(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा विधि Paper-2 - 2020
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2020 विधि (Paper-2)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए। अपने उत्तर के समर्थन में प्रासंगिक कानूनी प्रावधान और न्यायिक घोषणाएँ दीजिए :
(a) यदि एक व्यक्ति, जिसने स्वैच्छिक तौर पर शराब का नशा किया है, इस तरह के नशे के प्रभाव के तहत एक अपराध करता है, क्या वह 'स्वैच्छिक नशे' से बचाव हेतु अभिवचन कर सकता है? आइ० पी० सी० के प्रासंगिक प्रावधानों के प्रकाश में विवेचना कीजिए।
(b) यदि एक स्त्री दूसरी स्त्री को गुप्त कृत्य में संलग्न देखती अथवा उसकी छवि खींचती है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जब दूसरी स्त्री यह अपेक्षा रखती है कि दूसरा अन्य व्यक्ति उसे नहीं देख रहा है, क्या यह भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत 'दृश्यरतिकता' का अपराध होगा? विवेचना कीजिए।
(c) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत क्या यह अनिवार्य है कि सरकारी कर्मचारी को अपराध के लिए दंडित करने हेतु पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी? उच्चतम न्यायालय के निर्णयों और प्रासंगिक प्रावधानों के प्रकाश में विवेचन कीजिए।
(d) " 'लोक उपद्रव' किसी व्यक्ति के लिए सिविल वाद हेतुक का कारण नहीं बनता है।" टिप्पणी कीजिए।
(e) “प्रतिनिधिक दायित्व के सामान्य मामले अपने रोजगार के दौरान सेवक द्वारा अपने वाहन चलाने से संबंधित होते हैं।" विनिश्चित मामलों के प्रकाश में व्याख्या कीजिए।
2. (a) भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के अंतर्गत 'हत्या' की परिभाषा बहुत विस्तृत है। इसमें न केवल 'साशय' और 'अनभिप्रेत' मृत्यु के कारण सम्मिलित हैं बल्कि वे मामले भी हैं जहाँ मृत्यु की ‘पूर्वकल्पना' भी नहीं की गयी है। व्याख्या कीजिए।
(b) “ 'क्षति मापदण्ड' अभिव्यक्ति का अर्थ वह पैमाना अथवा निर्देश द्वारा नियम है जिसके अनुसार नुकसानों का परिमाण अभिलेखित और निर्धारित किया जाना चाहिए।" उपरोक्त कथन के प्रकाश में अपकृत्य सुधार के रूप में नुकसानों की परिवर्ती रूपरेखाओं का परीक्षण कीजिए।
(c) यद्यपि भारतीय दंड संहिता की दोनों धाराएँ 34 और 149 आन्वयिक आपराधिक दायित्व को लागू करती हैं फिर भी दोनों के बीच भेद के पर्याप्त संकेतक हैं। वे क्या हैं?
3. (a) भारत में यद्यपि अभी तक ‘मृत्युदंड' का उन्मूलन नहीं हुआ है लेकिन नवीन प्रवृत्तियों ने दिखाया है कि उच्चतम न्यायालय ने, अपीलों में, इसको रूपांतरित करने की प्रवृत्ति दिखाई है और मुजरिमों को आजीवन कारावास की सजा देते हुए आगे निर्देश दिए हैं कि मुजरिमों को जेल से रिहा न किया जाए जब तक कि वे वास्तव में प्रायः 20, 25 अथवा 30 वर्षों तक की विशेष अवधि तक कारागार में व्यतीत न कर लें। क्या आप सोचते हैं कि न्यायालय द्वारा इस प्रकार के निर्देश जारी करना न्यायसंगत है? टिप्पणी कीजिए।
(b) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए और बताइए कि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 से कैसे भिन्न है।
(c) " 'विशेषाधिकार' का अर्थ है कि एक व्यक्ति मामले के तथ्यों से इस प्रकार जुड़ा है कि वह कहने अथवा लिखने में न्यायसंगत है जो किसी दूसरे के लिए 'निंदात्मक' अथवा 'अपमानजनक' होगा।" अग्र निर्णय विधि द्वारा इस कथन की व्याख्या कीजिए।
4. (a) जब तक 'चोरी' अथवा 'उद्दापन' के संघटक उपस्थित नहीं हैं, तब तक ना ही 'लूट' ना ही ‘डकैती' का अपराध बनाया जा सकता है। व्याख्या कीजिए।
(b) 'एक्टस रीयस' और 'मेन्स रीआ' दोनों की ही साथ उपस्थिति का साक्ष्य पर्याप्त नहीं है बल्कि आपराधिक दायित्व अधिरोपित करने के लिए दोनों के बीच समधिकार स्थापित करने की भी आवश्यकता होती है। निर्णयज विधि के प्रकाश में विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
(c) “अपने सेवक द्वारा किए गए अपकृत्य के लिए क्राउन उत्तरदायी नहीं था' का नियम भारत में कभी लागू नहीं किया गया। निर्णीत मामलों के प्रकाश में इस कथन का परीक्षण कीजिए।
' खण्ड-B '
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए। प्रासंगिक विधिक उपबन्धों व निर्णीत मामलों की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए :
(a) “एक सामान्य कागज संविदा की भाँति ही एक इलेक्ट्रॉनिक संविदा भी मुख्यतः भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के कोडीकृत प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होती है जो सामान्यतया सभी संविदाओं पर लागू होते हैं।" इलेक्ट्रॉनिक संविदा के समापन से संबंधित विधिक प्रावधानों के प्रकाश में इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(b) जैव विविधता संबंधी विवादों के न्याय-निर्णयन और राष्ट्रीय हरित अधिकरण की अधिकारिता के विशेष संदर्भ में जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत दिए गए प्रवेश और लाभ बाँटना (ए०बी०एस०) विधि का विवेचन कीजिए।
(c) “भारत के उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 देशांतरगामी महामारी से संबंधित लोकहित मुकदमों में सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप न करने की न्यायिक नीति अपनायी है।" निर्णीत मामलों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
(d) “एक प्रतिभू दायित्व से उन्मोचित कहलाती है जब उसका दायित्व समाप्त हो जाता है।" भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के अंतर्गत प्रासंगिक विधिक प्रावधान द्वारा इस कथन पर प्रकाश डालिए।
(e) एनसन के अनुसार, “बीमा की संविदा वेजरिन्ग समझौते से एक विशेष पृष्ठीय सादृश्य रखती है, लेकिन वे वास्तव में भिन्न प्रकृति के लेनदेन हैं"। विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
6. (a) “पेटेंट की अनुमति का तात्पर्य है कि पेटेंटी दूसरों को आविष्कार का उपयोग करने से वर्जित करने का अधिकार रखता है।" पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रासंगिक प्रावधानों और अग्र निर्णयों के साथ उपरोक्त कथन के आशय की जाँच कीजिए।
(b) “कोई भी न्यायालय ऐसे पुरुष को अपनी सहायता नहीं देगा जहाँ उसकी कार्यवाही का कारण अनैतिक अथवा अवैध कार्य है।" क्या उपरोक्त नियम के कोई अपवाद भी हैं? व्याख्या कीजिए।
(c) “माध्यस्थम् पंचाट के विरुद्ध इसके गुणागुण के कारण पक्षकार अपील नहीं कर सकते और न्यायालय इसके गुणागुण में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।" क्रांतिक रूप से इस कथन की जाँच कीजिए और साथ ही माध्यस्थम् और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 की विशिष्टताओं की भी व्याख्या कीजिए।
7. (a) “परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 का उद्देश्य बैंक प्रचालनों की दक्षता को प्रोत्साहित करना और चेकों द्वारा कारबारी संव्यवहार में प्रत्येयता को सुनिश्चित करना है।" नवीन संशोधनों के साथ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(b) “विधि न्यायसंगत पारिश्रमिक के अधिकार के संरक्षण के लिए बनी है लेकिन जीवन अर्थ से परे है।" उपरोक्त कथन के प्रकाश में प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 और इस मुद्दे पर निर्णयज विधि के अंतर्गत आर्थिक अधिकारों और नैतिक अधिकारों के द्विविभाजन का विस्तारपूर्वक निरूपण कीजिए।
(c) निर्णीत मामलों के प्रकाश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत जीवन को संकट में डालने, आपराधिक मुकदमा और आपराधिक जाँच संबंधी सूचना के प्रकटीकरण से छूट के औचित्य की विवेचना कीजिए।
8. (a) “समय के अंतराल में, न्यायालयों ने कई अपवाद सन्निविष्ट किए हैं जिनमें संविदात्मक संबंध का नियम एक व्यक्ति को संविदा प्रवर्तित करने से नहीं रोकता है जो उसके लाभ के लिए बनाया गया है, पर वह इसका पक्षकार नहीं है।" अग्र निर्णय विधि की सहायता से इस कथन की व्याख्या कीजिए।
8. (b) "बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रतिस्पर्धा विधि सामान्यतया आगे-पीछे कार्य करते हैं लेकिन प्रायः असहमति में मित्र बन जाते हैं।" टी० आर० आइ० पी० एस० समझौता, 1995 के आदेश और प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के अंतर्गत इसके अनुपालन का संदर्भ देते हुए उपरोक्त कथन को विस्तार से समझाइए।
8. (c) "पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 एक छतरी विधान है, जो न केवल पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए है बल्कि प्रदूषण को रोकता और नियंत्रित करता है।" टिप्पणी और विश्लेषण कीजिए।
Click Here to Download PDF
DOWNLOAD UPSC MAINS HISTORY 11 YEARS SOLVED PAPERS PDF
NEW! UPSC, IAS परीक्षा संपूर्ण अध्ययन सामग्री (प्रारंभिक, मुख्य, साक्षात्कार COMBO) - Hindi Medium