(Download) संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - दर्शनशास्त्र (प्रश्न-पत्र-2)-2021
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा - मुख्य परीक्षा (Download) UPSC IAS Mains Exam 2021 दर्शनशास्त्र (Paper-2)
खण्ड ‘A’
Q1. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
1.(a) आर नोज़िक द्वारा प्रतिपादित न्याय के विवरणात्मक सिद्धांत की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
1.(b) रूसो किस प्रकार प्राकृतिक और कृत्रिम असमानता में भेद करते है ? व्याख्या कीजिए।
1.(c) क्या ऑस्टिन का सम्प्रभुता का सिद्धांत प्रजातंत्र के साथ संगत है। विवेचना कीजिए।
1.(d) क्या राजतंत्र, शासन की एक व्यवस्था के रूप में वैयक्तिक स्वतंत्रता के लिए स्थान प्रदान करता है ? व्याख्या कीजिए।
1.(e) भूमि एंव संपत्ति के अधिकार किस प्रकार महिला सशक्तिकरण में प्रभावी हो सकते है?व्याख्या कीजिए।
2.(a) क्या अम्तर्य सेन की न्याय की अवधारणा रॉल्स के न्याय के सिद्धांत का एक परिकृष्ट रूप है? विवेचना कीजिए।
2.(b) दण्ड के सुधारात्मक सिद्धांत की व्याख्या कीजिए और विवेचना कीजिए की क्या यह मानवीय गरिमा के साथ सुसंगत है।
2.(c) क्या मानववाद धर्म का स्थापन्न हो सकता है ? वर्तमान भारतीय समाज के प्रसंग में इसकी व्याख्या एंव मूल्यांकन कीजिए।
3.(a) एक राजनीतिक विचारधारा के रूप अराजकतावाद की विवेचना कीजिए।क्या इससे राजनीतिक सत्ता का पूर्णतः निराकरण संभव है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
3.(b) गाँधी के समाजवाद की मुख्य विशेषताओं और इनकी समकालीन प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
3.(c) संप्रभुता की अवधारणा के संबंध में कौटिल्य के योगदान की विवेचना कीजिए। क्या यह प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में प्रयोज़्य है ? व्याख्या कीजिए।
4.(a) भारतीय समाज में जाती-भेद से संबंधित डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारो की विवेचना कीजिए। इसके निराकरण के लिए उनके द्वारा सुझाया गए उपाय क्या है। व्याख्या कीजिए।
4.(b) भारत में महिला भ्रूणहत्या के मुख्य क्या है ? क्या यह केवल प्रोधौगिकी के आसुरी प्रयोग का परिणाम है? विवेचना कीजिए।
4.(c) क्या सामाजिक संविदा का सिद्धांत मानवीय अधिकारों के विभिन्न मुद्दों को पर्याप्त रूप से सम्बोधित करता है। मूल्यांकन कीजिए।
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खण्ड 'B'
Q5. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
5.(a) न्याय दर्शन के प्र्तिपतिद ईश्वर के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
5.(b) धार्मिंक बहुलवादी के प्रसंग में परम सत्य की संभावना की विवेचना कीजिए।
5.(c) क्या बहुधर्मी समाज में धार्मिक स्वतंत्रता संभव है? व्याख्या कीजिए।
5.(d) क्या ईश्वर में विश्वास के बिना धार्मिक जीवन संभव है? विवेचना कीजिए।
5.(e) अशुभ के अस्तित्व के सन्दर्भ में ईश्वर की सर्वशक्तिमान के विरोधभास की विवेचना कीजिए।
6.(a) हिन्दू परंपरा के विशेष संदर्भ में आत्मा की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
6.(b) अद्वेद वेदान्त के अनुसार मोक्ष की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। मोक्ष प्राप्ति में ज्ञान की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
6.(c) क्या आप समझते है की धर्म और नैतिकता आवियोज्य है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
7.(a) धर्म में तर्क एंव आस्था की भूमिका की विवेचना कीजिए। क्या तर्क धार्मिक विश्वासों के प्रतिपादन में नियामक तत्व हो सकता है? व्याख्या कीजिए।
7.(b) ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए नैतिक तर्क का आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
7.(c) वेदांती परंपरा के अलोक में धार्मिक अनुभूति की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
8.(a) धार्मिंक भाषा संबंधी असंज्ञानात्मक सिद्धांत क्या है? आर.बी. ब्रेथवेत के विचारो के अलोक आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
8.(b) हिन्दू धर्म की एक आवश्यक पूर्व-मान्यता के रूप में कर्म के सिद्धांत की विवेचना एंव मूल्यांकन कीजिए।
8.(c) पॉल टिलिच के विशेष संदर्भ में धार्मिक भाषा के प्रतीकात्मक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
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