अध्ययन सामग्री): भूगोल - भारत का भूगोल "मानसून"


अध्ययन सामग्री:  भारत का भूगोल


मानसून

मानसून का अर्थ

‘मानसून’ शब्द की उत्पति  अरबी भाषा के ‘मौसिम (Mawsim)  फिर मलयाली भाषा के ‘मोनसिन’ (Monsin)  शब्द से हुई है, जिसका अभिप्राय ‘‘मौसम’ से है । दरअसल अरबवासी मौसम को हवाओं के नाम से पुकारते थे, क्योंकि उनके यहाँ वर्ष भर एक-सा मौसम रहता है । धीरे-धीरे मानसून शब्द का प्रयोग एक दूसरे के विपरीत चलने वाली एशिया की उन हवाओं के लिए होने लगा, जो ग्रीष्मकाल में जल से थल की ओर तथा शीतकाल में थल से जल की ओर चला करती हैं ।

भारत में ‘मानसून’ शब्द का प्रयोग आम व्यक्ति मूसलाधार वर्षा अथवा ग्रीष्म ऋतु में ‘दक्षिण-पश्चिम से बहने वाली हवाओं के लिए करता है । मानसून के लिए उपरोक्त अवधारणा इसके एकवचनीय स्वरूप का द्योतक है । ‘मानसून’ शब्द का प्रयोग बहुवचनीय अर्थ, जो इसके संकुचित तथा रूढ़ अर्थ से भिन्न है, में भी होता है । इसका (मानसून) प्रयोग दो प्रकार की हवाओं के लिए किया जाता है । एक ग्रीष्मकालीन मानसून और दूसरी शीतकालीन मानसून हवाएँ । इस प्रकार, मानसून मौसमी हवाओं की दोहरी प्रणाली है ।

मानसून की उत्पति और प्रक्रिया

एडमंड हैली के अनुसार मानसून हवाओं में उत्क्रमण (reversal)  धरातलीय-तापीय प्रक्रिया का परिणाम है । वस्तुतः सूर्य के उत्तरायण होने से उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का स्थलीय भाग हिन्दमहासागर के जलीय भाग की तुलना में अत्यधिक गर्म हो जाता है । इससे समुद्री उच्च वायु भार क्षेत्र से स्थलीय निम्न वायु भार की ओर नमीयुक्त हवाएँ चलने लगती हैं । इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायन होने के साथ भारत में स्थिति बदल जाती है । अब स्थलीय शुष्क हवाएँ उच्च वायु भार से समुद्रीय निम्न वायु भारत की ओर चलने लगती हैं । इस प्रकार हैली के अनुसार मानसून बड़े पैमाने पर स्थलीय एवं समुद्रीय वायु का परिचायक है, जो छः महीने के लिए दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व और अगले छः महीने के लिए उसके विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है । प्रथम को ‘दक्षिण-पश्चिमी मानसून’ और दूसरे को ‘उत्तर-पूर्वी’ मानसून कहते हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ‘भारतीय मानसून’ वस्तुतः हिन्दु महासागर से निःसृत ऊर्जा है ।

मानसून सम्पूर्ण भारत की वनस्पति, कृषि प्रकारिकी और सामाजिक तथा सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है । भारतीय जन-जीवन पर इतना व्यापक प्रभाव डालने वाला यह मानसून स्वभाव से भी अत्यन्त अनिश्चित है । इसी अनिश्चितता के कारण इसे ‘भारतीय किसान के साथ जुआ’ कहा गया है । मानसून की उत्पत्ति आज भी मौसम वैज्ञानिकों के लिए एक जटिल एवं अनसुलझा प्रश्न बना हुआ है । सर्वप्रथम इसका अध्ययन, अरब भूगोलवेत्ता अलमसूदी द्वारा किया गया था ।

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