(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा विधि Paper-2 - 2019
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2019 विधि (Paper-2)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए। विधिक प्रावधानों व न्यायिक निर्णयों की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए :
(a) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत आपराधिक मनःस्थिति के बिना भी कतिपय कृत्य अपराध हैं। ऐसे अपराधों को गिनाइए।
(b) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अन्तर्गत प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार केवल निर्दोष व्यक्ति को ही प्राप्त है। यह प्रतिकार का अधिकार नहीं है। विश्लेषण कीजिए।
(c) "मेरे द्वारा मेरी इच्छा के विरुद्ध किया गया कार्य, मेरा कार्य नहीं है।" भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के विधिक उपबन्धों के प्रकाश में परीक्षण कीजिए।
(d) "अपकृत्य की विधि में 'कबूतरखाने के सिद्धान्त' की अब कोई न्यायोचितता नहीं है।" समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(e) “ई-वाणिज्य ने भारत में उपभोक्ता संरक्षण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
2. (a) “वादी की सम्पत्ति में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप, वादी के द्वारा उस सम्पत्ति का आनंद उठाने में व्यक्तिगत बेआरामी उत्पन्न कर सकता है।" विनिश्चित मामलों की सहायता से इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिएं।
(b) "भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 498A की आत्मा को हाल ही के न्यायालयों के न्यायिक निर्णयों ने परिवर्तित कर दिया है।" न्यायिक निर्णयों की सहायता से इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(c) “प्रत्येक आपराधिक मानव-वध और हत्या आवश्यक रूप से उपहति है, लेकिन प्रत्येक उपहति आवश्यक रूप से आपराधिक मानव-वध और हत्या नहीं है।" समझाइए।
3. (a) A के द्वारा B के बॉक्स को तोड़कर कुछ जवाहरात की चोरी करने का प्रयत्न किया जाता है, किन्तु बॉक्स को खोलकर वह पाता है कि उसमें जवाहरात नहीं है, लेकिन A उसी समय 100 का नोट बॉक्स में रख देता है, जिसको A ने C से चुराया था। निर्णय कीजिए कि A ने कौन-सा/से अपराध किया है/किए हैं।
(b) अनुसूचित जातियाँ और अनुसूचित जनजातियाँ (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की मूल आत्मा को, जिसे न्यायपालिका ने काशीनाथ महाजन के वाद में तनुकरण कर दिया था, हाल ही में विधायिका ने पुनर्स्थापित कर दिया है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) "जब वादी को नुकसान पहुँचाने वाली घटनाएँ एक ही समय की न होकर एक के बाद एक हों, तब कारणता का अभिनिश्चय एक समस्या होती है।" अपकृत्य की विधि के अन्तर्गत निर्णीत वादों की सहायता से व्याख्या कीजिए।
4. (a) “एक स्वर्णकार द्वारा महिला के कान में बाली पहनाने में इतनी सावधानी की आवश्यकता नहीं है, जितनी कि चिकित्सक द्वारा महिला के कान की शल्यचिकित्सा में आवश्यक है।" अपकृत्य की विधि के अन्तर्गत सावधानी की कोटि सम्बन्धी विधि की व्याख्या कीजिए।
(b) 'मिथ्या कारावास' के अपकृत्य घटित होने में केवल भौतिक सीमाएँ ही अत्यावश्यक नहीं हैं, अपितु इस सन्दर्भ में मनोवैज्ञानिक सीमाएँ भी काफी होती हैं। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) "किसी महिला के विरुद्ध बोले गए शब्दों के द्वारा निर्लज्जता का लांछन लगाना विशेष नुकसानी के प्रमाण के बिना एक अनुयोज्य दोष है।" अपकृत्य की विधि के अन्तर्गत परीक्षण कीजिए।
खण्ड-'B'
5. निम्नलिखित प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए। उपयुक्त विधिक उपबन्धों व निर्णीत वादों की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए :
(a) “संविदाओं की विधि करारों की सम्पूर्ण विधि नहीं है, और न ही यह दायित्वों की सम्पूर्ण विधि है, परन्तु यह दोनों के अधिकारों व दायित्वों से भी सम्बन्धित है।" विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
(b) "भागीदारी का विघटन, भागीदारी फर्म का विघटन होता है, परन्तु भागीदारी फर्म का विघटन, भागीदारी का विघटन नहीं होता है।" विधिक प्रावधानों और वादों की सहायता से विशदीकरण कीजिए।
(c) “लोकहित मुकदमेबाज़ी सभी बुराइयों की दवा नहीं है, यह न्यायालयों का वरदान है। फिर भी इसके दुरुपयोग को रोकना भी न्यायालय का कर्तव्य है।" विशदीकरण कीजिए।
(d) “अभिकरण (एजेंसी) की संविदा, सामान्य संविदा की भाँति प्रतिसंहरणीय है, परन्तु कभी-कभी इसका निराकरण करना असंभव होता है।" निर्णीत वादों व सुसंगत प्रावधानों की सहायता से विश्लेषण कीजिए।
(e) “नागरिकों के लिए सूचना के अधिकार की व्यावहारिक व्यवस्था भारत में सुशासन की कुंजी है, परन्तु इसकी मूल भावना के अनुरूप इसे लागू नहीं किया जा रहा है।" अंजली भारद्वाज बनाम भारत संघ, फरवरी 2019 में भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के प्रकाश में इसका परीक्षण कीजिए।
6. (a) “संविदा के उन्मोचन में संविदा का भंग शामिल होता है, किन्तु संविदा के भंग में आवश्यक रूप से संविदा का उन्मोचन शामिल नहीं होता।" उपयुक्त दृष्टांतों के साथ इस कथन का परीक्षण कीजिए।
(b) "राष्ट्रीय हरित अधिकरण, जिसकी स्थापना पर्यावरण की सुरक्षा और वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सम्बन्धित मामलों को त्वरित व प्रभावशाली ढंग से निस्तारण करने के लिए की गई थी, ने इस बारे में एक अहम भूमिका हाल ही में अदा की है।" इस कथन का राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा सुनाए गए निर्णयों के सन्दर्भ में परीक्षण कीजिए।
(c) साइबर विधि के अन्तर्गत अधिकारिता को अभिनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के सुसंगत विधिक उपबन्धों की, भारतीय न्यायालयों द्वारा अनुप्रयुक्त विभिन्न परीक्षणों के साथ, व्याख्या कीजिए।
7. (a) “अनुचित संपन्नता वृद्धि का सिद्धान्त अप्रत्यक्षतः संविदा विधि में भी विद्यमान है।" इसके विभिन्न आयामों की व्याख्या कीजिए।
(b) “जरूरतमन्द व्यक्तियों को न्याय प्रदान करने में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 में उपबन्धित वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।" विधिक प्रावधानों व वाद विधि की सहायता से व्याख्या कीजिए।
(c) “विक्रय की संविदा के पक्षकार सम्पत्ति के हस्तांतरण से सम्बन्धित जोखिम को घटा या बढ़ा सकते हैं।' माल विक्रय की विधि के अन्तर्गत इसके विभिन्न आयामों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
8. (a) “वर्तमान समय में ज्ञान की पहुँच के अधिकार तथा कॉपीराइट विधि के बीच एक टकराव विद्यमान है।" कॉपीराइट विधि के अन्तर्गत, उचित व्यवहार के सिद्धान्त के प्रकाश में, इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
(b) "माध्यस्थम् के रूप में अन्तिमता के साथ सन्निकट न्याय, न्यायालयों में न्याय प्रशासन के बुनियादी सिद्धान्त के विरुद्ध है।" भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के अद्यतन विकासों के प्रकाश में इस कथन का परीक्षण कीजिए।
(c) “प्रतिस्पर्धा नीति और विधि का बुनियादी प्रयोजन किसी अर्थव्यवस्था में संसाधनों के दक्ष नियतन को सुनिश्चित करने के एक साधन के रूप में, प्रतिस्पर्धा को बनाए रखना और उसकी प्रोन्नति करना है।' भारत में नव आर्थिक परिदृश्य के प्रकाश में इस कथन को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
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