(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "चक्रवात"


 अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल


चक्रवात

‘चक्रवात’ का शाब्दिक अर्थ है-एक गोल घेरे में घूमती हुई हवा । चक्रवात को एक प्रकार से घूमती हुई हवाओं का स्तम्भ भी कहा जा सकता है । आमतौर पर चक्रवात निम्न दाब का क्षेत्र रहता है । अतः चारों ओर से केन्द्र की तरफ हवाएँ चलती हैं । इसे सरल रूप में इस प्रकार समझा जा सकता है कि जब किसी एक स्थान पर हवा का निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है, तो उसके आसपास के उच्च दाब के क्षेत्र की हवाएँ तेज़ी से इस निम्न दाब की ओर गोलाकृति में दौड़ने लगती हैं । इसे ही चक्रवात कहते हैं । इन हवाओं की दिशा उत्तरी गालोर्द्ध में घड़ी की सुइयों के अनुकुल होती हैं ।
चक्रवात आकार में गोलाकार, अण्डाकार या पूरा चक्र के समान होते हैं । ये मौसम को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं । इनसे वर्षा और तापमान पर असर पड़ता है ।
प्रकार -
चक्रवात मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं - शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात तथा उष्ण कटिबंधीय चक्रवात

(i)  शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात -

ये चक्रवात दोनों गोलाद्र्धों में 30 से 65 अंश अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं । यहाँ पर धु्रवीय क्षेत्रों से आने वाली हवाओं का मिलन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों से आने वाली हवाओं से होता है । ये दोनों वायु राशियाँ एक-दूसरे में विलीन न होकर अपनी विशिष्टता को बनाए रखती हैं । इन्हीं वाताग्रों से शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति होती है। वायुमंडल में इनकी ऊँचाई 10 से 12 किलोमीटर तथा लम्बाई 160 किलोमीटर से 3200 किलोमीटर तक होती है । इनकी औसत गति ग्रीष्म में 32 किलोमीटर तथा शीत में 48 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है ।

(ii) उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात -

इनका जन्म कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच में होता है । उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की सबसे मुख्य बात यह है कि ये सागरों के मध्य बहुत सक्रिय होते हैं, लेकिन स्थल पर पहुँचते-पहुँचते क्षीण हो जाते हैं । इसलिए ये महाद्वीपों के तटीय भागों पर ही अधिक प्रभावी रह पाते हैं । ये चक्रवात मुख्यतः 5 अंश से 15 अंश अक्षांशों के बीच दोनों गोलाद्र्धों में महासागरों के ऊपर पाये जाते हैं ।
इस उष्ण कटिबंधीय चक्रवात को संयुक्त राज्य अमेरीका में हेरीकेन तथा चीन में टायफून कहा जाता है ।
टारनेडो भी सबसे छोटा उष्ण कटिबंधीय चक्रवात है ; लेकिन सबसे अधिक तबाही मचाने वाला । इसका उद्भव क्षेत्र मुख्यतः अमेरीका है । इसका बड़ा भाग कपासी बादलों से जुड़ा रहता है, जो काले रंग का होता है । इसकी सबसे बड़ी विशेषता है - इसमें हवाओं की गति का 800 किलोमीटर प्रति घंटे का होना, जो अन्य किसी चक्रवात में नहीं पायी जाती । इसकी एक विशिष्टता यह भी है कि ये महासागरों में उत्पन्न न होकर केवल महाद्वीपों या धरातल पर ही उत्पन्न होते हैं । इनकी उत्पत्ति विशेषकर वसन्त और ग्रीष्म ऋतु में होती है ।

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