(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा राजनीति विज्ञान Paper-1- 2021
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2021 राजनीति विज्ञान (Paper-1)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित में से प्रत्येक पा लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी कीजिए : 10x5=50
(a) राज्य की नारीवादी आलोचना
(b) स्वीकारात्मक कार्यवाही
(c) राजनीतिक विचार के रूप में परिणाम की समानता
(d) राज्य की वैधता के उपकरण
(e) महिला मताधिकार पर जे० एस० मिल के विचार
2.(a) रॉल्स ने उदारवाद में न्याय के विचार को कैसे समृद्ध किया है? 20
(b) राजनीतिक सिद्धान्त में व्यवहारवादी उपागम के महत्त्व का परीक्षण कीजिए। इसका पतन कैसे हुआ? 15
(c) क्या मानव अधिकारों की सार्वभौमिक अवधारणा हो सकती है? अपने तर्क दीजिए। 15
3.(a) राजनीति के अरस्तूवादी दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिए। आपके विचार में इसने आधुनिक संवैधानिक लोकतंत्रों के विकास में किस सीमा तक योगदान दिया है? 20
(b) "जब एक राष्ट्र कला और शिक्षा विहीन हो जाता है, तब वह निर्धनता को आमन्त्रित करता है।" (सर सैयद अहमद खान)। इस कथन के संदर्भ में एक आधुनिक भारत के सुधारक के रूप में सर सैयद अहमद ख़ान की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। 15
(c) “राजनीतिक विचारधारा मुख्यतः सत्ता के आबंटन और उपयोग से सम्बन्धित है। टिप्पणा कीजिए। 15
4.(a) क्या आपके विचार में बौद्ध परपराओं ने प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन को अधिक नैतिक आधा है? अपने तर्क दीजिए। 20
(b) मार्म के 'अलगाव' की अवधारणा पूँजीवाद की वास्तविकता का एक अनिवार्य भाग है। व्याख्या कीजिए। 15
(c) "स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विमर्श लोकतंत्र की नींव की कुंजी है।" व्याख्या कीजिए। 15
खण्ड 'B'
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए : 10x5=50
(a) “भारत का संविधान एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है, जो संवैधानिक पूर्ववृत्तों से समृद्ध है।" टिप्पणी कीजिए।
(b) “संविधान निर्माताओं को भारत में अद्वितीय सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता के समक्ष एकसमान राष्ट्रीय अस्मिता को स्थापित करने का असाधारण कार्य करना पड़ा।” टिप्पणी कीजिए।
(c) भारतीय संविधान को परिभाषित करने वाले मूल सिद्धान्तों को उल्लिखित कीजिए। '
(d) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रकृति के मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य की विवेचना कीजिए
(e) प्रथम संवैधानिक संशोधन के महत्त्व को रेखांकित कीजिए।
6.(a) "राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों के साथ मौलिक अधिकारों के संवैधानिक रूप से सामंजस्य स्थापित करने के लिए संविधान में निरंतर संशोधन और न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी।" टिप्पणी कीजिए। 20
(b) अल्पमत सरकार और गठबंधन सरकार के समय भारत के राष्ट्रपति की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण व्याख्या कीजिए। 15
(c) क्या आपके विचार में महत्त्वपूर्ण सीमाओं के पश्चात् भी पंचायती राज संस्थाओं ने लोकतांत्रिक विकेद्राक प्रक्रिया को सुदृढ़ किया है? अपने मत प्रकट कीजिए। 15
7.(a) "भारतीय दलीय व्यवस्था, देश की संघीय संरचना, चनाव प्रणाली एवं सामाजिक विभेदों की जटिल अंतःक्रिया से निरूपित होती है।" विवेचना कीजिए। 20
(b) क्या आपके विचार में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जिस आधार पर नए राज्यों के निर्माण की मांग उठाई गई है, उसमें आनुक्रमिक परिवर्तन हुआ है? व्याख्या कीजिए। 15
(c) आर्थिक सुधारों की पहल से, विकास दर में गतिवृद्धि होने के पश्चात् भी, भारत के सामाजिक विकास परिणामों में आया आंशिक सुधार क्या प्रतिपादित करता है? 15
8.(a) "चनावी लोकतंत्र की सफलता का श्रेय आंशिक रूप से भारत के चुनाव आयोग की स्थिति और भमिका को दिया जा सकता है।" व्याख्या कीजिए। 20
(b) एक संवैधानिकन्यायालय के रूप में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता के विकास का परीक्षण कीजिए 15
(b) व्याख्या कीजिए कि भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में कैसे एक सामाजिक कोटि के रूप में जाति भी एक राजनैतिक कोटि में परिवर्तित हो रही है। 15
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