(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा विधि Paper-2 - 2016
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2016 विधि (Paper-2)
खण्ड ‘A’
Q1. निम्नलिखित प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए । विधिक प्रावधानों व न्यायिक निर्णयों की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए।
(a) “आपराधिक दायित्व की मात्रा के निर्धारण में विधि अपराधी के हेतु, पैमाने व चरित्र पर विचार करती है।” कानूनी अपराधों में आपराधिक मन:स्थिति की अनुपस्थिति के प्रकाश में इस कथन का परीक्षण कीजिए।
(b) "भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988, लोक सेवकों को अपनी आधिकारिक क्षमता के दुरुपयोग एवं दुष्प्रयोग करने से रोकता है ।” टिप्पणी कीजिए ।
(c) “अभी हाल में त्रुटिहीन दायित्व के नियम में भारी परिवर्तन आया है ।” टिप्पणी कीजिए ।
(d) “वादी के केवल दोषमुक्त हो जाने से, दुर्भाव (द्वेष) अनुमानित नहीं हो सकता । दोषमुक्ति के अलावा, वादी को यह सिद्ध करना आवश्यक होता है कि उसका अभियोजन द्वेषपूर्वक व बिना यथोचित व सम्भावित कारण के हुआ था ।” टिप्पणी कीजिए ।
(e) अभिवचन सौदे (प्ली बार्गेन) के विशेष सन्दर्भ में, दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2005 का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
Q2. (a) “राजद्रोह से सम्बन्धित भा.दं.सं. की धारा 124A, जहाँ तक सरकार के विरुद्ध केवल दुर्भावनाओं को दण्डित करती है, संविधान के अधिकारातीत है । यह अनुच्छेद 19(1)(a) द्वारा प्रदत्त वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य पर अनुचित पाबन्दी है तथा संविधान के अनुच्छेद 19(2) में व्यक्त “लोक व्यवस्था के हित में” में आरक्षित नहीं है।” टिप्पणी कीजिए ।
(b) “आपराधिक मानव वध, यदि बिना पूर्वयोजन के, आवेश में आकर अचानक झगड़े में कारित हो, तो वह हत्या नहीं है ।” अग्र निर्णयज विधि के साथ इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) “कोई व्यक्ति समुचित सावधानी व देखभाल से विधिवत तरीके व विधिवत साधन से किए गए विधिपूर्ण कार्य के अज्ञात व अनायास (अनपेक्षित) परिणामों के लिए आपराधिक रूप से ज़िम्मेवार नहीं होता है ।” स्पष्ट कीजिए।
Q3. (a) “स्वेच्छा से सहन की गई हानि, न तो वैधिक क्षति होती है और न ही वादयोग्य ।" इसकी परिसीमाओं सहित व्याख्या कीजिए।
(b) “परंतु फिर भी, असावधानी का सीधा साक्ष्य सदैव आवश्यक नहीं होता है व वाद की परिस्थितियों से उसे अनुमानित किया जा सकता है ।” निर्णयों के साथ सविस्तार स्पष्ट कीजिए।
(c) “वादी को जानने वाले लोगों के द्वारा यदि कथन को उससे सम्बन्धित समझा जाएगा, तो यह निरर्थक है कि प्रतिवादी मानहानिकारक कथन को वादी पर लागू करने का आशय रखता था या उस वादी के अस्तित्व से अवगत था ।” निर्णयज विधि से स्पष्ट कीजिए ।
Q4. (a) "उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधान तत्कालीन प्रवर्तित किसी अन्य विधि के प्रावधानों के अतिरिक्त होंगे न कि उसके अल्पीकरण में होंगे ।" इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए ।
(b) “षड्यंत्र को अपराध बनाने वाली विधि का उद्देश्य रिष्टि करने की असंयत शक्ति पर रोक लगाना है, जो साधनों के संयोजन से प्राप्त हो जाती है ।" व्याख्या कीजिए।
(c) “व्यक्ति का हरेक परिरोध एक कारावास होता है, चाहे वह सार्वजनिक कारागार में हो या निजी घर में हो, स्टाक में हो, या लोक मार्गों में जबरन बन्दीकरण के द्वारा हो ।” निर्णयज विधि की सहायता से इस बात को स्पष्ट कीजिए।
खण्ड "B"
Q5. निम्नलिखित प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए । उपयुक्त विधिक उपबन्धों और न्यायिक निर्णयों की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए।
(a) “स्वीकृति के लिए प्रस्ताव वही है जो माचिस की जलती तिल्ली, गनपाउडर की ट्रेन के लिए है । यह वह उत्पन्न करती है जिसे न वापस किया जा सकता और न निरस्त किया जा सकता"- एन्सन । समझाइए ।
(b) “हर संविदा में एक “मूल' या 'मौलिक दायित्व होता है, जिसका पालन करना आवश्यक होता है । यदि कोई पक्षकार इस मौलिक दायित्व के पालन में असफल रहता है, तो वह संविदा भंग का दोषी होगा, भले ही उसे बचाने की कोई उपधारा सम्मिलित की गई है या नहीं ।” निर्णयज विधि के साथ इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) “व्यक्तियों का कोई समूह फ़र्म है या नहीं, अथवा कोई व्यक्ति फ़र्म में साझेदार है या नहीं, इसका निर्धारण पक्षकारों के बीच सभी संबद्ध तथ्यों द्वारा प्रदर्शित वास्तविक सम्बन्धों के आधार पर होता है ।” टिप्पणी कीजिए ।
(d) A ने B से 1,000 कर्ज़ लिया, परंतु कर्जा परिसीमा अधिनियम, 1963 के द्वारा कालातीत है । तदुपरान्त A ने पूर्व ऋण की जगह ₹ 1,000 अदा करने के लिखित वचन पर हस्ताक्षर किया । इस करार की विधिमान्यता का निर्णय कीजिए ।
(e) “परक्राम्य लिखत के हर एकमात्र निष्पादक, लेखीवाल, पाने वाला या पृष्ठांकिती या सभी संयुक्त निष्पादक, लेखीवाल, पाने वाले या पृष्ठांकिती, इसे पृष्ठांकित या परक्रामण कर सकते हैं।" उपर्युक्त कथन के प्रकाश में, पृष्ठांकन और परक्रामण के बीच भेद बताइए व “पृष्ठांकन' के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या भी कीजिए।
Q6. (a) “सूचना अधिकार अधिनियम, 2005, प्रत्येक लोक प्राधिकरण की कार्यशैली में पारदर्शिता व जवाबदेही को बढ़ाने के लिए अधिनियमित किया गया था ।” गत दस वर्षों में, सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 द्वारा यह उद्देश्य किस सीमा तक प्राप्त हुआ है ? अपने उत्तर का आलोचनात्मक विश्लेषण, अपवादों व निर्णयज विधि की सहायता से कीजिए।
(b) “यद्यपि मीडिया विचारण (ट्रायल) के लिए कोई कानून नहीं है, तथापि, मूल अधिकारों के अधीन वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य में मीडिया को साक्ष्य पर आधारित अपने विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता है । इस विचारण का न्यायालय के समक्ष कोई प्राधिकार नहीं होता है ।” इस कथन का निर्णयज विधि सहित आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) “जब वादी की जानकारी में विशेष पहचान का व्यक्ति अस्तित्व में हो और वादी केवल उसी व्यक्ति से व्यवहार करना चाहता हो, केवल तभी पहचान की त्रुटि हो सकती है । यदि धोखेबाज़ द्वारा ग्रहण किया गया नाम काल्पनिक है, तो पहचान की कोई त्रुटि नहीं होगी ।" इस कथन का अग्र निर्णयज विधि के साथ परीक्षण कीजिए।
Q7. (a) माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में माध्यस्थम् और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2015 के द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण संशोधनों पर प्रकाश डालिए ।
(b) "अभिकर्ता के प्राधिकार का समापन (प्रतिसंहरण) मालिक द्वारा कुछ नियमों के अन्तर्गत किया जा सकता है ।” अभिकर्ता के संरक्षण के प्रकाश में इन नियमों का परीक्षण कीजिए ।
(c) “अप्रदत्त विक्रेता के अधिकार पक्षकारों के बीच अभिव्यक्त या विवक्षित करार पर आधारित नहीं होते हैं । वे विधि की विवक्षा के द्वारा उत्पन्न होते हैं ।” सविस्तार स्पष्ट कीजिए ।
Q8. (a) “संविदा भंग के लिए नुक़सानी की अदायगी का उद्देश्य पीड़ित पक्ष को उसी स्थिति में लाना है, जिसमें उसे जहाँ तक धन द्वारा किया जा सकता है, जैसे कि उसे हानि नहीं हुई हो ।” उपर्युक्त कथन के प्रकाश में, न्यायालय कौन-कौन सी विभिन्न प्रकार की नुक़सानियाँ अधिनिर्णीत कर सकता है ? साथ ही नुक़सानी निर्धारण से संबंधित नियमों की भी व्याख्या कीजिए।
(b) सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 के द्वारा 2008 में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रमुख अभिलक्षणों को स्पष्ट कीजिए और अपने विचार भी व्यक्त कीजिए।
(c) “लोक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991 का उद्देश्य ख़तरनाक (परिसंकटमय) उद्योगों में हादसों के पीड़ितों को मुआवज़ा लेने के किसी अन्य अधिकार के अलावा राहत प्रदान करना है।" निर्णयज विधि के साथ स्पष्ट कीजिए।
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