(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "ज्वालामुखी"


अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल


ज्वालामुखी

पृथ्वी के बहुत गहरे धधकता हुआ तरल पदार्थ है, जिसे मैग्मा कहते हैं । जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ज्वालामुखी एक ऐसा मुख है, जिससे अन्दर की ज्वाला बाहर निकलती है । इस प्रकार ज्वालामुखी धरातल पर बना हुआ वह प्राकृतिक छिद्र है, जिससे पृथ्वी के अन्दर की ज्वाला (मैग्मा) के अतिरिक्त गैस, राख, पानी और चट्टानों के टुकड़े आदि भी बाहर आते हैं ।

ज्वालामुखी के द्वारा पृथ्वी पर बाहर निकले इस गर्म पदार्थ को लावा कहते हैं । इसका तापमान बहुत अधिक लगभग 800 से 1300 डिग्री सेल्सियस तक होता है । पृथ्वी से बाहर निकलने के बाद यह लावा पृथ्वी पर तेज़ी से फैलने लगता है, जिससे बड़ी संख्या में जन-धन की हानि होती है ।

  • विवर - जिस क्षेत्र से पृथ्वी के अन्दर का मेगमा बाहर आता है उस छिद्र को विवर या ग्रेजी कहते हैं ।

  •  काल्डेरा - जब विवर फैलकर बड़ा हो जाता है, तो इसे कुंड या काल्डेरा कहते हैं ।

  •  सिंडर विवर - विवर से निकले हुए पदार्थ जमकर छोटे-छोटे ठोस टुकड़ों का रूप ले लेते हैं । इन्हें सिण्डर कहते हैं । सिण्डर देखने में राख के समान होते हैं ।
    यह जरूरी नहीं है कि ज्वालामुखी विस्फोट के साथ लावा भी बाहर निकले । कभी-कभी लावा बिना किसी विस्फोट के बाहर निकलकर बहता है जिससे ढाल के आकार के ज्वालामुखी बन जाते हैं । महासागरों के मध्य में इस प्रकार के अनेक ज्वालामुखी पाये जाते हैं ।

ज्वालामुखी के क्षेत्र

ज्वालामुखी प्रायः ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ भू पटल कमजोर होता है । साथ ही इसका संबंध भूकम्प प्रभावी क्षेत्रों से भी होता है । हिमालय क्षेत्र इसका अपवाद है, जहाँ भूकम्प तो आते हैं, लेकिन ज्वालामुखी कम पाए जाते हैं । अधिकांश ज्वालामुखी सागर तटों के निकट हैं । यह पानी और ज्वालामुखी के पारस्परिक संबंध को बताता है ।

विश्व में ज्वालामुखी के भी क्षेत्र लगभग वही हैं, जो भूकम्प के हैं । ये इस प्रकार हैं -

(1) प्रशान्त महासागरीय पट्टी - इस पट्टी को अग्नि वलय (Ring of fire)  कहा जाता है । विश्व के अधिकांश ऊँचे ज्वालामुखी इसी पट्टी में मिलते हैं । इसी पट्टी में विश्व का सर्वाधिक ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत काटोपेक्सी है जो दक्षिण अमेरिका द्वीप के इक्वेडोर में है । जापान का फ्यूजियामा और मध्य अमेरिका का चिम्ब्रेरो इसी पट्टी के अन्तर्गत स्थित हैं ।

(2) मध्य महाद्विपीय पट्टी - इस पट्टी में विश्व प्रसिद्ध ज्वालामुखी स्टाम्बेली विसूवियस तथा एटना आदि हैं ।

(3) मध्य अटलांटिक पट्टी - विश्व के 10 प्रतिशत ज्वालामुखी इस पट्टी के अन्तर्गत स्थित हैं:-

(4) पूर्व अफ्रीका पट्टी - यहाँ ज्वालामुखी का औसतन विस्तार पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित है ।

ज्वालामुखी के प्रकार -

ज्वालामुखी के विस्फोट के आधार पर उन्हें तीन प्रकार का माना गया है -
1. सक्रिय ज्वालामुखी - ये वे ज्वालामुखी हैं, जिनमें समय-समय पर विस्फोट होते रहते हैं ।

2. प्रसुप्त ज्वालामुखी - जो ज्वालामुखी रूक-रूककर निकलते हैं, उन्हें प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते हैं । अंडमान द्वीप समूह का बेरन द्वीप इसी तरह का ज्वालामुखी है ।

3. मृत ज्वालामुखी - जिन ज्वालामुखियों में लम्बे समय से उद्गार नहीं हुआ है, उन्हें मृत ज्वालामुखी कहते हैं । हालाँकि हम उन्हें मृत कहते हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि ये कभी फटेंगे ही नहीं । इसलिए ये बड़े भयानक होते हैं ।

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