(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भूगोल "अध्याय - पृथ्वी"

आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग - पेपर 1 (सामान्य अध्ययन)

विषय - भूगोल

अध्याय - पृथ्वी

  • पृथ्वी की अनुमानित आयु 4,60,00,00,000 वर्ष
  • सम्पूर्ण धरातलीय क्षेत्राफल 51,027100 वर्ग किमी.
  • भूमि क्षेत्राफल ¼29.08%) 15,30,00,000 वर्ग किमी.
  • जलीय क्षेत्राफल (सम्पूर्ण धरातल का 70.92%) 35,7100,000 वर्ग किमी.
  • औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति घन सेमी.
  • विषुवत रेखीय व्यास 12,755 किमी.
  • ध्रुवीय व्यास 12,712 किमी.
  • गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए आवष्यक निर्गमन गति 11.2 किमी/सेक.ड
  • पृथ्वी का द्रव्यमान 5.880 × 1024 किलोग्राम
  • पृथ्वी का आयतन 10,83,20,88,40,000 घन किमी.
  • पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध जाने के लिए राकेट के लिए आवष्यक वेज 3 किमी/सेक.ड
  • चन्द्रमा से दूरी 3,84,365 किमी
  • समुद्रतल से पृथ्वी की सर्वाधिक ऊँचाई 8848 मीटर (माउ.ट एवरेस्ट)   
  • समुद्रतल से सागर की सर्वाधिक गहराई 11,033 मीटर (गरियाना डेन्च) प्रषान्त महासागर, फिलीपीन्स के पूर्व में
  • पृथ्वी के घरातल का सर्वाधिक निचला स्थान 396 मीटर (मष्त सागर)
  • पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष पर घूर्णन अवधि 23 घंटे, 56 मिनट, 4.091 सेक.ड
  • पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा अवधि 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 45.51 सेक.ड
  • पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा
  • अक्ष का कक्षा की धरा पर झुकाव 23° 27'
  • सूर्य से माध्य दूरी 14,95,97,887.5 किमी.
  • ध्रुवीय परिधि 40,024 किमी.
  • जलम.डल की औसत गहराई 3,554 किमीनिमास

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ब्रहस्पति - सौरमंडल का सबसे बड़ा एवं सबसे भारी ग्रहहै। इसका परिक्रमण एवं घूर्णन अवधि क्रमषः 12 वर्ष एवं 9.8 घंटे है। इसकी सतह का ताप 123°C है। इसके वायुमंडल में हाइड्रोजन, हीलियम, मिथेन एवं अमोनियाँ गैसे मौजूद है। ब्रहस्पति ग्रह के 14 उपग्रह है। इस ग्रह पर ज्वालामुखी भी पाये गये हैं। गैनीमीड, आयो, यूरोपा, कैलिस्टो आदि इसके उपग्रह है। इसका उपग्रह गेनीमीड सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।

शनि - ब्रहस्पति के पष्चात् सौरमंडल का यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह के चारों ओर छल्ले मौजूद हैं सर्पीली तरंगों की पट्टी है। यह सूर्य की परिक्रमा 29 वर्ष में करता है। इस ग्रह की अक्ष की घूर्णन अवधि 10.3 घंटे हैं। इस ग्रह के 22 उपग्रह हैं। फोबे टेथिस, निमास आदि इसके उपग्रह हैं। टाइटन नाम का उपग्रह सबसे बड़ाउपग्रह है व इसमें नाइट्रोजन युक्त वायुमंडल पाया जाता है।

अरुण - अरुण सूर्य से सातवां दूरतम ग्रह है। इस ग्रह की खोज 1781 में विलियम हर्षेल ने की थी। शनि की भांति ही इस ग्रह के चारों ओर भी वलय पाये जाते हैं। इस ग्रह के 12 उपग्रह तथा 5 धुंधली वलय है। इस ग्रह के वायुमंडल में मिथेन गैस मौजूद है। इस ग्रह का प्रकाष हरे रंग का दिखाई देता है। यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्षों में पूरा करता है। इसकी घूर्णन अवधि 10.8 घटे हैं।

वरुण - इस ग्रह की खोज 1946 में जान गैले ने की थी। इसके वायुमंडल में मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस पायी जाती है यह सूर्य की परिक्रमा 165 वर्ष में पूरा करता है। इस ग्रह के आठ उपग्रह हैं। टिट्रान, मेरिड, N-1, N-2, N-3 आदि इसके प्रमुख उपग्रह हैं।

प्लूटो - जैसा कि ऊपर कहा गया है कि यह अब ग्रह नहीं होकर बौना ग्रह है। ग्रह का दर्जा समाप्त होने से पूर्व तक यह सर्वाधिक छोटा सर्वाधिक ठंडा एवं सर्वाधिक अंधकारमय ग्रह था।

  • बुध, शुक्र, पृथ्वी, एवं मंगल ग्रह आंतरिक ग्रह कहलाते हैं। इनका आकार छोटा एवं घनत्व अधिक है।
  • ब्रहस्पति, शनि, अरूण, वरूण एवं प्लूटो बाह्य ग्रह कहलाते हैं। इनका आकार बड़ा एवं घनत्व कम है।
  • बुद्ध, सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है। इसके बाद क्रमषः, षुक्र, पृथ्वी, मंगल, ब्रहस्पति, शनि, अरूण एवं वरूण का स्थान आता है।
  • सूर्य के काफी निकट स्थित होने के कारण बुद्ध षुक्र काफी गर्म है, जबकि अन्य ग्रह ठंडे है।
  • प्रोक्सिमा सेंचुरी सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे निकट का तारा है यह पृथ्वी से 4.5 प्रकाष वर्ष दूर है।

आकाशीय पिंड:

  • निहारिका - यह एक अत्यधिक प्रकाषमान आकषिय पिंड है, जो गैस एवं धूलकणों से मिलकर बना होता है। इसकी आकृति प्रायः सर्पल होती है।
  • आकाष गंगा या मंदाकिनी - यह तारों का एक विषाल पुंज है। इसका व्यास एक लाख प्रकाष वर्ष है, पृथ्वी सहित सौर परिवार ऐरावत पथ नामक आकाष गंगा में स्थित है।
  • तारामंडल - ये तारों के समूह है। आधुनिक समय में 89 तारामंडल है। इनमें से हाइड्रा सबसे बड़ा है।
  • उल्का - ये रात में टूटते हुए तारे की भांति प्रतीत होते हैं। पर यर्थाथ में ये ठोस आकाषीय पदार्थ है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेष करने पर घर्षण के कारण जलने लगते हैं, एवं चमकीला प्रकाष उत्पन्न करते हैं।
  • धूमकेतु या पुच्छल तारे - ये आकाषीय धूल कण, गैस, बर्फ़ आदि पदार्थों से निर्मित आकाषीय पिण्ड है। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इसकी पूँछ सदैव सूर्य से दूर होती है। टेम्पल-1, हेलबाप, फोब्र्स डी ओरेस्ट, कोमास सोला, हेली आदि धूमकेतुओं के उदाहरण हैं। हेली का धूमकेतु प्रत्येक 76 वे वर्ष में दिखाई पड़ता है।
  • तारे - आकाष गंगा में गैस के बादल होते हैं एवं तारों का निर्माण इन बादलों से होता है। तारों से तिरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन होता रहता है। सूर्य भी एक तारा है। काफी बड़े तारे विस्फोट के बाद ‘ब्लैक होल’ (Black Hole) में परिवर्तित हो जाते हैं।
  • उपग्रह (Satellite) - छोटे आकाषीय पिण्ड है, जो किसी ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इनका अपना प्रकाष नहीं होता, बल्कि ये तारों से प्रकाष ग्रहण करते हैं।

सूर्य:

  • सूर्य के केन्द्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री केल्विन है एवं सूर्य की सतह का तापमान 5760 डिग्री केल्विन है। सूर्य की ऊर्जा, इसके अन्दर हाइड्रोजन के हीलियम में संलयन के कारण उत्पन्न होता है।
  • सूर्य के द्रव्यमान का 70 प्रतिषत भाग हाइड्रोजन, 28 प्रतिषत हीलियम और 2 प्रतिषत अन्य भारी तत्त्व (जैसेµलीथियम एवं यूरेनियम) है।
  • सूर्य की सतह पर कुछ काली रेखाएँ दिखाई पड़ती है। इन्हें फ्रानहाफर रेखाएँ कहा जाता है।
  • सूर्य पर अनेक काले धब्बे हैं।
  • सूर्य आकाषगंगा का एक चक्कर 224 मिलियन वर्षों में लगाता है। इसे कास्मिक वर्ष कहा जाता है।
  • सूर्य की आयु 5 अरब वर्ष है, जबकि इसका वु$ल जीवन-काल 10 अरब वर्ष का है।
  • जब सूर्य का जीवन-काल समाप्त हो जायेगा तो यह लाल दानव बन जायेगा। इस स्थिति में इसका आकार बहुत बड़ा हो जायेगा और इसका ईंधन पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेगा, तब सूर्य एक विषालकाय लाल पिण्ड प्रतीत होगा।
  • यदि कोई तारा सूर्य के आकार का है तो इसके बाद वह ष्वेत वामन (White dwarf) बन जाता है।

चन्द्रमा:

  • चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्रा उपग्रह है और यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
  • चन्द्रमा का अपना प्रकाष नहीं होता किन्तु यह सूर्य के प्रकाष से चमकता है।
  • चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है क्योंकि इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति गैसों को बनाये रखने में असमर्थ है।
  • 21 जुलाई, 1969 ई. की नील आर्मस्ट्रांग एवं सर एडविन एल्ड्रिन विष्व के पहले व्यक्ति बने जिन्हांेने चन्द्रमा की सतह पर अपने कदम रखे। ये अपोलो-11 नामक अन्तरिक्ष यान में गये थे।
  • चन्द्रमा जितने समय में अपनी घुरी पर घूमता है उतने ही समय में पृथ्वी की परिक्रमा भी पूरी कर लेता है। इसलिए हम हमेशा चन्द्रमा का एक ही पक्ष (लगभग 59%) देख पाते हैं क्योंकि वहीं पक्ष हमेषा पृथ्वी के सामने रहता है।

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