(Sample Material) सामान्य अध्ययन (पेपर -1) ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम: भारतीय राजव्यवस्था एवं अभिशासन - "जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा"

सामान्य अध्ययन ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का (Sample Material)

विषय: भारतीय राजव्यवस्था एवं अभिशासन

जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के अंतर्गत, जम्मू तथा कश्मीर राज्य (जे. एंड के.) भारतीय संघ का एक संवैधानिक राज्य है तथा इसकी सीमाएं भारतीय सीमाओं का एक भाग हैं। दूसरे परिप्रेक्ष्य में, संविधान के भाग 21 के अनुच्छेद 370 में इसे एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। इसके अनुसार, भारतीय संविधान के सभी उपबंध इस पर लागू नहीं होंगे। यह भारतीय संघ में एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसका अपना अलग राज्य -संविधान ' जम्मू और कश्मीर का संविधान ' है ।

संविधान के इसी भाग 21 के अंतर्गत, भारतीय संघ के 10 अन्य राज्य भी श् विशेष दर्जे का लाभ उठा रहे हैं किंतु कुछ विशेष अल्प मामलों में। दूसरी ओर, विशेष दर्जे के लाभ से युक्त और कश्मीर राज्य इस मामले में अतुलनीय है।

जम्मू और कश्मीर का भारत मे विलय

ब्रिटिश प्रभुत्व की समाप्ति के साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ। प्रारंभ में इसके शासक, महाराजा हरिसिंह ने फैसला लिया कि वे भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित नहीं होंगे और स्वतंत्र रहेंगे। 20 अक्टूबर, 1947 को, पाकिस्तान समर्थित आजाद कश्मीर सेना ने राज्य के अग्रभाग में आक्रमण किया। इस असामान्य एवं विलक्षण राजनीतिक स्थिति में, राज्य के शासक ने राज्य को भारत में विलय करने का निर्णय किया। इसके अनुसार, 26 अक्टूबर, 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू तथा महाराजा हरीसिंह द्वारा श् जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय पत्र श् पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अंतर्गत. राज्य ने केवल तीन विषयों (रक्षा, विदेशी मामले तथा संचार) पर ही अपना अधिकार छोड़ा ।

उस समय भारत सरकार ने आश्वासन दिया कि श् इस राज्य के लोग अपनी स्वयं की संविधान द्वारा, इस राज्य के आंतरिक संविधान तथा राज्य पर भारतीय संघ के अधिकार क्षेत्र की प्रकृति तथा प्रसार को निर्धारित करेंगे तथा राज्य विधानसभा के फैसले तक भारत का संविधान राज्य के संबंध में केवल अंतरिम व्यवस्था कर सकता है इस आश्वासन के परिणाम में, भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 सम्मिलित किया गया। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया कि जम्मू तथा कश्मीर से संबंधित राज्य उपबंध केवल अस्थायी हैं स्थाई नहीं। यह 17 नवंबर,1952 से संचालित हुआ। जिसके प्रावधान निम्म हैं-

1. अनुच्छेद 238 के उपबंध (भाग-ख राज्य पर प्रशासन के संबंध में) जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होते। मूल संविधान (1950) में और कश्मीर राज्य वर्ग- ख के राज्य में उल्लिखित किया गया था। भाग VII  में इस अनुच्छेद को 7वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा (1956) बाद में संविधान में से राज्यों के पुनर्गठन के कारण हटा दिया गया था ।

2. राज्यों के लिए संसद की विधि निर्माण की शक्ति निम्न बातों तक सीमित है, (प) वे मामले जो संघ की सूची या समवर्ती सची में हों जो उन मामलों से संबंधित हो, जिनका राज्य के विलय-पत्र में उल्लेख हो। ये मामले राज्य सरकार के परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा घोषित किए जाते हैं। विलय पत्र में मामले चार विषयों के अंतर्गत वर्गीकृत हैं -जो विदेशी मामले, रक्षा, संचार एवं अधीनस्थ मामले है। (पप) संघ सूची तथा समवर्ती सूची के अन्य मामले, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा राज्य सरकार की सहमति से उल्लिखित किया गया हो। इसका अर्थ है कि इन मामलों पर विधि केवल जम्मू और कश्मीर राज्य की सहमति से ही बनाई जा सकती है ।

3. अनुच्छेद 1 के उपबंध (घोषित करता है कि भारत राज्यों की सीमाओं का संघ है) तथा अनुच्छेद (अनुच्छेद 370) के उपबंध जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू होते है ।

4. उपरोक्त उपबंधों के अतिरिक्त, संविधान के अन्य उपबंध कुछ अपवादों एवं सुधारों के साथ राज्य पर लागू किए जा सकते हैं, जो कि राष्ट्रपति द्वारा राज्य सरकार की सहमति से उल्लिखित हों ।

5. राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के प्रयोजन की समाप्ति या अपवादों व परिवर्तन के साथ प्रयोजन की घोषणा कर सकता है। यद्यपि, यह केवल राज्य की विधानसभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जा सकता है ।

अतः अनुच्छेद 370 ने अनुच्छेद 1 तथा स्वयं अनुच्छेद 370 को जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू करने के लिए बनाया है तथा राष्ट्रपति को राज्य पर अन्य अनुच्छेदों के विस्तार का अधिकार देता है ।

भारत एवं जम्मू-कश्मीर के मध्य वर्तमान संबंध

अनुच्छेद 370 के उपबंधों के परिणामस्वरूप, राष्ट्रपति ने ' संविधान आदेश ' (जम्मू और कश्मीर के लिए अनुप्रयोग) नामक आदेश, 1950 में केंद्र का राज्य पर अधिकार क्षेत्र उल्लिखित करने के लिए जारी किया। 1952 में, भारत सरकार एवं जम्मू -कश्मीर राज्य अपनी भविष्य के संबंधों हेतु दिल्ली में एक समझौते पर राजी हुए। 1954 में, जम्मू और कश्मीर की विधानसभा ने भारत में राज्य के विलय के साथ-साथ दिल्ली समझौते को पारित किया। तब राष्ट्रपति ने उसी नाम से एक अन्य आदेश जारी किया, जो कि संविधान आदेश (जम्मू और कश्मीर के लिए अनुप्रयोग ), 1954 है। यह आदेश 1950 के आदेश का स्थान लेता है तथा राज्य पर संघ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाता है। यह एक मूलभूत आदेश है, जो समय-समय पर सुधार एवं परिवर्तन के साथ, राज्य की संवैधानिक स्थिति एवं संघ के साथ इसके संबंध को व्यवस्थित रखता है ।