यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2025
यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2025
Q1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 600 शब्दों में निबन्ध लिखिए :
(a) भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता
(b) विश्वयुद्ध का गहराता संकट
(c) डिजिटल भुगतान के लाभ
(d) खेलों में भारतीय महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
Q2.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट,सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिए : :12X5=60
जैव विविधता विश्व की जीवित प्रजातियों की विविधता है, जिसमें उनकी आनुवंशिक विविधता और उनके द्वारा निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र के समुदाय सम्मिलित हैं। आज जीवन की यह विविधता गंभीर ख़तरों का सामना कर रही है। वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि उष्णकटिबंधीय वनों की हानि और अस्थिरता की वर्तमान दरों पर आगामी चौथाई शती के दौरान प्रति दशक लगभग पाँच से दस प्रतिशत उष्णकटिबंधीय वन्य प्रजातियाँ नष्ट हो जाएँगी।
विलुप्त होने का संकट उष्णकटिबंधीय वनों तक ही सीमित नहीं है। नदियों के अवरुद्ध होने और विदेशी प्रजातियों के आने से मीठे जल के प्राकृतिक भंडारों में नाटकीय रूप से बदलाव आ रहा है । महासागरीय द्वीप, जहाँ विगत कई हज़ार वर्षों में अधिकांश विलुप्तियाँ हुई हैं, धरती पर सबसे अधिक ख़तरे वाले पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक हैं।
प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता की हानि, प्राकृतिक वास एवं पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण इस पीढ़ी तथा भावी पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ी कीमत दर्शाता है। आज लुप्तप्राय प्रजातियों के मूल में अज्ञात खाद्य, चिकित्सा और इनका औद्योगिक उपयोग है। पारिस्थितिकी तंत्र मानव जनसंख्या के संरक्षण की अपनी क्षमता खो रहे हैं; और उनका क्षरण, मिट्टी के कटाव, जलाशयों के खारेपन, स्थानीय परिवर्तन, मरुस्थलीकरण एवं उत्पादकता में कमी के द्वारा अत्यधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।
जलवायु जैविक संसाधनों के मूल्य को निर्धारित करने के लिए तीन मुख्य दृष्टिकोणों का उपयोग किया गया है। उपभोग-उपयोग मूल्यांकन के अंतर्गत जलाऊ लकड़ी, चारा, शिकार किया गया मांस जैसे संसाधनों के मूल्य का आकलन करना शामिल है जिनका उपयोग बिना बाज़ार के होता है। उत्पादक-उपयोग मूल्यांकन में उन उत्पादों के मूल्य का आकलन करना शामिल है जिन्हें वाणिज्यिक दृष्टि से काटा व बेचा जाता है जैसे लकड़ी, मछली, मांस, शहद और औषधीय पौधे आदि। ग़ैर उपभोक्ता उपयोग मूल्यांकन में पारिस्थितिकी
तंत्र के कार्यों जैसे जल संचय क्षेत्र संरक्षण, प्रकाश-संश्लेषण, जलवायु विनियमन और मृदा उत्पादन के प्रत्यक्ष मूल्यों का आकलन करना शामिल है। साथ ही, इस बात का संतोष है कि कुछ प्रजातियाँ बची हुई हैं । प्रायः नीति-निर्माता उत्पादक- उपयोग मूल्यों की अधिक सराहना करते हैं क्योंकि वे वानिकी, मत्स्यपालन जैसे बड़े उद्योगों से संबंधित हैं और व्यापार से जुड़े होने के कारण राष्ट्रीय आय में परिलक्षित होते हैं ।
(a) जैव विविधता से क्या तात्पर्य है ?
(b) विलुप्तता संकट क्या है ?
(c) प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता की हानि से क्या ख़तरे उत्पन्न होते हैं ?
(d) ग़ैर उपभोग-उपयोग मूल्यांकन का आशय स्पष्ट कीजिए ।
(e) नीति-निर्माताओं द्वारा किस मूल्यांकन को सबसे अधिक सराहा जाता है और क्यों ?
Q3. निम्नलिखित अनुच्छेद का सारांश लगभग एक-तिहाई शब्दों में लिखिए । इसका शीर्षक लिखने की आवश्यकता नहीं है । सारांश अपने शब्दों में ही लिखिए ।
यदि हम जानना चाहते हैं कि प्रसन्नता क्या है तो हमें इसे किसी काल्पनिक जगत् में नहीं अपितु समृद्ध और पूर्ण रूप से अच्छा जीवन जी रहे मनुष्यों के बीच ढूँढ़ना होगा। यदि आप वास्तव में एक प्रसन्न व्यक्ति को देखते हैं तो आप पाएँगे कि वह नाव बना रहा है, स्वर-रचना कर रहा है, अपने बेटे को पढ़ा रहा है, अपने बगीचे में सुन्दर पुष्प उगा रहा है। वह प्रसन्नता को कभी-कभार प्राप्त होने वाली दुर्लभ वस्तु के रूप में नहीं खोजेगा। उसको यह ज्ञात होगा कि वह दिन के चौबीसों घंटे व्यस्त रहने के दौरान भी प्रसन्न है।
कोई भी व्यक्ति ऐसे कार्य में प्रसन्न नहीं रह सकता जो पूरी तरह से उसके अपने व्यक्तित्व पर केन्द्रित हो और केवल उसकी अपनी तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति से सम्बन्धित हो। इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति ऐसे सामाजिक सम्बन्धों में पूर्णतया प्रसन्न नहीं रह सकता जो केवल स्वयं पर और उसके सीमित सरोकारों और संकीर्ण दायरों तक केन्द्रित हो। प्रसन्नता की प्राप्ति के लिए हमें उसे अपने से बाहर खोजना होगा ।
यदि आप केवल अपने लिए जीते हैं तो आप सदैव अपने विचारों और रुचियों की आवृत्ति के मृत्यु सदृश ऊब के तात्कालिक ख़तरे में रहते हैं। अत्यधिक मानवीय प्रसन्नता की दिशा को एक अवसर चुनें और स्वयं को उसके साथ जोड़ लें। कोई भी व्यक्ति तब तक जीने का अर्थ नहीं समझ सकता, जब तक वह अपने अहं को अपने साथी मनुष्यों की सेवा में समर्पित नहीं कर देता। यदि आपको अपनी महत्त्वाकांक्षा पर गर्व है तो इसके लक्ष्यों की मानसिक सूची बनाएँ। आप स्वयं से पूछें कि क्या आप उन वैयक्तिक लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं और खुश रहने के अवसरों का त्याग करना चाहते हैं या कि आप खुश रहना पसन्द करते हैं और अपने अहं अर्जित प्रतिष्ठा को छोड़ना चाहते हैं।
जो लोग अत्यधिक प्रसन्नता और अधिक सफलता चाहते हैं उनके लिए जीवन का केवल एक ही दर्शन हो सकता है, रचनात्मक परोपकारिता का दर्शन । एक वास्तविक प्रसन्न व्यक्ति सदैव संघर्षरत आशावादी होता है। आशावाद के अंतर्गत केवल परोपकारिता ही नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व, सामाजिक साहस और वस्तुनिष्ठता भी शामिल है। इस श्रेणी में आने वाले पुरुष और महिलाएँ वे हैं जो जीवन को दृढ़ता से स्वीकार करते हैं, वयस्कों की तरह वास्तविकता का सामना करते हैं, कठिनाइयों का सामना धैर्य 'के साथ करते हैं, ज्ञान को करुणा के साथ जोड़ते हैं, अपने जीवन को उत्साह के साथ हास्य की भावना से जोड़ते हैं एक शब्द में कहें तो वे पूर्ण मनुष्य हैं। श्रेष्ठ जीवन सतत परोपकार के क्रियाशील दर्शन की माँग करता है। यही संतोषप्रद जीवन है और मनुष्य होते हुए भी प्रसन्न रहने का एकमात्र मार्ग है।
प्रसन्नता के तत्त्व इतने सरल हैं कि उन्हें हाथ की उँगलियों पर गिना जा सकता है। प्रसन्नता भीतर से आती है, और सरल अच्छाई तथा स्वच्छ अंतरात्मा पर आधृत है। धर्म इसके लिए आवश्यक नहीं है, लेकिन किसी को भी नैतिक सिद्धांतों पर आधारित दर्शन के बिना इसे प्राप्त करने के लिए नहीं जाना जाता है। स्वार्थ इसका शत्रु है। दूसरों की खुशी में ही स्वयं की खुशी है। यह भीड़ में लम्बे समय तक शायद ही कभी पाया जाता है, एकांत और चिंतन के क्षणों में इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। इसे खरीदा नहीं जा
सकता, वास्तव में पैसे का इससे बहुत कम लेना-देना है।
कोई व्यक्ति तब तक सुखी नहीं हो सकता जब तक वह अपने आप से यथोचित रूप से संतुष्ट न हो, इसलिए शांति की खोज अनिवार्य रूप से आत्म-परीक्षण से आरम्भ होनी चाहिए। करने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन हुआ बहुत कम है। तथापि, इस गहन आत्म-विश्लेषण पर उन गुणों की खोज निर्भर करती है जो प्रत्येक व्यक्ति को अद्वितीय बनाते हैं, और जिनके विकास से ही संतुष्टि मिल सकती है। इसलिए यदि किसी को सुख प्राप्ति के लिए कोई कार्यक्रम बनाना हो तो वह होगा – सीमित साधनों में संतुष्ट रहना, विलासिता की जगह शिष्टता की खोज करना, शानो-शौकत के बजाए परिष्करण की खोज करना, योग्य बनना, कठोर अध्ययन करना, शांति से चिंतन करना, मधुर बोलना, स्पष्ट रूप से कार्य करना, नक्षत्रों और पक्षियों, शिशुओं और ऋषियों को खुले मन से सुनना, सब कुछ प्रसन्नतापूर्वक सहना, सब कुछ साहसपूर्वक करना, कभी जल्दबाजी न करना और आध्यात्मिक, अनापेक्षित और अचेतन को सामान्य जीवन के बीच विकसित होने देना । यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी सरकार आपके लिए यह नहीं कर सकती, आपको यह अपने लिए
स्वयं करना होगा ।
Q4. निम्नलिखित गद्यांश का अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए :
संपूर्ण विश्व में आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है। अमेरिका, भारत, इज़राइल आदि देश आतंकवाद के घेरे से निकलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। परन्तु यह फंदा निरंतर कसता ही जा रहा है। आए दिन समाचार-पत्रों में मुख्य पृष्ठ पर बड़े-बड़े अक्षरों में आतंकवादियों के घिनौने कारनामे छपते रहते हैं। दिन का आरंभ इन्हीं भयावह ख़बरों से होता है। न जाने कितने मासूमों को ये लोग अपने स्वार्थ पर बलि चढ़ा देते हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात् ही कुछ लोगों ने विदेशी ताकतों के बहकावे में आकर भारत में आतंकवाद का बीज बो दिया था। उसकी जड़ें अब संपूर्ण देश में इस तरह फैल चुकी हैं कि स्थिति अत्यंत शोचनीय हो गई है। कश्मीर में आतंकवाद अपने भयावह रूप में विद्यमान है। वहाँ के मूल निवासी अब शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं। वहाँ हर दिन भय की छाया में निकलता है कि न जाने आज क्या होगा ? केवल कश्मीर ही नहीं, असम, बंगाल, नागालैंड आदि प्रदेशों को भी आतंकवादियों ने आतंकित कर रखा है। इन सभी प्रदेशों में कानून व्यवस्था चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। सेना तथा पुलिस इस समस्या को देश से दूर करने के लिए जी-जान से जुटी है। आतंकवाद को दूर करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है, परंतु जनसाधारण के सहयोग की भी आवश्यकता है। यदि सभी अपने निजी, धार्मिक स्वार्थी और प्रांतीयता को त्यागकर भारतवासी बनकर रहें, तो यह समस्या सदा के लिए समाप्त हो सकती है। कोई भी सच्चा मनुष्य दूसरे मनुष्य को हानि नहीं पहुँचा सकता, क्योंकि आतंकवाद पशुता है। सभी को एकमत एवं संगठित होकर इस समस्या को विश्व से समाप्त करने में सहयोग देना चाहिए तथा विश्व में शांति और सौहार्द की भावना को स्थापित करना चाहिए। तभी देश और समाज प्रगति की ओर पूर्ण रूप से अग्रसर हो सकेगा।
Q5. निम्नलिखित गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिए : 20
Healthy children are an essential component of an effective education system. Good health reduces absenteeism and dropouts and increases scholastic performance. An effective school health programme is one of the most cost-effective approaches in improving community health. School health activities contribute to healthy lifestyles, thus leading to a healthy future generation. School children also communicate the health-related information gained in schools to their families and neighbourhood, contributing to improved family and community health. The functions of school health services include detection and treatment of defects, creation and maintenance of hygienic environment in and around the school, provision of school meals, and improvement of nutritional status of children. This may be further enlarged to include health check-ups and immunisation campaigns.
Q6. (a) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए : 2x5=10
(i) अक्ल का दुश्मन
(ii) अपनी खिचड़ी अलग पकाना
(iii) उल्टी गंगा बहाना
(iv) गरदन पर सवार होना
(v) हथेली पर सरसों उगाना
(b) वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए :
(i) अनेक बार तुम्हें समझाया है कि झूठ मत बोला करो ।
(ii) भूखे बच्चे को कुछ पिलाओ।
(iii) यह एक बहुत ही गहरी समस्या है।
(iv) बाजार से थोड़े फल खरीदना है।
(v) आप यहाँ आएँगे तो मेरे को खुशी होगी।
(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए :
(i) अनुचर
(ii) कोयल
(iii) पथिक
(iv) हरि
(v) वसंत
(d) निम्नलिखित युग्मों को इस तरह से वाक्य में प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ एवं अंतर स्पष्ट हो जाए। 2x5=10
(i) अवधि - अवधी
(ii) अनल - अनिल
(iii) तुरंग - तरंग
(iv) शाल- साल
(v) बदन - वदन