(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा दर्शनशास्त्र Paper-2 - 2014
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2014 दर्शनशास्त्र (Paper-2)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(a) यदि जाति भेदभाव में निरन्तरता और सोपान है, तो न्याय का कौन-सा सिद्धान्त इस समस्या को समाप्त कर सकता है?
(b) बहुसंस्कृतिवाद किस प्रकार पहचान, स्वतंत्रता और समता जैसी उदारवादी धारणाओं को पुनर्भाषित करता है तथा उसके अभिगृहीतों की पुनर्रचना करता है?
(c) उदारवादी मानववाद और मार्क्सवादी मानववाद में हम किस प्रकार विभेदन करते हैं?
(d) जॉन ऑस्टिन के सम्प्रभुता के सिद्धान्त के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। यह हॉब्स के सिद्धान्त से किस प्रकार भिन्न है?
(e) क्या हम कह सकते हैं कि प्रजातीय सर्वोच्चता (रेशियल सुप्रिमेसी) जनसंहार का मुख्य कारण है? अपने उत्तर के कारण बताइए।
2. (a) दंड के किस सिद्धांत, प्रतिशोधात्मक या सुधारवादी, का आप समर्थन करते हैं और क्यों?
(b) "कोई भी नारी पैदा नहीं होती है, परन्तु वह नारी बन जाती है।" इस कथन की समालोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
(c) क्या हम परकीयन (एलिनेशन) के विलोपन के द्वारा सामाजिक प्रगति प्राप्त कर सकते हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
3. (a) “शक्ति भ्रष्ट बनाती है, पूर्ण शक्ति पूर्णरूपेण भ्रष्ट बनाती है" इस कथन का तर्क पेश करते हुए विश्लेषण कीजिए।
(b) भारत में जाति-व्यवस्था पर गाँधी एवं अम्बेदकर के बीच बुनियादी भेद क्या हैं?
(c) 'न्याय' की मीमांसा के रूप में, अमर्त्य सेन के 'नीति' के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
4. (a) "सभी मानव अधिकार व्यक्तिक अधिकारों पर केन्द्रित हैं।" चर्चा कीजिए।
(b) बहुसंस्कृतिवाद पर वर्णनात्मक और आदर्शक संदों की व्याख्या कीजिए।
(c) धर्मतन्त्र की तुलना में, लोकतन्त्र किस मायने में सरकार का एक बेहतर रूप है?
खण्ड "B"
5. निम्नलिखित प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में आलोचनात्मक विवेचन कीजिए :
(a) यदि ईश्वर को 'एक' माना जाए, तो क्या इससे धार्मिक द्वन्द्व उत्पन्न होंगे?
(b) किन आधारों पर है' और 'चाहिए' का विरोधाभास स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है?
(c) आत्मा की अमरता के पक्ष में कौन-से तर्क दिए जाते हैं ?
(d) क्या बहुतत्त्ववादी (प्लुरलिस्ट) दृष्टिकोण निरपेक्ष सत्य की प्रतिरक्षा कर सकता है?
e) 'पुनर्जन्म' को आत्मा के साथ या उसके बिना आप किस प्रकार सिद्ध कर सकते हैं?
6. (a) धार्मिक नैतिकता किस सीमा तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाहित कर सकती है?
(b) धार्मिक भाषा का आप निस्संज्ञानात्मक (नॉन्-कॉनिटिव) रूप में किस प्रकार निरूपण करते हैं?
(c) क्या ईश्वर के 'प्रत्यय' को तो स्वीकार करना परंतु ईश्वर के 'अस्तित्व' को नकारना आत्म-व्याघाती हो सकता है?
7. (a) क्या हितकारी ईश्वर के साथ अशुभ (इविल) समाधेय है?
(b) ईश्वर के अस्तित्व के लिए विश्व-कारण-युक्ति (कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट) की विवेचना कीजिए तथा उसके गुण व दोष बताइए।
(c) 'अद्वैत' तथा 'विशिष्टाद्वैत' के अनुसार मोक्ष (लिबरेशन) की संकल्पना के बीच साम्य और वैषम्य दर्शाइए।
8. (a) 'अंतर्वर्तिता' (इमनेंस) और 'अनुभवातीतता' (ट्रांसेंडेंस) के मध्य जगत् में मनुष्य की प्रस्थिति को सविस्तार स्पष्ट कीजिए।
(b) क्या आस्था को उचित सिद्ध करने के लिए तर्क का उपयोग किया जा सकता है?
(c) बौद्ध एवं जैन दर्शन के विशेष उल्लेख के साथ, धार्मिक अनुभवों की परस्पर विरोधी प्रकृति पर चर्चा कीजिए।
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