यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2012



यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2012



1. निम्नलिखित विषयों से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिएः 100

(i) भारतः व्यापारिक विका का एक उभरता हुआ क्षेत्रा
(ii) हमारे महानगर महिलाओं के लिए कितने सुरक्षित हैं ?
(iii) भारत में व्यावसायिक शिक्षा
(iv) फिल्मों का मिथकीय संसार

2. निम्नलिखित गद्यांश को सावधानी से पढिए तथा गद्यांश के अन्त में पूछे गये प्रश्नों के स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में उत्तर दीजिएः 6 × 10 = 60

पाठकों की बहुसंख्या या तो क्षणिक मनोरंजन के लिए पढती है या फिर उस विश्रान्ति के लिए जो पुस्तक उन्हें प्रदान करती हैं समय, जैसा कि अक्सर आंका जाता है, एक विरल बेशकीमती खजाना है । इस बेशकीमती खजाने को पाठकगण व्यर्थ ही गवां देते हैं। अविश्सनीय-सा लगता है कि समय या वक्त पाठकों के उपर बहुत भारीपन से लदा होता है । और फिर वे खोज पाते हैं कि समय के उस अतिरिक्त बोझ से छुटकारा, जिसकी उन्हें जरूरत है, किताबें ही दिला सकती हैं । इतना तो पर्याप्त स्पष्ट है कि वे किसी दूसरे प्रयोजन के लिए नहीं पढ सकते । अगर वे ऐसा करे तब उस पढ़ने से उन्हें कुछ अपने लिए हासिल हो सकता है, किन्तु ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि पढने का कोई अन्य प्रयोजन हो । पढ़ने से उन पर कुछ प्रभाव जरूर पड़ते होंगे परन्तु उन प्रभावों के बारे में वे अनजान हैं । प्रभाव लाभप्रद हो सकते हैं, निर्णायक हो सकते हैं - यह निष्कर्ष हम नहीं निकाल सकते । इसका प्रमाण यही है कि पढने के कारण वे अपने साथ कोई ऐसी चीज नहीं ले जाते कि बाद में कह सकें कि उन्होंने अमुक चीज पढ़ी है ।

(i) लोगों द्वारा पुस्तकों के कारणों के बारे में लेखक क्या कहता है, ज्यादातर लोग किताबें क्यों पढ़ते हैं?
(ii) लेखक ऐसा क्यों महसूस करता है कि पाठक अपने समय की कीमत नहीं ऑकते ?
(iii) इस तथ्य का संकेतक क्या है कि पाठकों के समय का सही इस्तेमाल नहीं हुआ ?
(iv) पढना समाप्त करने के उपरान्त लेखक की क्या अपेक्षा है कि पाठकगण क्या करें ?
(vi) असजग पढने के प्रति लेखक का प्रतिकूल दृष्टिकोण क्यों है ?
(vi) लेखक किस किस्म के पाठक चाहता है ?

 

3. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षेपण लगभग एक-तिहाई शब्दों में करें । शब्द-सीमा के अन्तर्गत संक्षेपण न करने पर अंक काट लिए जाएंगे । संक्षेपण अलग से निर्धारित कागजों पर ही लिखें व उन्हे अच्छी तरह से उत्तर-पुस्तिक के साथ बाँध लें । 60

पानी पृथ्वी के धरातलीय क्षेत्रा के 70% हिस्से में सामान्य रूप से पर्याप्त में पाया जाने वाला पदार्थ है। वैश्विक जल की उपलब्धि 1.386 बिलियन जलमापक अंक है । जिसमें से 97 प्रतिशत खारा पानी है और मानव उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। शेष केवल 3 प्रतिशत पानी ही ताजा और पीन योग्य पानी है । परन्तु उसका भी 68.5 प्रतिशत पानी गलेशियरों के हिम शीर्षों और शाश्वत बर्फ में है जो मानव उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है। लगभग 30 प्रतिशत धरातलीय जल है जिसका 0.9 प्रतिशत नदियों, झरनों और झीलों में है। हम ज्यादातर 70% जलमापक अंक ताजे पानी पर प्रतिदिन निर्भर करते हैं जो नदियों, झरनों और झीलों के अन्तः स्रोतों से हमे मिलता है। यह आपूर्ति सदियों से निरन्तर प्राप्त हो रही है । परन्तु पिछले कुछ दशकों से, खासतौर से घरेलू जरूरतों, खेती और औद्योगिक गतिविधियों के चलते पानी की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। 1940 मंे जब दुनिया की जनसंख्या 2 बिलियन थी, प्रतिवर्ष जल की आमद प्रति व्यक्ति 1,000 जलमापक अंक तक सीमित थी। 2000 तक जनसंख्या 6 बिलियन का आंकड़ा पार कर गई थी और प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष खपत 6,000 जलपापक अंक बढ़ आई जिससे जल प्राप्ति के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगा, खासकर सधन जनसंख्या वाले क्षेत्रों और उन जगहों पर जहां पानी बहुत कम है। कृषि 70%, औद्योगिक क्षेत्रा 22%, घरेलू क्षेत्रा 8% जल खपत का आंकड़ा दर्ज करते हैं। साफ पानी विश्व-जनसंख्या के तेजी से बढ़ने व पीने की मांग बढ़ने के कारण दुष्प्रभाव संसाधन बनता जा रहा है। हर वर्ष कुल उपलब्ध पानी का आधा हिस्सा इस्तेमाल में आ रहा है। यह 2050 तक जनसंख्या व मांग बढ़ने के कारण 74% तक बढ़ सकता है। यदि सभी जगहों पर लोग सामान्य अमेरिकियों की तरह पानी खर्च करने लगें, जो कि पानी के मामले में सबसे ज्यादा खाऊ लोग हैं तो उपयोग 90% तक बढ़ सकता है ।

ताजे पानी का रंखांकित करने वाला पक्ष यह है कि उसकी उपलब्धता सारे विश्व में समानरूप से विभाजित नहीं है। अनेक पानी से भरपूर स्रोतों के देश है तो अनेक पानी के लिहाज से गरीब मुल्क। प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति उपलब्धता यदि ग्रीनलैण्ड में जलमापक अंक के अनुसार 10,767 मिलियन है तो कुवैत में वह सिर्फ 10 जलमापक अंक है । भारत में 1951 में प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति पानी की उपलब्धता 5,177 जलमापक अंक थी वह 2011 में घटकर 1,820 जलमापक अंक रह गई। 2001 में तो भारत गरीब मुल्कों की श्रेणी में धकेल दिया गया। 2025 तक तो प्रतिवर्ष खपत 1,340 जलमापक अंक तक सिमट आयेगी।

विश्व की अनेक बड़ी उनकी सहायक नदियाँ एक से ज्यादा देशों के बीच गुजरती हैं। उदाहरण के लिए गंगा और उसकी सहायक नदियाँ नेपाल, भारत और बंगलादेश से गुजरती हैं, और सिंधु व उसकी सहायक नदियाँ तो भारत पाकिस्तान से गुजरती हैं। डेन्यूब जहाँ जर्मनी से निकलती है आस्ट्रिया, स्लोवाकिया, हंगरी, क्रोशिया, सर्विया, रोमानिया, बल्गारिया, माल्वेबिया और युक्रेन से गुजरती है। जम्बेजी जाम्बिया, अंगोला, नामीबिया, बोट्स्वाना, जिम्बाबे और मोजाम्बीक से गुजरती है। मिस्र की जीवनधारा नील के उद्गम आठ देशों में है सूडान, इथोपिया, केन्या, रवांडा, बुरून्डी, युगान्डा, तंजानिया, जायरे। जब कोई नदी एक से ज्यादा देशों से गुजरती है तब अनेक विवाद जन्मते हैं। कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए पानी की मांग बढ़ती हो जाती है, उससे सम्बन्धित विवाद भी गंभीर स्थितियों का जन्माते है और कभी कभी वे अक्रामक रूप ग्रहण कर लेते है ।

एक ही देश में बहने वाली नदियों के पानी में हिस्सा बटाना भी स्थानीय और क्षेत्रिय स्तर पर संवेदनशील मामला है। गौतम बुद्ध (563-483 ईसा पूर्व) को शाक्यों और काटियाओं के बीच रोहिणी नदी के पानी की हिस्सेदारी के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा था।

4. निम्नलिखित अंग्रेजी गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिएः 20

I remember my father starting his day at 4 a.m. by reading the namaz, he used to walk down to a small coconut grove we owned, about 4 miles from our home. He would return, with about a dozen coconuts tied together thrown over his shoulder, and only then would he have his breakfast. This remained his routine even when he was in his late sixties.

I have throughout my life tried to emulate my father in my own world of science and technology. I have endevoured to understand the fundamental truths revealed to me by my father, and feel convinced that there exists a divine power than can lift one up from confusion, misery, melancholy and failure, and guide one to one's ture place. And once an individual severs his emotional and physical bondage, he is on the road to freedom, happiness adn peace of mind.

5. निम्नलिखित हिन्दी गद्यांश का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः 20

अस्पतालों का उदय बहुत प्राचीन समय से हुआ होगा और ईसाई काल-गणना से बहुत पहले। इस मामले में ऐसा माना जाता है कि अस्पताल का उदय यूनान, मिस्र और भारत में हुआ। विश्व के अनेक देशों में अब अनेक बड़े सर्वरोगोपचारी अस्पताल हैं जहाँ हर प्रकार के मामलों पर गौर किया जाता है और वहां हर प्रकार के प्रशिक्षण ओर शोध के साधन उपलब्ध है। अब तो छोटी बड़ी अनेक महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं जो विशेष प्रकार की बीमारियों के कारगर उपचार करती हैं कुछेक ने तो स्वयं को बच्चों और स्त्रिायों के मामलों में समर्पित किया हुआ है। बर्तानिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में तो अस्पतालों के रोगोपचार को राज्य या नगर निकाय सहयोग देते है। इस पद्धति ने न सिर्फ कार्यो की बाधायें दूर की है और वित्तीय कठिनाइयों को कम किया है बल्कि समूचे समुदाय को बेवजह तकलीफ सहने से भी बचाया है व ऊर्जा के लाभ का भी सदुपयोग संभव बनाया है। साथ ही साथ इस विधि द्वारा एक प्राणहीन, यांत्रिक, आत्माविहीन दिनचर्या व कार्यकुशलता के घटते स्तर से भी निजात पाई जा सकती है जो उर्जस्वी आलोचना और फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाये जाने के अभाव के कारण पनपती है।

6. क. निम्नलिखित मुहावरों और लाकोक्तियों में से किन्ही पांच का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएः 5 × 4 = 20

(i) पापड़ बेलना
(ii) कोयले की दलाली में मुंह काला
(iii) मुंह में पानी आना
(iv) पाप कटना
(v) दॉतो तले अंगुली दबाना
(vi) नाक रखना
(vii) न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
(viii) तेल निकालना
(ix) सूरज को दिया दिखाना

ख. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पॉच वाक्यों के शुद्धरूप लिखिएः 5 × 2 = 10

(i) ‘‘मैं नहीं आऊँगा’’ रागिनी ने कहा।
(ii) तीन लीटर आटा लाओ।
(iii) अध्यपक पढ़ाने आए।
(iv) हम घर जाऊँगा।
(v) दिपक जलाने का समय है।
(vi) बच्चें ने विस्तर गीली कर दिया।
(vii) हमारे मेहमान घर में है।
(viii) सड़क पर दुर्घटना हो गई।
(ix) सुबह सूर्य उगता है।
(x) नई किताब बहुत अच्छा है।

ग. निम्नलिखित युग्मों में से किन्ही पाँच का वाक्यों में इस तरह प्रयुक्त करें कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए और उनके बीच का अन्तर भी समझ में आ जाएः 5 × 2 = 10

(i) उत्तीर्ण - अनुत्तीर्ण
(ii) अस्तित्व - अनस्तित्व
(iii) अक्षत - अक्षर
(iv) दशा - दिशा
(v) अंक - अंग
(vi) पद - पथ
(viii) अनल - अनिल
(viii) मत - मति
(ix) राग - विराग
(x) संवर्ग - संसर्ग

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