(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-1)-2011
(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा-2011 दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-1)
खण्ड़ ‘A’
1. (अ) प्लेटो प्रत्यय-जगत् को इन्द्रियानुभविक-जगत् से किस "प्रकार संबंधित करता है ? विवेचन कीजिये।
(ब) देकार्त ईश्वर के अस्तित्व पर संदेह क्यों नहीं करता है ? व्याख्या कीजिये।
(स) रसेल के विवरण सिद्धांत में 'अपूर्ण प्रतीक' का क्या विचार है ? विवेचन कीजिये।
(द) "मैं स्वयं के प्रति एवं प्रत्येक अन्य के प्रति उत्तरदायी हूँ।'' इस कथन का सार्च के अस्तित्ववाद के संदर्भ में विवेचन कीजिये।
2. (अ) “झुम ने मुझे मताग्रही निद्रा से जगा दिया।" काण्टं ने किस संदर्भ में यह कथन कहा था ? विवेचन कीजिये।
(ब) सत्यापन सिद्धांत की सीमाओं का विवेचन कीजिये।
(स) अनुभववादियों के अनुसार द्रव्य की क्या अवधारणा है ? विवेचना कीजिये।
3. (अ) "शब्द का अर्थ उसके प्रयोग में निहित होता है।" विस्तार से समझाइये।
(ब) हुसर्ल के अनुसार विषयापेक्षा क्या है ? विषय के अर्थ तक पहुँचने में इसकी क्या भूमिका है ?
4. (अ) प्रत्ययवाद के विरुद्ध जी. ई. मूर के द्वारा दिये गये तर्क क्या पर्याप्त हैं ? स्वयं के उत्तर के लिये कारण दीजिये।
(ब) स्पिनोज़ा के नियतवाद के सिद्धांत के साथ क्या स्वतंत्रता की अवधारणा संगत है ? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिये।
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खण्ड 'B'
5. (अ) जैनदर्शन के अनुसार मोक्ष मार्ग क्या है ? विवेचन कीजिये।
(ब) क्या शून्यवाद एक दार्शनिक सिद्धांत है ? मूल्यांकन । कीजिये।
(स) नैयायिकों द्वारा ईश्वर के अस्तित्व के पक्ष में दिये गये तर्को में क्या आप कोई अपूर्णता पाते हैं ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिये।
(द) वैशेषिक दार्शनिक अभाव को एक स्वतंत्र पदार्थ क्यों मानते हैं ? समझाइये।
6. (अ) सप्तभंगी नय को एक संदेहवादी सिद्धांत क्यों नहीं माना जाता है ? विवेचन कीजिये।
(ब) नैयायिकों की आलोचना से मीमांसक स्वतः प्रामाण्यवाद की रक्षा कैसे करते हैं ? विवेचन कीजिये।
(स) प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिपादन में 'नाम-रूप' की बौद्धमतीय अवधारणा का क्या महत्व है ?
7. (अ) सांख्य दर्शन के बहुपुरुषवाद के समर्थक तर्कों की परीक्षा कीजिये।
(ब) “योग मनो-भौतिक व्यायाम से अधिक है।" इस कथन का विश्लेषण कीजिये एवं अपने निष्कर्ष के समर्थन में तर्क दीजिये।
8. (अ) चार्वाक आकाश की अवधारणा का खंडन क्यों करते हैं ? विवेचन कीजिये।
(ब) बौद्धों के लिए निर्वाण की अवधारणा क्या एक तार्किक आवश्यकता है ? स्वयं के उत्तर के समर्थन में कारण दीजिये।
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