UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 21 December 2018
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 21 December 2018
:: राष्ट्रीय ::
टाइम मैगज़ीन में भारतीय मूल के तीन छात्र शामिल
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टाइम पत्रिका द्वारा हाल ही में 2018 में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 25 शीर्ष प्रभावी किशोर-किशोरियों की सूची जारी की है.
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इनमें से तीन भारतीय मूल के हैं (अमेरिका में पढ़ रही छात्रा काव्या कोप्पारापू, छात्र ऋषभ जैन और ब्रितानी-भारतीय छात्रा अमिका जॉर्ज )
ऋषभ जैन
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ऋषभ जैन ने एक ऐसा अल्गोरिदम विकसित किया है, जिससे संभावित रूप से अग्नाशय कैंसर का इलाज हो सकता है.
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ऋषभ के सॉफ्टवेयर टूल की मदद से डॉक्टर अग्नाशय कैंसर की सटीक जांच कर सकते हैं
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ऋषभ जैन को इससे पूर्व डिस्कवरी एजुकेशन यंग साइंटिस्ट अवार्ड भी प्राप्त हो चुका है.
काव्या कोप्पारापू
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काव्या कोप्पारापू हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं.
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उन्होंने मस्तिष्क कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए एक कंप्यूटर प्रणाली विकसित की है.
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इसके अलावा वे गर्ल्स कंप्यूटिंग लीग की भी संस्थापक भी हैं.
अमिका जॉर्ज
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ब्रितानी भारतीय छात्रा अमिका जॉर्ज का लक्ष्य है कि नीति निर्माता ‘माहवारी गरीबी’ खत्म करें.
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वह चाहती हैं कि सरकारें ऐसी लड़कियों और महिलाओं के लिए एक नीति बनाए जो माहवारी पैड खरीदने में असमर्थ हैं.
टाइम पत्रिका
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टाइम अमेरिकी साप्ताहिक समाचार पत्रिका है
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जिसका प्रकाशन न्यूयॉर्क शहर से होता है.
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कई दशकों तक इस पर हॅनरी ल्यूस का प्रभुत्व रहा.
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इसकी स्थापना 1923 में हुई थी टाइम के विश्व में कई विभिन्न संस्करण प्रकाशित होते हैं.
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यूरोपीय संस्करण टाइम यूरोप का प्रकाशन लंदन से होता है और यह मध्य पूर्व, अफ़्रीका और 2003 से लॅटिन अमेरिका को कवर करता है.
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एशियाई संस्करण टाइम एशिया हॉन्ग कॉन्ग से संचालित होता है.
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दक्षिण प्रशांत संस्करण सिडनी में आधारित है और इसमें ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड सहित प्रशांत महासागर के द्वीप समूह कवर किए जाते हैं.
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वर्ष 2008 में टाइम ने अपना कनाडा में स्थापित संस्करण बंद कर दिया था.
डब्ल्यू. वी. रमन बने भारतीय महिला टीम के कोच
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भारत के पूर्व टेस्ट ओपनर डब्ल्यू. वी. रमन को 20 दिसंबर 2018 को भारतीय महिला किकेट टीम का कोच नियुक्तम कर दिया गया है.
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कोच पद के लिए रमन के अलावा साउथ अफ्रीका के गैरी कर्स्टहन और वेंकटेश प्रसाद को शॉटलिस्टल किया गया था.
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कोच चयन के लिए बनी एडहॉक कमेटी ने डब्ल्यू. वी. रमन के नाम की सिफारिश की जिस पर बीसीसीआई ने मुहर लगा दी.
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डब्ल्यू. वी. रमन वर्तमान में बेंगलुरु की नेशनल क्रिकेट एकेडमी में बल्लेबबाजी सलाहकार हैं.
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वे अगले महीने न्यूजीलैंड में पहली बार टीम के साथ जाएंगे.
28 उम्मीदवारों ने आवेदन किया:
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भारतीय महिला टीम के कोच पद के लिए गैरी कर्स्टान, डब्ल्यू. वी. रमन और वेंकटेश प्रसाद के सहित 28 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था.
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इनमें भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ मनोज प्रभाकर, ट्रेंट जॉनसन (आयरलैंड), पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम के कोच मार्क कोल्स, इंग्लैंड के दिमित्री मैस्करेनहास, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और श्रीलंका के पूर्व कोच डेव व्हाटमोर, इंग्लैंड के ओवैस शाह, दक्षिण अफ्रीका के हर्शेल गिब्स, ऑस्ट्रेलिया के कोलिन मिलर और ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ डोमिनिक थोर्नले जैसे नाम शामिल थे.
चयन समिति:
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चयन समिति में भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव, पूर्व सलामी बल्लेबाज़ अंशुमान गायकवाड़ और महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी शामिल थीं.
डब्ल्यू. वी. रमन के बारे में:
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डब्ल्यू. वी. रमन का जन्म 23 मई 1965 को चेन्नई में हुआ था.
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उन्होंने अपना करियर स्पिनर के रूप में शुरू किया था.
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डब्ल्यू. वी. रमन ने भारत के लिए साल 1988 से 1997 के बीच 11 टेस्ट और 27 वनडे मैचों में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया. इस दौरान उन्होंने 11 टेस्ट मैच में 24.88 की औसत से 448 रन बनाए.
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वे देश के सबसे ज्याचदा योग्यि कोचेज में से एक हैं.
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उनके नाम टेस्ट में चार अर्धशतक दर्ज हैं जिसमें सर्वाधिक स्कोर 96 रन है.
वर्ष 2018 में परमाणु उर्जा विभाग की पहलें और उपलब्धियां
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वर्ष 2018 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने ऊर्जा सुरक्षा और समाज के लाभ के लिए विभिन्न कदम उठाए और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया.
वर्ष 2018 में किये गये समझौते -
न्यू2ट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में डीएई ने अमेरिका के फर्मिलैब के साथ अंतर- सरकारी समझौते पर हस्तानक्षर किए.
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अप्रैल 2018 में अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ एनर्जी के भारत दौरे के दौरान इन समझौते पर हस्तारक्षर किए गए.
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ईपीआर प्रौद्योगिकी के छह परमाणु रिएक्टकर स्थारपित करने के लिए मार्च 2018 में भारत के एनपीसीआईएल और फ्रांस के ईडीएफ के बीच इंडस्ट्रियल वे फॉरवार्ड एग्रीमेंट पर हस्तांक्षर किए गए.
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फरवरी 2018 में भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और कनाडा के डिपार्टमेंट ऑफ नैचुरल रिसोर्सेज के बीच परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार पर एक समझौते पर हस्तारक्षर किए गए.
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मार्च 2018 में वियतनाम के वीनाटोम के साथ प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ता्क्षर किए गए.
राज्यों की स्टार्ट-अप रैंकिंग 2018 घोषित: गुजरात सर्वश्रेष्ठ राज्य
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औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने नई दिल्ली में राज्यों की स्टार्ट-अप रैंकिंग 2018 के परिणाम घोषित कर दिए. यह अपने तरह की पहली रैंकिंग है.
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डीआईपीपी ने इसकी कवायद जनवरी 2016 से शुरू कर दी थी.
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औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा उभरते उद्यमियों के लिए राज्यों द्वारा अधिक अनुकूल तंत्र विकसित कराने के प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग जारी की गई है.
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इस रैंकिंग में गुजरात शीर्ष पर रहा है.
उद्देश्य:
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इसका मकसद देश में उभरते उद्यमियों को प्रोत्साहन देना है.
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योजना के तहत कर अवकाश और पूंजीगत लाभ कर की छूट दी जा रही है.
विभिन्न श्रेणियों में राज्यों का आकलन:
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स्टार्ट-अप नीति नेतृत्व, नवाचार, नवाचार प्रगति, संचार, पूर्वोत्तर नेतृत्व, पर्वतीय राज्य नेतृत्व इत्यादि विभिन्न श्रेणियों में राज्यों का आकलन किया गया.
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इन श्रेणियों में किए जाने वाले प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को शानदार प्रदर्शन, बेहतरीन प्रदर्शन, मार्गदर्शक, आकांक्षी मार्गदर्शक, उभरते हुए राज्य और आरंभकर्ता के रूप में पहचान की गई है.
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नए विचारों से लैस:
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स्टार्ट-अप नए विचारों से लैस होते हैं और ये देश की सामाजिक, कृषि और सेवा क्षेत्र की समस्याएं हल करने में सक्षम होते हैं.
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स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन:
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इस रैंकिंग से राज्यों को स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने में मदद मिलेगी.
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इस रैंकिंग का आधार राज्यों द्वारा स्टार्ट-अप के लिए अनुकूल तंत्र विकसित करने के लिए किए गए प्रयास है.
राष्ट्रीय राइफल संघ और जेएसडब्ल्यू के मध्य समझौता
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निशानेबाजी की शीर्ष संस्था भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) और 13 अरब डॉलर के भारतीय कारोबारी घराने जेएसडब्ल्यू समूह ने खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये.
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यह समझौता टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों के लिए देश में निशानेबाजी के क्षेत्र में प्रतिभाओं को पहचानने, प्रशिक्षित करने और उनका विकास करने के लिए हाई परफॉरमेंस साझेदारी हेतु किया गया है.
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एनआरएआई के अध्यक्ष रणइंदर सिंह और जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स के निदेशक पार्थ जिंदल ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह साझेदारी 1 दिसंबर 2018 से शुरू होगी और 2024 ओलम्पिक तक जारी रहेगी.
भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ
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भारतीय राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खेल संघों से एसोसिएट है.
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इनमें एशियाई शूटिंग संघ, राष्ट्रमंडल शूटिंग संघ, दक्षिण एशियाई शूटिंग संघ और भारतीय ओलंपिक संघ शामिल हैं.
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वर्तमान समय में रणइंदर सिंह इसके अध्यक्ष हैं तथा डी.वी. सीताराम राव इसके सचिव हैं.
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देश में निशानेबाजी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए इसकी स्थापना वर्ष 1951 में की गई.
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लोकसभा के पहले स्पीकर जी.वी. मावलंकर इसके संस्थापक एवं पहले अध्यक्ष थे.
जेएसडब्ल्यू समूह
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जेएसडब्ल्यू समूह भारत की अग्रणी कम्पनियों में से एक है.
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जेएसडब्ल्यू समूह का नेटवर्थ 13 बिलियन डॉलर का है. यह ओ पी पी जिंदल समूह का एक अभिन्न अंग है, और यह उन प्रमुख परियोजनाओं का हिस्सा रहा है जिन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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जेएसडब्ल्यू की भारत के शीर्ष व्यापारिक घरों में रैंकिंग होती है. जेएसडब्ल्यू के इस्पात, ऊर्जा, सीमेंट और बुनियादी ढांचे के मुख्य क्षेत्रों में कार्यरत है.
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लोकसभा में पारित हुआ सरोगेसी बिल
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लोकसभा में 19 दिसंबर 2018 को सरोगेसी (नियामक) विधेयक को पारित हो गया.
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भारत में सरोगेसी से उभरने वाली समस्याओं से निपटने के लिए यह विधेयक लाया गया है.
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यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी और इससे जुड़े अनैतिक कार्यों पर रोक लगाएगा.
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विधेयक में राष्ट्रीय एवं राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित करने की बात कही गई है.
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इसके अतिरिक्त सरोगेसी के नियमन के लिए अधिकारियों के नियुक्ति की जाएगी.
उद्देश्य:
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यह विधेयक लाने का उद्देश्य भारतीय महिलाओं को उत्पीड़न से बचाना है.
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इस बिल के माध्यम से सरोगेट जननी तथा उससे उत्पन्न बच्चे के अधिकारों की सुरक्षा की जाएगी.
विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य:
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यह विधेयक केवल उन्हीं जोड़ों को सरोगेसी की अनुमति देगा जो बच्चा नहीं जन सकते.
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विधेयक के मुताबिक सरोगेसी का लाभ उठाने के इच्छुक व्यक्तियों को भारतीय होना होगा और उनकी शादी के कम से कम पांच साल हुए हों. इसके अलावा जोड़े में से किसी एक को यह साबित करना होगा कि वह बच्चा जनने की स्थिति में नहीं हैं.
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सरोगेसी के लिए बनाए जा रहे प्रावधानों का उल्लंघन करने पर बिल में कठोर सजा का भी प्रावधान किया गया है.
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इस बिल में राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड तथा राज्य सरोगेसी बोर्ड की स्थापना के लिए प्रावधान है.
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इस बिल के अनुसार समलैंगिक तथा एकल अभिभावकों को सरोगेसी की अनुमति नहीं होगी तथा जिस दंपत्ति के पहले से बच्चे हैं वे भी सरोगेसी का उपयोग नही कर सकते.
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इस बिल के अनुसार कोई महिला जीवन में केवल एक बार ही सरोगेट कर सकती है, उसकी उम्र 25 से 35 के बीच होनी चाहिए.
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सरोगेसी से उत्पन्न बच्चे की कस्टडी प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट (अथवा इससे ऊपर का अधिकार) द्वारा पारित की जायेगी.
सरोगेसी क्या है?
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किसी और की कोख से अपने बच्चे को जन्म देना. अगर कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं, तो किसी अन्य महिला की कोख को किराए पर लेकर उसके जरिए बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कही जाती है.
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जिस महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है.
सजा का प्रावधान:
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सरोगेसी बिल के मुताबिक इसके नियमों को काफी कठोर बना दिया गया है. अगर सरोगेसी के ये प्रावधान तोड़े गए तो इसके इच्छुक दंपती और सरोगेट मां को क्रमशः कम से कम 5 साल और 10 साल तक की सजा हो सकती है.
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इसके अलावा 5 लाख तक और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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अगर कोई मेडिकल प्रैक्टिशनर इसके नियमों को तोड़ता पाया गया तो उसे कम से कम 5 साल की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण बिल पारित
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लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 (Consumer Protection Bill) पास हो गया है.
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यह विधेयक उपभोक्ताओं के हित के संरक्षण तथा उनसे जुड़े विवादों का समय से प्रभावी निपटारा करेगा.
उद्देश्य:
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उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की जगह लेगा.
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इसका उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, डिजिटल लेनदेन और ई-कॉमर्स से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तरीके से दूर करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है.
विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य:
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यह बिल उपभोक्ता अधिकारों को अहमियत प्रदान करता है. इसके साथ ही यह बिल खराब वस्तुओं एवं सेवाओं में दोष से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था प्रदान करता है.
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पहले उपभोक्ता को वहां जाकर शिकायत करनी होती थी जहां से उसने सामान खरीदा है, लेकिन अब घर से ही शिकायत की जा सकती है. इसके अलावा विधेयक में मध्यस्थता का भी प्रावधान है.
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नए विधेयक में प्रावधान है कि अगर जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के हित में फैसला सुनाते हैं तो आरोपी कंपनी राष्ट्रीय फोरम में नहीं जा सकती.
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स्थाई समिति ने भ्रामक विज्ञापनों में दिखने वाले सेलिब्रिटियों को जेल की सजा की सिफारिश की थी लेकिन इसमें केवल जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
सजा का प्रावधान: -
यदि कोई निर्माता या सेवा प्रदाता झूठा या भ्रामक प्रचार करता है जो उपभोक्ता के हित के खिलाफ है तो उसे दो साल की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.
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अपराध दोहराये जाने पर जुर्माने की राशि 50 लाख रुपये तक और कैद की अवधि पांच साल तक हो जायेगी.
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मिलावट करने वालों पर नकेल कसने हेतु विधेयक में अलग से प्रावधान है.
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यदि उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं पहुँचा है तो छह महीने तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना है.
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यदि उपभोक्ता को मामूली स्वास्थ्य नुकसान पहुँचा है तो एक साल तक की कैद और तीन लाख रुपये तक का जुर्माना है.
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गंभीर स्वास्थ्य नुकसान की स्थिति में सात साल तक की कैद और पाँच लाख रुपये तक का जुर्माना तथा उपभोक्ता की मृत्यु की स्थिति में कम से कम सात साल और अधिक से अधिक आजीवन कारावास और कम से कम 10 लाख रुपये के जुर्माने की व्यवस्था है.
तीन स्तरीय नियामक :-
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू कराने के लिए तीन स्तरीय नियामक की व्यवस्था की गयी है.
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सबसे ऊपर राष्ट्रीय आयोग, उसके नीचे राज्य आयोग और सबसे नीचे स्तर पर जिला आयोग होंगे.
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केंद्रीय आयोग का आदेश नहीं मानने पर छह महीने तक की कैद या 20 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
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जिला आयोग के आदेश के खिलाफ राज्य आयोग में और राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय आयोग में अपील की जा सकती है.
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राष्ट्रीय आयोग के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकेगी.
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असामान्य परिस्थितियों को छोड़कर अपील आदेश के 30 दिन के भीतर करनी होगी.
::विज्ञान और प्रौद्योगिकी::
वैज्ञानिकों ने 17 क्षुद्रग्रहों पर पानी की मौजूदगी के सबूत खोजे
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जापानी वैज्ञानिकों ने 17 क्षुद्रग्रहों पर पानी होने के सबूत खोजने का दावा किया है.
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वैज्ञानिकों का दावा है कि इन्फ्रारेड उपग्रह ‘अकारी’ द्वारा इसकी खोज की गई है.
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वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध के अनुसार, यह खोज सौरमंडल में पानी के वितरण प्रणाली को जानने का अवसर प्रदान करेगी.
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इसके अतिरिक्त इस खोज से क्षुद्रग्रहों की उत्पत्ति एवं विकास तथा पृथ्वी पर पानी की मौजूदगी के इतिहास के बारे में भी पता चल सकेगा. यह शोध पब्लिकेशन ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ जापान में प्रकाशित हुआ है.
खोज के मुख्य बिंदु
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वैज्ञानिकों द्वारा शोध में पता लगाया गया है कि हमारे सौर मंडल में मौजूद खगोलीय पिंडों में किसी न किसी रूप में पानी हुआ करता होगा.
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क्षुद्रग्रहों को उन स्त्रोतों में से एक माना जाता है जो कि हमारी पृथ्वी तक पानी लाए हैं.
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पब्लिकेशन ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ जापान में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) और टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि क्षुद्रग्रहों में पानी हायड्रेटेड मिनरल्स के रूप में रहा होगा. इनका निर्माण पानी के केमिकल रिएक्शन से हुआ होगा.
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हाइड्रेटेड खनिज बर्फ के ऊष्मायन तापमान से भी अधिक समय तक स्थिर पाए गये हैं. हाइड्रेटेड खनिजों की जांच-पड़ताल करने पर वैज्ञानिक यह पता लगा सकते हैं कि क्षुद्रग्रहों में पानी था अथवा नहीं.
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इन्फ्रारेड तरंगों में अणुओं, बर्फ और खनिजों जैसे विभिन्न पदार्थों की मौजूदगी होती है जिन्हें साधारण दृष्टि से देखा नहीं जा सकता है.
क्षुद्रग्रह क्या होता है?
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क्षुद्रग्रह (Asteroid) एक खगोलीय पिंड होते है जो ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं. यह आपने आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते हैं.
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खोजा जाने वाला पहला क्षुद्रग्रह, सेरेस, 1819 में ग्यूसेप पियाज़ी द्वारा खोजा गया था और इसे मूल रूप से एक नया ग्रह माना जाता था. दो तिहाई क्षुद्रग्रह उन कक्षाओं में घूमते हैं
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जो मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच पड़ती हैं इसलिए इसे एस्टेरोइड बेल्ट भी कहा जाता है. अधिकतर क्षुद्रग्रह उन्हीं पदार्थों से बने माने जाते हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले पत्थर बने हैं. हालांकि, क्षुद्रग्रहों की सतह के तापमान भिन्न हैं और इसके बारे में शोध जारी है.
पूर्व भारतीय कप्तान अनूप कुमार ने कबड्डी से संन्यास लेने की घोषणा की
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भारतीय टीम के पूर्व कप्तारन और दिग्गकज खिलाड़ी अनूप कुमार ने 19 दिसंबर 2018 को कबड्डी से संन्यास लेने की घोषणा की.
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अनूप कुमार ने अपने 15 साल के करियर का अंत करते हुए संन्यास का घोषणा किया.
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अनूप कुमार ने एक कप्तान और खिलाड़ी के तौर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए काफी सफलता देखी है.
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टीम प्लेऑफ के दौर से बाहर:
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प्रो-कबड्डी लीग (पीकेएल) के छठे सीजन में पंचकूला लेग के दौरान अनूप कुमार ने यहां संन्यास लेने की घोषणा की.
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वे इस समय पीकेएल में जयपुर पिंक पैंथर्स की कप्तानी कर रहे हैं. हालांकि, उनकी टीम प्लेऑफ के दौर से बाहर हो चुकी है.
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वे इस सीजन में जयपुर पिंक पैंथर्स के हाथों 30 लाख रुपए में बिके थे.
अनूप कुमार के बारे में:
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अनूप कुमार एक भारतीय कबड्डी खिलाड़ी हैं.
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अनूप कुमार का जन्म 20 नवंबर 1983 को हरियाणा में हुआ था.
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उन्होंने वर्ष 2006 में दक्षिण एशियाई खेलों में श्रीलंका के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत की थी.
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वे वर्ष 2010 और वर्ष 2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे.
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वे एशियाई खेल 2014 में भारतीय टीम के कप्तान भी थे. उनकी अगुवाई में भारत ने वर्ष 2016 में विश्व कप भी जीता था. प्रो कबड्डी लीग के दूसरे सत्र में यू मुंबा ने उनके नेतृत्व में खिताब जीता था.
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उन्हें वर्ष 2012 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. अनूप कुमार ने पीकेएल में भी शानदार प्रदर्शन किया.
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उन्होंने पीकेएल के सभी सीजन में कुल मिलाकर 91 मैच खेले जिसमें उनके नाम 596 अंक हैं.
भरोसेमंद बिजली आपूर्ति में भारत 80वें स्थान पर: विश्व बैंक रिपोर्ट
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विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली वितरण में पिछले कुछ साल से उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद भारत अभी भी विद्युत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा भरोसेमंद आपूर्ति अभी भी कम है.
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बिजली के विषय में विश्वबैंक की क्षेत्रीय रिपोर्ट ‘इन द डार्क: हाऊ मच डू पावर सेक्टर डिस्टॉर्शन्स कॉस्ट साऊथ एशिया’ के अनुसार भारत ने पिछले कुछ साल में घरों में बिजली पहुंचाने तथा बिजली कमी दूर करने में उल्लेखनीय प्रगति की है.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
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विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 137 देशों में से भारत भरोसेमंद बिजली आपूर्ति के लिए 80वें स्थान पर है.
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रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि बढ़ती आबादी, तेजी से शहरीकरण और अर्थव्यवस्था में औसत सात प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ देश में बिजली की मांग 2018 से 2040 के बीच लगभग तीन गुनी हो जाएगी.
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रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जबकि कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न वायु प्रदूषण एक अन्य बड़ी चुनौती है.
विश्व बैंक के अनुसार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के महत्वकांक्षी कार्यक्रमों के बावजूद भारत अभी भी कुल बिजली का 75 प्रतिशत कोयले से उत्पादित करता है. -
इसके अतिरिक्त उद्योग अपने उपयोग के लिये भी कोयला और डीजल जनरेटरों से बिजली पैदा करते हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार 1947 में आज़ादी के बाद भारत ने बुनियादी उद्योग बिजली क्षेत्र के विकास के लिये विधायी पहल शुरू की. इसके तहत आने वाले समय में कई सुधार किये गये लेकिन इन सबके बावजूद राज्य की बिजली कंपनियां अभी भी प्रदर्शन में सुधार के लिये संघर्ष कर रहे हैं.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बिजली उत्पादन क्षेत्र में राज्य सरकार के अकुशल बिजलीघर, पारेषण क्षेत्र में कम निवेश, बिजली की कम कीमत तथा वितरण कंपनियों को नुकसान जैसी कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
विश्व बैंक के बारे में जानकारी
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विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना एक साथ 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी.
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उस समय इसका उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध और विश्ववयापी आर्थिक मंदी से जूझ रहे देशों में आई आर्थिक मंदी से निपटना था.
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वर्तमान में 180 देश इस संस्थाथ के सदस्ये हैं
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विश्वे बैंक के सदस्यी बनने के लिए देश को आईएमएफ का सदस्यइ होना भी जरूरी है.
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भारत को सबसे पहली बार विश्वक बैंक द्वारा वर्ष 1948 में 64 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया गया था.
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू
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जम्मू-कश्मीर में छह महीने का राज्यपाल शासन पूरा होने के बाद 19 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
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केंद्र सरकार ने राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रस्ताव के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया है.
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जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ ही सभी वित्तीय अधिकार संसद के पास चले गए. राज्यपाल को राज्य में किसी भी बड़े नीतिगत फैसले के लिए पहले केंद्र से अनुमति लेनी होगी.
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वह अपनी मर्जी से कोई बड़ा फैसला नहीं ले पाएंगे.
राज्यपाल शासन:
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जून 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस लिया था,
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जिसके कारण जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार गिर गयी थी. इसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ था.
संविधान 92 के अनुसार:
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जम्मू-कश्मीर का संविधान अलग है, इसलिए जम्मू-कश्मीर के संविधान 92 के अनुसार राज्य की वैधानिक मशीनरी कार्यशील न होने के कारण 6 महीने तक राज्यपाल शासन लागू होता है.
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इसके तहत विधायिका की तमाम शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं.
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छह महीने की समाप्ति के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है.
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इसके अलावा यदि चुनाव नहीं होते हैं, तो राष्ट्रपति शासन को छह महीने और बढ़ाया जा सकता है.
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जम्मू-कश्मीर में 22 साल बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो रहा है.
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इससे पहले साल 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था.
राज्यपाल ने भंग की थी विधानसभा:
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कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन के आधार पर पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था,
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जिसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर 2018 को 87 सदस्यीय विधानसभा भंग कर दी थी.
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राज्यपाल ने यह कहते हुए विधानसभा भंग कर दी कि इससे विधायकों की खरीदो फरोख्त होगी और स्थिर सरकार नहीं बन पाएगी.
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अगर राज्य में चुनावों की घोषणा नहीं की गई तो वहां राष्ट्रपति शासन अगले छह महीने तक चलेगा.
राष्ट्रपति शासन क्या है?
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राष्ट्रपति शासन भारत में शासन के संदर्भ में उस समय प्रयोग किया जाने वाला एक पारिभाषिक शब्द है, जब किसी राज्य सरकार को भंग या निलंबित कर दिया जाता है और राज्य प्रत्यक्ष संघीय शासन के अधीन आ जाता है.
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भारत के संविधान का अनुच्छेद-356, केंद्र की संघीय सरकार को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में उस राज्य सरकार को बर्खास्त कर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है.
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राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लागू होता है, जब राज्य विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो.
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इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसके द्वारा राज्य का नियंत्रण सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है, लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से राज्य के राज्यपाल को केंद्रीय सरकार द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किये जाते हैं.
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प्रशासन में मदद करने के लिए राज्यपाल आम तौर पर सलाहकारों की नियुक्ति करता है, जो आम तौर पर सेवानिवृत्त सिविल सेवक होते हैं.