संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS (प्रबंध-Management)
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा UPSC Mains Exam Hindi - SYLLABUS
(प्रबंध-Management)
प्रश्न पत्र-1
अभ्यर्थी को प्रबंध की विज्ञान और कला के रूप में संकल्पना और विकास का अध्ययन करना चाहिए और प्रबंध के अग्रणी विचारकों के योगदान को आत्मसात करना चाहिए तथा कार्यनीतिक एवं प्रचालनात्मक परिवेश को दृष्टिगत रखते हुए इसकी संकल्पनाओं को वास्तविक शासन एवं व्यवसाय निर्णयन में प्रयोग में लाना चाहिए ।
1. प्रबंधकीय कार्य एवं प्रक्रिया:
प्रबंध की संकल्पना एवं आधार, प्रबंध चिंतन का विकास: प्रबंधकीय कार्य-आयोजना, संगठन, नियंत्राण; निर्णयन; प्रबंधक की भूमिका, प्रबंधकीय कौशल; उद्यमवृत्ति; नवप्रवर्तन प्रबंध; विश्वव्यापी वातावरण में प्रबंध, नमय प्रणाली प्रबंधन; सामाजिक उत्तरदायित्व एवं प्रबंधकीय आचारनीति; प्रक्रिया एवं ग्राहक अभिविन्यास; प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष मूल्य शंृखला पर प्रबंधकीय प्रक्रियाएं ।
2. संगठनात्मक व्यवहार एवं अभिकल्प:
संगठनात्मक व्यवहार का संकल्पनात्मक निदर्श; व्यष्टि प्रक्रियाएं-व्यक्तित्व, मूल्य एवं अभिवृत्ति, प्रत्यक्षण, अभिप्रेरण, अधिगम एवं पुनर्वलन, कार्य तनाव एवं तनाव प्रबंधन; संगठन व्यवहार की गतिकी-सत्ता एवं राजनीति, द्वन्द्व एवं वार्ता, नेतृत्व प्रक्रिया एवं शैलियां, संप्रेषण; संगठनात्मक प्रक्रियाएं-निर्णयन, कृत्यक अभिकल्य; सांगठनिक अभिकल्प के क्लासिकी, नवक्लासिकी एवं आपात उपागम; संगठनात्मक सिद्धांत एवं अभिकल्प-संगठनात्मक संस्कृति, सांस्कृतिक अनेकता प्रबंधन, संगठन अधिगम; संगठनात्मक परिवर्तन एवं विकास; ज्ञान आधरित उद्यम-प्रणालियां एवं प्रक्रियाएं; जालतंत्रिक एवं आभासी संगठन ।
3. मानव संसाधन प्रबंध:
मानव संसाधन की चुनौतियां; मानव संसाधन प्रबंध के कार्य; मानव संसाधन प्रबंध की भावी चुनौतियां; मानव संसाधनों का कार्यनीतिक प्रबंध; मानव संसाधन आयोजना; कृत्यक विश्लेषण; कृत्यक मूल्यांकन; भर्ती एवं चयन; प्रशिक्षण एवं विकास, पदोन्नति एवं स्थानांतरण; निष्पादन प्रबंध; प्रतिकर प्रबंध एवं लाभ; कर्मचारी मनोबल एवं उत्पादकता; संगठनात्मक वातावरण एवं औद्योगिक संबंध प्रबंध्; मानव संसाधन लेखाकरण एवं लेखा परीक्षा; मानव संसाधन सूचना प्रणाली; अंतर्राष्ट्रीय मानव संसाधन प्रबंध ।
4. प्रबंधकों के लिए लेखाकरण:
वित्तीय लेखाकरण-संकल्पना, महत्व एवं क्षेत्र, सामान्यतया स्वीकृत लेखाकरण सिद्धांत, तुलनपत्र के विश्लेषण एवं व्यवसाय आय मापन के विशेष संदर्भ में वित्तीय विवरणों को तैयार करना, सामग्री सूची मूल्यांकन एवं मूल्य वित्तीय विवरण विश्लेषण, निधि प्रवाह विश्लेषण, नकदी प्रवाह विवरण, प्रबंध लेखाकरण-संकल्पना, आवश्यकता, महत्व एवं क्षेत्रा; लागत लेखाकरण-अभिलेख एवं प्रक्रियाएं, लागत लेजर एवं नियंत्रण लेखाएं, वित्तीय एवं लागत लेखाओं के बीच समाधन एवं समाकलन; उपरी लागत एवं नियंत्रण, कृत्यक एवं प्रक्रिया लागत आंकलन, बजट एवं बजटीय नियंत्रण, निष्पादन बजटन, शून्यधारित बजटन, संगत लागत-आंकलन, एवं निर्णयन लागत-आंकलन; मानक लागत-आंकलन एवं प्रसरण विश्लेषण, सीमांत लागत एवं निर्माण लागत आंकलन, आकंलन एवं अवशोषण लागत-आंकलन ।
5. वित्तीय प्रबंध:
वित्त कार्य के लक्ष्य; मूल्य एवं प्रति लाभ की संकल्पनाएं; बांडों एवं शेयरों का मूल्यांकन; कार्यशील पूंजी का प्रबंध; प्राक्कलन एवं वित्तीयन; नकदी, प्राप्यों, सामग्रीसूची एवं चालू देयताओं का प्रबंधन; पूंजी लागत; पूंजी बजटन; वित्तीय एवं प्रचालन लेवरेज; पूंजी संरचना अभिकल्प; सिद्धांत एवं व्यवहार; शेयरधरक मूल्य सूजन; लाभांश नीति निगम वित्तीय नीति एवं कार्यनीति, निगम कुर्की एवं पुनर्संरचना कार्यनीति प्रबंध; पूंजी एवं मुद्रा बाजार; संस्थाएं एवं प्रपत्र; पट्टे पर देना, किराया खरीद एवं जोखम पूंजी; पूंजी बाजार विनियमन; जोखिम एवं प्रतिलाभ: पोर्टफोलियो सिद्धांत ; CAPM, APT य वित्तीय व्युत्प: विकल्प फ्यूचर्स, स्वैप; वित्तीय क्षेत्रक में अभिनव सुधार ।
6. विपणन प्रबंध:
संकल्पना, विकास एवं क्षेत्रक; विपणन कार्यनीति सूत्राीकरण एवं विपणन योजना के घटक; बाजार का खंडीकरण एवं लक्ष्योन्मुखन; पण्य का अवस्थानन एवं विभेदन; प्रतियोगिता विश्लेषण; उपभोक्ता बाजार विश्लेषण; औद्योगिक क्रेता व्यवहार; बाजार अनुसंधन; उत्पाद कार्यनीति; कीमत निर्धरण कार्यनीतियां; विपणन सारणियों का अभिकल्पन एवं प्रबंधन; एकीकृत विपणन संचार; ग्राहक संतोष का निर्माण, मूल्य एवं प्रतिधरण; सेवाएं एवं अ-लाभ विपणन; विपणन में आचार, ग्राहक सुरक्षा, इंटरनेट विपणन, खुदरा प्रबंध; ग्राहक संबंध् प्रबंध; साकल्यवादी विपणन की संकल्पना ।
प्रश्न पत्र-2
1. निर्णयन की परिमाणात्मक प्रविधियां:
वर्णनात्मक सांख्यिकी-सारणीबद्ध, आलेखीय एवं सांख्यिक विधियां, प्रायिकता का विषय प्रवेश, असंतत एवं संतत प्रायिकता बंटन, आनुमानिक सांख्यिकी-प्रतिदर्शी बंटन, केन्द्रीय सीमा प्रमेय, माध्यों एवं अनुपातों के बीच अंतर के लिए परिकल्पना परीक्षण, समष्टि प्रसारणों के बारे में अनुमान, काई-स्क्वैयर एवं ।छव्ट।ए सरल सहसंबंध एवं समाश्रयण, कालश्रेणी एवं पूर्वानुमान, निर्णय सिद्धांत, सूचकांक; रैखिक प्रोग्रामन-समस्या सूत्रीकरण, प्रसमुच्चय विधि एवं आलेखीय हल, सुग्राहिता विश्लेषण ।
2. उत्पादन एवं व्यापार प्रबंध:
व्यापार प्रबंध के मूलभूत सिद्धांत; उत्पादनार्थ आयोजना; समस्त उत्पादन आयोजना, क्षमता आयोजना, संबंध अभिकल्प: प्रक्रिया आयोजना, संयंत्र आकार एवं व्यापार मान, सुविधओं का प्रबंधन; लाईन संतुलन; उपकरण प्रतिस्थापन एवं अनुरक्षण; उत्पादन नियंत्राण; पूर्ति शृंखला प्रबंधन-विक्रेता मूल्यांकन एवं लेखापरीक्षा; गुणता प्रबंधन; सांख्यिकीय प्रक्रिया नियंत्रण, षड सिग्मा, निर्माण प्रणालियों में नम्यता एवं स्फूर्ति; विश्व श्रेणी का निर्माण; परियोजना प्रबंधन संकल्पनाएं, अनुसंधान एवं विकास प्रबंध, सेवा व्यापार प्रबंध; सामग्री प्रबंधन की भूमिका एवं महत्व, मूल्य विश्लेषण, निर्माण अथवा क्रय निर्णय; समाग्री सूची नियंत्रण, अधिकतम खुदरा कीमत; अपशेष प्रबंधन ।
3. प्रबंध सूचना प्रणाली:
सूचना प्रणाली का संकल्पनात्मक आधार; सूचना सिद्धांत;सूचना संसाधन प्रबंध; सूचना प्रणाली प्रकार; प्रणाली विकास-प्रणाली एवं अभिकल्प विहंगावलोकन; प्रणाली विकास प्रबंध जीवन-चक्र, आॅनलाइन एवं वितरित परिवेशों के लिए अभिकल्पन; परियोजना कार्यान्वयन एवं नियंत्रण; सूचना प्रौद्योगिकी की प्रवृत्तियां; आँकड़ा संसाधन प्रबंधन- आँकड़ा आयोजना; DDS एवं RDBMS; उद्यम संसाधन आयोजना ;(ERP), विशेषज्ञ प्रणाली, E-बिजनेस आर्किटेक्चर, ई-गवर्नेस, सूचना प्रणाली आयोजना, सूचना प्रणाली में नम्यता; उपयोक्ता संबद्धता; सूचना प्रणाली का मूल्यांकन ।
4. सरकार व्यवसाय अंतरापृष्ठ:
व्यवसाय में राज्य की सहभागिता, भारत में सरकार, व्यवसाय एवं विभिन्न वाणिज्य मंडलों तथा उद्योग के बीच अन्योन्य क्रिया; लघु उद्योगों के प्रति सरकार की नीति; नए उद्यम की स्थापना हेतु सरकार की अनुमति; जन वितरण प्रणाली; कीमत एवं वितरण पर सरकारी नियंत्राण; उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) एवं उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण में स्वैच्छिक संस्थाओं की भूमिका; सरकार की नई औद्योगिक नीति; उदारीकरण अ-विनियमन एवं निजीकरण; भारतीय योजना प्रणाली; पिछडे़ क्षेत्रों के विकास के संबंध में
सरकारी नीति; पर्यावरण संरक्षण हेतु व्यवसाय एवं सरकार के दायित्व; निगम अभिशासन; साइबर विधियां ।
5. कार्यनीतिक प्रबंध:
अध्ययन क्षेत्र के रूप में व्यवसाय नीति; कार्यनीतिक प्रबंध का स्वरूप एवं विषय क्षेत्र, सामरिक आशय, दृष्टि, उद्देश्य एवं नीतियां; कार्यनीतिक आयोजना प्रक्रिया एवं कार्यान्वयन; परिवेशीय विश्लेषण एवं आंतरिक विश्लेषण, ैॅव्ज् विश्लेषण; कार्यनीतिक विश्लेषण हेतु उपकरण एवं प्रविधियां-प्रभाव आव्यूह: अनुभव वक्र, BCG आव्यूह, GEC बहुलक, उद्योग विश्लेषण, मूल्य श्रृंखला की संकल्पना; व्यवसाय प्रतिष्ठान की कार्यनीतिक परिच्छेदिका; प्रतियोगिता विश्लेषण हेतु ढांचा; व्यवसाय प्रतिष्ठान का प्रतियोगी लाभ; वर्गीय प्रतियोगी कार्यनीतियां; विकास कार्यनीति-विस्तार, समाकलन एवं विशाखन; क्रोड़ सक्षमता की संकल्पना, कार्यनीतिक नम्यता; कार्यनीति पुनराविस्कार; कार्यनीति एवं संरचना; मुख्य कार्यपालक एवं परिषद् टर्न राउंड प्रबंधन; प्रबंधन एवं कार्यनीतिक परिवर्तन; कार्यनीतिक सहबंध; विलयन एवं अधिग्रहण; भारतीय संदर्भ में कार्यनीति एवं निगम विकास ।
6. अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय:
अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय परिवेश: माल एवं सेवाओं में व्यापार के बदलते संघटन; भारत का विदेशी व्यापार; नीति एवं प्रवृत्तियां; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का वित्त पोषण; क्षेत्राीय आर्थिक सहयोग; FTA ; सेवा प्रतिष्ठानों का अंतर्राष्ट्रीयकरण; अंतर्राष्ट्रीय उत्पादन; अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में व्यवसाय प्रबंध; अंतर्राष्ट्रीय कराधन; विश्वव्यापी प्रतियोगिता एवं प्रौद्योगिकीय विकास; विश्वव्यापी ई-व्यवसाय; विश्वव्यापी सांगठनिक संरचना अभिकल्पन एवं नियंत्राण; बहुसांस्कृतिक प्रबंध; विश्वव्यापी व्यवसाय कार्यनीति; विश्वव्यापी विपणन
कार्यनीति; निर्यात प्रबंध; निर्यात आयात प्रक्रियाएं; संयुक्त उपक्रम; विदेशी निवेश; विदेशी प्रत्यक्ष निवेश एवं विदेशी पोर्टपफोलियो निवेश; सीमापार विलयन एवं अधिग्रहण; विदेशी मुद्रा जोखिम उदभासन प्रबंध; विश्व वित्तीय बाजार एवं अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग, बाह्य ट्टण प्रबंधन; देश जोखिम विश्लेषण ।
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