(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा विधि Paper-1 - 2010
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2010 विधि (Paper-1)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए (प्रत्येक उत्तर लगभग 200 शब्दों में होना चाहिए) :
(क) “भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 में जो सुगंध और रंग प्रतिष्ठापित है, वह न्याय और भारत की जनता के हित में विधि सम्मत शासन की मर्यादा बनाए रखने को निश्चित करती है। क्या आप इससे सहमत हैं ? कारण बताइए ।
(ख) वोट देने का अधिकार क्या एक मूलभूत अधिकार है या कि एक कानूनी अधिकार है ? इस विषय पर सुसंगत निर्णयजन्य विधि की सहायता से, अपने कथन के पक्ष में दलीलें दीजिए ।
(ग) “जबकि भारत में विधि की निश्चितता महत्त्वपूर्ण है, वह न्याय की कीमत पर नहीं हो सकती ।" भारत में 'रोगहारी याचिका' के संदर्भ में, इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए और साथ ही सुसंगत निर्णयज विधि का हवाला भी दीजिए।
(घ) अपने प्रतिष्ठित आशय में शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को, जो संरचनात्मक के बजाय प्रकार्यात्मक है, किसी भी आधुनिक सरकार में लागू नहीं किया जा सकता है । चर्चा कीजिए।
2. (क) संविधान के अनुच्छेद 21 के द्वारा, जिसमें उपबंध किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को, उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं, आपराधिक न्याय की नई सीमाओं को स्पष्टतया सूचित किया गया है । इस पर चर्चा कीजिए और विनिश्चित निर्णयों का हवाला दीजिए।
(ख) रिट याचिका के माध्यम से किसी प्रशासनिक कार्य को चुनौती देने के लिए 'सुने जाने के अधिकार' का होना आवश्यक है । लोक हित मुकदमेबाज़ी के मामले में, इसको किस प्रकार उदारीकृत किया गया है ? कथन कि "पी.आई.एल. सभी बुराइयों के विरुद्ध दवा की गोली नहीं है' पर टिप्पणी कीजिए ।
3. (क) लोक-जीवन एवं राज्यतन्त्र में न्यूनतम मानकों के अनुरक्षण में भारत के उच्चतम न्यायालय की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए ! इसमें से कितना भाग विधि सम्मत शासन का प्रवर्तन है और कितना भाग न्यायिक सक्रियता का है, इस पर अपना मत प्रकट कीजिए ।
(ख) हाल के समय में, मुख्य मंत्री की नियुक्ति और पदच्युति में राज्यपाल की भूमिका पर आक्षेप किए गए हैं और ऐसा कहा जाने लगा है कि न्यायालय ने राज्यपाल और अध्यक्ष की. भूमिका धारण कर ली है । टिप्पणी कीजिए । हाल के उन मामलों का उल्लेख कीजिए, जिनमें उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि सम्मिश्र सभासदन परीक्षण किया जाए और कि न्यायालय को सूचित किया जाए ।
4. निम्नलिखित पर समालोचनात्मक टिप्पणियाँ लिखिए :
(क) “संविधान का संशोधन करने की शक्ति में संविधान को नष्ट करने की शक्ति शामिल नहीं है ।"
(ख) “भारत के संविधान के अधीन, धार्मिक शिक्षण प्रतिषिद्ध है, न कि धर्म का शिक्षण ।"
(ग) “अत्यधिक प्रत्यायोजन का सिद्धांत न्यायिकतः काट-छांट कर दुरुस्त किया हुआ सिद्धांत है ।"
खण्ड 'B'
5. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए (प्रत्येक उत्तर लगभग 200 शब्दों में होना चाहिए) :
(क) “अंतर्राष्ट्रीय विधि के मौलिक सिद्धांत गंभीर संकट में से गुज़र रहे हैं और इस कारण उनके पुनर्निर्माण की आवश्यकता है ।" क्या आप इस कथनं से सहमत हैं ? कारण बताइए ।
(ख) सरकार के उत्तरवर्तन के संदर्भ में, 'राज्य की निरंतरता' के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं ? राज्य उत्तरवर्तन नियमों और रीति से सम्बन्धित वर्तमान स्थिति में सुधार लाने के लिए उन प्रमुख क्षेत्रों को बिलकुल ठीक-ठीक बताइए, जिनकी तरफ ध्यान देने की ज़रूरत है ।
(ग) इस कथन पर टिप्पणी कीजिए कि 'डब्ल्यू.टी.ओ.' बहुपक्षीय व्यापार करारों को कार्यान्वित करने के लिए मुख्य साधन है और कि वह विश्वव्यापी व्यापार और वाणिज्य का तीसरा आर्थिक स्तंभ है ।
(घ) ऐसी शर्त, जिसका आशय उस राज्य पर लागू होने वाले संधि के कुछ विशेष उपबंधों के विधिक प्रभावों को निकाल बाहर करना या उनमें फेरबदल करना हो, रीति के अनुसार स्वीकार कर ली जाती है, यदि वह शर्त संधि के उद्देश्य और प्रयोजन के साथ सुसंगत हो । अभिसमयों पर शर्तों की स्वीकार्यता से सम्बन्धित विभिन्न देशों की रीति और आई.सी.जे. के मत पर चर्चा कीजिए ।
6. (क) अंतर्राष्ट्रीय विधि की पारंपरिक परिभाषाएँ, राज्यों के परस्पर आचरणों पर प्रतिबंधों सहित, पिछले छः दशकों के दौरान हुए परिवर्धनों को देखते हुए, अब खड़ी नहीं रह सकती हैं, क्योंकि सभी नियमों के सर्वसमावेशी वर्णन को अब अंतर्राष्ट्रीय विधि का एक भाग स्वीकार किया जाता है । उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन विकासों को विस्तारपूर्वक सुस्पष्ट कीजिए जो राज्यों के आचरण का नियंत्रण करने वाले अनन्य नियमों के द्वारा प्रतिपादित नहीं हैं ।
(ख) उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए, सरकारों को मान्यता न देने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों की विधि एवं रीति पर चर्चा कीजिए ।
7. (क) सामान्यतः राज्य अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का आश्रय लेने में अनिच्छुक होते हैं, मुख्य रूप से राजनीतिक कारक के कारण; अन्य कारण हैं अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की सामान्य दशाएँ, अन्य अधिकरणों की अपेक्षाकृत अधिक उपयुक्तता, अनिवार्य अधिकारिता की तुलना में माध्यस्थम् का लचीलापन और न्यायालय के निर्णयों का प्रवर्तन प्राप्त करने में कठिनाई । इतना होने पर भी, विवादों के निपटारे में न्यायालय ने समुचित योगदान दिया है । न्यायालय के कार्य-संचालन का समालोचनापूर्वक मूल्यांकन कीजिए, विशेषकर प्रतिविरोधात्मक मामलों में।
(ख) आप इस कथन के प्रति किस प्रकार प्रतिक्रिया करेंगे कि 'ट्रिप्स क़रार' एक ओर तो एक ऐतिहासिक कार्य है, परन्तु दूसरी ओर वह न्यूनतम विकसित देशों की व्यापार शक्तियों को उन्नत करने और व्यापार मुद्दों के लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहा है ? टिप्पणी कीजिए ।
8. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए :
(क) अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र
(ख) वायुयान हाईजैकिंग से सम्बन्धित विधियाँ
(ग) राज्यविहीनता
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