(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा HINDI Compulsory Paper - 2017

UPSC CIVIL SEVA AYOG



संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा
(Download) UPSC Mains 2017 HINDI COMPULSORY Question Paper:



Exam Name: UPSC IAS Mains HINDI COMPULSORY

Year: 2017

Q1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 600 शब्दों में निबंध लिखिए :

(a) तकनीक के अत्यधिक प्रयोग से उत्पन्न खतरे 

(b) धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र की शक्ति है 

(c) नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घ अवधि में होने वाले लाभ 

(d) आयुर्वेद-पद्धति के प्रति पाश्चात्य देशो का आकर्षण 

Q2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर निचे - दिए गए प्रश्नो के उत्तर स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिए ?

मस्तिष्क का सर्वोत्तम भोजन पुस्तके है | एक विचारक का कतहँ है की मन जाती ने जो कुछ सोचा, किया और ोाया है वह पुस्तकों में सुरक्षित है | मानव-सभ्यता और सांस्कृतिक के विकास का पूरा श्रेय पुस्तकों को जाता है पुस्तकों का महत्व और मूल्य बेजोड़ है | पुस्तके अतः करण को उज्वल करती है | अच्छी पुस्तके मनुष्यो को पशुतया से देवत्व की और ले जाती है, उसकी सात्विक व्रतियों को जाग्रत कर उसे पथभ्रष्ट होने से बचाती है एव मनुष्य, समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करती है | पुस्तकों को हमारे मन और मस्तिष्क पर स्थाई प्रभाव पढ़ता है और वे प्रेरणादायक होती है |

पुस्तके मनोरंजन के क्षेत्र में भी मानव की सेवा करती है | यह मनोरंजन का तात्पर्य है केवल है-विलास से नहीं है अपितु मनोरंजन का अर्थ गहन हअइ|जओ पुस्तके को गहराई से छू लेती है और उनके मन को रमा लेती है वे सच्चे अर्थ में मनोरंजक पुस्तके है | जो पुस्तक पाठक को जितनी गहराई में ले जाती है वह उतनी ही ाहदयकारी होती है यो हलके फुल्के साहित्य का महत्व भी काम नहीं है | ऐसा साहित्य माँ=नुष्य के तनाव को एक बढ़ी सिमा तक कर देता है और उसके मुरझाये मन को खिला देता है 

अच्छी पुस्तके मानव को ज्ञान और मनोरंजन प्रदान करती है | विज्ञानं, वाणिज्य, कला और कानून की पुस्तके मानव के ज्ञान में वृद्धि करती है | इसे पढ़कर मनुष्य अपने भीतर आंतरिक शक्ति का अनुभव करता है | सच्ची बात तो यह है की पुस्तके समरी सच्ची मार्गदर्शक है | वे हमें नए -नए क्षेत्रों और रहस्यों का ज्ञान तो कराती है साथ ही चिंतन और मनन के लिए भी बाध्य करती है पुस्तके मनुष्य की दुविधा को सम्पत कर दृढ संकल्प जगती है गाँधी जी 'गीता' को माँ की संज्ञा देते प्रत्येक कठिन स्थिति में उनका मार्गदर्शन करती थी | पुस्तके ऐसी मार्ग दर्शक है जो न तो दंड देती है और न ही प्रतिदान में कुछ मांगती है लेकिन साथ ही अपना अमृत-तत्व देने में कोई कोताही नहीं बरतती है | 

पुस्तके मनुष्य को सच्चा सुख और विश्रांति प्रदान करती है | पुस्तके -ोरेनि सबसे अधिक सुखी होता है वह जीवन में कभी शून्यता का आभाव नहीं करता | पुस्तकों पर पूरा भरोसा किया जा सकता है | 

विचारो के युद्ध में पुस्तके ही अस्त्र है | पुस्तको में निहित विचार सम्पूर्ण समाज की कायापलट करने में समर्थ है | आज का संसार विचारो का ही संसार है | समाज में जब भी कोई परिवर्तन आता है अथवा क्रांति होती है, उसके मूल में कोई न कोई विचारधारा ही होती है श्रेष्ठ पुस्तके समाज में नवचेतना का संचार करती है और समाज में जनजागृति लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है पुस्तके पढ़ने से मनुष्य का दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है और उसमे उदात्त-भावना आ जाती है | 

पुस्तके ऐसी अमरनिधि है जो पिछली पीढ़ी के अनुभवों को अविकल रूप में अगली पीढ़ी तक पहुंचाती है | इनमे निहित ज्ञान को कोई नष्ट नहीं कर सकता | संक्षेप में पुस्तकों का महत्व अतुलनीय है | 

(a) पुस्तकों को बेजोड़ क्यों मन जाता है ?

(b) इस कथन से लेखक का क्या अभिप्प्राय है की 'मनोरंजन का अर्थ गहन है "

(c) पुस्तके हमारी सच्ची मार्ग दर्शक होती है ?

(d) गाँधी जी 'गीता' को माँ की संज्ञा क्यों देते है ?

(e) पुस्तके समाज को नवचेतना का संचार कैसे कराती है | 

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Q 3. निम्नलिखित अनुछेद का सारांश लगभग एक तिहाई शब्दों में लिखिए | इसका शीर्षक लिखने की आवश्यकता नहीं है | सारांश अपने शब्दों में लिखिए | 

श्रम संसार में सफलता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन है | शर्म करके ही हम अपनी आकांशाओ को पूरा कर सकते है | संसार कर्मक्षेत्र है कर्म करना ही हम सबका धर्म है किसि भी कार्य में हमें सफलता मिल सकती है जब हम परिश्रम करे | 

श्रम ही जीवन को गति प्रदान करता है | यदि हम श्रम की अपेक्षा करते है तो हमारे जीवन की गति रूक जाती है | अकर्मण्यता हमें ऐसे घेर लेती है की घेरे से निकलना कठिन हो जाता है , जबकि परिश्रय व्यक्ति सभी प्रकार की कठिनाइयों में जूझ क्र आगे बढ़ता और चहुमुखी सफकता प्राप्त करता है | वह भगय का सहारा नहीं लेता बल्कि निरंतर पुरुषार्थ करता है | यत्न करने पर भी परिश्रमी व्यक्ति को यदि सफलता नहीं मिलती तो वह निराश हो जाता है | वह यह जानने के सचेष्ट रहता है की कार्य में सफलता क्यों नहीं मिली अर्थात वह अपनी कमीओ को दूर करता है ताकि सफलता उसके कदम चुम सके | 

इस संसार में संसार में हमें पग-पग पर संघर्ष कर अपना मार्ग स्वय बनाना पढ़ता है हम चाहे जितने भी शक्तिशाली हो और साधन सम्पन क्यों न हो यदि हम श्रम करने से बचते है मात्र साधन सम्पन्नता हमें लक्ष्य की और नहीं ले जा सकता संसार में जितने नहीं महापुरुष हुए है उनकी आशातीत सफलता के मूल में श्रम और शक्ति का बढ़ा योगदान रहा है | \

हमारे समाज में बहुत से लोग नियतिवाद या भगयादारी है | ऐसे व्यक्ति समाज की प्रगृति में बाधक है | आज तक किसी भाग्यदारी ने संसार में कोई महँ कार्य नहीं किया | बढ़ी-बढ़ी खोजे आविष्कार एवं निर्माण श्रम के द्वारा ही संभव हो सके है | हमारे साधन और प्रतिभा हमें केवल उतप्रेरित करते है हमारा पथ प्रदर्शन करते है पर लक्ष्य तक हम शर्म के माध्यम से ही पहुंचते है | 

श्रम करने से यश और वैभव दोनों की प्राप्ति होती है | जब हम कर्त्तव्य का पालन करने लिए शर्म करते है तो हमारे मन को एक अदभुत आनंद मिलता है अतः करण का सारा पाप धूल जाता है और संतोष का अनुभव होता है परिक्श्रमी व्यक्ति के लिए कोई भी कर्मकांड महत्वपूर्ण नहीं अपने कर्तव्य पथ पर चलना ही उसकी साधना है | जब कोई किसान अपने खेत पर दिन भर कढ़ी धुप में परिश्रम करता है और सायकाल अपनी झोपड़ी में आनदमग्न हो कर लोक गीत गाता है तो उस समय उसकी स्वर लहरियो में जैसे दिव्य संगीत की सृष्टि होती है | 

शारीरिक श्रम से मनुष्य को संतोष तो मिलता ही है , उसका शरीर भी स्वस्थ होता रहता है | आज कल शारीरक श्रम के आभाव के कारण मनुष्य अनेक व्यधिओ से घिरा हुआ है शारीरिक श्रम प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है | खान न होगा की शारीरिक श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते है यह कहा ही जाता है की स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है वः गंभीर से गए, गंभीर तथ्य भी ग्रहण से कर लेता है विषम परिस्थितिओ में भी घबराता नहीं है बल्कि साहस से उनका मुकाबला करता है | वह हर समस्या का समाधान खोज लेता है मानसिक श्रम के महत्व को समझ कर ही हमारे श्रष्टि में चिंतन में लीन रहते थे और जनहित को लेकर विचारशील रहते थे | 

श्रम का एक विशिष्ट अर्थ भी है ; इस अर्थ में श्रम उत्पादक ही है और अनुउतपपादक भी किसान परिश्रम से खेती करता है यह उत्पादक श्रम की श्रेणी में आएगा खेल खेलने या व्यायाम करने में जो श्रम होता है वह ौउत्पादक श्रम कहा जायेगा | इस श्रम का भी अपना महत्व है | गाँधी जी का कहना था की जब श्रम ही करना है तो उत्पादक श्रम ही क्यों नहीं किया जाये यो गाँधी जी सभी प्रकार के श्रम में आनंद का अनुभव करते है थे | 

जिस देश की जनता परिश्रमी होती है वही देश उन्नति करता है | जापान और जर्मनी ने विश्व युद्ध की विभीषिकाओं को झेलने के बाद भी अपना पुनः निर्माण क्र लिया , इसका कारण वह की जनता का श्रम ही है | 

निष्कर्षतः यह जा सकता है की श्रम ही जीवन का सुख है और सृजन का मूल भी है | 

Q 4. निम्नलिखित गद्यांश का अंग्रेजी अनुवाद कीजिये :

सुप्रसिद्ध स्वंतरता सेनानी राजर्षि परुषोत्तमदास टंडन ने सं 1919 में नगर पालिका के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला | यह उनके लिए कठिन परीक्षा थी क्योकि वे म्युनिसिपल बोर्ड के चैयरमेन तो थे लेकिन अंग्रेजो का इतना रॉब और दबदबा था की सामान भारतीय के लिए उनके बिच काम करना कठिन था | कार्यभार सम्भलते ही टंडन जी ने देखा की फौजी छावनी वाले पानी का इस्तेमाल तो करते है लेकिन कर नहीं देते है | उन्होंने फौजी छावनी के अधिकार को यह नोटिस भेजा की यदि एकमाह के भीतर कर नहीं जमा किया तो उन्हें पानी देना बंद कर दिया जायेगा | 

इस नोटिस से फौजी छावनी में, पुरे शहर में एवं नगरपालिका के कार्यालय में तहलका मच गया | स्थनीय अखबारों ने भी टंडन जी के उपयुक्त आदेश को प्रमुखता से छापा | छावनी के पानी का कनेक्शन काटने के अंतिम दिन कई फौजी अधिकारी म्युन्सिपल बोर्ड के दफ्तर में पहुंचे और उनमे से वरिष्ठ अधिकारी ने टंडन जी से खा की आप छावनी का पानी बंद नहीं कर सकते | टंडन जी ने शांत भाव से कहा की यदि आअज कर जमा नहीं किया गया तो कल पानी का कनेक्शन काट दिया जायेगा | 

अधिकारी क्रोध में चीखा -चिल्लाया लेकिन टंडन जी अविचिलित रहे | अन्ततः सभोई फौजी अधिकारी वह से चले गए | दफ्तर में संसानोई फ़ैल गयी | टंडन जी की धीरता और दृढ़ता देखकर सब लोग विस्मित थे | 

दूसरे दिन छावनी के अधिकारियो ने कर जमा कर दिया | 

निम्नलिखित गद्यांश का हिंदी में अनुवाद कीजिये :

       in ancient times in most civilized countries for example, in Egypt , Iraq, India, china and roman empire, many great irrigation works were constructed. In very hot countries water is even carried in underground channel to prevent it from being evaporated by the sun's heat. In modern times, great dams have been built across rivers and these are used for more than one purpose, hence the are called multipurpose undertaking, firstly, such dam helps to prevent floods, by controlling the amount of eater which rushes down river in the rainy season .This also prevent an enormous amount of damage and loss to farmers. Secondly, by storing up great quantities of water in the artificial lakes behind the dams, irrigation can be provided for many acres for land in the dry season , so that crops can be grown where non would have grown before. Thirdly the people in the towns and cities in the neighborhood can be certain of getting a sufficient supply of water drinking and the other purpose, even in the driest weather. Fourthly the water stored up behind the dams is made to generate electric power by letting it run through turbines.

Q 6. (a) निंम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिये :

    (1) चाँद पर थूकना 

    (2) हथेली पर सरसो उगना 

    (3) चेहरे पर हवाइंया उड़ाना 

    (4) अपना उल्लू सीधा करना 

    (5) गढ़े मुर्दे उखाड़ना 

(b) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए :

    (1 ) उन्होंने हाथ जोड़ा | 

    (2) शेर को देखकर उसके प्राण सुख गया | 

    (3) कृपया आज का अवकाश देने की कृपा करे | 

    (4) कुछ प्रकाशक लेखकों को निराशा देते है | 

    (5) नीता खाता है | 

(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो प्रायवाची लिखिए:

    (1) पुष्प 

    (2) पृथ्वी 

    (3) कामदेव 

    (4) चन्द्रमा 

    (5) नदी 

(d) निम्नलिखित युग्मो को इस तरह से वाक्य में प्रस्तुत कीजिये की उनका अर्थ एवं अंतर स्पष्ट हो जाये : 

     (1) लक्ष्य - लक्ष 

     (2) स्वेद - श्वेत 

     (3) सुधि - सुधी 

     (4) भवन - भुवन 

     (5) परिताप - प्रताप

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