संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS (भूविज्ञान-Geology)


संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS

(भूविज्ञान-Geology)


प्रश्न पत्र-1

1. सामान्य भूविज्ञान:

सौरतंत्र, उल्कापिंड, पृथ्वी का उद्भव एवं अंतरंग तथा पृथ्वी की आयु, ज्वालामुखी-कारण एवं उत्पाद, ज्वालामुखी पट्टियां, भूकंप-कारण, प्रभाव, भारत के भूकंपी क्षेत्र, द्वीपाभ चाप, खाइयां एवं महासागर मध्य कटक; महाद्वीपीय अपोढ; समुन्द्र अधस्थल विस्तार, प्लेट विवर्तनिकी; समस्थिति ।

2. भूआकृति विज्ञान एवं सुदूर-संवेदन:

भूआकृति विज्ञान की आधरभूत संकल्पना; अपक्षय एवं मृदानिर्माण; स्थलरूप; ढाल एवं अपवाह; भूआकृतिक चक्र एवं उनकी विवक्षा; आकारिकी एवं इसकी संरचनाओं एवं आश्मिकी से संबंध; तटीय भूआकृति विज्ञान; खनिज पुर्वेक्षण में भूआकृति विज्ञान के अनुप्रयोग, सिविल इंजीनियरी; जल विज्ञान एवं पर्यावरणीय अध्ययन; भारतीय उपमहाद्वीप का भूआकृति विज्ञान। वायव पफोटो एवं उनकी विवक्षा-गुण एवं सीमाएं; विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम; कक्षा परिभ्रमण उपग्रह एवं संवेदन प्रणालियां; भारतीय दूर संवेदन उपग्रह, उपग्रह दत्त
उत्पाद; भू-विज्ञान में दूर संवेदन के अनुप्रयोग; भौगोलिक सूचना प्रणालियां (GIS) एवं विश्वव्यापी अवस्थन प्रणाली (GIS) - इसका अनुप्रयोग ।

3. संरचनात्मक भूविज्ञान 

भूवैज्ञानिक मानचित्र एवं मानचित्र पठन के सिद्धांत, प्रक्षेप आरेख प्रतिबल एवं विकृति दीर्घवृत तथा प्रत्यास्थ, सुघट्य एवं श्यन पदार्थ के प्रतिबल-विकृति संबंध; विरूपति शैली में विकृति चिह्नक; विरूपण दशाओं के अंतर्गत खनिजों एवं शैलों का व्यवहार; वलन एवं भ्रंश वर्गीकरण एवं यांत्रिकी; वलनों, शल्कनों, संरेखणों, जोडों एवं भ्रशों, विषमविन्यासों का संरचनात्मक विश्लेषण; क्रिस्टलन एवं विरूपण के बीच समय संबंध ।

4. जीवाश्म विज्ञान:

जाति-परिभाषा एवं नाम पद्धित; गुरू जीवाश्म एवं सूक्ष्म जीवाश्म; जीवाश्म संरक्षण की विधियां; विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवाश्म; सह संबंध, पेट्रोलियम अन्वेक्षण, पुराजलवायवी एवं पुरासमुद्र- विज्ञानीय अध्ययनों में सूक्ष्म जीवाश्मों का अनुप्रयोग; होमिनिडी एक्विडी एवं प्रोबोसीडिया में विकासात्मक प्रवृति; शिवालिक प्राणिजात; गोडंवाना वनस्पतिजात एवं प्राणिजात एवं इसका महत्व; सूचक जीवाश्म एवं उनका महत्व ।

5. भारतीय स्तरिकी:

स्तरिकी अनुक्रमों का वर्गीकरण: अश्मस्तरिक जैवस्तरिक, कालस्तरिक एवं चुम्बकस्तरिक तथा उनका अंतर्संबंध; भारत की कैब्रियनपूर्व शैलों का वितरण एवं वर्गीकरण; प्राणिजात वनस्पतिजात एवं आर्थिक महत्व की दृष्टि से भारत की दृश्यजीवी शैलों के स्तरिक वितरण एवं अश्मविज्ञान का अध्ययन; प्रमुख सीमा समस्याएं-कैंब्रियन, कैंब्रियन पूर्व, पर्मियन/ट्राईऐसिक, केटैशियस/तृतीयक एवं प्लायोसिन/प्लीस्टोसिन; भूवैज्ञानिक अतीत में भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायवी दशाओं, पुराभूगोल एवं अग्नेय सक्रियता का अध्ययन; भारत का स्तरिक ढांचा; हिमालय का उद्भव।

6. जल भूविज्ञान एवं इंजीनियरी भूविज्ञान :

जल वैज्ञानिक चक्र एवं जल का जननिक वर्गीकरण; अवपृष्ठ जल का संचलन; वृहत ज्वार; सरध्रंता, पराक्राम्यता, द्रवचालितचालकता, परगम्यता एवं संचयन गुणांक, ऐक्विपफर वर्गीकरण; शैलों की जलधरी विशेषताएं; भूजल रसायनिकी; लवणजल अंतर्बेधन; कूपों के प्रकार, वर्षाजल संग्रहण; शैलों के इंजीनियरी गुण-धर्म; बांधें, सुरगों, राजमार्गों एवं पुलों के लिए भूवैज्ञानिक  अन्वेषण; निर्माण सामग्री के रूप में शैल; भूस्खलन-कारण,रोकथाम एवं पुनर्वास; भूकंप रोधी संरचनाएं ।


प्रश्न पत्र-2


 

1. खनिज विज्ञान :

प्रणालियों एवं सममिति वर्गों में क्रिस्टलों का वर्गीकरण क्रिस्टल संरचनात्मक संकेतन की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली क्रिस्टल सममिति को निरूपित करने के लिए प्रक्षेप आरेख का प्रयोग; किरण क्रिस्टलिकी के तत्व । शैलकर सिलिकेट खनिज समूहों के भौतिक एवं रासायनिक
गुण; सिलिकेट का संरचनात्मक वर्गीकरण; आग्नेय एकायांतरित शैलौं के सामान्य खनिज; कार्बोनेट, पफास्पफेट सल्पफाइड एवं हेलाइड समूहों के खनिज; मृत्तिका खनिज । सामान्य शैलकर खनिजों के प्रकाशिक गुणधर्म; खनिजों में बहुवर्णता, विलोप कोण,  द्विअपवर्तन ;डबल रिफैक्शन बाईरेफ्रिजेंसद्ध, यमलन एवं परिक्षेपण ।

2. आग्नेय एवं कायांतरित शैलिकी :

मैगमा जनन एवं क्रिस्टलन; ऐल्बाइट-ऐनाॅर्थाइट का क्रिस्टलन; डायोप्साइड-ऐनाॅर्थाइट एवं डायोप्साइड-वोलास्टोनाइट-सिलिका प्रणालियां; बाॅवेन का अभिक्रिया सिद्धांत; मैग्मीय विभेदन एवं स्वांगीकरण; आग्नेय शैलों के गठन एवं संरचनाओं का शैलजनननिक महत्व; ग्रेनाइट, साइनाइड, डायोराइट, अल्पसिलिक एवं अत्यल्पसिलिक समूहों, चार्नोकाइट, अनाॅर्थोसाइट एवं क्षारीय शैलों की शैलवर्णना एवं शैल जनन; कार्बोनेटाइट्स, डेकन ज्वालामुखी शैल-क्षेत्र । कायांतरण प्ररूप एवं कारक; कायांतरी कोटियां एवं संस्तर; प्रावस्था नियम; प्रादेशिक एवं संस्पर्श कायांतरण संलक्षणी; ।ब्थ् एवं ।ज्ञथ् आरेख; कायांतरी शैलों का गठन एवं संरचना; बालुकामय, मृण्मय एवं अल्पसिलिक शैलों का कायांतरण; खनिज समुच्चय पश्चगतिक कायांतरण तत्वांतरण एवं ग्रेनाइटीभवन; भारत का मिग्मेटाइट, कणिकाश्म शैल प्रदेश ।

3. अवसादी शैलिकी :

अवसाद एवं अवसादी शैल निर्माण प्रक्रियाएं, प्रसंघनन एवं शिलीभवन, संखंडाश्मी एवं असंखंडाश्मी शैल-उनका वर्गीकरण, शैलवर्णना एवं निक्षेपण वातावरण; अवसादी संलक्षणी एवं जननक्षेत्र; अवसादी संरचनाएं एवं उनका महत्व; भारी खनिज एवं उनका महत्व; भारत की अवसादी द्रोणियां ।

4. आर्थिक भूविज्ञान :

अयस्क, अयस्क खनिज एवं गैंग, अयस्क का औसत प्रतिशत, अयस्क निक्षेपों का वर्गीकरण; खनिज निक्षेपों की निर्माणप्रक्रिया; अयस्क स्थानीकरण के नियंत्राण; अयस्क गठन एवं संरचनाएं; धतु जननिक युग एवं प्रदेश; एल्यूमिनियम, क्रोनियम, ताम्र, स्वर्ण, लोह, लेड, जिंक मैंगनीज, टिटैनियम, युरेनियम एवं थेरियम तथा औद्योगिक खनिजों के महत्वपूर्ण भारतीय निक्षेपों का भूविज्ञान; भारत में कोयला एवं पेट्रोलियम निपेक्ष; राष्ट्रीय खनिज नीति; खनिज संसाधनों का संरक्षण एवं उपयोग; समुद्री खनिज संसाधन एवं समुद्र नियम ।

5. खनन भूविज्ञान :

पूर्वेक्षण की विधियां-भूवैज्ञानिक, भूभौतिक, भूरासायनिक एवं भू-वानस्पतिक; प्रतिचयन प्रविधियां, अयस्क निचय प्राक्कलन; धतु अयस्कों, औद्योगिक खनिजों, समुद्री खनिज संसाधनों एवं निर्माण प्रस्तरों के अन्वेषण एवं खनिज की विधियां खनिज सज्जीकरण एवं अयस्क प्रसाधन। 

6. भूरासायनिक एवं पर्यावरणीय भूविज्ञान :

 तत्वों का अंतरिक्षी बाहुल्य; ग्रहों एवं उल्कापिंडों का संघटन;  पृथ्वी की संरचना एवं संघटन एवं तत्वों का वितरण; लेश  तत्व; क्रिस्टल रासायनिकी के तत्व-रासायनिक आवंध्,  समन्वय संख्या, समाकृतिकता एवं बहरूपता; प्रांरभिक  उष्मागतिकी। प्राकृतिक संकट-बाढ़, वृहत क्षरण, तटीय संकट, भूकंप एवं ज्वालामुखीय सक्रियता तथा न्यूनीकरण; नगरीकरण, खनन औद्योगिक एवं रेडियोसक्रिय अपरद निपटान, उर्वरक प्रयोग, खनन अपरद एवं फ्रलाई ऐश सन्निक्षेपण के पर्यावरणीय प्रभाव; भौम एवं भू-पृष्ठ जल प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण;
पर्यावरण संरक्षण-भारत में विधयी उपाय; समुद्र तल परिवर्तन-कारण एवं प्रभाव ।

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