यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1992

यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 1992

1. निम्नलिखित विषयों में किसी एक पर लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिएः (क) एक भारतीय राजनीतिज्ञ का दैनिक जीवन (ख) चापलूसी की कला (ग) भारतीय नारी : कल्पना और यर्थाथ (घ) भारतीय नगरों में गंदी बस्तियों का परिहरण (ङ) भारतीय खेल-वू$द में अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिमानों के विकास के उपाय। 100

2. निम्नलिखित अवतरण को पढ़िये और इसके बाद में दिए गए प्रश्नों के उत्तर यथासंभव अपने शब्दों में लिखिये; निरामिषतावाद की प्रशंसा वैदिक काल से ही लेती रही है निरामिष भोजन का परिशोधक पक्ष तो संदेह से परे है। कालान्तर में निरामिषतावाद एक धार्मिक आदेश के रूप में विकसित हो गया, जिससे भारत में कई जाति-संप्रदाय अब भी प्रभावित होते हैं। इससे वु$छ अनुयायियों ने इस मूर्खता की हद तक घसीटा है। फिर भी, इसके लाभों की व्यापकतर चेतना नए सिरे से पश्चिम से फिर आई है। निरामिषतावाद जिसका, समर्थन-प्रतिपादन महाबीर, पैथागोरस, लियो तॉल्सताय और महात्मा गांधी ने किया, अब संसार भर के लोगों को आंदोलित और प्रभावित कर रहा है, जिनमें वे खिलाड़ी भी शामिल है, जिनके लिए शारीरिक स्वास्थ्य को उच्चतम स्तर पर रखना अनिवार्य होता है। निरामिषतावाद के विषय में अनेक लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। ‘वैजीटेरियन सुसाइटी ऑफ बॉम्बे’ के प्रधान मंत्रा जशु शाह के अनुसार ‘नरामिष भोजन की एक खुराक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए पर्याप्त होती है।’ स्वाद और पौष्टिकता, दोनों की दृष्टि से, संतुलित निरामिष आहार अन्य किसी भी प्रकार के आहार की बराबरी कर सकता है। जो भी हो, निरामिष भोजन को सावधानी से इस तरह पकाना चाहिए कि उसमें कच्चे खाद्य-पदार्थों और साग-सब्जियों के पोषक गुण सुरक्षित रहें।

डॉ. अलेक्जेंडर हेग की राय है कि ‘साग-सब्जी की दुनिया के पदार्थों और उनसे बनी चीजों से जीवन का परिपोषण संभव है। यह नहीं, वे यह भी हो सकते हैं। कि यह हर प्रकार से असीमित रूप से वांछनीय हैं और शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार की उत्कृष्टतर ऊँर्जा उत्पन्न करता है। इसी प्रकार डॉक्टर एफ. जे. सायक्स दावे से कहते हैं कि साग-सब्जियों की दनियां के आहार की एक ठीक प्रकार से चयन की गई खुराक मानव के पोषण के लिए रासायनिक दृष्टि से पूरी तरह ठीक है।

अन्तिम बात यह है कि डॉ. जे. ओल्डफील्ड की राय में मांस एक अप्राकृतिक भोजन है और इससे शरीर के क्रिया-तंत्रा में गड़बड़ियां होने की संभावना रहती है। ..... इसमें वैं$सर, क्षयरोग, बुखार, जैसे भयानक रोगों के विषाणु संत्रित हो जाते हैं।

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प्रश्नः

(क) भारतीय निरामिषतावाद पर पश्चिम का क्या प्रभाव पड़ा है
(ख) निरामिष भोजन को सावधानी से क्यों पकाना चाहिए?
(ग) मांसाहार को प्रतिनंदित और अस्वीकार करने के आधार क्या हैं?
(घ) निरामिष भोजन का क्या प्रभाव होता है?
(ङ) निम्नांकित का अर्थ अपने शब्दों में समझाइएः

(i) मूर्खतापूर्ण हद
(ii) निरामिष भोजन का परिशोधक पक्ष
(ii) क्रियात्मकता में गड़बड़ी।

3. निम्नलिखित अवतर का सारांश लगभग 300 शब्दों में लिखिए और उसे एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। जहां तक संभव हो, सारांश आपके अपने शब्दों में हो। सारांश निर्धारित शीट पर ही लिखें और उसे उत्तर पुस्तिका के अंदर मजबूती से बांध दें।

विषेश टिप्पणीः यदि सारांश के शब्द निर्धारित संख्या से बहुत अधिक या बहुत कम हुए तो अंक काटे जाएंगे।

किसी विशेष समाज में पाए जाने वाले कोई पारिवारिक गुट किस प्रकार का है, यह बात बहुत वु$छ इस पर निर्भर है कि इसे किस प्रकार का कार्य करना पड़ता है। यदि ये कार्य श्रेष्ठतम रीति से एक बड़े वर्ग द्वारा सम्पन्न होते हैं, तो संभावना यह है कि यह विशेष परिवार बढ़ता जाएगा, पर यदि ये कार्य परिवार के एक छोटे से गुट द्वारा सम्पन्न किए जा सकते हैं, तो वह परिवार विशेष रूप और आकार में संभवतः अव्यवहित, तात्कालिक सीधा सम्बन्ध वाला तथा केन्द्रकीय रहेगा। परिवार का पहला और प्रत्यक्ष कार्य और वह कार्य जिसमें वह समस्त जीवित प्राणियों का सहभागी होता है प्रजनन या अपनी प्रजाति का विस्तार है। यह कार्य दैनिक कार्य है और वह साधन है, जिसके द्वारा मानव विश्व को आबाद कर सकता है। इस लक्ष्य की दृष्टि से परिवार का होना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि मानव-शिशु अपनी व्यवस्था और रक्षा स्वयं अधिक समय तक नहीं कर सकते। कई वर्षों तक वे मां की देखभाल पर निर्भर रहते हैं, प्रारंभ में भोजन और प्यार के लिए, बाद में शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए। इस प्रकार एक मां के पास देखभाल के लिए एक ही समय में विभिन्न वय के कई बच्चे हो सकते हैं। उस समय उसे संरक्षण तथा पालन-पोषण के लिए पिता की सहायता की आवश्यकता होती है। इसीलिए पारिवारिक इकाई का महत्त्व है।

परिवार का दूसरा कार्य है आर्थिक। इसमें परिवार के सदस्यों को वु$छ ऐसे विशेष कार्यों के लिए साथ-साथ काम करने की आवश्यकता होती है, जो सबके लिए आजीविका जुटाने के साधन हैं। बहुत-से खेतों में जहां मशीने उपलब्ध नहीं होती, यह स्थिति आती है। अपेक्षाकृत अधिक पुराने ढंग के पिछड़े गावों के जीवन की यह विशेषता है। परिवार एक साथ एक इकाई के रूप में कार्य करता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य का अपना एक उपयुक्त काम होता है। उदाहरण के लिए, किसान और उसकी पत्नी कार्य का नियोजन कर सकते हैं, जिसमें पुरुष खेती-बाड़ी या पशु-पालन की चिन्ता करे और पत्नी घरबार को मुर्गी-पालन और किचिन-गार्डेन की संभाले, परिवार के वु$छ सदस्य खेतों में काम करें और अन्य लोग वु$छ विशिष्ट कामों में लगें, जैसे दूध दुहना या भेड़ों की देखभाल करना कम उम्र के सदस्यों के पास भी करने के लिए उनके छोटे-छोटे काम होंगे और जैसे-जैसे वे शरीर से अधिक मजबूत और मन से अधिक उत्तरादायित्वपूर्ण होते जाएंगे, वैसे-वैसे ये काम भी बदलते जाएंगे। इस प्रकार छोटे बच्चे बकरियों की देखभाल के लिए भेजे जाएंगे, पर जैसे ही वे बड़े होंगे, उन्हें हल जोतने जैसा कोई कठिन काम सौंप दिया जाएगा। जब माता-पिता काम में व्यस्त होंगे, तो छोटे बच्चों की देखभाल का काम परिवार के बड़े-बूढ़ों को दे दिया जाएगा। यहां तक की शारीरिक या बौद्धिक रूप में विकलांग लोगों को भी उनका वक्त गुजारने के लिए किसी न किसी काम पर लगा दिया जाएगा। जहां परिवार का आर्थिक कार्य महत्त्वपूर्ण होता है, वहां बच्चे वांछनीय हो जाते हैं क्योंकि वे संभावित सक्षम कर्मियों की संख्या में वृद्धि करते हैं। ऐसी स्थिति में पति-पत्नी यथासंभव अधिक से अधिक बच्चे पैदा करेंगे परिवार बड़े होने लगेंगे। इसी प्रयोजन से पुरातन समाजों में बहुविवाह की यानी अनेक पत्नियां रखने की प्रथा चलती है। इससे यह संभव हो जाता है कि परिवार में बच्चों की संख्या और बड़ी हो; और जैसे ही वे बड़े हों, वैसे ही उनके श्रम का प्रयोग घरेलू भूमि पर प्रारंभ कर दिया जाए। यद्यपि यह प्रथा अब निरन्तर विरलतर होती जा रही है, फिर भी वु$छ पेशों में अभी भी यही होता है। उदाहरण के लिए, वु$छ भवन बनाने वाले शिल्पी या मोची पत्नी तथा बच्चों की अंशकालिक सहायता से अपना स्वतंत्रात व्यवसाय चलाते हैं। परिवार की तीसरा कार्य-व्यापार जो सामाजिक होती है, बहुत महत्त्वपूर्ण है। बच्चा सबसे पहले परिवार के भीतर ही उन रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक परंपराओं को सीखता है, जिनमें वह जीता है। इसका अर्थ यह है कि वह उस परिवार के और उस समाज के जिसके कि वे सब संयोजक अंश होते हैं, अन्य सदस्यों की तरह व्यवहार करना सीखता है। यह प्रक्रिया सामाजीकरण कहलाती है। 60

4. निम्नलिखित अवतरण का हिन्दी में अनुवाद कीजिएः 20

The elephant has been able to survive in spite of man's encrorchment into its habitat because of its hight adaptability. The trunk of the elephant enables it to pick selectivley tiny herbs from the ground or bring an entire tree crashing down for feeding. Since it can exploit a wide range of plant species, it has successfully adapted to life in a dry thorm or a wet evergreen forest. Indeed its ability to use different favourable habitas according to the season, requires that a diversity of habitats is present for a healthy population. To understand the movement of elephants one has to understand their social organization in relation to spatial distribution. The basic unit of the elephant society is the family made up of an adult female and her offspring. Often this unit can be termed as a joint family, as when a grandmother cow leads her adult daughter and their offspring, or when sister cows co-exist along with their calves. Families or joint familes typically have between 3 to 10 members male elephants leave the family when they aftain maturity and wander on their own, joining with the herds only for mating. Related families associate with each other for temporary periods. Such groupings are known as kin groups.

5. निम्नलिखित अवतरण का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः 20

कोई भी यात्रा जिसने पोटला को ध्यान से देखा है, आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहा। ल्हासा की घाटी में यह सबसे ऊँचा भवन है। नीचे घाटी के तल में भवन इसके सामने बौने लगते हैं। तिब्बत का यह विशालतम भवन संसारभर के सर्वाधिक विलक्षण भवनों में से एक है। इसमें दो सौ पचास सीढ़ियां हैं, जो इसके विशाल श्वेत अग्रभाग के निचले आधे हिस्से से होकर ऊँपर जाती है। इनके ऊँपर भवन का मध्यम भाग टिका है, जिस पर याक के बालों से बना एक विशाल भिति-चित्रा लटका है। इससे और ऊँपर, सुनहरी पैगोड़े तथा छतों के मंडप हिमालय के भूरे और श्वेत शिखरों के अप्रतिम पश्चदृश्य के सामने पहाड़ी हवा में जगमगाते हैं। तिब्बत के शासक दलाई लामा के अनुसार इस विशाल भवन के भीतर एक बस्ती थी, ‘जो अपने में एक शहर थी’। उन्होंने भी यह स्वीकार किया कि वहां वर्षों तक रहने के बाद भी वे इसके समस्त रहस्य नहीं जान पाए। यहां अंधेरे रास्तों और ढाल दुर्गम नसैनी-जैसी सीढ़ियों की 19 मंजिले थीं। ये सीढ़ियां एक हजार कमरों तक जाती थी, जिनमें पुजारी, मठवासी, तथा राजनीतिज्ञ रहते थे। यहां पुस्तकालय और भण्डार कक्ष थे, जो हाथ में कढ़े सोने-चांदी के अक्षरों से चमकती पांडुलिपियों, खाद्य-सामग्री, शास्त्रों के गुप्त भंडारों तथा पूर्व दलाई लामाओं और तिब्बत के प्राचीन राजाओं के स्वर्णिम राजचिन्हों से खचाखच भरे थे। यह तिब्बत की आध्यात्मिक तथा भौतिक शक्ति का पीठ थी।

6. (क) निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों में से किन्हीं पांच का अर्थ लिखिए, और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएः

(i) एक अनार सौ बीमार
(ii) आंख का अंधा गांठ का पूरा
(iii) चिराग तले अंधेरा
(iv) बगुला भगत होना
(v) कै हंसा मोली चुगै, कै लंधिन मर जात
(vi) आकाश पाताल एक करना
(vii) सोने में सुहागा
(viii) करेला और नीम चढ़ा
(ix) आटा दाल का भाव मालूम पड़ना
(x) निन्यानवे का फेर।

(ख) निम्नलिखित युग्मों में से किन्हीं दो में दिए हुए शब्दों का अपने बनाए वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि दोनों पारस्परिक अन्तर यथासंभव स्पष्ट हो जाएः

(i) अनुशासन, प्रशासन
(ii) कृति, संस्कृति
(iii) दूषण, प्रदूषण
(iv) अवरण, पर्यावरण। 10

(ख) निम्नांकित अभिव्यक्तियों में से किन्हीं पाँच के लिए एक उपयुक्त समानार्थक शब्द लिखिएः

(i) जो दूसरों के अधीन हो
(ii) जो अभी तक आया न हो
(iii) जो पहले घटित न हुआ हो
(iv) जिसे कठिनाई से प्राप्त किया जा सके
(v) मूल्य घटाने का कार्य
(vi) जो काल से परे हो
(vii) जिसकी परिभाषा देना संभव न हो
(viii) ग्रंथ के वे बचे हुए अंश जो प्रायः अन्त में जोड़े जाते हैं
(ix) जो पीछे जलता हो
(x) जो भयभीत न होता हो।

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