(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भूगोल "अध्याय - पृथ्वी की अवस्थिति"

आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग - पेपर 1 (सामान्य अध्ययन)

विषय - भूगोल

अध्याय - पृथ्वी की अवस्थिति

पृथ्वी पर किसी वस्तु की अवस्थिति ग्लोब पर सुनिष्चित स्वीकार्य गणितीय सिद्धान्तों पर आधारित काल्पनिक रेखाओं से ज्ञात की जाती है। जैसेµदेषान्तर रेखाएं तथा अक्षांष रेखाएं।

देषान्तर रेखाएं

  • उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के दो आधार-बिन्दु है। एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाएँ ही देषान्तर रेखाएँ कहलाती है। ग्रीनविच वेधषाला, जो कि लन्दन के निकट है, से गुजरने वाली देषान्तर रेखा को ‘प्रधान देषान्तर रेखा कहा जाता है। इसका मान 0° देषान्तर हैं।
  • भारत का मानक समय   पूर्वी देषान्तर रेखा, जो कि इलाहाबाद (नैनी) से गुजरती है, से माना जाता है।
  • ग्रीनविच से 180ह् पूर्व तक पूर्वी गोलार्द्ध एवं 180° पश्चिमी तक पश्चिमी गोलार्द्ध कहलाता है। चूँकि पृथ्वी की आकृति गोलाकार है इसलिए इसे 360° में विभाजित किया जाता है।
  • 1° की दूरी तय करने में पृथ्वी का 4 मिनट लगते हैं।
  • चूँकि सूर्य पूरब में उदय होता है और पृथ्वी पश्चिम से पूर्व अपनी धुरी पर घूमती है अतः पूरब का समय आगे और पश्चिम का समय पीछे रहता है। इस कारण पृथ्वी के सभी स्थानों पर भिन्न-भिन्न देषान्तरों पर समय अलग होता है।
  • 15° देषान्तर पर 1 घण्टे का अन्तर आ जाता है। भूमध्य रेखा पर 1° = 111.32 किमी (लगभग) होता है। ध्रुवों की ओर यह दूरी घटती जाती है और ध्रुवों पर षून्य हो जाती है।
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अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा, 180°:

  • यह पूर्व व पश्चिम देषान्तर के मिलने वाला बिन्दु होता है। यहाँ पर 24 घण्टे अर्थात् एक दिन का अन्तर हो जाता है।
  • यह आर्कटिक महासागर, बैरिंग स्ट्रेट व प्रषान्त महासागर से गुजरती है। इसे फिजी, समोआ, गिलबर्ट आदि द्वीपों पर पूर्व या पश्चिम में खिसकाया गया है ताकि ये भू-स्थल एक ही तिथि का पालन कर सकें।
  • यदि कोई यात्री पश्चिम दिषा में यात्रा करते हुए तिथि रेखा को पार करता है तो उसे एक दिन की हानि होती है क्योंकि पश्चिमी क्षेत्रा में समय पीछे चल रहा होता है।
  • यदि कोई व्यक्ति पूरब दिषा में यात्रा करते हुए तिथि रेखा की पार करता है तो उसे एक दिन का लाभ हो जायेगा क्योंकि पूर्वी क्षेत्रा में समय आगे चल रहा होता है।

अक्षांश रेखाएँ:

  • ग्लोब पर खींची गई समानान्तर रेखाओं को अक्षांष रेखा कहा जाता है। 0° अक्षांष रेखा भूमध्य रेखा कहलाती है। यह पृथ्वी के केन्द्र से गुजरती है एवं पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती है। इसे विषुवत रेखा या विषुवत वृत्त भी कहते हैं। भूमध्य रेखा पर दिन-रात बराबर होती है।

महत्त्वपूर्ण अक्षांष रेखाएँ:

विषुवत वृत्त (0°) उत्तर ध्रुव (90° उ०), तथा दक्षिण ध्रुव (90° द०) के अतिरिक्त चार महत्त्वपूर्ण अक्षांष रेखाएँ और भी हैं।

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