UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 10 January 2019
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 10 January 2019
:: राष्ट्रीय ::
सीबीआई फिर संभालते ही वर्मा ने रद्द किए ट्रांसफर
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा ने 77 दिन बाद अपना कार्यभार बुधवार को संभाल लिया।
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कार्यभार संभालते ही वर्मा ने तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव द्वारा जारी अधिकतर स्थानांतरण आदेशों को रद्द कर दिया।
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केंद्र सरकार ने 23 अक्तूबर 2018 को देर रात आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था।
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इस कदम की व्यापक स्तर पर आलोचना हुई थी। मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके बाद बुधवार को वर्मा ने कार्यभार संभाल लिया।
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वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की जांच पूरी होने तक उन पर कोई भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगाई है।
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वर्मा का सीबीआई निदेशक के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक उच्च अधिकार प्राप्त चयन समिति के लिए उनके बाद सुप्रीमकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एके सीकरी को मनोनीत किया है।
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समिति में प्रधानमंत्री के अलावा सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होते हैं।
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यानी पीएम नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस समिति में हैं।
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चूंकि वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर बहाल करने वाली पीठ में सीजेआई शामिल थे, इसलिए उन्होंने समिति की बैठक से खुद को दूर रखा है।
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इस समिति को एक सप्ताह के भीतर बैठक का आदेश दिया गया है।
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वर्मा का सीबीआई निदेशक के रूप में दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।
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गौर हो कि शीर्ष अदालत ने मंगलवार को वर्मा को कुछ शर्तों के साथ सीबीआई निदेशक पद पर बहाल किया था।
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इस आदेश में केंद्र और सीवीसी को झटका देते हुए वर्मा से शक्तियां वापस लेने तथा उन्हें छुट्टी पर भेजने के उनके फैसले को निरस्त किया गया था।
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यह मामला वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप को लेकर शुरू हुआ था।
महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा बीजद
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ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बीजद महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा।
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पटनायक ने यहां एक बैठक के इतर संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी की नीति के तहत बीजद भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ समान दूरी बनाए रखेगा।
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उन्होंने कहा,‘हम भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए रखने की हमारी नीति को जारी रखेंगे।’
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पटनायक ने कहा,‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि जहां तक महागठबंधन की बात है, तो बीजू जनता दल इसका हिस्सा नहीं है।’ बता दें कि कई विपक्षी पार्टियां इन दिनों महागठबंधन की कवायद में जुटी पड़ी हैं।
सवर्ण आरक्षण बिल को राज्यसभा की भी हरी झंडी
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लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी व शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन (124वां) विधेयक-2019 को हरी झंडी दिखा दी है।
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बुधवार को देर रात तक चली बहस के बाद बिल के पक्ष में 165 और विरोध में 7 वोट पड़े।
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इससे पहले विपक्ष के कई प्रस्तावों को बहुमत से खारिज कर दिया गया। इनमें से एक प्रस्ताव बिल को सलेक्ट कमेटी को सौंपने का भी था।
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बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा।
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इस आरक्षण का लाभ सभी धर्मों के उन गरीबों को मिलेगा जो अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए घोषित आरक्षण के दायरे से बाहर हैं।
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इससे पहले कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने कहा कि वे बिल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार बताये कि इसे लाने में जल्दबाजी क्यों की गई।
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कई ने आशंका जताई कि यह बिल सुप्रीमकोर्ट में टिक नहीं पाएगा।
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि 8 लाख रुपए कमाने वाला परिवार गरीब है तो सरकार को 8 लाख तक की कमाई पर इनकम टैक्स भी माफ कर देना चाहिए। -
इस पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राज्यों को अधिकार दिया गया है कि वे इस 8 लाख रुपए की सीमा को घटा-बढ़ा सकते हैं।
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चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने बिल को अचानक लाए जाने पर सवाल उठाया।
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शर्मा ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2014 के घोषणापत्र में जिक्र किया था।
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उन्होंने कहा कि 3 राज्यों में हार के कारण सरकार यह बिल लाई है।
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सपा के रामगोपाल यादव ने बिल का समर्थन करने के साथ ही ओबीसी को उनकी जनसंख्या के आधार पर 54 फीसदी आरक्षण देने की मांग की।
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उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाए।
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इससे पहले चर्चा शुरू करते हुए भाजपा के प्रभात झा ने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए आरक्षण को लेकर लंबे समय से इंतजार था।
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प्रधानमंत्री मोदी ने यह कर दिखाया।
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पूर्व आईएएस की 8.80 करोड़ की संपत्ति कुर्क
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने आय से अधिक संपत्ति के मामले में धनशोधन (मनी लांड्रिंग) निरोधक कानून के तहत केरल के पूर्व आईएएस अधिकारी की संपत्ति कुर्क की है।
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केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसने धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत टीओ सूरज के खिलाफ अस्थायी आदेश जारी कर उनकी 13 अचल संपत्तियों, चार वाहनों और 23 लाख रुपये की नकदी को कुर्क किया है।
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कुर्क की गई संपत्ति का मूल्य 8.80 करोड़ रुपये आंका गया है।
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केरल के सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा सूरज के खिलाफ दर्ज मामले के आधार पर ईडी ने केस दायर किया था।
2010 के आईएएस टॉपर शाह फैसल ने दिया इस्तीफा
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वर्ष 2010 के आईएस टॉपर शाह फैसल ने बुधवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया।
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उन्होंने अपने इस्तीफे के कारण भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर धकेलने, कश्मीर में हो रही हत्याएं बताया है।
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फैसल ने फेसबुक पर एक पोस्ट में यह घोषणा की।
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उन्होंने लिखा कि कश्मीर में लगातार हत्याओं के मामलों में केंद्र सरकार कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रही है।
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हिंदूवादी ताकतों ने करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों को हाशिये पर ढकेल दिया है।
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उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों और भारत में अति-राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता और नफरत की बढ़ती संस्कृति के खिलाफ मैंने आईएएस से इस्तीफे का फैसला किया है।
समुद्री अर्थव्यवस्था पर काम करेंगे भारत-नॉर्वे
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भारत और नॉर्वे समुद्री अर्थव्यवस्था पर काम करेंगे। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नॉर्वे की उनकी समकक्ष एर्ना सोलबर्ग के साथ बातचीत हुई।
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इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार बढाने का संकल्प भी लिया।
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दोनों देशों ने भारत-नॉर्वे सागरीय वार्ता आयोजित करने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये।
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सोलबर्ग सोमवार को यहां पहुंची थीं। उनका मंगलवार सुबह राष्ट्रपति भवन में रस्मी स्वागत किया गया।
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मोदी ने सोलबर्ग के साथ बातचीत के बाद एक बयान में कहा, ‘हमने अपने सहयोग के सभी क्षेत्रों की समीक्षा की और द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा तथा दिशा देने के तरीकों पर चर्चा की।’
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उन्होंने कहा कि उन्होंने सागरीय अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर ‘सार्थक चर्चा’ की।
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भारत और नॉर्वे के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत सहयोग है।
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दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार, बहुस्तरीय निर्यात नियंत्रण प्रणाली और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर करीबी समन्वय है।
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सतत विकास लक्ष्यों के बारे में मोदी ने कहा कि वे भारत के विकास लक्ष्यों से पूरी तरह से तालमेल बनाए हुए हैं।
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मोदी ने कहा, ‘जब मैं 2017 में जी-20 शिखर वार्ता में प्रधानमंत्री सोलबर्ग से मिला था तो उन्होंने मुझे उपहार में फुटबॉल दिया था… उसका अर्थ अलग था।
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यह फुटबॉल खेल के गोल के लिए नहीं बल्कि ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ का प्रतीक था।’
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नॉर्वे की प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के महत्व और इसकी जनसंख्या को देखते हुए, जब तक ‘भारत को साथ नहीं लाया जाता’, विश्व सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंच नहीं पाएगा।
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उन्होंने कहा, ‘मैंने भारत में, विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में किये गये कार्य में शानदार सुधार देखा