(आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग) सामान्य अध्ययन पेपर - 1: भूगोल "अध्याय - स्थलमंडल"
आँनलाइन निःशुल्क कोचिंग - पेपर 1 (सामान्य अध्ययन)
विश्वय - भूगोल
अध्याय - स्थलमंडल
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यह पृथ्वी की कठोर भूपर्पटी की सबसे ऊपरी सतह है।
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इसकी मोटाई महाद्वीपों और महासागरों में भिन्न-भिन्न होती (35-50) किमी. महाद्वीपों में तथा 61-12 किमी. समुद्रतल में)।
चट्टानें
- पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं।
- बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
1. आग्नेय चट्टान
- ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है।
- इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने वाले लावा (Magma) के पृथ्वी के अंन्दर या बाहर ठंडा होकर जम जाने से होता है।
- ये प्राथमिक मौलिक चट्टनें कहलाती है क्योंकि बाकी सभी चट्टानों का निर्माण इन्हीं से होता है।
- उत्पत्ति के आधार पर ये तीन प्रकार की होती है-
- ग्रेनाइट: इन चट्टानों के निर्माण से मैग्मा धरातल के ऊपर न पहुँचकर अंदर ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है जिसके ठंडा होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है क्योंकि अन्दर का तापमान अधिक होता है और बनने वाले क्रिस्टल काफी बड़े होते हैं।
- बेसाल्ट: ये समुद्री सतह पर पाये जाते हैं।
- ज्वालामुखी: ज्वालामुखी विस्फोट के कारण मैग्मा के बाहर आकर जमने से चट्टानें बनती है।
2. अवसादी चट्टान
- ये प्राचीन चट्टानों के टुकड़ों जीव अवषेषों तथा खनिज के परतदार एवं संगठित जमाव से निर्मित होती है।
- ये भूपष्ष्ठ का केवल 5 प्रतिषत होती है परन्तु भूपष्ष्ठ के 75 प्रतिषत भाग पर पै$ली रहती हैं।
- इन्हें परतदार चट्टानों के नाम से भी जाना जाता है।
- जिप्ससए चीका मिट्टीए चूने का पत्थरए कोयला (एन्थ्रेसाइट के अलावा), बालुका पत्थरए षैलए ग्रेवल आदि अवसादी चट्टानों के उदाहरण हैं।
3. रूपान्तरित चट्टान
- अवसादी एवं आग्नेय चट्टनों में ताप, दबाव और रासायनिक क्रियाओं आदि के कारण परिवर्तन हो जाता है। इससे जो चटट्नें बनती हैं वे रूपान्तरित या परिवर्तित चट्टानें कहलाती हैं।
मूल चट्टान | रूपांतर |
ग्रेनाइट | नाइस (Gneiss) |
बेसाल्ट | ऐम्फी बोलाइट |
बालू पत्थर | क्वार्टजाइट |
चूना पत्थर | संगमरमर |
शेल | स्लेट |
कोयला | ग्रेफाइट, हीरा |
स्लेट | शिष्ट (Schist) |
शिष्ट | फायलाइट |
पर्वत:
- धरातल के 27 % भाग पर पर्वतों का विस्तार है।
- आयु के आधार पर पर्वतों को मुख्यतः दो भागों में विभक्त किया जा सकता है -
1. प्राचीन पर्वत: लगभग तीन करोड़ वर्ष से पहले हुई महाद्वीप विस्थापन से पहले के पर्वत प्राचीन पर्वतों में आते हैं। जैसे - पेनाइन (यूरोप), अल्पेषियन (अमेरिका), अरावली (भारत) आदि। अरावली विश्व्व के सबसे प्राचीन पर्वत माने जाते हैं।
2. नवीन पर्वत: जो पर्वत महाद्वीपीय विस्थापन के बाद अस्तित्व में आये हैं, वे नवीन पर्वतों की श्रेणी में आते हैं, जैस - हिमालय, राकी, एण्डीज, आल्पस आदि। हिमालय विश्व्व के सबसे नवीन पर्वत माने जाते हैं।
- उत्पत्ति के आधार पर पर्वत मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-
वलित या मोड़दार पर्वत
पृथ्वी की विवर्तनिक षक्तियों जैसे - दबाव, संपीड़न, उभार, तनाव आदि के कारण चट्टानों के स्तर में व्यापक मोड़ या वलन का विकास होने से ये पर्वत बनते हैं।
विश्व्व के प्रमुख पर्वत:
हिमालय आल्पस, राकी, एण्डीज, यूराल, एटलस आदि बड़ी श्रेणियों के पर्वत वलित पर्वत ही है।
अवरोधी पर्वत
- ये पृथ्वी के धरातल के ऊपर उठने या नीचे धँसने की वजह से बनते हैं।
- धरातल के नीचे लावा के ठंडा होने की वजह से तनाव व खिंचाव के कारण धरातल में भ्रंष व दरारों का विकास हो जाताहै जिससे वु$छ भाग उ$पर उठ जाता है और कुछ धँस जाता है।
- ऊपर उठा भाग भ्रंषोत्थ पर्वत तथा धसा भाग भ्रंस घाटी कहलाता है।
- नर्मदा, ताप्ती व दामोदर घाटी (भारत), वास्जेस व ब्लैक, फारस्ट पर्वत (यूरोप), वासाच रेंज (अमेरिका), साल्ट रैंज (पाकिस्तान) आदि मुख्य ब्लाक पर्वत हैं।
अवशिष्ट पर्वत:
- अत्यधिक अपरदन या अनाच्छादन के कारण पर्वत अपने प्रारम्भिक स्वरूप को खोकर अवषिष्ट पर्वत का रूप धारण कर लेते हैं।
- विन्ध्याचल, सतपुड़ा, नीलगिरी, पारसनाथ, पूर्वी घाट, पष्चिमी घाट (भारत), हाइलैण्ड्स (स्काटलैण्ड), कैटस्किल (न्यूयार्क) आदि इस श्रेणी के पर्वत हैं।
संग्रहित पर्वत
- इनका निर्माण ज्वालामुखी से निःसृत पदार्थों (मिट्टी, मलबा, लावा आदि) के जमाव से होता है। अतः ये ज्वालामुखी पर्वत भी कहलाते हैं। ओजस डेल सलाडो विष्व का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी (6885 मी0) है। यह एण्डीज पर्वतमाला में चिली में स्थित है।
रेगिस्तान:
पृथ्वी का वह क्षेत्रा जहाँ एक वर्ष में औसतन 25 सेमी से कम वर्षा होती है, मरूस्थल कहलाता है। सामान्यतः मरूस्थल गर्म स्थल होते हैं, परन्तु महाद्वीपों वे$ आंतरिक भाग में पाये जाने वाले मरुस्थल हमेशा गर्म नहीं होते हैं। विष्व वे$ वु$छ प्रमुख मरुस्थल निम्न हैः