(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा विधि Paper-1 - 2020
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2020 विधि (Paper-1)
खण्ड ‘A’
Q1. निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(a) उद्देशिका में वर्णित उद्देश्य संविधान के उस मूलभूत ढाँचे को समाहित करते हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संशोधित नहीं किया जा सकता । अग्रणी निर्णित वादों के आलोक में इस कथन का विश्लेषण कीजिए ।
(b) न्यायिक पुनर्विलोकन एवं न्यायिक शक्ति के बीच विभेद कीजिए । संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत उद्भूत वादों के संदर्भ में न्यायिक पुनर्विलोकन की परिधि की व्याख्या कीजिए।
(c) भारत के संविधान के अंतर्गत सर्वोपरि अधिकार के सिद्धांत की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिए । निर्णयज विधि की सहायता से इस सिद्धांत की सीमाओं की व्याख्या कीजिए ।
(d) भारतीय संविधान में उल्लिखित मूलभूत कर्तव्यों को सूचीबद्ध कीजिए । संवैधानिक (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 के द्वारा मूलभूत कर्तव्यों को भारतीय संविधान में समाहित किए जाने का तर्काधार क्या है ?
(e) प्रत्यायोजित विधान के न्यायिक नियंत्रण के विभिन्न प्रकार क्या हैं ?
Q2. (a) (i) लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अंतर्गत लोकपाल एवं लोकायुक्त की शक्तियों एवं कार्यों की विवेचना कीजिए । आपके विचार में लोकपाल कार्यालय अन्य भ्रष्टाचार-विरोधी तंत्रों से बेहतर कैसे है ?
(ii) राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्तियों की व्याख्या कीजिए । परीक्षण कीजिए कि ऐसी शक्तियों पर न्यायिक पुनर्विलोकन का कहाँ तक प्रयोग किया जा सकता है ।
(b) "नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत लागू होंगे या नहीं, यह निर्धारण करने के लिए अर्ध-न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्यों के बीच का विभेद अब एक अनन्य मानदंड नहीं रहा ।” इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) उदाहरणों की सहायता से सहयोगात्मक संघवाद एवं प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद की विवेचना एवं विभेद कीजिए।
3. (a) भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 एवं 16 के अंतर्गत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों को प्रदत्त संरक्षात्मक विभेद का परीक्षण कीजिए। निर्णित वादों की सहायता से व्याख्या कीजिए ।
3. (b) “संघ एवं राज्य के बीच बेहतर सम्बन्धों हेतु भारतीय संविधान का एक संशोधन अभी बाकी है ।” इस कथन पर टिप्पणी कीजिए एवं इससे सम्बन्धित संविधान के विनिर्दिष्ट उपबंधों में संशोधन की यदि कोई आवश्यकता हो, तो अपनी अनुशंसाओं को सिद्ध कीजिए । (c) “राज्यपाल का कार्यालय सुई जनरेस (sui generis) है । राज्यपाल हमारे तंत्र के अंतर्गत अपने सभी दायित्वों के विस्तार में संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य नहीं करते । यद्यपि सीमित एवं संवैधानिक सीमाओं के अधीनस्थ, एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें वे अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करते हैं ।” सरकारिया आयोग की रिपोर्ट के आलोक में इस कथन का परीक्षण कीजिए।
Q4. (a) (i) क्या स्थानीय निकाय आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने में स्वायत्तता का उपयोग करते हैं ? संबद्ध संवैधानिक प्रावधानों के आलोक में व्याख्या कीजिए।
(ii) संघ लोक सेवा आयोग की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
(b) “विधायिका द्वारा किए जाने वाले उच्च एवं बहुआयामी कार्यों के संपादन हेतु संसदीय विशेषाधिकार अत्यंत आवश्यक है ।” विवेचना कीजिए । वर्तमान प्रस्थिति में आप क्या सुधार सुझाना चाहेंगे ?
(c) “यद्यपि भारत में विधि निश्चित तौर पर महत्त्वपूर्ण है, यह न्याय के मूल्य पर नहीं हो सकती भारत में “उपचारात्मक रिट याचिका” के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए । प्रासंगिक निर्णयज विधि का उल्लेख कीजिए ।
'खण्ड -B'
Q5. निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(a) एक अंतर्राष्ट्रीय संधि को पूरा करने एवं उसे प्रवर्तन में लाने तक कौन-से विभिन्न चरण होते
(b) विश्व व्यापार संगठन का एक सदस्य देश "X" उत्पाद “A” पर 7 प्रतिशत प्रशुल्क कम करने के लिए गैर-सदस्य देश “Y" के साथ सहमत होता है । क्या विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश "X" से “A” के सदृश उत्पाद पर उसी समान प्रशुल्क की माँग कर सकते हैं ? विवाद निपटान निकायों ने गैट (GATT) के अनुच्छेद 1-1 में “सदृश उत्पाद” को किस प्रकार परिभाषित किया है ?
(c) संयुक्त राष्ट्र को प्रशासित करने वाले उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की विवेचना कीजिए । संयुक्त राष्ट्र प्रणाली हेतु कौन-से सुधार, यदि कोई हों, आप सुझाएँगे ?
(d) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय विवादास्पद अधिकारिता के कौन-से मानदंड हैं ?
(e) मानव अधिकार संधियों के विशेष संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय विधि में मानव की प्रस्थिति की विवेचना कीजिए।
Q6. (a) संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प 67/19 द्वारा फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में गैर-सदस्यी प्रेक्षक राज्य का दर्जा दिए जाने का निर्णय करती है । फ़िलिस्तीन के राज्य का दर्जा निर्धारण करने में इस संकल्प के महत्त्व की व्याख्या कीजिए । मान्यता के विभिन्न सिद्धांतों के आलोक में अपने तर्कों का विश्लेषण कीजिए।
(b) “प्रत्यर्पण जहाँ प्रारम्भ होता है वहीं शरण समाप्त हो जाती है ।" टिप्पणी कीजिए । प्रादेशिक शरण एवं प्रादेशिकेतर शरण में विभेद कीजिए ।
(c) क्या आप इस मत से सहमत हैं कि अंतर्राष्ट्रीय विधि केवल एक सकारात्मक नैतिकता है ? अंतर्राष्ट्रीय विधि की प्रकृति एवं परिधि की विवेचना कीजिए।
Q7. (a) (i) राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय विधि का पालन करने संबंधी राज्य द्वारा अपनाई जाने वाली प्रथाओं की व्याख्या कीजिए।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान हेतु मध्यस्थता की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
(b) भूभागीय समुद्र एवं संलग्न क्षेत्र में तटीय राज्यों तथा अन्य राज्यों के अधिकारों तथा कर्तव्यों की विवेचना कीजिए।
(c) गैट (GATT) एवं विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अंतर्गत क्षेपण-रोधी प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या कीजिए । “क्षेपण-रोधी” एवं “वस्तु क्षति" के निर्धारण हेतु क्या पद्धतियाँ बताई गई
Q8. (a) अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (IAC) एवं गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (NIAC) से क्रमश: संबंधित विधिक शासन-प्रणालियों की समझ व परिधि क्या हैं, एवं इन दोनों शासन-प्रणालियों के प्रवर्तन के मूलाधार क्या हैं ? अंतर्राष्ट्रीय मानवीय विधि का अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी संकट पर पड़ने वाले प्रभाव को उदाहरित कीजिए।
(b) अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय विधि के मुख्य स्रोतों का मूल्यांकन कीजिए । “मृदु विधि” एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय विधि के मूल-तत्त्वों के उद्भव की विशेषत: व्याख्या और विवेचना कीजिए तथा यह बताइए कि अंतर्राष्ट्रीय विधि के इस क्षेत्र के विकास को इसने कैसे प्रभावित किया है।
(c) निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए :
(i) अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद
(ii) हस्तक्षेप के आधार
(iii) परमाणु अप्रसार संधि
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