UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 27 January 2019
UPSC परीक्षा : दैनिक करंट अफेयर्स, Hindi Current Affairs - 27 January 2019
चेन्नई में सौर ऊर्जा और जल उपचार प्रौद्योगिकी मिशन केन्द्रों का शुभारंभ किया गया
- केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी् विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 25 जनवरी 2019 को चेन्ननई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानन मद्रास (आईआईटीएम) में स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा स्थारपित तीन प्रमुख केंद्रों का शुभारंभ किया.
सौर ऊर्जा केंद्र
- इन तीनों में पहले डीएसटी- आईआईटीएम सोलर एनर्जी हारनेसिंग सेंटर की स्थातपना की गई है.
- इस केंद्र में सिलिकॉन सोलर सेल जैसी अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों की विस्तृसत श्रृंखला पर ध्यापन केंद्रित किया जायेगा.
- सिलिकॉन सोलर सेल उच्चृ दक्षता से युक्त् हैं और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल हैं.
- इस केंद्र में नियुक्तृ अनुसंधानकर्ताओं के नेटवर्क में आईआईटी मद्रास, आईआईटी गुवाहाटी, अन्ना विश्वरविद्यालय, आईसीटी मुंबई, बीएचईएल और केजीडीएस के वैज्ञानिक शामिल हैं.
जल उपचार केंद्र
- दूसरा केंद्र डीएसटी-आईआईटीएम वॉटर-आईसी फॉर एसयूटीआरएएम ऑफ ईज़ी वॉटर (निपुण, सस्तेव और समाधानों के लिए सतत उपचार, पुन: उपयोग और प्रबंधन के लिए डीएसट आईआईटीएम वॉटर इनोवेशन सेंटर) है.
- इसे अपशिष्टन जल प्रबंधन, जल उपचार, सेंसर विकास, तूफान के जल के प्रबंधन, वितरण और एकत्रीकरण प्रणालियों से संबंधित विभिन्नस मुद्दों के बारे में समावेशी अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजित करने के उद्देश्य से स्था पित किया गया है.
- यह बहुविध संस्था गत वर्चुअल केंद्र, अपशिष्टे जल उपचार, पुन:उपयोग, तूफान जल प्रबंधन के माध्य म से जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए एक स्थाधयी दृष्टिकोण स्थालपित करेगा.
- अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास और क्षमता निर्माण के माध्यषम से बहुत अधिक प्रदूषित और जल का अधिक उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए ग्रामीण और शहरी भारत के लिए पेयजल के पर्याप्तद, सुरक्षित, विश्वबसनीय और सतत स्रोतों को सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी तरीके से कार्य करने और सहयोग करने के लिए इस क्षेत्र में अपशिष्टक जल प्रबंधन, जल उपचार, सेंसर विकास और तूफान जल प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्नर प्रमुख संगठनों के विभिन्न समूहों के लिए विशिष्ट अवसर उपलब्धन करायेगा.
सोलर थर्मल केंद्र
- तीसरा केंद्र ‘द टेस्टं बेड ऑन सोलर थर्मल डिसेलिनेशन सोल्यूषशन्सअ’ होगा.
- इसे तमिलनाडु में रामनाथपुरम जिले के नारिपयूर में एक समाधान प्रदाता के रूप में आईआईटी मद्रास और इम्पीिरियल केजीडीएस द्वारा स्थाूपित किया जा रहा है.
- इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित शुष्का तटीय गांव में मौजूद जल चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी समाधान उपलब्धश कराना है.
- इसके विकास से सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए तटीय क्षेत्रों में पीने का पानी उपलब्धक कराने के लिए अनुकूल प्रौद्योगिकीय जल समाधान उपलब्धे होंगे.
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जैव ईंधन से सैन्य विमान उड़ाने की मंजूरी
- सेंटर फॉर मिलिट्री एयरर्विदनेस एंड र्सिटफिकेशन (सीईएमआईएलएसी) ने 22 जनवरी 2019 को जैव ईंधन से सैन्य विमान उड़ाने की मंजूरी दे दी हैं.
- जमीन पर और आसमान में महीनों तक किये गये व्यापक परीक्षणों के बाद देश में उत्पादित जैव ईंधन के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है.
- सीईएमआईएलएसी द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) द्वारा जैव ईंधन का इस्तेमाल सबसे पहले अपने परिवहन बेड़े और हेलिकॉप्टरों में किए जाने की उम्मीद है.
मिश्रित जैव और जेट ईंधन के साथ पहली उड़ान:
- इस मंजूरी के बाद वायुसेना 26 जनवरी को पहली बार आईएएफ एन-32 विमान को मिश्रित जैव और जेट ईंधन के साथ उड़ाने की प्रतिबद्धता पूरी कर सकेगी.
- यह मंजूरी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इससे अंतत: लगातार परीक्षण और जैव ईंधन के वाणिज्यिक स्तर के नागरिक विमान में इस्तेमाल को लेकर पूर्ण सत्यापन मिल सकेगा.
- ये परीक्षण शीर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सत्यापन एजेंसियों द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के हिसाब से किए गए हैं.
- रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सभी सैन्य और नागरिक विमानों में जेट ईंधन के इस्तेमाल हेतु भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आईएएफ, शोध संगठनों तथा उद्योग के साथ मिलकर
- एटीएफ के लिए नए मानदंड बनाए हैं.
- इससे भारतीय मानदंड मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो जाएंगे.
जैव ईंधन:
- जैव ईंधन गैर पारंपरिक स्रोतों से तैयार किया जाता है,
- जिसमें गैर खाद्य श्रेणी की वनस्पतियां और पेड़ों से मिलने वाले तेल आदि शामिल हैं.
- फिलहाल जैव-जेट ईंधन का निर्माण छत्तीसगढ़ में मिलने वाले जेट्रोफा के बीजों से किया जा रहा है.