UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 20 December 2018
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 20 December 2018
:: राष्ट्रीय ::
एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट नहीं कह सकते एफआईआर के लिए:-
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निजी शिकायत के आधार पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दे सकते।
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यदि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी विषय के बारे में शिकायत दर्ज करायी जाती है
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तो वह प्रशासनिक जांच के बाद खुद प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं।
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जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का वह आदेश निरस्त कर दिया जिसमें उसने सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के निर्देश पर निजी कालेज के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया था।
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उन्नाव के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट ने 31 जनवरी को एक छात्रा की निजी शिकायत पर नमन प्रताप सिंह द्वारा संचालित कालेज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
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पीठ ने दंड प्रक्रिया संहिता के विभिन्न प्रावधानों के अवलोकन के बाद कहा कि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष आयी निजी शिकायत के आधार पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।
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न्यायालय ने कहा कि एसडीएम के निर्देश पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। इसलिए प्राथमिकी रद्द की जाती है।
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नमन प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
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उनका तर्क था कि उन्हें कानून की पढ़ाई का तीन वर्षीय पाठ्यक्रम शुरू करने के लिये कानपुर के छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया था।
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उन्होंने दलील दी थी कि यह पाठ्यक्रम शुरू करने के लिये बार कौंसिल आफ इंडिया में 3.5 लाख रुपए भी जमा कराये हैं और उसकी अनुमति की प्रतीक्षा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय और मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के बीच समझौता:-
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ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण युवकों को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के लिए मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताएक्षर किए.
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दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए किए गए समझौते पर ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्रह सिंह तोमर की उपस्थििति में हस्तागक्षर किए गए.
उम्मीकदवारों को प्रशिक्षण: -
सरकार और मोटर वाहन क्षेत्र के प्रमुख उद्योग के बीच इस साझेदारी से दो वर्षों में कम से कम 5,000 उम्मीोदवारों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा
देश के ग्रामीण युवकों को निश्चि्त रूप से नियोजन के अवसर मिल सकेंगे.
उद्देश्य:
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मंत्रालय की इस प्रमुख योजना का उद्देश्य गांवों में रहने वाले गरीब युवकों को बाजार से जुड़े व्यामपार में कौशल प्रदान करना और रोजगार के लिए उपयुक्तर क्षमता सुनिश्चि त करना है.
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अनेक ऐसे चुनौतियां हैं जो भारत के गांवों में रहने वाले गरीबों को औपचारिक शिक्षा और रोजगार योग्य कौशल के अभाव में प्रतिस्पोर्धा से रोकती है.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना: -
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत नियोजन से जुड़ा प्रमुख कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है.
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योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर ग्रामीण गरीबी को कम करना है.
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यह योजना गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे ऊपर मासिक मजदूरी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है.
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यह एक ऐसी योजना जिसका मकसद बेरोज़गारों को नए अवसर प्रदान करना है.
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इस योजना की शुरुआत 25 सिंतबर 2014 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वेंकैया नायडू के अधीन की गई थी.
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इस योजना के तहत 250 से अधिक ट्रेडों में कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है
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जहां ग्रामीण या फिर निर्धन वर्ग के लोग बिना पैसो के शिक्षा/प्रशिक्षित होकर अच्छा रोज़गार प्राप्त कर सकते है.
मारुति सुजुकी:
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मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड सामान्यत: मारुति और इसके पूर्व में मारुति उद्योग लिमिटेड के नाम से जाना जाता था.
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यह संगठन भारत में मोटर निर्माता है.
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यह जापानी मोटरगाडी एवं मोटरसाईकिल निर्माता सुजुकी की एक सहायक कंपनी है.
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मारुति सुजुकी प्रवेश स्तर से कारों की पुरी शृंखलाओं के निर्माता एवं विक्रेता रह चुके हैं.
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नीति आयोग ने अभिनव भारत @ 75 के लिए कार्यनीति जारी की
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नीति आयोग ने 19 दिसंबर 2018 को भारत के लिए समग्र राष्ट्री य कार्यनीति जारी की जिसमें 2022-23 के लिए स्पतष्टम उद्देश्यों को परिभाषित किया गया है.
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यह 41 महत्व0पूर्ण क्षेत्रों का विस्तृतत विवरण है, जो पहले से हो चुकी प्रगति को मान्य ता प्रदान करती है,
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बाध्य1कारी रुकावटों की पहचान करती है और स्पष्टण रूप से वर्णित उद्देश्यों को प्राप्तध करने की दिशा के बारे में सुझाव देती है.
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केन्द्री य वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, सदस्य डॉ. रमेश चन्द और डॉ. वी.के. सारस्वरत तथा मुख्य् कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की उपस्थित में ‘अभिनव भारत @75 के लिए कार्यनीति’ जारी की.
कैसे तैयार की गई कार्यनीति?
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इस कार्यनीति को तैयार करने में नीति आयोग द्वारा सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण का अनुसरण किया गया है.
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नीति आयोग द्वारा प्रत्येेक क्षेत्र में हितधारकों के तीनों समूहों यथा कारोबारी व्य क्ति, वैज्ञानिकों सहित शिक्षाविद् और सरकारी अधिकारियों- के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया.
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इसके बाद, उपाध्याक्ष के स्ततर पर हितधारकों के 7 सेटों में से प्रमुख व्य क्तियों के विविधतापूर्ण समूह के साथ विचार-विमर्श किया गया.
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इन प्रमुख व्यकक्तियों में वैज्ञानिक और नवोन्मेरषी, किसान, सामाजिक संगठन, थिंक टैंक, श्रमिकों के प्रतिनिधि और श्रम संगठन तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे.
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प्रत्येिक अध्याशय के मसौदे को विचार-विमर्श के लिए वितरित किया गया और जानकारियां, सुझाव तथा टिप्पमणियां प्राप्तम करने के लिए केन्द्रीगय मंत्रियों को भी साथ जोड़ा गया.
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इसके दस्ताीवेज का मसौदा सभी राज्योंो और संघ शासित प्रदेशों में भी वितरित किया गया जहां से प्राप्तौ बहुमूल्यि सुझावों को इसमें शामिल किया गया.
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इसे तैयार करते समय सरकार के भीतर– केन्द्री य राज्यम और जिला स्त र पर 800 के ज्यारदा हितधारकों और लगभग 550 बाहरी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया गया.
सिविल सर्विसेज़ में सुधार हेतु सिफारिशें
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नीति आयोग ने सिविल सर्विसेज़ के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु कम करने की सिफारिश की है.
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आयोग ने कहा है कि सिविल सर्विसेज में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए वर्तमान अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए.
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आयोग ने कहा है कि अधिकतम आयु में यह 2022-23 तक लागू कर देनी चाहिए.
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आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी सिविल सेवाओं के लिए केवल एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए.
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सभी सेवाओं में भर्ती के लिए सेंट्रल टैलंट पूल बनाए जाने का सुझाव दिया गया है.
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इसमें अभ्यर्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार विभिन्न सेवाओं में लगाया जाए.
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यह भी सुझाव दिया गया है कि नौकरशाही में उच्च स्तर पर विशेषज्ञों की लेटरल एंट्री को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञों की सेवाएं मिल सकें.
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गवर्नेंस से संबंधित अंतिम खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैं:
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उभरती प्रौद्योगिकियों के बदलते संदर्भ तथा अर्थव्यिवस्था की बढ़ती जटिलताओं के बीच सुधारों का उत्तराधिकारी नियुक्ता करने से पहले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वतयन करना.
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मध्यकस्थ ता की प्रक्रिया को किफायती और त्व रित बनाने तथा न्या यालय के हस्तयक्षेप की आवश्य कता का स्थायन लेने के लिए मध्यथस्थयता संस्थागओं और प्रत्यायित मध्य्स्थोंय का आकलन करने के लिए नए स्वाेयत्त निकाय यथा भारतीय मध्यधस्थोता परिषद की स्थाकपना.
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लंबित मामलों को निपटाना- नियमित न्याथय प्रणाली के कार्य के दबाव को हस्तांबतरित करना.
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भराव के क्षेत्रों को कवर करने, प्ला्स्टिक अपशिष्टक और नगर निगम के अपशिष्टव तथा अपशिष्टक से धन सृजित करने की पहलों को शामिल करते हुए स्ववच्छा भारत मिशन के दायरे का विस्तापर करना.
कर्ज माफी कृषि समस्या का समाधान नहीं : नीति आयोग
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नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि कृषि समस्या के हल के लिए कर्ज माफी कोई समाधान नहीं है।
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कृषि कर्ज माफी को लेकर जारी बहस के बीच बुधवार को ‘स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया @ 75’ दस्तावेज जारी करने के राजीव ने कहा कि ऋण माफी से किसानों के एक तबके को ही लाभ होगा और राहत भी केवल कुछ समय के लिए मिलेगी।
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आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि गरीब राज्यों में केवल 10 से 15 फीसदी किसानों को कर्ज माफी से राहत मिलती है।
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ऐसे राज्यों में बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है, 25 फीसदी किसान भी संस्थागत कर्ज नहीं लेते।
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उन्होंने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कृषि कर्ज माफी से मदद नहीं मिलती।
नारों से दूर नहीं हो सकती गरीबी : जेटली
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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि नारों से नहीं, बल्कि ठोस नीति से गरीबी उन्मूलन किया जा सकता है।
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उन्होंने कहा कि स्लोगन या नारे कुछ समय तक याद रहते हैं, लोग जल्द जान जाते हैं कि उनको लागू नहीं किया जा सकता।
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नीति आयोग के ‘स्ट्रेटजी फॉर न्यू इंडिया @ 75’ को जारी करने के बाद जेटली ने कहा, ठोस और मजबूत नीति अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाती है और अंतत: गरीबी से निकालकर बेहतर जीवन प्रदान करती है।
इसरो द्वारा GSAT-7A उपग्रह का सफल प्रक्षेपण
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इसरो के संचार उपग्रह GSAT-7A का 19 दिसंबर 2018 को श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से सफल प्रक्षेपण किया गया.
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यह केयू-बैंड के उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमताएं मुहैया कराने के साथ-साथ वायुसेना के लिए भी उपयोगी उपग्रह है.
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इस उपग्रह की सहायता से वायुसेना को भूमि पर राडार स्टेशन, एयरबेस और एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) से इंटरलिंकिंग की सुविधा मिलेगी,
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जिससे उसकी नेटवर्क आधारित युद्ध संबंधी क्षमताओं में विस्तार होगा और ग्लोबल कार्यक्षेत्र में दक्षता बढ़ेगी.
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इसरो द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 'यह एक अत्याधुनिक सैटेलाइट है,
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जिसे भविष्य की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है.
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यह देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों तथा उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है.'
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गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व इसरो ने नेवी के लिए रुक्मणि उपग्रह भी लॉन्च किया था.
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विदित हो कि विश्व में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही अभी तक अपनी सेना के लिए इस प्रकार के उपग्रह प्रक्षेपित कर चुके हैं.
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इस उपग्रह में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए करीब 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है.
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इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है.
स्मरणीय तथ्य
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GSAT-7A का वजन 2,250 किलोग्राम है. इसे GSLV-F11 रॉकेट की सहायता से लॉन्च किया गया है.
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यह उपग्रह इसरो ने ही तैयार किया है जो कि आठ वर्ष तक सेवाएं दे सकता है.
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यह उपग्रह वायुसेना के विमान, हवा में मौजूद अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन और ग्राउंड स्टेशनों को जोड़ देगा जिससे एक केंद्रीकृत नेटवर्क तैयार होगा.
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इस उपग्रह को तैयार करने में लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत आई है.
UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit
UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट
पृष्ठभूमि
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इससे पूर्व भारत के सबसे वजनी उपग्रह जीसैट-11 का फ्रेंच गुयाना से एरियनस्पेस रॉकेट की मदद से सफल प्रक्षेपण किया गया.
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जीसैट-11 का सफल प्रक्षेपण देश में ब्रॉडबैंड सेवा को और बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसका प्रत्येक सौर पैनल 4 मीटर से भी बड़ा है
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यह 11 किलोवाट ऊर्जा का उत्पादन करेगा. जीसैट-11 अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह है. इसका जीवनकाल 15 साल से अधिक से ज्यादा का है
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अस्मां जहांगीर को मरणोपरांत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार
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पाकिस्तान की दिवंगत मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील अस्मां जहांगीर सहित चार लोगों को वर्ष 2018 का संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार दिया गया है.
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पुरस्कार की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नाडा एस्पीनोसा ग्रेसेज ने ट्विटर के माध्यम से की थी.
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अस्मां जहांगीर के अतिरिक्त जिन तीन लोगों को पुरस्कृत किया गया है
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उनके नाम - तंजानिया की मानवाधिकार कार्यकर्ता रेबेका जियूमी, ब्राजील की वकील जीनिया वापीचाना और आयरलैंड का मानवाधिकार संगठन फ्रंटलाइन डिफेंडर हैं.
मुख्य बिंदु
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अस्मां जहांगीर यह सम्मान पाने वाली चौथी पाकिस्तानी महिला हैं.
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इससे पहले बंगम राना लियाकत अली खान (1978), बेनजीर भुट्टो (2008) और मलाला युसूफजई (2013) को यह सम्मान मिल चुका है.
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अस्मां जहांगीर (66) का दिल का दौरा पड़ने से 11 फरवरी, 2018 को निधन हो गया था.
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वे पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की पहली महिला अध्यक्ष भी रहीं थीं.
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पाकिस्तान में उन्हें मानवाधिकारों को लेकर बेबाक राय रखने के लिए जाना जाता था.
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मानवाधिकारों के लिए उन्होंने सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ी और सेना से भी भिड़ीं थीं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार
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मानवाधिकार के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र सम्मान एक मानद पुरस्कार है जो मानवाधिकार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर दिया जाता है.
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यह सम्मान 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के दिन न्यूयॉर्क में आयोजित एक समारोह में दिया गया.