(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "महासागरीय जल की लवणता "
अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल
महासागरीय जल की लवणता
महासागरीय जल की लवणता
जैसे यह कहा जाता है कि खजूर की तरह केवल लम्बा होने से क्या फायदा, क्योंकि उससे किसी को छाया नहीं मिलती । और यदि उसमें फल भी लगते हैं, तो वे भी बहुत दूर होते हैं । ठीक उसी प्रकार यह भी कहा जाता है कि समुद्र जैसा होने से क्या फायदा, जिसका पानी पीया ही न जा सके क्योंकि वह खारा होता है । समुद्र के इस खारेपन को जन्म देने वाले तत्त्व हैं -
सोडि़यम क्लोराइड, मेग्नेशिया क्लोराइड, केल्शियम क्लोराइड, पोटेशियम क्लोराइड तथा सोडि़यम सल्फेट । इनमें सबसे अधिक योगदान सोडि़यम क्लोराइड का है । इन घुले हुए लवणों के बारे में सबसे आश्चर्यजनक और मज़ेदार बात यह है कि भले ही इन लवणों का योगदान अलग-अलग हो, लेकिन इनका अनुपात लगातार हर स्थान पर एक जैसा ही बना रहता है। कहने का अर्थ यह है कि अलग-अलग समुद्रों के जल का खारापन अलग-अलग हो सकता है, लेकिन उसमें मिले हुए लवणों का प्रतिशत एक जैसा ही होगा ।
खारेपन का कारण - महासागरीय लवणता का मुख्य स्रोत स्वयं पृथ्वी ही है । जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, तो उसके ठोस सतह पर लवण का अनुपात बहुत अधिक था । बाद में इस सतह का क्षरण होने के कारण ये लवण सागर में पहुँच गये । इसके अतिरिक्त समुद्री जल को खारा बनाने में निम्न कारकों का योगदान है -
- समुद्र के खारेपन पर उसमें मिलने वाली नदियों का भी योगदान है । जिस महासागर में नदियाँ अधिक मिलती हैं, वहाँ सामान्यतः खारापन कम पाया जाता है, क्योंकि नदियों का जल अपेक्षाकृत कम खारा होता है, जो समुद्र के जल के खारेपन को कम कर देते हैं । उदाहरण के लिए लाल सागर में कोई भी नदी नहीं मिलती । वहाँ का खारापन 40 से 42 प्रति हजार है, जबकि काला सागर में अनेक नदियाँ गिरती हैं, इसलिए वहाँ का खारापन 17-18 प्रति हजार है ।
जबकि ठीक इसके विपरीत उन झीलों और सागरों का खारापन बहुत अधिक है, जिन्हें अपने में मिलने वाली नदियों से लगातार नमक प्राप्त होता रहता है । इनका संकट यह होता है कि इनमें वाष्पन की प्रक्रिया से नमक की मात्रा बढ़ जाती है । लेकिन वाष्पन के अनुपात में शुद्ध जल प्राप्त नहीं हो पाता । मृत सागर एक ऐसी ही झील है, जिसमें लवणता की मात्रा 240 प्रति हजार है ।
- वायुमण्डलीय दबाव, हवाओं की दिशा तथा महासागरीय जल का संचारण भी समुद्र के खारेपन को प्रभावित करते हैं ।
कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य -
- औसत समुद्री लवणता 35 प्रति हजार है । इसका अर्थ है एक किलोग्राम जल में 35 ग्राम लवण की मात्रा का होना ।
- समुद्री जल में प्रवेश करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है - कैल्शियम ।
- समुद्री लवणता का 77.8 प्रतिशत केवल सोडि़यम क्लोराइड के कारण होता है ।
- समुद्री जल के खारेपन का गहराई के साथ वैसा ही संबंध है, जैसे तापमान का तीन स्तरीय प्रणाली से है । सामान्यतया गहराई बढ़ने के साथ लवणता कम हो जाती है।
- महासागर की लवणता समुद्री जीव एवं जगत को प्रभावित करती है ।
- भूमध्य सागर के निकट अपेक्षाकृत कम लवणता पायी जाती है ।
- आयन मॉडल (ट्रॉपिक्स ) के क्षेत्र में लवणता अधिकतम है ।
- धु्रवीय क्षेत्रों में लवणता न्यूनतम होती है ।
- अन्तः स्थलीय सागरों में लवणता अधिक पाई जाती है
- लवणता पर गर्म और ठण्डी धाराएँ भी प्रभाव डालती हैं ।