Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-33
Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-33
1. भारतीय प्रतिष्ठानों का योगदान अपर्याप्त है क्योंकि यह इन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखते-
(a) मौजूदा उत्पादों का सस्ता और स्थानीय दशाओं के अनुकूल विकास ।
(b) ऐसे नए उत्पादों का विकास जिनकी प्रौद्योगिकी आसानी से उपलब्ध है ।
(c) कम बिक्री या छोटे बाजारों वाले नए उत्पादों का विकास।
(d) लागत एवं अन्य लाभ वाले अन्तर्राष्ट्रीय उत्पादों का विकास।
2. निम्नलिखित कथनों में से कौन गद्यांश का निष्कर्ष प्रस्तुत करता है?
(a) भारत में अब भी व्यापक रूप से गरीबी विद्यमान है तथा वह संक्रामक रोगों के
बोझ से ग्रसित है।
(b) भारत में टी.बी. हेतु कोई सस्ती और विशुद्ध जाँच या देखभाल की व्यवस्था नहीं
है।
(c) भारतीय प्रतिष्ठानों को नए स्वास्थ्य उत्पाद के विकास हेतु सब्सिडी की आवश्यकता
है जो कि प्रौद्योगिकीय रूप से अधिक मजबूत और कारगर हों।
(d) भारतीय प्रतिष्ठानो एवं भारतीय जैवचिकित्सा पद्धति को समग्र क्षमता बाजार हेतु
नई स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का सृजन एवं वितरण करने में अभी भी सीमित है।
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मलेरिया डेंगू और चिकनगुनिया बुखार जैसी गम्भीर बीमारियों के लिए भारत में
कोई दवाई या टीका उपलब्ध नहीं है।
2. टी.बी. और मियादी बुखार जैसे रोगों के लिए कोई सस्ती और विशुद्ध जाँच या देखभाल
व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
(a) केवल 1
(a) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पढ़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेंखांश पर ही आधारित होना चाहिए।
कतर वार्ता से पूर्व विनाश की संभावनाओं को इंगित करती हुई ताजा खबरों की बाड़ के
बीच में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वैश्विक ताप वृद्धि (प्लेनेट वार्मिंग) को
नियंत्रित करना अब और भी मुश्किल हो गया है । संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
की रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसों
के उत्सर्जन में कटौती करने के वर्तमान संकल्प के फलस्वरूर इस सदी में औसत वैश्विक
ताप में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस को वृद्धि देखी जा सकती है ।
पूर्व-औद्योगिक स्तर पर वृद्धि की लक्षित सीमा 2 डिग्री सेल्सियस है । विश्व मौसम
विज्ञान संस्थान ने वायुमंडल में भू तापीय गैसों की मात्रा मे अभूतपूर्व वृद्धि
दर्ज की है वहीं विश्व बैंक ने तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने के
कारण पृथ्वी पर व्यापक विनाश की चेतावनी दी है। यूएनईपी के अनुसार त्वरित कार्यवाही
से अब भी विश्व को पटरी पर लाया जा सकता है लेकिन इसके लिए उत्सर्जन में 14 प्रतिशत
तक की कटौती हो । अर्थात् अभी के 50.1 बिलियन टन प्रति वर्ष उत्सर्जन के बजाय 2020
मै 44 बिलियन टन उत्सर्जन का तत्त्व प्राप्त करना होगा । वैज्ञानिक कहते हैं कि
वैश्विक ताप में औसतन 0.8 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पहले ही हो चुकी है । 190 से
ज्यादा देश वैश्विक जलवायु संधि का मसौदा तैयार करने के लिए कतर में मिलेंगे जिस पर
2015 तक हस्ताक्षर होना और 2020 तक उसका लागू होना अपेक्षित है ।
ये देश क्योटो प्रोटोकाॅल के पुनः कार्यान्वयन के लिए प्रयास करेंगे जो कि समृद्ध
देशों को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी करो को बाध्य करता है । ध्यातव्य है कि
पिछला प्रस्ताव 31 दिसम्बर, 2012 को समाज होने वाला है । यूएनईपी ने कहा है कि
कार्बन डाईआॅक्साइड जैसी तापवर्धक गैसों की सघनता सन् 2000 से अब तक 20 प्रतिशत बढ़
चुकी है। 2008-09 में आई अर्थिक मंदी के दौरान कुछ गिरावट के बाद अब यह उत्सर्जन
फिर से बढ़ रहा है। यदि त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो 2021 तक उत्सर्जन की मात्रा
58 गीगाटन तक पहुँचने की आशंका है।
4. गद्यांश के अनुसार-
1. जलवायु परिवर्तन करने वाली गैसों के उत्सर्जन में कटौती हेतु राष्ट्रों की
प्रतिबद्धताएँ अभी पर्याप्त नहीं हैं।
2. त्वरित कार्यवाही किए जाने के बावजूद मौजूदा 50 बिलियन टन प्रतिवर्ष की आकलित दर
में 2020 तक कमी होने की संभावना नहीं है।
3. कतर में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली सभा में क्योटो प्रोटोकाॅल के नवीनीकरण के
लिए 190 देश भाग लेने वाले हैं।
4. यदि त्वरित कार्यवाही नहीं की गई तो 2020 तक उत्सर्जन की मात्रा 58 गीगाटन तक
पहुँच जाएगी।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
5. गद्यांश द्वारा दिया गया मूल संदेश है-
(a) कतर में होने वाले सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों में सहमति न बन पाने के
कारण वैश्विक तापवृद्धि को नियंत्रित करने का तत्त्व पूरा होना संभव नहीं लगता।
(b) तापवर्धक गैसों में चिंताजनक स्तर पर वृद्धि के कारण 2020 तक स्थिति और बिगड़
सकती है।
(c) संयुक्त राष्ट्र और उसके अंगों द्वारा बड़ी मात्रा में जारी की जा रही रिपोर्टो
के कारण कतर में होने वाला वैश्विक सम्मेलन खटाई में पड़ सकता है।
(d) विश्व बैंक के आकलन चिंताजनक हैं।