(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भूगोल "अध्याय - जलमण्डल"
आँनलाइन नि%शुल्क कोचिंग - पेपर 1 (सामान्य अध्ययन)
विश्वय - भूगोल
अध्याय - जलमण्डल
जलमण्डल से तात्पर्य पष्थ्वी पर उपस्थित समस्त जलराषि से है। पष्थ्वी की सतह के 71% भाग पर जल उपस्थित है। उत्तरी गोलार्द्ध में जल-मण्डल तथा स्थल-गोलार्द्ध तथा स्थल-मण्डल लगभग बराबर है, परन्तु दक्षिण गोलार्द्ध में जल-मण्डल, स्थल-मण्डल से 15 गुना अधिक है। जल-मण्डल के अधिकतर भाग पर महासागरों का विस्तार है और बाँकी भाग पर सागर तथा झीलें हैं। महासागर चार है, जिनमें प्रशान्त महासागर सबसे बड़ा है। बाकी तीन इस प्रकार है-आन्ध्र या अटलाण्टिक महासागर, हिन्द महासागर और आर्कटिक महासागर।
महासागरों की औसत गहराई 4ए000 मीटर है।
महासागरीय धरातल:
महासागरों का धरातल समतल नहीं है। महासागरीय धरातल को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया जा सकता है -
महाद्वीपीय मग्नतट
- यह महासागर तट से समुदी सतह की ओर अल्प ढाल वाला जलमग्न धरातल होता है।
- सामान्यत% यह 100 पै$दम की गहराई तक होता है। (1 फ़ैदी = 1.8 मीटर)।
- जिन तटों पर पर्वत समुद्री तट के साथ पै$ले रहते हैं, वहाँ मग्नतट संकरा होता है।
- विश्व में तेल व गैस का वु$ल 20% भाग यहाँ पाया जाता है।
- मग्नतट समुद्री जीव-जन्तुओं के समष्द्धतम स्थल हैं। मछली और समुद्री खाद्य प्रदान करने की इनकी अति महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
महाद्वीपीय ढाल
- महाद्वीपीय मग्नतट की समाप्ति पर महाद्वीपीय ढाल होता है।
- महाद्वीपीय मग्नट और महाद्वीपीय ढाल के बीच की सीमा ‘एण्डेसाइट रेखा’ए कहलाती है (क्योंकि यहाँ एण्डेसाइट चट्टानें मिलती है)।
- यह 2000 फ़ैदम की गहराई तक होती है।
महाद्वीपीय उत्थान
- महाद्वीपीय ढाल की समाप्ति पर महासागरीय धरातल कुछ ऊपर को उठा हुआ मिलता है।
- अवषिष्ट पदार्थों के जमा होने के कारण महाद्वीपीय उत्थान बनते हैं।
- यहाँ गैस एवं तेल का षेष 80% भाग पाया जाता है।
अन्त% सागरीय कटक
- ये कुछ सौ किसी चैड़ी व हजारों किसी लम्बी अन्त%सागरीय पर्वतमालाएँ हैं।
- ये रिज अलग-अलग आकारों के होते है; जैसे अटलांटिक रिज (S - आकार का), हिन्द महासागर रिज (उल्टे Y - आकार का)।
- जो रिज 1000 मीटर से उँ$चे होते हैं वे वितलीय पहाड़ी या समुद्री टीला कहलाते हैं।
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ऐसे पहाड़ जिनकी चोटियाँ समतल होती है, निमग्न द्वीप कहलाते हैं। इनका उद्भव ज्वालामुखी क्रियाओं से हुआ है और कुछ वितलीय पहाड़ समुद्र के ऊपर तक पहुँचकर द्वीपों का निर्माण करते हैं (हवाई द्वीपों का निर्माण ऐसे ही हुआ है)।
अन्त%सागरीय गर्त
- ये महासागर के सबसे गहरे भाग होते हैं। इनकी औसत गहराई 5,500 मीटर होती है।
- गर्त लम्बा, संकरा व तीव्र पाष्र्व वाला सागरीय तल में हुआ अवनमन है।
- प्रशान्त महासागर में सबसे ज्यादा गर्त पाये जाते हैं। प्रशान्त महासागर में ही विश्व की सबसे गहरी गर्त (11,033 मी0) मेरियाना गर्त फिलीपीन्स के पास स्थित है।
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प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त के अनुसार महासागरीय गर्त, प्लेट अभिसरण क्षेत्रा में महासागरीय प्लेट के क्षेपण के जोन को चिन्हित करते हैं। ऐसे क्षेत्रा पर्वत निर्माण और ज्वालामुखी गतिविधियों से सम्बन्धित होते हैं। इसलिए अधिकांष महासागरीय गर्तद्वीप समूहों के तट के सहारे वलित पर्वत शष्ंखलाओं के आसपास तथा इनके समानान्तर पाए जाते हैं।
टुगेला दक्षिण-अफ्रीका 1,350
विष्व की प्रमुख खाड़ियाँ:
लवणता:
- महासागरीय जल के भार व घुले लवणीय पदार्थों के भार के अनुपात को महासागरीय लवणता कहा जाता को है।
- महासागरीय जल के प्रमुख संघटक, लवण की मात्रा के आधार पर हैं -
- NaCl
- MgCl
- MgSO4
- CaSO4
- KSO4
- KCl
- समुद्री जल की औसत लवणता 35% (35 प्रति हजार ग्राम) है।
- लवणता के संघटकों में क्लोरीन (CI) सबसे ज्यादा मिलने वाला तत्व है। इसकी मात्रा सबसे ज्यादा है।
- भूमध्य रेखा के निकट अपेक्षाकृत कम लवणता पायी जाती है क्योंकि यहाँ पर लगभग प्रतिदिन वर्षा हो जाती है। कर्क एवं मकर रेखा के क्षेत्रा में लवणता सबसे ज्यादा होती है। ध्रुवों पर लवणता सबसे कम होती है।
- सबसे ज्यादा लवणता% वान झील (टर्की) - 300%, म्रत सागर (इजराइल, जार्डन) - 240% साल्ट लेक (अमेरिका) - 220%।
- सागरों में सबसे ज्यादा लवणता लाल सागर में पायी जाती है।
- लवणता की वजह से जल का उ$ध्र्वाधर संचरण होता है।
मुख्य नदियाँ:
- अमेजन नदी - यह विष्व की सबसे बड़ी नदी है। यह 6428 किमी. लम्बी, लेकिन इसका अपवाह तंत्रा सबसे बड़ा है।
- नील नदी - यह विष्व की सबसे लम्बी नदी 6650 किमी है।
- मिसीसिप्पी मिसूरी - यह तीसरी सबसे लम्बी नदी है। यह अमेरिका में प्रवाहमान है।
मुख्य झीलें:
- कैस्पियन सागरः यह खारे पानी की झील, विष्व में सबसे बड़ी झील है।
- सुपीरियर झीलः यह ताजे पानी की सबसे बड़ी व विष्व में दूसरी बड़ी झील है।
- विक्टोरिया झीलः यह तीसरी सबसे बड़ी झील है।
- बैकाल झीलः यह सबसे ऊंची (3811 मी) झील है।
- म्रत सागरः यह सबसे नीची (समुद्री सतह से 396 मी. नीचे) है।
मुख्य नहरें:
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स्वेज नहर - भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाली इस नहर का निर्माण 1869 ई. में फ्रैंच इंजीनियर फर्डीनेण्ड डी’ लेसेप्स ने किया था। यह 169 किमी लम्बी है। कर्नल नासिर (मिस्त्र) ने 26 जुलाई, 1956 ई. में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया था।
- पनामा नहर - यह अटलाण्टिक और प्रषान्त महासागर को जोड़ती है। यह 58 किमी लम्बी है और इसका निर्माण 1914 ई. में हुआ।
कुछ प्रमुख तथ्य:
- जलसंयोजक या जल सन्धि: दो बड़े जल क्षेत्रों को जोड़ने वाली जल की एक संकीर्ण पट्टी जलडमरूमध्य या जलसंयोजक कहलाती है। जैसे - पाक जलडमरूमध्य
- स्थलसंयोजक या भू-सन्धि: दो बड़े स्थ्लों क्षेत्रों को जोड़ने वाली स्थल की एक संकीर्ण पट्टी भू-सन्धि कहलाती है।
- सूनामी: भूकम्प के कारण सागर में उठने वाली लहरें सुनामी कहलाती है। ये काफी खतरनाक होती है और अत्यधिक नुकसान करती है।
- डेल्टा - किसी नदी के मुहाने पर निर्मित जलोढ़ भूमि का त्रिकोणीय भू-भाग, डेल्टा कहलाता है। इसमें नदी कई धाराओं में बँट जाती है, और इन धाराओं के बीच की भूमि पर झील या वन आदि होते हैं। ये धाराएँ वितरिका कहलाती है और समुद्र या झील में गिर जाती है।
- एश्चुअरी: नदी का ज्वारीय मुहाना जो ट आकार में चैड़ा हो जाता है एश्चुअरी कहलाता है। इसमें ज्वार-भाटे आते रहते हैं।
- खाड़ीः सागर की वह जल-राषि जो स्थलीय भाग में अन्दर दूर तक चली गयी हो और अधिकांषतः जिसके तीन ओर विस्तष्त तटरेखा पायी जाती है, खाड़ी कहलाते हैं।
- लैगून: यह समुद्री जल का एक ऐसा विस्तार है, जो समुद्र से अंषतः या पूर्णतया एक पतली स्थल पट्टी द्वारा अलग हो गया है। यह मुख्य भूमि और स्थल पट्टी के बीच समुद्री जल की झील है, जैसे - भारत में पुलीकट झील।
- प्रायद्वीप: ऐसी भूमि जो तीन ओर से जल से घिरी रहती है प्रायद्वीप कहलाती है, जैसे - भारत का प्रायद्वीप।
- स्ट्रामबोली ज्वालामुखी को भूमध्यसागर का प्रकाष गष्ह कहा जाता है।