(अध्ययन सामग्री): भूगोल - विश्व का भूगोल "वायु राशि"


अध्ययन सामग्री: विश्व का भूगोल


वायु राशि

वायुमण्डल में फैले हुए उस विशाल वायु समूह को ‘वायु राशि’ कहते हैं, जो तापमान तथा आर्द्रता संबंधी विशेषताओं में एक जैसी रहती हैं । एक जैसे गुणों वाली यह वायु राशि हजारों वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली रहती है । वायु राशि के लिए यह जरूरी है कि वह जल या स्थल के ऊपर लम्बे समय तक स्थिर रहे, क्योंकि तभी तापमान और आर्द्रता की दृष्टि से वह एक निश्चित गुण वाली बन सकेगी । इसी के कारण उसका पृथ्वी के साथ एक स्थायी संतुलन स्थापित हो सकेगा । स्पष्ट है कि जिन क्षेत्रों में वायु का क्षैतिज अपसरण ;(Horizontial Divergency) होता है, वहाँ वायु राशि के विकास का अवसर अधिक होता है ।

उत्पत्ति की आदर्श स्थितियाँ -

(i) राशियों के जन्म के लिए आवश्यक है कि एक ऐसा विशाल क्षेत्र हो, जहाँ तापमान और आर्द्रता लगभग एक जैसी हो, क्योंकि तभी वहाँ समान गुणों वाली वायु राशि उत्पन्न हो सकेगी। स्पष्ट है कि इसके लिए आवश्यक होगा कि वायु राशि वाला क्षेत्र या तो पूरी तरह से जल मण्डल हो या फिर स्थल मण्डल ।

(ii)  यह आवश्यक है कि वायु का अपसरण हो यानी कि हवाएँ ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर की ओर न जलकर क्षैतिज रूप में चलें । क्योंकि यदि हवाएँ ऊँचाई और निचाई की दिशा में प्रवाहित होंगी, तो उसके दाब में भिन्नताएँ आ जायेगी, जिससे वायु का भौतिक गुण बदल जायेगा ।

(iii) यह जरूरी है कि वहाँ वायुमंडलीय स्थितियाँ लम्बे समय तक एक जैसी स्थिर होनी चाहिए ।

वायु राशि की विशेषताएँ -

  •  वायु राशियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तापमान तथा आर्द्रता आदि के बारे में उनकी स्वयं पहचान होती है । यहाँ तक की अलग-अलग घनत्त्व की वायु राशियाँ भी एक-दूसरे के सम्पर्क में आने पर एक-दूसरे में विलीन नहीं होतीं, बल्कि वे अपनी अलग पहचान बनाये रखती हैं ।
  •  ये वायु राशियाँ प्रवाहित होकर चाहे जहाँ भी चली जाएं, लेकिन वे अपना मार्ग स्वरूप पहले जैसा ही बनाये रखती हैं ।
  •  यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि वायु राशियाँ अपने उद्गम क्षेत्र पर स्थिर नहीं रह पातीं। वे हमेशा प्रवाहित रहती हैं और अपने सम्पर्क वाले स्थान के तापमान और आर्द्रता को प्रभावित करती हैं । स्वाभाविक है कि इन स्थानों के वायुमंडल का प्रभाव इन वायु राशियों पर भी पड़ता है । लेकिन यह प्रभाव बहुत ही नगण्य होता है ।

वायु राशि के जन्म क्षेत्र -

पृथ्वी पर छः ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी वायु राशि की उत्पत्ति की दृष्टि से पहचान की गई है । ये क्षेत्र हैं -

  •  धु्र्रवीय सागरीय क्षेत्र - अटलांटिक एवं प्रशान्त महासागर के उत्तरी क्षेत्र में शीतकाल में ये वायु राशियाँ उत्पन्न होती हैं ।
  •  धु्रवीय तथा आर्कटिक महाद्वीपीय क्षेत्र - इसके अन्तर्गत यूरिशया, उत्तरी अमेरीका का हिम क्षेत्र तथा समस्त आर्कटिक प्रदेश आता है । यहाँ शीतकाल में वायु राशि उत्पन्न होती है ।
  •  उष्ण कटिबंधीय सागरीय क्षेत्र - यह प्रति चक्रवात का क्षेत्र है । यहाँ शीत एवं ग्रीष्म; दोनों कालों में वायु राशियों का जन्म होता है ।
  •  उष्ण कटिबंधीय महाद्वीपीय क्षेत्र - इसके अन्तर्गत उत्तरी अफ्रीका, एशिया तथा संयुक्त राज्य अमेरीका की मिसिसीपी की घाटी का क्षेत्र आता है ।
  •  भूमध्य रेखीय क्षेत्र - यह व्यापारिक हवाओं के बीच स्थित विषुवत रेखीय कटिबन्ध है । यहाँ वर्षभर वायु राशियाँ उत्पन्न होती रहती हैं ।
  •  मानसूनी क्षेत्र - यह दक्षिण-पूर्वी एशिया का क्षेत्र है, जिसमें भारत भी शामिल है ।
     

प्रकार -

 मुख्य वायु राशि दो प्रकार की होती है । धरातल की तुलना में कम तापमान वाली वायु राशि शीतल वायु राशि कहलाती है, जबकि धरातल की तुलना में अधिक तापमान वाली वायु राशि गर्म या उष्ण वायु राशि कहलाती है ।

वर्गीकरण -

 वायु राशि के वर्गीकरण के दो प्रमुख आधार हैं - ;पद्ध भौगोलिक वर्गीकरण तथा ;पपद्ध उष्मा गतिक वर्गीकरण । भौगोलिक वर्गीकरण के अन्तर्गत वायु राशियों का वर्गीकरण उद्गम के क्षेत्र के आधार पर किया जाता है । जैसे कि उष्ण कटिबंधीय वायु राशि तथा धु्रवीय वायु राशि ।
जबकि उष्मा गतिक वर्गीकरण का आधार उस क्षेत्र के तापमान पर निर्भर करता है । वायु राशि अपने उद्गम स्थान के तापमान और आर्द्रता को ग्रहण करती है । आगे बढ़ने पर भी रास्ते की सभी धरातलीय गुणों को ग्रहण करती है और वहाँ के धरातल को प्रभावित भी करती है । यदि इस वायु राशि की निचली परत का तापमान धरातल की सतह से अधिक होता है, तो वायु राशि की निचली परत ठण्डी हो जाती है । इसके कारण उसमें स्थिरता आ जाती है और उसकी लम्बवत गति रूक जाती है । इसके ठीक विपरीत यदि वायु राशि की निचली परत का तापमान उस सतह से कम होता है, तो वह सतह के तापमान को ग्रहण कर गर्म हो जाती है । परिणामस्वरूप उसमें लम्बवत गति पैदा हो जाती है और वह अस्थिर हो जाती है। इसी से वर्षा आदि की प्रक्रिया शुरू होती है ।

 

<< मुख्य पृष्ठ पर वापस जाने के लिये यहां क्लिक करें