्पादन नहीं कर रहा है । फलस्वरूप हिन्दी माध्यम के छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।

हिन्दी माध्यम के छात्रों के आरोपों को आंकड़े भी सत्य साबित करते हैं । 2011 से पहले मुख्य परीक्षा में हिंदी माध्यम के छात्रों का प्रतिनिधित्व लगभग 45 प्रतिशत रहता था और टॉप 100 में हिन्दी माध्यम के छात्रों का पर्याप्त प्रतिनिधत्व रहता था । जबकि सी-सैट लागू होने के बाद मुख्य परीक्षा में हिन्दी माध्यम के छात्रों का प्रतिनिधत्व घट कर 15 प्रतिशत रह गया है और इस वर्ष के अंतिम परिणाम में तो एक भी छात्र टॉप 100 में जगह नहीं बना पाया।

Courtesy: NDTV