(Download) UPSC IAS Mains Exam 2020 - Hindi Compulsory


(Download) CS (MAIN) EXAM:2020 Hindi Compulsory


Exam Name: CS (MAIN) EXAM:2020 Hindi Compulsory
Marks: 250
Time Allowed : Three Hours

Q1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 600 शब्दों में निबन्ध लिखिए :

(a) भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

(b) भारतीय कृषक क़ानून, 2020 की सार्थकता

(c) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की चुनौतियाँ

(d) वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धि (AI) की उपयोगिता 

Q2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिए : 

जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे से संबद्ध हैं । समस्त जीवधारियों का जीवन उनके पर्यावरण की ही उपज होता है । अतः हमारे तन-मन की रचना, शक्ति, सामर्थ्य और विशेषताएँ उस संपूर्ण पर्यावरण से ही नियंत्रित होती हैं, उसी में वे पनपती हैं और विकास पाती हैं । वस्तुतः जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे से इतने जुड़े हुए हैं कि दोनों का सह-अस्तित्व बहुत आवश्यक है। 
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है जो प्रकृति से हमें विरासत में मिला है । यह हम सब का पालनहार और जीवनाधार है । पर्यावरण मूलतः प्रकृति की देन है । यह भूमि, वन-पर्वतों, नद-निर्झरों, मरुस्थलों, मैदानों, घास के जंगलों, रंग-बिरंगे पशु-पक्षियों, स्वच्छ जल से भरी लहलहाती झीलों और सरोवरों से भरा है । इस पर बहती शीतल, मंद सुगंध वायु तथा उमड़ते और अमृतधार बरसाते बादल – ये सभी धरती पर बसने वाले मनुष्यों के विकास और सुख-समृद्धि के लिए एक संतुलित पर्यावरण का निर्माण करते हैं । किंतु पर्यावरण का यह प्राकृतिक संतुलन बड़ी तेज़ी से बिगड़ता जा रहा है । आश्चर्य होता है कि मनुष्य धरती के इन स्रोतों का कितना अंधाधुंध दोहन करता जा रहा है, वह इसके वरदानों का इस प्रकार अविवेकपूर्ण दुरुपयोग कर रहा है कि सारा प्रकृति-तंत्र गड़बड़ा गया है । अब वह दिन दूर नहीं लगता जब धरती पर हज़ारों शताब्दियों पुराना हिम-युग लौट आए अथवा ध्रुवों पर जमी बर्फ की मोटी परत पिघल जाने से समुद्र की प्रलयंकारी लहरें नगरों, वन-पर्वतों और जीव-जंतुओं को निगल जाएँ । 
निश्चय ही पर्यावरण को विकृत और दूषित करने वाली समस्त विपदाएँ हमारी अपनी ही लाई हुई हैं । हम स्वयं प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहे हैं । इसी असंतुलन से भूमि, वायु, जल और ध्वनि के प्रदूषण उत्पन्न होते हैं । पर्यावरण प्रदूषण से फेफड़ों के रोग, हृदय और पेट की बीमारियाँ, दृष्टि और श्रवण क्षतियाँ, मानसिक तनाव और अन्य तनाव संबंधित रोग पैदा हो रहे हैं । हम सभी जानते हैं कि धरती पर जीवन प्रकृति संतुलन से ही संभव हो सका है । धरती वनस्पतियों से ढक न जाए, इसलिए घास खाने वाले जानवर पर्याप्त संख्या में थे । इन घास खाने वाले जानवरों की संख्या को संतुलित-सीमित रखने के लिए हिंस्र जंतु भी थे । इन तीनों का अनुपात संतुलित और नियंत्रित था । आधुनिक युग में वैज्ञानिक आविष्कारों और उद्योग-धंधों के विकास-फैलाव के साथ-साथ जनसंख्या का भी भयावह विस्फोट हुआ है। 

(a) इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए कि 'जीवन और पर्यावरण एक-दूसरे से संबद्ध हैं।

(b) पर्यावरण और प्रकृति का क्या संबंध माना गया है ? 

(c) प्रकृति संतुलित पर्यावरण का निर्माण कैसे करती हैं ? 

(d) पर्यावरण-असंतुलन के कारण क्या संकट होते हैं ? 

(e) पर्यावरण-प्रदूषण से कौन-कौन सी बीमारियाँ पैदा हो रही हैं ? 

Q3. निम्नलिखित अनुच्छेद का सारांश लगभग एक-तिहाई शब्दों में लिखिए । इसका शीर्षक लिखने की आवश्यकता नहीं है । सारांश अपने शब्दों में ही लिखिए : 

भारत की एकता और स्वतंत्रता एक ही तस्वीर के दो पहलू हैं । अगर हमारी एकता हाथ से निकलती है तो स्वतंत्रता भी दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल जाएगी । इसलिए समस्त भारतवासियों का पहला कर्तव्य यह है कि पूरी निष्ठा से अपनी राष्ट्रीय एकता की रक्षा करें । देश अपनी समस्त भाषाई समस्याओं से भी बड़ा और विशाल है । एकता की रक्षा के लिए हमें अपमान सहना पड़े तो हमें उसे भी सह लेना चाहिए । एकता की रक्षा के लिए यदि हमें अन्याय सहना पड़े तो हम अन्याय को भी सहेंगे । यह सब इसलिए सहना है कि भारत की एकता जब पुष्ट और बलवती हो जाएगी, तब कोई भी हमारा अपमान नहीं कर पाएगा । तब देश का एक भाग किसी दूसरे भाग के साथ अन्याय करना भी भूल जाएगा । आज हमारी आर्थिक स्थिति मज़बूत है तो हमारे झगड़े भी ख़त्म होंगे । यदि वे रहते भी हैं तो उनमें पहले जैसी कटुता नहीं रह जाएगी क्योंकि समृद्धि व्यक्ति की सोच को प्रभावित करती है । 
एकता की रक्षा के साथ-साथ हमारा दूसरा कर्तव्य यह है कि हम भारत के उस रूप को सुधारने की कोशिश करें जिसे साकार करने के लिए वह स्वाधीन हुआ है । भारत की आज़ादी को प्राप्त हुए 73 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी हमें और भी नई मंज़िलें तय करनी हैं । स्वाधीनता केवल रोटी का पर्याय नहीं है । स्वाधीनता केवल कारख़ानों की स्थापना करने की योग्यता नहीं है । स्वाधीनता का वास्तविक अर्थ आत्मा की वह स्वतंत्रता, मानस की वह मुक्ति है, जिसके कारण राष्ट्र अपने व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करता है । यदि कोई व्यक्ति भूखा है तो उसके सामने दर्शन पर भाषण देना व्यर्थ है। 
भारत कोई नया देश नहीं है । जिस भाषा में उसकी संस्कृति का विकास हुआ, वह संसार की सबसे प्राचीन भाषा है; जो ग्रंथ भारतीय सभ्यता का आदि ग्रंथ समझा जाता है वही संपूर्ण मानवता का भी प्राचीनतम ग्रंथ है । अनेक विदेशी आक्रमणों के बाद भी भारत अपनी संस्कृति से मुँह मोड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ । नवीन औद्योगिक तथा वैज्ञानिक सभ्यता भी भारत से उसके अतीत का प्रेम नहीं छीन सकती । सत्य केवल वही नहीं है जो पिछले ढाई-सौ वर्षों से हमारे सामने परोसा गया है बल्कि उस ज्ञान का भी बहुत-सा अंश सत्य है जिसका विकास पिछले छह हज़ार वर्षों में हुआ है । भारत को न केवल वह नवीन सत्य चाहिए जो भौतिक समृद्धि को संभव बनाता है, परन्तु प्राचीनकाल का वह सत्य भी चाहिए जो भौतिक समृद्धि के लिए आत्मा के हनन को पाप समझता है। 
जब से विज्ञान का उदय हुआ संसार के अधिकांश देशों में आज अतीत पराजित और वर्तमान विजयी हुआ है । केवल भारत ही ऐसा देश है जहाँ अतीत आज भी युद्ध कर रहा है । यह संग्राम भारत में लंबे समय से चल रहा है । लेकिन भारत का अतीत आज भी न तो दुर्बल है न अप्रासंगिक । भारत का अतीत हमेशा वर्तमान को साथ लेकर भविष्य की ओर बढ़ने का आदी रहा है । आज भी वह अपने पथ पर अग्रसर है । रामकृष्ण और विवेकानंद, तिलक और अरविन्द ये सभी महापुरुष अतीत के पक्षधर थे । ये वर्तमान को समेट कर भविष्य की ओर बढ़ने की शिक्षा दे गए हैं । महात्मा गाँधी सबसे पहले अतीत की आवाज़ थे । आचार्य विनोबा भावे भी अतीत के चश्मे वर्तमान और भविष्य को देख रहे थे । रवीन्द्रनाथ टैगोर नवीन होते हुए भी प्राचीनता के सबसे बड़े समर्थक थे । आज भी हमने अतीत को छोड़ा नहीं है । अतीत हमारी सबसे बड़ी धरोहर है । 

Q4. निम्नलिखित गद्यांश का अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए : 

यह जीवन का सत्य है कि यदि चलते समय आप सचेत होकर न चलें तो आपका पैर कीचड़ या गड्ढे में जा सकता है । यही सत्य विज्ञान के बढ़ते चरणों के साथ भी चरितार्थ होता है । यदि हम उसका प्रयोग मानव कल्याण और विकास के लिए करते हैं तो विज्ञान वरदान बन जाता है । उसकी उपादेयता को कोई नकार नहीं सकता । किंतु यदि उसका उपयोग विध्वंसकारी कार्यों के लिए होता है तो विनाश का कारण बन जाता है और अभिशाप सिद्ध होता है । इस विध्वंसकारी रूप के कारण ही विज्ञान से हमें जो भौतिक सुख-सुविधाएँ मिली हैं वे हमें मानसिक सुख व शांति प्रदान करने में असमर्थ सिद्ध हो रही हैं । भौतिक प्रगति के साथ मानव-जीवन अत्यंत व्यस्त, व्यावसायिक और भौतिकतावादी होता गया है । फलतः विज्ञान और उसकी उपलब्धियों ने मानव को आत्मिक सुख-शांति से वंचित कर दिया है । नैतिक मूल्यों और मानवीय संबंधों का ह्रास हुआ है । किंतु इसमें दोष मानव का ही है जिसने इसके दुरुपयोग से स्वयं को भीषण संकट में डाल दिया । बड़े-बड़े संहारक अस्त्र इसी के प्रमाण हैं । 
यदि मनुष्य अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को छोड़कर जनहित के विचार से विज्ञान के बढ़ते चरणों का उपयोग करे तो निस्संदेह ये चरण मानव प्रगति के लिए मंगलमय सिद्ध होंगे । 

Q5. निम्नलिखित गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिए : 

One of India's greatest musicians was M.S. Subbulakshmi, affectionately known to most people as ‘MS”. Her singing brought joy to millions of people not only in all parts of our country, but in other countries 
around the world as well. In October 1966, MS was invited to sing in the great hall of the General Assembly of the United Nations in New York, while representatives of all the member countries listened. This was one of the 
greatest honours ever given to any musician. For several hours MS kept that international audience spellbound with the beauty of her voice and her style of singing; when the concert was over, the entire audience stood up and 
clapped as a sign of their appreciation of not only the singer but of the great music that she had carried with her from an ancient land. India could not have had a better ambassador. MS was the first musician ever to be awarded 
the 'Bharat Ratna', India's highest civilian honour. She was the first Indian musician to receive the Ramon Magsaysay Award in 1974 with the citation reading "exacting purists acknowledge Shrimati M.S. Subbulakshmi as the leading exponent of classical and semi-classical songs in the Carnatic tradition of South India". 

Q6. (a) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए : 

(i) अँगूठा दिखाना

(ii) आँखों में धूल झोंकना

(iii) ईंट का जवाब पत्थर से देना

(iv) दाँत खट्टे करना

(v) पापड़ बेलना 

(b) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए : 

(i) आप अपना काम करो ।

(ii) मेरे भाई अध्यापक है ।

(iii) अगर आप चाहें तो मैं यह कलम आप को दे सकता था ।

(iv) दो ग्लास में दूध लाओ । 

(v) आकाश में बादल मंडरा रही है । 

(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए : 

(i) पानी

(ii) कमल

(iii) पत्नी

(iv) बच्चा

(v) पैर 

(d) निम्नलिखित युग्मों को इस तरह से वाक्य में प्रयुक्त कीजिए कि उनका अर्थ एवं अंतर स्पष्ट हो जाए: 

(i) अवलंब - अविलंब

(ii) सबल – संबल

(iii) जलद – जलज 

(iv) मातृ - मात्र 

(v) गृह – ग्रह 

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