(अध्ययन सामग्री): भूगोल -भारत का भूगोल "भारत का सामान्य परिचय"


अध्ययन सामग्री: भारत का भूगोल


भारत का सामान्य परिचय

पुराणों में ‘आर्यावर्त ’ के नाम से विख्यात इसका नाम उत्तर में बसने वाले आर्यों के नाम पर पड़ा ।पुनः राजा भरत (दुष्यन्त के पुत्र) के नाम पर भारतवर्ष पड़ा । वैदिक आर्यों ने उत्तर-पश्चिम की ओर बहने वाली यहाँ की नदी को सिन्धु कहा, जिसे ईरानियों ने हिन्दू कहा । इसी आधार पर भारत देश को ‘हिन्दुस्तान’ कहा गया । इसी प्रकार यूनानियों तथा रोमवासियों ने सिन्धु को क्रमशः इण्डोस और इण्डस तथा इस क्षेत्र को ‘इंडिया’ कहना प्रारम्भ किया ।

भारत: विविधताओं का देश

भारत एक विशाल देश है । यह श्रीलंका से 45 गुना, इंग्लैण्ड से 12, जापान से 8 तथा पाकिस्तान से 4 गुना बड़ा है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका का एक तिहाई तथा रूस का 5वां भाग है । इस प्रकार 32,87,782/ वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत यह विश्व का सातवां (2.4%) बड़ा देश है । इससे अधिक क्षेत्रफल में 6 देश अवरोही क्रम में इस प्रकार हैं - रूस, कनाड़ा, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील तथा आस्ट्रलिया ।

जनसंख्या की दृष्टि से यह चीन के बाद विश्व का दूसरा (16.7%) बड़ा देश है । इस विशालता के बावजूद यह सदैव से एक अखण्ड भौगोलिक इकाई रहा है । यहाँ अनेक विदेशी अपनी संस्कृति लेकर आए; यथा प्राचीन काल में आर्य, मंगोल, तुर्क, हूण आदि । उत्तर से स्थलीय भाग होकर आए जबकि मध्यकाल में ज्यादातर विदेशी जैसे - अंगे्रज, डच, पुर्तगाली आदि दक्षिण के जलीय भाग होकर भारत आए ।

प्राचीन काल में आए अधिकांश विदेशी भारतीय संस्कृति में आत्मसात हो गए । प्रो0 डोडवैल ने ठीक ही कहा है कि ‘भारतीय संस्कृति एक विशाल महासागर के समान है, जिसमें अनेक दिशाओं से विभिन्न जातियाँ और धर्म रूपी नदियाँ आकर विलीन होती है ।’’ वर्तमान युग में इसी तरह की विशेषताओं को बहुत हद तक अमेरिका धारण करता है । यही कारण है कि इसे - ‘मेल्टिंग पॉट  ;(Melting Pot)  जैसे विशेषणों में अभिहित किया जाता है ।

भारत अनेक विभिन्नताओं वाला देश है । यहाँ किसी भी अन्य महाद्वीप की अपेक्षा अधिक विविधता मिलती है । यहाँ प्राचीनतम आर्कियन युग से लेकर आज तक की नवीनतम चट्टानें एवं पर्वत श्रेणियां पाई जाती हैं । विषुवतरेखीय से लेकर ध्रुवीय जलवायु वनस्पतियाँ, मिट्टियाँ आदि पाई जाती हैं । विश्व की सभी प्रजाति, धर्म, विचार तथा विविध मानवीय क्रिया-कलापों में संलग्न लोग यहाँ निवास करते हैं । तभी तो विद्वानों ने इसे उपमहाद्वीप (Sub-continent)  की संज्ञा दी है, जिसके अन्तर्गत हिमालय पर्वत-श्रृंखला के दक्षिण स्थित भारत सहित पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल तथा भूटान आते हैं । डॉ. क्रेसी का तो यहाँ तक कहना है कि ‘भारत को महाद्वीप कहलाने का उतना ही अधिकार है, जितना यूरोप को ।’
 

आकृति एवं विस्तार

भारत की आकृति लगभग चतुष्कोणीय है । भारत पूरी तरह उत्तरी गोलार्द्ध तथा पूर्वी गोलार्द्ध के मध्य स्थित है । इसका अक्षांशीय विस्तार 804’ उत्तर से 3706’ उत्तर तथा देशान्तरीय विस्तार 6807’ पूरब से 97025’ पूरब तक है । इस प्रकार इसका अक्षांशीय तथा देशान्तरीय विस्तार लगभग 300 है । इसका उत्तर-दक्षिण अधिकतम विस्तार 3,214 कि.मी. तथा पूरब-पश्चिम विस्तार 2,933 कि.मी. है । भारत का सबसे उत्तरी इन्दिरा कोल (Indira Col)  तथा दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा प्वाइंट (पेममेलिया प्वाइंट) गेट-निकोबार में 6045’ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है । मुख्य भूमि पर सबसे दक्षिण बिन्दु कन्याकुमारी के समीप कुमारी अन्तरीप । (Cape of Comorin) है, जो भूमध्य रेखा से 876 कि.मी. दूर है । सबसे पश्चिमी बिन्दु गुजरात का राजहर क्रीक तथा सबसे पूर्वी बिन्दु अरुणाचल-प्रदेश का वालांगू है । भारत के मुख्य भूमि का भौगोलिक केन्द्र नागपुर है । कुछ लोग भोपाल भी मानते हैं ।

कर्क रेखा (Tropic of Cancer) 23 1/20 उत्तरी अक्षांश भारत के लगभग मध्य से गुजरते हुए यद्यपि इसे दो भिन्न जलवायु विशेषताओं वाले क्षेत्र में बाँट देती है - उत्तर में ‘समशीतोष्ण कटिबन्धीय जलवायु’ (महाद्वीपीय जलवायु) तथा दक्षिण में ‘उष्ण कटिबन्धीय जलवायु । तथापि उत्तर में विशाल हिमालय पर्वतमाला के कारण कुल मिलाकर यह एक उष्ण मानसूनी देश ;ज्तवचपबंस डवदेववद ब्वनदजतलद्ध है । इसे धूप और नमी; दोनों पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होती है और दोनों तत्व सम्मिलित रूप से यहाँ के करोड़ों लोगों की नियति निर्धारित करते हैं । जिस प्रकार कर्क रेखा (23 1/20 उत्तरी अक्षांश) भारत के 8 राज्यों - गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मिजोरम से गुजरते हुए उत्तर-दक्षिण भागों में विभक्त करती है, उसी प्रकार 82 1/20 पूर्वी देशान्तर रेखा, जिसे भारत का ‘मानक समय रेखा’ माना गया है, 5 राज्यों - उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा आन्ध्र-प्रदेश से होते हुए पूरब और पश्चिम भागों में बाँटती है ।

जैसा कि हम जानते हैं, समय का निर्धारण देशान्तर रेखाओं के आधार पर होता है और वृहत् देशान्तरीय विस्तार (लगभग 300 देशान्तर) के कारण भारत के पूर्वी भाग - अरुणाचल प्रदेश तथा पश्चिमी भाग - सौराष्ट्र (गुजरात) के बीच दो समय क्षेत्र अर्थात् स्थानीय समय का अन्तर लगभग 2 घंटे का है । प्रशासकीय सुविधाओं सहित अन्य प्रकार की समस्याओं से निजात पाने के लिए 82)0 पूर्वी देशान्तर रेखा के स्थानीय समय को पूरे देश के लिए मानक समय IST (Indian Standered Time). मान लिया गया । ज्ञातव्य हो वृहत् पूर्वी-पश्चिमी विस्तार वाले देश कई समय क्षेत्र (Time Zone)  में बँटे होते हैं, तथा - यू0एस0ए0 में कुल 5 समय क्षेत्र है तो रूस जैसे देश में 13 समय क्षेत्र ।

सीमाएँ एवं पड़ोसी देश

भारत की स्थलीय सीमा 15,200 कि.मी. तथा तटीय सीमा 6,100 कि.मी. लंबी है, जो पृथ्वी की त्रिज्या के लगभग बराबर है । द्वीपों सहित इसके तट की लंबाई 7,516 कि.मी. हो जाती है । जहाँ तक पड़ोसी देशों के साथ इसके भौगोलिक सीमा का सवाल है, वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यानमार तथा बंगलादेश सहित 7 देशों के साथ बनती है जो प्राकृतिक तथा कृत्रिम दोनों प्रकार की हंै । भारत के पश्चिम में स्थित पाकिस्तान एक कृत्रिम सीमा - ‘रेडक्लिफ लाइन’ द्वारा भारत से अलग होता है । भारत के पूर्व में स्थित अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ लगा चीन का भाग चीन ‘मैकमोहन लाइन’

द्वारा निर्धारित है । उत्तर में ही भारत के दो छोटे पड़ोसी देश - नेपाल और भूटान हिमालय की गोद में बसे हैं । कुल मिलाकर यह कि भारत की उत्तरी सीमा ‘अर्द्ध-चन्द्राकार’ है ।
समुद्र पार का निकटतम देश श्रीलंका है, जो पाक-जलडमरुमध्य, पाक की खाड़ी तथा मन्नार की खाड़ी के द्वारा मुख्य भूमि से पृथक होता है । मालदीव तथा इंडोनेशिया अन्य सामुद्रिक पड़ोसी देश हैं । कुल मिलाकर प्रकृति ने भारत को स्वाभाविक रूप से एक पृथक इकाई बनाया है । भारत के उत्तर में विशाल हिमाच्छादित, गगनचुम्बी हिमालय पर्वत मुकुट की तरह स्थित है, तो दक्षिण में हिन्द महासागर इसके चरण को पखारता है । भारत की इन्हीं प्राकृतिक सीमाओं को देखकर प्रो0 चिशोल्म ने कहा - ‘विश्व में केवल बर्मा को छोड़कर अन्य कोई देश नहीं है, जिसको प्रकृति ने इतनी अच्छी प्रकार परिसीमित किया हो, जितना भारत को ।’ हालांकि 1947 ई. के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान तथा बंगलादेश के साथ भारत के कृत्रिम राजनैतिक सीमाओं के निर्धारण के बाद प्रो. चिशोल्म के इस कथन की सत्यता सीमित हो जाती है ।

महत्व

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है । राजनीतिक मंच पर भी इसका महत्त्व विश्व में शीत-युद्ध काल से ही एक तीसरी शक्ति के रूप में अपनी गुट-निरपेक्ष नीति के कारण रहा है ।
विश्व के मानचित्र पर भारत का महत्त्व उसकी स्थिति के कारण भी है । 220 उत्तरी अक्षांश के दक्षिण में इसका प्रायद्वीपीय भाग धीरे-धीरे कम चैड़ा होता जाता है, जो हिन्द महासागर में घुसकर उसे दो भागों में बाँट देता है । पश्चिमी भाग अरब सागर तथा पूर्वी भाग बंगाल की खाड़ी कहलाती है । भारत के अतिरिक्त किसी भी अन्य देश की इतनी लंबी तटरेखा इस समुद्र के साथ नहीं है । विश्व का कोई भी महासागर किसी देश के नाम से नहीं जाना जाता । यह गौरव मात्र भारत को प्राप्त है । हिन्द महासागर में इसकी स्थिति सामरिक तथा व्यापारिक दोनों दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । सामान्यतः भारत पश्चिमी विकसित देश (occidental country). तथा पूर्वी विकासशील देश (oriental country)

को जोड़ने वाली कड़ी है। पश्चिम में स्वेज नहर तथा पूर्व में मलक्का जलसंयोजक के मध्य स्थित भारत आने जाने वाले सभी जलयानों को आश्रय प्रदान करता है। अन्तर्राष्ट्रीय वायु-यातायात की दृष्टि से भी भारत की स्थिति महत्त्वपूर्ण है।
प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता में भी विश्व में भारत का कोई जोड़ नहीं है । प्रकृति द्वारा भारत को उत्तरी भाग में नवीन गगनचुम्बी हिमालय पर्वत मिला है, तो दक्षिणी भाग में प्राचीन प्रायद्वीपीय पठार। वहीं इस नवीन पर्वत तथा प्राचीन पठार के मध्य विशाल सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी का उपजाऊ मैदान उपहारस्वरूप मिले हैं। इनकी बदौलत जल, वन, खनिज तथा मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनों में भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक बन गया है। इन्हीं विपुल प्राकृतिक साधनों के कारण भारत ‘सोने की चिडि़या’ कहलाता था । प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ वीरा एन्सटे ने सही ही कहा है कि ‘भारत निर्धन लोगों से बसा एक धनी देश है।’’ इसके अतिरिक्त यहाँ मानव तथा पशु संसाधन भी पर्याप्त मात्रा में हैं । इन्हीं सब आधारों पर भारत को भविष्य का देश
(Land of future)  ’ कहा गया है ।
 

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