(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-1)-2010
(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा-2010 दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-1)
खण्ड़ ‘A’
1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में होनी चाहिए :
(क) कार्यकारण-भाव का अरस्तू का अभिप्राय किस प्रकार कार्यकारण-भाव के आधुनिक अभिप्राय से भिन्न है ?
(ख) क्या ह्यूम ज्ञान की संभावना से इन्कार करता है ? चर्चा कीजिए। '
(ग) क्या कारण है कि कांट का कहना है कि अस्तित्व एक विधेय नहीं है ?
(घ) क्या विटगेनस्टाइन के अनुसार पुनरुक्तियां अर्थहीन होती हैं ?
2. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 200 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(क) जब भूर ज़ोर देकर कहता है कि 'पृथ्वी का अस्तित्व है' या 'हमारे अंदर चेतना है' के प्रकार की प्रतिज्ञप्तियां सामान्योक्तियां हैं, तब वह क्या स्थापित करना चाहता
है ? चर्चा कीजिए।
(ख) स्पीनोज़ा यह क्यों सोचता है कि केवल ईश्वर ही परम वास्तविक है ? स्पष्ट कीजिए।
(ग) क्या आवश्यक प्रतिज्ञप्तियां प्रकृति अनुसार भाषाई होती हैं ? तार्किक प्रत्यक्षवाद के प्रकाश में इस पर चर्चा कीजिए।
3. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 300 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(क) बर्कले के 'ऐसे ऐस्ट पर्सिपी' कथन से कौन से तत्वमीमांसीय निहितार्थ व्युत्पन्न किए जा सकते हैं ?
(ख) आकाश (अंतरिक्ष) और समय की संकल्पनाओं पर लाइबनिज़ और कांट के बीच क्या आधारभूत अंतर है ?
4. निम्नलिखित में से प्रत्येक के लगभग 300 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(क) सार्ने और हाइडेगर में आनुभविक अहम् किस प्रकार हुसर्ल में अनुभवातीत अहम् से भिन्न है ?
(ख) क्या व्यक्ति की स्ट्रोसन की संकल्पना ह्यूम की आत्मन् की संकल्पना का खंडन है ? चर्चा कीजिए।
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खण्ड 'B'
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त टिप्पणियां लिखिए :
(क) क्या प्रभाव कारण के अंदर पूर्वतः विद्यमान होता है ? चर्चा कीजिए।
(ख) रामानुज की धर्मभूतज्ञान की संकल्पना शंकर की स्वरूपज्ञान की संकल्पना से किस बात में भिन्न है ? स्पष्ट कीजिए।
(ग) क्या शंकर की अध्यास की संकल्पना तार्किक है या कि मनोवैज्ञानिक है ? चर्चा कीजिए।
(घ) श्री अरविंद के दर्शन में विकास और प्रतिविकास किस प्रकार से एक दूसरे से संबंधित हैं ?
6. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 200 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(क) "जिस प्रकार ह्यूम के संशयवाद ने कांट को अपनी राद्धांतवादी निद्रा से बाहर निकलने में सहायता की थी, उसी प्रकार चार्वाक दर्शन ने भारतीय दर्शन को राद्धांतिकता से मुक्ति दिलाई थी।" चर्चा कीजिए।
(ख) क्या गुणताओं का द्रव्य के बिना कोई अस्तित्व हो सकता है ? न्याय-बुद्धवाद विवाद के प्रकाश में, अपने मत को - प्रमाणित कीजिए।
(ग) शाश्वत जीवात्मा की अनुपस्थिति में बुद्धवादी पुनर्जन्म की संभावना को किस प्रकार स्वीकार करता है ? चर्चा कीजिए।
7. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 300 शब्दों में उत्तर दीजिए :
(क) बुद्धवाद के द्वितीय धीरोदात्त सत्य (सैकंड नोबल ट्रुथ) के तत्वमीमांसीय निहितार्थों को उजागर कीजिए।
(ख) क्या स्यावाद एकं स्वतोविरोधी सिद्धांत है ? चर्चा कीजिए।
8. निम्नलिखित में से प्रत्येक के लगभग 300 शब्दों में उत्तर
(क) “शंकर और रामानुज दोनों ही अपने-अपने प्रतिज्ञानों में तो सही हैं, परन्तु अपने अस्वीकरणों में ग़लत हैं।" इस कथन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। ।
(ख) न्याय ज्ञानमीमांसा में असाधारण प्रत्यक्षण के अभिप्राय को प्रारंभ करने के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
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