(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "पठार"
अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल
पठार
पठार ऊँचाईयों में पर्वतों से कम तथा मैदानों से अधिक ऊँचे होते हैं । सामान्यतया 5 सौ फीट से अधिक ऊँचे भाग को पठार कहते हैं । वस्तुतः इनकी मुख्य विशेषता यह है कि ये मैदानों की अपेक्षा थोड़े से अधिक ऊँचे होते हैं । पृथ्वी के संभवतः 33 प्रतिशत भाग पर पठार हैं ।
पठारों का निर्माण -
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किसी क्रिया के कारण पृथ्वी के एक बड़े हिस्से का अपने आसपास की तुलना में ऊँचा उठ जाने के कारण ।
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ज्वालामुखी के बाद लावा का अधिक मात्रा में एक स्थान पर जमा हो जाने के कारण ।
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पर्वत बन जाने के दौरान किसी कारण से उसी पर्वत का कुछ हिस्सा अधिक ऊपर न उठ पाये ।
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पर्वत जब घिसकर नीचा हो जाए ।
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हवा किसी स्थान पर लगातार मिट्टी के कणों को जमा करने लगे । आदि-आदि ।
कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य -
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तिब्बत विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, जो समुद्र तल से औसतन 16 हजार फीट ऊँचा है ।
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तिब्बत का पठार क्षेत्र की दृष्टि से भी विश्व का सबसे बड़ा पठार है । इसका क्षेत्रफल 7.8 लाख वर्गमील तक है ।
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जम्मू-कश्मीर में हिम नदियों के जमाव से छोटे-छोटे पठार बनते हैं । इन पठारों को मर्ग कहा जाता है । सोजमर्ग और गुलमर्ग ऐसे ही पठार हैं ।
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गढ़वाल का पठार भी हिम नदी के निक्षेप से बना है ।
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विश्व के सबसे ऊँचे पठार अन्तरपर्वतीय पठार हैं ।
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पर्वतों की तलहटी पर स्थित पठार खड़ी पदीय पठार कहलाते हैं । इन पठारों के एक ओर ऊँचे पर्वत तो दूसरी ओर मैदान या समतल होते हैं । भारत का शिलाँग का पठार ऐसा ही पठार है।
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गुम्बदाकार पठारों की रचना ज्वालामुखी प्रक्रिया से होती है । छोटा नागपुर के पठार की रचना ऐसे ही हुई है ।
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समुद्र के तटों के साथ-साथ फैले पठार तटीय पठार कहलाते हैं । भारत का कोरोमण्डल तट तटीय पठार का अच्छा उदाहरण है ।
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तिब्बत का पठार सपाट पठार है ।संयुक्त राज्य अमेरिका का कोलेरेडो पठार मरुस्थलीय पठार का उदाहरण है । इसे युवा पठार ;ल्वनदह च्समजमंनद्ध भी कहा जाता है ।
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भारत में राँची का पठार जीर्ण या वृद्ध ;व्सक च्समजमंनद्ध पठार कहलाता है ।
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जीर्ण या वृद्ध पठार की पहचान उस पर उपस्थित पत्थर ‘मेसा’ से होती है । वस्तुतः जब नष्ट हो रहे पठारों पर कहीं-कहीं कठोर चट्टान के टुकड़े टीले के रूप में बचे रह जाते है, तो उन्हें मेसा या बूटा कहा जाता है ।
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जब वृद्ध पठार अकस्मात युवा अवस्था में आ जाते हैं, तो उन्हें ‘पुनर्युवनीत पठार’ कहा जाता है । राँची का ‘‘पार प्रदेश’’ ऐसा ही पठार है ।