(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-1)-2020

संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2020 दर्शनशास्त्र (Paper-1)
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(a) अरस्तू द्रव्य पर आकार की तथा सम्भाव्यता पर यथार्थता की वरीयता के लिए किस प्रकार युक्ति प्रस्तुत करते हैं? समालोचनात्मक विवेचना प्रस्तुत कीजिए।
(b) लाइब्नीज़ की चिदणु की अवधारणा उनके नियतिवाद तथा स्वतन्त्रता सम्बन्धित विचारों को किस प्रकार प्रभावित करती है? अपनी टिप्पणी के साथ विवेचना कीजिए।
(c) हुसर्ल के अनुसार मनोविज्ञानवाद में क्या समस्या है? हुसर्ल अपनी संवृत्तिशास्त्रीय विधि में मनोविज्ञानवाद सम्बन्धित समस्याओं का क्या निवारण प्रस्तुत करते हैं?
(d) हेगेल के निरपेक्ष प्रत्ययवाद के आलोक में व्यावहारिक जगत् की सत्यता का परीक्षण कीजिए।
(e) “अतिमानव की आत्मा शुभ है।" तार्किक प्रत्यक्षवाद के आलोक में उपर्युक्त कथन का समीक्षात्मक परीक्षण कीजिए।
2. (a) “मैं स्वयं को किसी भी समय प्रत्यक्ष से रहित नहीं पाता हूँ तथा न ही मैं प्रत्यक्ष के अतिरिक्त किसी का अवलोकन कर पाता हूँ।" ह्यूम का यह कथन किस प्रकार वैयक्तिक तादात्म्य की दार्शनिक अवधारणा का समस्यायीकरण करता है? कान्ट अपने 'क्रिटीक ऑफ प्यूर रीज़न' में इस समस्या का किस प्रकार अन्वेषण करते हैं?20
(b) मूर के निम्नलिखित कथन की समालोचनात्मक विवेचना कीजिए : “यदि कोई व्यक्ति हमें कहे कि यह कहना कि 'नीला विद्यमान है' यह कहने के समतुल्य है कि 'नीला तथा चेतना दोनों विद्यमान हैं', तो वह व्यक्ति त्रुटि तथा एक आत्म-व्याघाती त्रुटि करता है।" 15
(c) “मेरा अपनी अवधारणा को तार्किक परमाणुवाद की संज्ञा देने का कारण यह है कि विश्लेषण द्वारा प्राप्त अंतिम अवशेष के रूप में जिन परमाणुओं पर हम पहुँचते हैं, वे तार्किक परमाणु हैं न कि भौतिक परमाणु।" उपर्युक्त कथन के आलोक में रसल के अनुसार परमाण्विक तथ्यों के स्वरूप पर एक टिप्पणी लिखिए। 15
3. (a) 'एकल व्यक्ति' की समस्या के सन्दर्भ में “आत्मनिष्ठता ही सत्य है" के कथन से कीर्केगार्ड का क्या तात्पर्य है? 20
(b) स्ट्रॉसन के मौलिक विशेष सिद्धान्त के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ चिन्तन में देश-कालिक चिन्तन की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। 15
(c) कान्ट के अनुसार विशुद्ध तर्कबुद्धि कब विप्रतिषेध के क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है? क्या कान्ट की विशुद्ध तर्कबुद्धि की विप्रतिषेध की अवधारणा उनके द्वारा प्रतिपादित व्यवहार सत् तथा परमार्थ सत् के भेद की प्राकृतिक परिणति है? अपने उत्तर के पक्ष में युक्ति प्रस्तुत कीजिए। 15
4. (a) “हम जिस रूप में निर्मित हो गये हैं हम उसमें से सदैव कुछ और का निर्माण कर सकते हैं।" सार्च के इस कथन की उनके अस्तित्ववाद से सम्बन्धित विचारों के सन्दर्भ में समालोचनात्मक विवेचना कीजिए। 20
(b) “ईश्वरीय स्वरूप की अनिवार्यता से अनन्त वस्तुओं का अनन्त प्रकार से प्रतिफलन होना अवश्यम्भावी है।" स्पिनोज़ा के इस कथन की कुछ सम्भावित आलोचनाओं सहित व्याख्या कीजिए। 15
(c) “किन्तु क्या हम एक ऐसी भाषा की भी कल्पना कर सकते हैं जिसमें कोई व्यक्ति अपने अन्दरूनी अनुभवों—अपने भावों, मनोदशाओं आदि का लिखित अथवा मौखिक सम्प्रेषण अपने निजी प्रयोग के लिए कर सके?" विटगेन्स्टाइन के द्वारा इस प्रश्न के दिए गए उत्तर की समालोचनात्मक विवेचना कीजिए। 15
UPSC Mains Philosophy (Optional) Study Materials
खण्ड 'B'
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए :
(a) जैन दर्शन के अनुसार कर्म की अवधारणा का परीक्षण कीजिए। उनके मोक्ष की अवधारणा पर इसका कैसे प्रभाव पड़ता है?
(b) सम्शा सम्प्रज्ञात समाधि एवं असम्प्रज्ञात समाधि के भेद की व्याख्या कीजिए।
(c) मीमांसा के अनुसार स्मृति, प्रमा क्यों नहीं है?
(d) द्वैत वेदान्त में पञ्चविध भेद के महत्त्व को दर्शाइए।
(e) निम्बार्क के अनुसार अचित् के स्वरूप एवं प्रकारों की विवेचना कीजिए।
6. (a) बौद्ध दर्शन में क्षणिकवाद की अवधारणा किस प्रकार से प्रतीत्यसमुत्पाद की अवधारणा का तार्किक प्रतिफलन है? व्याख्या कीजिए। 20
(b) चार्वाकों द्वारा आकाश के, सत् के अवयव के रूप में, खण्डन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए तथा उनकी आत्मा के पुनर्जन्म की आलोचना का परीक्षण कीजिए। 15
(c) असत्कार्यवाद के सन्दर्भ में ‘अन्यथासिद्ध' एवं 'अनन्यथासिद्ध' की अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए। 15
7. (a) “एक आम का वृक्ष आम के बीज से विकसित होता है।" सांख्य दर्शन अपने कारणता सिद्धान्त के अनुसार इस प्रक्रिया की, अपने विरोधी मतों को अस्वीकार करते हुए, किस प्रकार व्याख्या करेगा? 20
(b) बौद्ध दर्शन किस प्रकार आत्मन् की पंचस्कन्धों के रूप में व्याख्या करता है? यदि आत्मा नहीं है, तो बौद्ध दर्शन में मोक्ष क्या है?
(c) चार्वाक तथा जैन दर्शन की सत् की अवधारणा के बीच अन्तर की व्याख्या कीजिए।
8. (a) एक सम्भावना एवं अपरिहार्यता के रूप में 'दिव्य जीवन' से अरविन्द का क्या तात्पर्य है?
(b) वैशेषिक दर्शन के सन्दर्भ में विशेष की तार्किक एवं तत्त्वमीमांसीय स्थिति का समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए। 15
(c) अद्वैतवाद के अनुसार जीव एवं जीव-साक्षी के स्वरूप एवं सम्बन्ध की विवेचना कीजिए। 15