संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS (रसायन विज्ञान-Chemistry)
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS
(रसायन विज्ञान-Chemistry)
प्रश्न पत्र-1
1. परमाणु संरचना: क्वांटम सिद्दांत, हाइसेन वर्ग का अनिश्चितता सिद्दांत, श्रोडिंगर तरंग समीकरण ;काल अनाश्रित, तरंग फलन की व्याख्या, एकल विमीय बाॅक्स में कण, क्वांटम संख्याएं, हाइड्रोजन परमाणु तरंग पफलन । S,P और D कक्षकों की आकृति ।
2. रसायन आबंध: आयनी आबंध, आयनी यौगिकों के अभिलक्षण,जालक ऊर्जा, बार्नहैबर चक्र; सहसंयोजक आबंध तथा इसके सामान्य अभिलक्षण । अणुओं में आबंध की ध्रुवणता तथा उसके द्विध्रुव अघूर्ण । संयोजी आबंध सिद्दांत, अनुनाद तथा अनुनाद उर्जा की अवधरणा । अणु कक्षक सिद्दांत (LCAO पद्दति ) H2 +, H2 , He2 से Ne2 , NO, CO, HF CN । संयोजी आबंध तथा अणुकक्षक सिद्दांत की तुलना, आबंध कोटि, आबंध सामथ्र्य तथा आबंध लंबाई ।
3. ठोस अवस्था: क्रिस्टल पद्दति, क्रिस्टल पफलकों, जालक संरचनाओं तथा यूनिट सेल का स्पष्ट उल्लेख । ब्रेग का नियम, क्रिस्टल द्वारा X-रे विवर्तन क्लोज पैकिंग (ससंकुलित रचना), अर्धव्यास अनुपात नियम, सीमांत अर्धव्यास अनुपात मानों के आकलन ।Nacl, Zns CsC1 एवं CaF2 की संरचना । स्टाइकियोमीट्रिक तथा नाॅन-स्टाइकियोमीट्रिक दोष, अशुद्दता दोष, अर्धचालक ।
4. गैस अवस्था एवं परिवहन परिघटना: वास्तविक गैसों की अवस्था का समीकरण, अंतराअणुक पारस्परिक क्रिया, गैसों का द्रवीकरण तथा क्रांतिक घटना, मैक्सवेल का गति वितरण, अंतराणुक संघट्ट, दीवार पर संघट्ट तथा अभिस्पंदन, ऊष्मा चालकता एवं आदर्श गैसों की श्यानता ।
5. द्रव अवस्था: केल्विन समीकरण, पृष्ठ तनाव एवं पृष्ठ ऊर्जा, आर्द्रक एवं संस्पर्श कोण, अंतरापृष्ठीय तनाव एवं कोशिका क्रिया ।
6. ऊष्मागतिकी: कार्य, ऊष्मा तथा आंतरिक ऊर्जा; ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम; एंट्राॅपी एक अवस्था पफलन के रूप में, विभिन्न प्रक्रमों में एंट्राॅपी परिवर्तन, एंट्राॅपी उत्क्रमणीयता तथा अनुत्क्रमणीयता, मुक्त ऊर्जा पफलन, अवस्था का ऊष्मागतिकी समीकरण, मैक्सवेल संबंध्; ताप, आयतन एवं U, H, A, G, Cp ,oa Cv, α एवं βकी दाब निर्भरता; J-T प्रभाव एवं व्युत्क्रमण ताप; साम्य के लिए निकष, साम्य स्थिरांक तथा ऊष्मागतिकीय राशियों के बीच संबंध्, नेन्स्र्ट ऊष्मा प्रमेय तथा ऊष्मागतिकी का तीसरा नियम ।
7. प्रावस्था साम्य तथा विलयन: क्लासियस-क्लेपिरन समीकरण,शद्द पदार्थों के लिए प्रावस्था आरेख; द्विआधारी पद्दति में प्रावस्था साम्य, आंशिक मिश्रणीय द्रवµउच्चतर तथा निम्नतर क्रांतिक विलयन ताप; आंशिक मोलर राशियां, उनका महत्व तथा निर्धारण; आध्क्यि उफष्मागतिकी पफलन और उनका निर्धरण ।
8. विद्युत रसायन: प्रबल विद्युत अपघट्यों का डेबाई हुकेल सिद्दांत एवं विभिन्न साम्य तथा अधिगमन गुणध्र्मों के लिए डेबाई हुकेल सीमांत नियम । गेल्वेनिक सेल, सांद्रता सेल; इलेक्ट्रोकेमिकल सीरीज, सेलों के मउकिा मापन और उसका अनुप्रयोग; ईंधन सेल तथा बैटरियां । इलैक्ट्रोड पर प्रक्रम; अंतरापृष्ठ पर द्विस्तर; चार्ज ट्रांस्पफर की दर, विद्युत धारा घनत्व; अतिविभव; वैद्युत विश्लेषण तकनीक; पोलरोग्रापफी, एंपरोमिति, आयन वरणात्मक इलेक्ट्रोड एवं उनके उपयोग ।
9. रासायनिक बलगतिकी: अभिक्रिया दर की सांद्रता पर निर्भरता, शून्य, प्रथम, द्वितीय तथा आंशिक कोटि की अभिक्रियाओं के लिए अवकल और समाकल दर समीकरण; उत्क्रम, समान्तर, क्रमागत तथा श्रृंखला अभिक्रियाओं के दर समीकरण; शाखन श्रृंखला एवं विस्फोट; दर स्थिरांक पर ताप और दाब का प्रभाव । स्टाॅप-फ्रलो और रिलेक्सेशन पद्दतियों द्वारा द्रुत अभिक्रियाओं का अध्ययन । संघटन और संक्रमण अवस्था सिद्दांत ।
10. प्रकाश रसायन: प्रकाश का अवशोषण; विभिन्न मार्गों द्वारा उत्तेजित अवस्था का अवसान; हाइड्रोजन और हेलोजनों के मध्य प्रकाश रसायन अभिक्रिया और उनकी क्वांटमी लब्धि ।
11. पृष्ठीय परिघटना तथा उत्प्रेरकता: ठोस अधिशोषकों पर गैसों और विलयनों का अधिशोषण, लैंगम्यूर तथा BET अधिशोषण रेखा; पृष्ठीय क्षेत्रापफल का निर्धरण; विषमांगी उत्प्रेरकों पर अभिक्रिया, अभिलक्षण और क्रियाविधि ।
12. जैव अकार्बनिक रसायन: जैविक तंत्रों में धातु आयन तथा भित्ति के पार आयन गमन ;आण्विक क्रियाविधिद्; आॅक्सीजन अपटेक प्रोटीन, साइटोक्रोम तथा पेफरोडेक्सिन ।
13. समन्वय रसायन: (क) धातु संकुल के आबंध सिद्दांत, संयोजकता आबंध सिद्दांत,क्रिस्टल फील्ड सिद्दांत और उसमें संशोध्न, धातु संकुल के चुंबकीय तथा इलेक्ट्रानिक स्पेक्ट्रम कर व्याख्या में सिद्दांतों का अनुप्रयोग ।
(ख) समन्वयी यौगिकों में आइसोमेरिज्म । समन्वयी यौगिकों का UPAC नामकरण; 4 तथा 6 समायोजन वाले संकुलों त्रिविम रसायन, किलेट प्रभाव तथा बहुनाभिकीय संकुल; परा-प्रभाव और उसके सिद्दांत; वर्ग समतली संकुल में प्रतिस्थापनिक अभिक्रियाओं की बलगतिकी; संकुलों की तापगतिकी तथा बलगतिकी स्थिरता ।
(ग) मैटल कार्बोनिलों की संश्लेषण संरचना तथा उनकी अभिक्रियात्मकता; कार्बोक्सिलेट एनाॅयन, कार्बोनिल हाइड्राइड तथा मेटल नाइट्रोसील यौगिक ।
(घ) एरोमैटिक प्रणाली के संकुलों, मैटल ओलेपिफन संकुलों में संश्लेषण, संरचना तथा बंध्, एल्काइन तथा सायक्लोपेंटाडायनिक संकुल, समन्वयी असंतृप्तता, आक्सीडेटिव योगात्मक अभ्रिक्रियाएँ, निवेशन अभिक्रियाएँ, प्रवाही अणु और उनका अभिलक्षण, मैटल-मैटल आबंध तथा मैटल परमाणु गुच्छे वाले यौगिक ।
14. मुख्य समूह रसायनिकी: बोरेन, बोराजाइन, पफास्पेफजीन एवं चक्रीय पफास्पेफजीन, सिलिकेट एवं सिलिकाॅन, इंटरहैलोजन यौगिक; गंधक-नाइट्रोजन यौगिक, नाॅबुल गैस यौगिक ।
15. F ब्लाॅक तत्वों का सामान्य रसायन: लन्थेनाइड एवं एक्टीनाइड; पृथक्करण, आक्सीकरण अवस्थाएँ, चुंबकीय तथा स्पेक्ट्रमी गुणधर्म ; लैथेनाइड संकुचन ।
प्रश्न पत्र-2
1. विस्थापित सहसंयोजक बंध: एरोमैटिकता, प्रतिएरोमैटिकता;एन्यूलीन, एजुलीन, ट्रोपोलोन्स, पुफल्वीन, सिडैनोन ।
2. (क) अभिक्रिया क्रियाविधि: कार्बनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधियों के अध्ययन की सामान्य विधियां (गतिक एवं गैर-गतिक दोनों), समस्थानिकी विधि, क्रास-ओवर प्रयोग, मध्यवर्ती ट्रैपिंग, त्रिविम रसायन, सक्रियण ऊर्जा, अभिक्रियाओं का ऊष्मागतिकी नियंत्रण तथा गतिक नियंत्रण ।
(ख) अभिक्रियाशील मध्यवर्तीः कार्बोनियम आयनों तथा कारबेनायनों, मुक्त मूलकों फ्री रेडिकल) कार्बीनों बेंजाइनों तथा नाईट्रेनो का उत्पादन, ज्यामिति, स्थिरता तथा अभिक्रिया ।
(ग) प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँः SN1 SN2 एवं SNi क्रियाविध्यिाँ प्रतिवेशी समूह भागीदारी, पाइसेल, फ्रयूरन, थियोपिफन, इंडोन जैसे हेट्रोइक्लिक यौगिकों सहित ऐरोमैटिक यौगिकों की इलेक्ट्रापिफलिक तथा न्यूक्यिोपिफलिक अभिक्रियाएँ ।
(घ) विलोपन अभिक्रियाएँः E1 ,E2 तथा Elcb क्रियाविधियां सेजैपफ तथा हॅापफमन E2 अभिक्रियाओं में दिक्विन्यास, पाइरोलिटिक Eyn विलोपन-चुग्गीव तथा कोप विलोपन।
(ड.) संकलन अभिक्रियाएँःC=C तथा C=C के लिए इलेक्ट्रोपिफलिक संकलन, C=C तथा C=N के लिए न्यूक्लियोपिफलिक संकलन, संयुग्मी ओलिपिफल्स तथा कार्बोजिल्स।
(च) अभिक्रियाएँ तथा पुनर्विन्यास : (क) पिनाकोल-पिनाकोलोन, हाॅपफबेन, बेकमन, बेयर बिलिगर, फेवोस्र्की, फ्राइस, क्लेसेन, कोप, स्टीवेन्ज तथा वाग्नर- मेरबाइन पुनर्विन्यास।
(छ) एल्डोल संघनन, क्लैसेन संघनन, डीकमन, परकिन,नोवेनेजेल, विटिग, क्लिमेंसन, वोल्पफ किशनर, केनिजारों तथा पफान-रोक्टर अभिक्रियाएँ, स्टाॅब बैंजोइन तथा एसिलोइन संघनन, पिफशर इंडोल संश्लेषण, स्क्राप, संश्लेषण विश्लर-नेपिरास्की, सैंडमेयर, टाइमन तथा रेपफाॅरमास्की अभिक्रियाँ ।
3. परिरंभीय अभिक्रियाएँः वर्गीकरण एवं उदाहरण, वुडवर्ड हाॅपफमैन नियम,विद्युतचक्रीय अभिक्रियाएँ, चक्री संकलन अभिक्रियाएँ (2+2 एवं 4+2) एवं सिग्मा-अनुवर्तनी विस्थापन (1, 3: 3, 3 तथा 1, 5) FMO उपागम ।
4. (i) बहुलकों का निर्माण और गुणधर्म: कार्बनिक बहुलक-पोलिएथिलीन, पोलिस्टाइरीन, पोलीविनाइल क्लोराइड, टेपफलाॅन,नाइलाॅन, टेरीलीन, संश्लिष्ट तथा प्राकृतिक रबड़ ।
(ii) जैव बहुलक: प्रोटीन, DNA,RNA की संरचनाएँ ।
5. अभिकारकों के सांश्लेषिक उपयोगः O5 O4 HIO4 CrO3 ] Pb (OAc)4 SeO2 NBS, B2H6 Na द्रव अमोनिया LiALH4 NabH4, nBuli ,एवं MCPBA
6. प्रकाश रसायन: साधरण कार्बनिक यौगिकों की प्रकाश रासायानिक अभिक्रियाएँ, उत्तेजित और निम्नतम् अवस्थाएँ, एकक और त्रिक अवस्थाएँ, नारिश टाइप-I और टाइप-II अभिक्रियाएँ ।
7. स्पेक्ट्रोमिकी सिद्दांत और संरचना के स्पष्टीकरण में उनका अनुप्रयोग ।
(i) घूर्णीकृद्विपरमाणुक अणु, समस्थनिक प्रतिस्थापन तथा घूर्णी स्थिरांक।
(ii) कांपनिककृद्विपरमाणुक अणु, रैखिक त्रिपरमाणुक अणु बहुपरमाणुक अणुओं में क्रियात्मक समूहों की विशिष्ट आवृत्तियाँ।
(iii) इलेक्ट्रानिक: एकक और त्रिक अवस्थाएं: द 11’ तथा 11कृ11 ऽसंक्रमण, संयुग्मित द्विआबंध् तथा संयुग्मित कारबोनिकल में अनुप्रयोग-वुडवर्ड-पफीशर नियमऋ चार्ज अंतवरण स्पेक्ट्रा ।
(iv) नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद ;1भ्छडत्द्ध रूआधरभूत सिद्दांतऋ रासायनिक शिफ्रट एवं स्पिन-स्पिन अन्योन्य क्रिया एवं कपलिंग स्थिरांक।
(v)द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमिति: पैरैंट पीक, बेसपीक, मेटास्टेगल पीक, मैक लैपफर्टी पुनर्विन्यास।