(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "सौर मण्डल"


अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल


सौर मण्डल

  •  सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग में परिक्रमा करने वाले ग्रहों, उपग्रहों, पुच्छल तारों और उल्का आदि के समूह को ‘‘सौर मण्डल’’ कहते हैं ।
  •  सूर्य, चन्द्रमा व रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिण्ड ‘खगोलीय पिण्ड’ या ‘आकाशीय पिण्ड’ कहलाते हैं । पृथ्वी भी एक खगोलीय पिण्ड है ।
  •  जिन खगोलीय पिण्डों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है  वे ‘तारे’ कहलाते हैं । गैसों से बने तारे आकश में काफी बड़े व गर्म हैं । इन तांरों से बहुत अधिक मात्रा में उष्मा व प्रकाश का विकिरण होता है।
  •  सूर्य भी एक तारा है, जो दूसरे तारों की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है । इसलिए पृथ्वी से यह अपेक्षाकृत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है ।
  •  खगोलीय पिण्डों का एक दूसरा वर्ग भी है, जिनमें अपनी उष्मा व प्रकाश नहीं है । ये केवल सूर्य जैसे तारों से प्राप्त प्रकाश को ही परावर्तित करते हैं । इन्हें ‘ग्रह’ कहा जाता है । इस प्रकार पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा एवं प्रकाश लेती है ।
  •  पृथ्वी सहित कुल 9 ग्रह हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं । और सूर्य तथा ये 9 ग्रह मिलकर सौर-मण्डल या सौर-परिवार बनाते हैं ।
  •  ग्रहों की परिक्रमा करने वाले अपेक्षाकृत छोटे पिंडों को ‘उपग्रह’ कहते हैं । जैसे चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाने के कारण उपग्रह कहलाता है ।
  •  सूर्य से ग्रहों की दूरी का क्रम है - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरूण, वरुण, यम (प्लूटो) ।
  •  आकार के अनुसार क्रम है - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध व यम ।
  •  पृथ्वी से दूरी के अनुसार क्रम है - शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि, अरुण, यम ।
  •  सूर्य पृथ्वी से 10 लाख गुना बड़ा है । इसका भार 2×1027 टन है तथा इसके तल का ताप 60000ब है । सूर्य के काले धब्बों का तापमान लगभग 180000ब है । सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट का समय लगता है, जबकि प्रकाश की गति लगभग 3,00,000 कि.मी. प्रति सेकेण्ड है ।
  •  सूर्य अत्यन्त गर्म गैसों से बना है । सूर्य, पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ कि.मी. दूर है ।
  •  चूंकि बुध सूर्य के सबसे निकट है, इसीलिए उसे सूर्य का एक चक्कर लगाने में 82 दिन लगते हैं । इसके विपरीत यम (प्लूटो) को इसकी एक परिक्रमा करने में 248 वर्ष लगते हैं ।
  •  हाल ही में कारला नामक एक ग्रह की खोज हुई है, जो यम से भी आगे स्थित है ।
  •  चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है, जो पृथ्वी से 385,005 कि.मी. दूर है । इसका व्यास 3476 कि.मी. है । पृथ्वी का परिभ्रमण करने में इसे 27 दिन 43 मिनट का समय लगता है । इसे अपनी धुरी पर परिक्रमण करने में 27 दिन 7 घण्टे 43 मिनट व 11.49 से. का समय लगता है ।
  •  चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की भी परिक्रमा करता है ।
  •  चन्द्रमा द्वारा परावर्तित प्रकाश पृथ्वी तक लगभग सवा सेकेण्ड में पहुंच जाता है ।
  •  चन्द्रमा पर दिन का तापमान 1000ब व रात्रि का तापमान -1000ब रहता है । यहाँ का सबसे ऊँचा पर्वत ‘लीविनट्स पर्वत’ है जो 35,000 फीट ऊँचा है ।
  •  धूमकेतु या पुच्छल तारे आकाशीय धूल, बर्फ व हिमानी से बने पिण्ड हैं, जो सूर्य की अनियमित कक्षा में घूमते हैं ।
  •  अवान्तर ग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच पाये जाने वाले 2000 से अधिक छोटे-छोटे उपग्रह जैसे आकाशीय पिण्ड होते हैं ; जैसे-सिरिस, पलास, जुनोवेस्टा आदि ।
  •  अंतरिक्ष में परिभ्रमण करते धूल और गैसीय पिण्ड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी की ओर आकर्षित होते हैं तथा पृथ्वी के वायुमण्डल में घर्षण के कारण चमकने लगते हैं । इनमें से जो पृथ्वी तक पहुँचने से पूर्व जलकर राख हो जाते हैं, उन्हें ‘‘उल्का’’ कहते हैं । और जो पूर्णतः जल नहीं पाते और चट्टानों के रूप में पृथ्वी पर आकर गिरते हैं, ‘उल्काश्म’ कहे जाते हैं ।
  •  पृथ्वी के आकार को ‘लघ्वक्ष गोलाभ’ (Oldate spheroid)  कहते हैं ।
  •  जब सूर्य भूमध्य रेखा पर मध्याह्न में उध्र्वाधर होता है, और पृथ्वी का आधा प्रदीप्त भाग दोनों धु्रवों को समान रूप से शामिल करता है, तब दिन व रात्रि की अवधि बराबर (12-12 घण्टे) होती है । इसे ‘विषुव’ ;मुनपदवगद्ध कहते हैं । ऐसा वर्ष में दो बार होता है । इनमें से 21 मार्च को वसंत विषुव तथा 22 सितम्बर की शरद विषुव कहते हैं ।
  •  21 जून तथा 22, दिसम्बर को सूर्य क्रमशः कर्क (उत्तरी अयनांत) व मकर रेखा (दक्षिणी अयनांत) पर पहुंचता है । इन अवधियों को उत्तरी गोलार्द्ध में क्रमशः ‘ग्रीष्म (कर्क संक्रांति) अयनांत व शीत (मकर संक्रांति) अयनांत’ कहते हैं ।
  •  4 जुलाई को पृथ्वी सूर्य से अधिकतम दूरी पर तथा 3 जनवरी को निकटतम् दूरी पर होती है । इन अवस्थाओं को क्रमशः ‘सूर्याच्च व उपसौर’’ कहते हैं ।
  •  जब पृथ्वी सूर्य व चन्द्रमा के मध्य आ जाती है, तो उसकी छाया चन्द्रमा को धूमिल कर देती है । इसे ‘चन्द्र ग्रहण’ कहते हैं । ठीक इसी प्रकार जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है, तो चन्द्रमा की परछाई सूर्य पर पड़ने लगती है । उसे ही सूर्यग्रहण कहते हैं ।
  •  बुध में वायुमण्डल नहीं है । यह सूर्य का निकटतम ग्रह है । यहां दिन अति गर्म और रातें बर्फीली होती हैं ।
  •  शुक्र के चारों ओर सल्फ्लूरिक एसिड़ के बादल हैं । इसकी सतह चट्टानों व ज्वालामुखी से भरी पड़ी है। यह सबसे चमकीला ग्रह है जिसके कारण इसे ‘‘भोर का तारा’’ व ‘‘सांझ का तारा’’ कहते हैं । इसके वायुमण्डल में 90-95 प्रतिशत कार्बन डाइक्वाइड है । आकार व द्रव्यमान में थोड़ा छोटा होने के कारण इसे ‘‘पृथ्वी की बहिन’’ भी कहते हैं । इसका वायुमण्डलीय दाब पृथ्वी से 100 गुना अधिक है ।
  •  मंगल को लाल ग्रह कहते हैं । इसका सबसे ऊँचा पर्वत ‘निक्स ओलंपिया’ है, जो एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा है । हाल की खोजों से यहां जीवन की संभावना बनी है । मंगल के 2 उपग्रह ‘‘फोबोस व डीमोस’’ हैं ।
  •  बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है । इसका प्रसिद्ध ‘लाल धब्बा’ वास्तव में अशांत बादलों के घेरे में स्थित विशाल चक्रवात है । यह जितनी ऊर्जा अवशोषित करता है, उससे अधिक विकिरण द्वारा उत्सर्जित करता है । इसके 16 उपग्रहों में गैनिमीड, आयो, यूरोपा, कैलिस्वो आदि प्रमुख हैं ।
  •  शनि ग्रह के प्रसिद्ध चतुर्दिक वलय वास्तव में हजारों की संख्या में सर्पीली तरंगों की पेटियाँ हैं । इसके चंद्रमा टिटान  पर नाइट्रोजन तथा हाइड्रोकार्बन के प्रमाण से पता चलता है कि यहां जीवन के लक्षण मौजूद तो है  पर जीवन का अस्तित्व नहीं है । शनि ग्रह के चारों ओर गैस व हिमकण के छोटे-छोटे चट्टानों के मलबे का घेरा है । इसके मुख्य उपग्रह फोबे, टेथिस तथा मीमास’ आदि हैं ।
  •  यम ( प्लूटो) सबसे छोटा ग्रह है । इसका परिक्रमा पथ अत्यन्त दीर्घ वृत्तीय है । इसी कारण 1999 तक वरुण सूर्य का सबसे दूरस्थ ग्रह बना रहा । 2000 में यम सूर्य का सबसे दूरस्थ ग्रह हो गया है ।
  •  मंगल और वृहस्पति की कक्षाओं के बीच में छोटे-छोटे पिण्डों के अनेक झुण्ड हैं, जो क्षुद्र ग्रह ;।(Asterpoid) कहे जाते हैं ।
  •  शुक्र एवं यूरेनस को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों के घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही रहती है ।
  •  यद्यपि पृथ्वी का आकार गोल है, किंतु ध्रुवों पर यह कुछ चपटी है । पृथ्वी आकार व बनावट में शुक्र ग्रह के समान है ।
     

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