Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-32
Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-32
लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पढ़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेंखांश पर ही आधारित होना चाहिए।
26/11 के मुम्बई आतंकवादी हमले के मुख्य (इकलौता) दोषी मुहम्मद अजमल कसाब द्वारा
दायर की गई दया याचिका को खारिज करने से संबंधित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का
निर्णय इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार दोषी के अपराध के प्रति जनता का
दृष्टिकोण सरकार द्वारा लिये गये किसी निर्णय के समझाने के कर्तव्य पर आवरण डाल देता
है । राष्ट्रपति का निर्णय गोपनीय होने के कारण उन सिद्धांतों को बहुत कम उजागर करता
है जिनसे वह निर्देशित था ।
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4;1द्ध;कद्ध के अनुसार प्रत्येक सार्वजनिक अधिकारी
को अपने द्वारा लिए गए प्रशासनिक या अर्द्ध-न्यायिक निर्णयों के कारणों की जानकारी
प्रभावित व्यक्तियों को देनी होती है । इस प्रावधान में कोई छूट नहीं दी गई है ।
सरकार गलत ढंग से अनुच्छेद 74(2) का आश्रय लेकर दया याचिकाओं पर निर्णयों की जानकारी
माँगने वाले आरटीआई - आवेदकों को जानकारी देने से मना करती है, जो कि केवल मंत्रियों
द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह पर न्यायालय द्वारा पूछताछ को प्रतिबंधित करता है
।
भारत में अंतिम बार फाँसी 2004 में धनंजय चटर्जी को दी गई थी। आरटीआई के तहत गृह
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी से एक पत्रकार ने यह पता लगाया कि उसकी फाँसी में हुई
10 साल की देरी के संबंध में राष्ट्रपति कलाम को जो जानकारी दी गई थी वह गलत और
अपूर्ण थी, जिसमें
आधिकारिक स्तर पर हुई लापरवाही का कोई जिक्र नहीं था । वह कहते हैं कि यदि तार्किक
और पारदर्शी निर्णय लिया गया होता तो सर्वाेच्च न्यायालय को इसमें इस आधार पर
हस्तक्षेप करने में आसानी होती कि धनंजय चटर्जी की फाँसी के पहले राष्ट्रपति के
समक्ष प्रासंगिक सामग्री नहीं रखी गई ।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब को फाँसी पर निर्णय के कारणों को सार्वजनिक न करके
विधि के शासन को और अधिक प्रभावी बनाने का एक उत्तम अवसर खो दिया । मृत्यु दंड
प्राप्त प्रत्येक व्यक्ति को चाहे भले ही अब तक ऐसा कोई मामला न्यायालय में न आया
हो अनुच्छेद 21 के तहत अपनी दया याचिका ठुकराए जाने के कारणों को जानने का अधिकार
है जिससे उसका जीवन समाप्त होने वाला है। अन्य व्यक्तियों को भी सूचना का
अधिकार अधिनियम के तहत इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
1. उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार-
1. सरकार कसाब के अपराध के प्रति जन-दृष्टिकोण के पीछे छिपकर उसकी दया याचिका को
खारिज करने से संबंधित कारणों का खुलासा करने के कत्र्तव्य से बचने की कोशिश कर रही
है।
2. 26/11 मुंबई आतंकी हमले के एकमात्र दोषसिद्ध अजमल कसाब को चोरी-छिपे फाँसी नहीं
दी जानी चाहिए थी।
3. कसाब की दया याचिका खारिज करने का राष्ट्रपति का फैसला उनके द्वारा ऐसा किए जाने
के पीछे निहित कारण पर कोई प्रकाश नहीं डालता।
4. आजकल अभियोजन मीडिया एवं जनमत द्वारा निदेशित होता है।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) 1, 2, 3 एवं 4
2. गद्यांश के अनुसार सरकार किस वजह से दया याचिका खारिज करने के फैसले के पीछे निहित कारण का खुलासा करने में संकोच कर रही है?
1. अजमल कसाब के अपराध के मामले में जनभावनाओं के मद्देनजर।
2. सार्वजनिक क्षेत्र के तहत अनुच्छेद 74(2)
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
3. सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत गृह मंत्रालय के विवरणों से प्राप्त सूचना 2004 में धनंजय चटर्जी की फाँसी के संबंध में हुई एक कमी का खुलासा करती है। यह कमी संबंधित है
(a) मामले में सर्वोच्च न्यायालय का अहस्तक्षेप।
(b) यदि सरवाच्च न्यायालय ने समय रहते हस्तक्षेप किया होता तो धनंजय चटर्जी की फाँसी
की सजा आजीवन कारावास में बदली जा सकती थी।
(c) उसकी दया याचिका पर विचार करने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष रखे गए प्रतिवेदन
में उसकी फाँसी में हुई 10 साल की देरी से संबंधित गलत एवं अपूर्ण दस्तावेज।
(d) उसकी दया याचिका पर पुनर्विचार करने में राष्ट्रपति ने युक्तिसंगत एवं पारदर्शी
निर्णय लिया।
4. निम्नलिखित कथन पर विचार कीजिए-
1. अनुच्छेद 21 के तहत मृत्यु दंड प्राप्त हुए दोषी एवं आम जनता को इस बात का
अधिकार है कि वह अपनी दया याचिका खारिज होने का कारण जाने।
2. अनुच्छेद 74(2) सूचना के अधिकार अधिनियम कर कमजोर करता है।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 एवं 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पढ़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेंखांश पर ही आधारित होना चाहिए।
तीव्र आर्थिक विकास एवं प्रौद्योगिकीय कौशल मे वृद्धि के बावजूद, भारत सतत तौर
पर विकराल गरीबी से जूझ रहा है। तपेदिक, मलेरिया तथा कई अन्य संक्रामक रोगों का बोझ
खेल रहा है। भारतीय अनुसंधान एवं विकास पर एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार इस बोझ को
कम करने के लिए देश को अपनी स्वास्थ प्रणाली को मजबूत बनाना होगा तथा दवाइयों की
पहुँच, मुख्यतः गरीबों तक सुनिश्चित करनी होगी।
नई स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियाँ- जैसे कि सुस्ती और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल
उत्तम दवाएँ, टीके एवं चिकित्सकीय जाँच पद्धति, भारत में बीमारियों से लड़ने में बड़ा
योगदान दे सकते हैं। हमारे पास कुछ गम्भीर रोगों के लिए, वर्तमान में कोई कारगर दवा
या टीका नहीं है, वहीं दूसरी ओर अन्य रोगों हेतु, उपलब्ध प्रौद्योगिकी बहुत महंगी
तो है ही साथ ही साथ इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा हर जगह उपलब्ध नही है, या फिर
स्थानीय आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है । उदाहरणार्थ मलेरिया या डेंगू बुखार के लिए
कोई टीका उपलब्ध नहीं है और न ही टीबी हेतु कोई सस्ती एवं विशुद्ध जाँच या देखभाल
व्यवस्था उपलब्ध है ।
विश्व स्वास्थ्य अनुसंधान एवं विकास नीति मूल्यांकन कार्यक्रम केंद्र के अधीन विकास
संस्था के परिणाम द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट- ‘‘वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान एवं
विकास में भारत की भूमिका,’’ -यह बताती है कि नई स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का सृजन
करने की दृष्टि से भारतीय प्रतिष्ठानों एवम् भारतीय जैव चिकित्सा पद्धति की समग्र
क्षमता बाजार हेतु अभी भी सीमित है । कम बिकने वाले उत्पादो पर कार्य करने हेतु
भारतीय प्रतिष्ठानों को सब्सिडी की आवश्यकता है । उदाहरणार्थ लीशमनियासिस या मियादी
बुखार से संबंधित उत्पाद । साथ ही साथ कुछ उपेक्षित एवं बीमारियों के लिए उपयोगी
उत्पादों का भी वर्ग है जिन्हें ये प्रतिष्ठान वाणिज्यिक उपयोग की से देखते हैं ।
भारतीय प्रतिष्ठान तीन तरह से योगदान कर सकते हैं: मौजूदा उत्पादों को सस्ता एवं
स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर, कुछ नए उत्पादों को बाजार में लाकर जिनके
लिए तकनीकी व्यवधान ज्यादा न हों अन्तर्राष्ट्रीय उत्पाद विकास संबंधी पहलों के
विशिष्ट पहलुओं में जहाँ उन्हे लागत का या अन्य कोई लाभ हासिल हो भागीदारी करके
योगदान करने में सर्वथा सक्षम है ।
5. गद्यांश के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. नई स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी-जैसे सस्ती और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध दवाएँ टीके
तथा जाँच मलेरिया तथा तपेदिक जैसे रोगों से लड़ने में भारत की मदद कर रहे हैं ।
2. कुछ भारतीय प्रतिष्ठानों को उन उत्पादों के विकास हेतु सब्सिडी की आवश्यकता है
जो कम प्रचलित रोगों से लड़ सकें ।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2